Friday, June 5, 2015

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए एके सिंह के खिलाफ पीएस जग्गी को तैयार करने में विशाल सिन्हा और उनके संगी-साथियों द्वारा की जा रही कोशिशों ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों में गर्मी पैदा कर दी है

लखनऊ । एके सिंह के खिलाफ सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए पीएस जग्गी को उम्मीदवार बनाए जाने की कोशिशों की सुगबुगाहटों के चलते अगले लायन वर्ष की चुनावी राजनीति को लेकर डिस्ट्रिक्ट में गर्मी पैदा हो गई है । उल्लेखनीय है कि पीएस जग्गी ने अपनी उम्मीदवारी को लेकर अभी तक किसी भी तरह की दिलचस्पी नहीं 'दिखाई' है; और उनके नजदीकियों का भी कहना है कि पीएस जग्गी ने उम्मीदवार बनने के अभी तक कोई संकेत उन्हें तो नहीं दिए हैं । इसके बावजूद, पीएस जग्गी की उम्मीदवारी की संभावना की चर्चा लोगों के बीच है - तो इसका कारण यह है कि पीएस जग्गी की उम्मीदवारी को विशाल सिन्हा और उनके संगी-साथियों की तरफ से हवा दी जा रही है । चर्चा यही है कि विशाल सिन्हा और उनके संगी-साथी लगातार मिलती जा रही पराजयों से बुरी तरह हताश हैं और जीत के लिए खासे लालायित हैं । उन्हें लगता है कि एके सिंह की राह में केएस लूथरा भी रोड़ा बनना चाहेंगे और इसलिए एके सिंह के खिलाफ उम्मीदवार उतार कर वह पराजयों के निरंतर चलते आ रहे सिलसिले की दिशा बदल सकेंगे । विशाल सिन्हा और उनके संगी-साथियों का सोचना-मानना चाहें जो हो, अभी का सच यही है कि अपनी सोच और अपनी योजना के लिए उन्हें डिस्ट्रिक्ट में कोई खास समर्थन मिलता हुआ अभी तो नहीं ही दिख रहा है । 
विशाल सिन्हा और उनके संगी-साथियों को हालाँकि सबसे तगड़ा झटका अपने गॉडफादर गुरनाम सिंह से लग रहा है; गुरनाम सिंह अभी एके सिंह की उम्मीदवारी के साथ और समर्थन में ही रहने के संकेत दे रहे हैं । मजे की बात यह है कि एके सिंह और उनके समर्थक भी विश्वास कर रहे हैं कि गुरनाम सिंह ने विशाल सिन्हा की उम्मीदवारी को सुरक्षित बनाने के लिए 'अगली' बार सहयोग/समर्थन का जो वायदा करके पिछले लायन वर्ष में एके सिंह की उम्मीदवारी को वापस करवाया था, वह अपने उस वायदे को अवश्य ही याद रखेंगे और निभायेंगे । विशाल सिन्हा और उनके संगी-साथियों को गुरनाम सिंह की तरफ से तगड़ा झटका भले ही लग रहा है, लेकिन गुरनाम सिंह को लेकर उन्हें ज्यादा चिंता नहीं है; उनका मानना/समझना है कि गुरनाम सिंह को तो वह कभी भी 'समझा' लेंगे - उन्हें विश्वास है कि गुरनाम सिंह के कारण उनकी 'उम्मीदें' नहीं टूटेंगी । उनकी 'उम्मीदें' अब सिर्फ गुरनाम सिंह की 'जगह' लेने को तैयार हो रहे केएस लूथरा के रवैये पर टिकी हैं ।
केएस लूथरा से उम्मीद रखने के दो कारण हैं : एक तो यह कि उन्हें लगता है कि केएस लूथरा को अपने गवर्नर-काल में एके सिंह से जो 'घाव' लगा था, वह अभी तक नहीं भरा है और उसके लिए केएस लूथरा ने अभी तक एके सिंह को माफ नहीं किया है । दूसरा यह कि एके सिंह का अभी भी ज्यादा झुकाव गुरनाम सिंह की तरफ 'दिखता' है, और राजनीतिक शब्दावली में जो बात की जाती है उसके अनुसार एके सिंह को गुरनाम सिंह का 'आदमी' माना जाता है । ऐसे में, केएस लूथरा के लिए यह फैसला करना आसान नहीं होगा कि वह गुरनाम सिंह के 'आदमी' के लिए अपना समर्थन घोषित करें ? संदीप सहगल की जीत के साथ केएस लूथरा को जो राजनीतिक ऊँचाई मिली है, उसके बाद उनके लिए जो राह खुली है - उसे वह एके सिंह के यहाँ 'बंद' करने को तैयार होंगे क्या; यह बड़ा सवाल है । शिव कुमार गुप्ता की जीत को संयोग व किस्मत से मिली जीत के रूप में देखा/पहचाना गया था, लेकिन इस वर्ष हुए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में संदीप सहगल की जीत के जरिए केएस लूथरा ने अपनी राजनीतिक ठसक का जो ठोस सुबूत दिया है, उसने उन्हें गुरनाम सिंह का विकल्प बनने का सुनहरा मौका दिया है - उनके इसी मौके में उनके एके सिंह के खिलाफ जाने का अनुमान लगाया जा रहा है । 
इस अनुमान के पूरा होने में अड़चन सिर्फ यह है कि इसके लिए केएस लूथरा को विशाल सिन्हा से हाथ मिलाना पड़ेगा - जिसे हर कोई आज की तारीख में असंभव ही मान रहा है । यह 'असंभव' ही एके सिंह की ताकत है । एके सिंह की उम्मीदवारी पर यूँ तो अलग-अलग कारणों से कई लोगों की तिरछी नजर है - लेकिन एके सिंह की खुशकिस्मती यह है कि उनके तमाम विरोधियों के बीच इतने लफड़े/झगड़े हैं कि वह कभी एकसाथ नहीं खड़े हो सकते हैं - और यही चीज एके सिंह की उम्मीदवारी को सुरक्षित बनाती है । इसके बावजूद, विशाल सिन्हा और उनके संगी-साथियों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है - उन्हें विश्वास है कि शिव कुमार गुप्ता की गवर्नरी में और एके सिंह के चुनावी अभियान में अवश्य ही कुछ ऐसी गलतियाँ होंगी, जिनसे चुनावी समीकरण प्रभावित होंगे और वह बदलेंगे - चुनावी समीकरणों में होने वाला वही बदलाव एके सिंह की उम्मीदवारी को चुनौती देने के काम आयेगा । इसी उम्मीद के सहारे विशाल सिन्हा और उनके संगी-साथी पीएस जग्गी में हवा भरने की कोशिश कर रहे हैं । पीएस जग्गी लेकिन उनकी उम्मीद पर अभी कोई भरोसा करते हुए नहीं दिख रहे हैं । इससे एके सिंह की उम्मीदवारी के लिए अभी तो कोई चुनौती पैदा होती हुई नहीं लग रही है, किंतु विशाल सिन्हा और उनके संगी-साथियों की सक्रियता ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों में गर्मी जरूर पैदा कर दी है ।