Wednesday, June 17, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में मुकेश अरनेजा को क्लब से निकाले जाने में उनसे डीआरएफसी का पद छीनने का रमेश अग्रवाल ने मौका देखा है, लेकिन मुकेश अरनेजा का दावा है कि जब इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई ही उनसे असिस्टेंट रोटरी कोऑर्डिनेटर का पद वापस नहीं ले पा रहे हैं, तो जेके गौड़ की क्या औकात है कि उन्हें डीआरएफसी के पद से हटा दे


नई दिल्ली । जेके गौड़ द्वारा मुकेश अरनेजा को डीआरएफसी पद से हटाने की चर्चा ने मुकेश अरनेजा के नजदीकियों के बीच खलबली मचा दी है । मुकेश अरनेजा ने अपने नजदीकियों को हालाँकि आश्वस्त किया है कि जेके गौड़ गवर्नर भले ही बन रहा हो, लेकिन उसकी इतनी औकात नहीं है कि वह उन्हें डीआरएफसी पद से हटा दे । मुकेश अरनेजा ने यह आशंका तो व्यक्त की है कि उन्हें क्लब से निकाले जाने से बने मौके का फायदा उठाते हुए रमेश अग्रवाल तो जेके गौड़ पर उनसे डीआरएफसी पद वापस लेने के लिए दबाव बना सकते हैं; किंतु उन्हें विश्वास है कि पूरी तरह से रमेश अग्रवाल की गिरफ्त में होने के बावजूद जेके गौड़ दबाव में यह बात नहीं मानेगा । इस बात को चर्चा दरअसल तब मिली जब जेके गौड़ की परछाईं बने हुए अशोक अग्रवाल ने कुछेक लोगों के बीच कहा/बताया कि रमेश अग्रवाल ने जेके गौड़ को सुझाव दिया है कि मुकेश अरनेजा को क्लब से निकाले जाने का मामला जब तक हल नहीं हो जाता है, तब तक उन्हें मुकेश अरनेजा को डीआरएफसी पद से हटा देना चाहिए । रमेश अग्रवाल ने तर्क दिया है कि मुकेश अरनेजा इस समय चूँकि किसी भी क्लब के सदस्य नहीं हैं - और इस कारण से रोटेरियन नहीं हैं; इसलिए रोटरी में वह किसी पद पर नहीं बने रह सकते हैं । अशोक अग्रवाल के अनुसार, रमेश अग्रवाल ने यहाँ तक कहा कि रोटरी के नियमों व आदर्शों का पालन करते हुए मुकेश अरनेजा को खुद ही रोटरी के पदों को छोड़ देना चाहिए; मुकेश अरनेजा की जगह कोई शर्म महसूस करने वाला व्यक्ति होता तो खुद ही रोटरी के पद छोड़ चुका होता - लेकिन मुकेश अरनेजा को पदों पर बने रहने में न तो कोई शर्म है और न ही उन्हें नियम-कानूनों से कोई मतलब है ।
अरनेजा और रमेश अग्रवाल के बीच बनती/बढ़ती दूरियों के बारे में डिस्ट्रिक्ट में चूँकि हर कोई जानता है, इसलिए अशोक अग्रवाल के जरिए सामने आई मुकेश अरनेजा को ठिकाने लगाने की रमेश अग्रवाल की कोशिशों की बात को सच माना गया और इन बातों ने फिर मुकेश अरनेजा के नजदीकियों के बीच खलबली मचा दी । यह खलबली इसलिए भी मची क्योंकि डिस्ट्रिक्ट में हर कोई यह भी अच्छी तरह जानता है कि जेके गौड़ तो पूरी तरह रमेश अग्रवाल की कठपुतली हैं और वही करते हैं जो रमेश अग्रवाल चाहते/कहते हैं । इन्हीं बातों के चलते डीआरएफसी पद से मुकेश अरनेजा की छुट्टी होने के कयास लगाये जाने लगे ।
मुकेश अरनेजा ने लेकिन अपने नजदीकियों को आश्वस्त किया है कि उन्हें चिंता करने की और परेशान होने की जरूरत नहीं है; जेके गौड़ भले ही रमेश अग्रवाल की कठपुतली बना हुआ हो, किंतु उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं करेगा । मुकेश अरनेजा ने तर्क दिया कि अपनी करतूतों और कारस्तानियों के कारण क्लब से निकाले जाने के बाद भी उनसे जब मनोज देसाई ने असिस्टेंट रोटरी कोऑर्डिनेटर का पद वापस नहीं लिया है, तो जेके गौड़ की क्या औकात है कि उन्हें डीआरएफसी के पद हटा दे ? उन्होंने अपने नजदीकियों को बताया है कि उन्हें क्लब से निकाले जाने का वास्ता देकर कई लोगों ने मनोज देसाई से कहा है कि वह मुझसे असिस्टेंट रोटरी कोऑर्डिनेटर का पद वापस ले लें - किंतु मनोज देसाई ने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया है । मुकेश अरनेजा का कहना है कि मनोज देसाई को इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने/बनवाने में उन्होंने जो मदद की थी - एक तो उसे याद रखते हुए मनोज देसाई उन्हें असिस्टेंट रोटरी कोऑर्डिनेटर के पद से नहीं हटा रहे हैं; दूसरे, रोटरी इंटरनेशनल के नियमों तथा उसकी व्यवस्थाओं के कारण भी उन्हें रोटरी के किन्हीं भी पदों से नहीं हटाया जा सकता है ।
अन्य कई लोगों का कहना लेकिन यह है कि हो सकता है कि रोटरी इंटरनेशनल के किसी नियम और/या व्यवस्था के अनुसार मुकेश अरनेजा को रोटरी के किसी पद से न हटाया जा सकता हो, किंतु नैतिकता और शर्म भी कोई चीज होती है न ? उनका तर्क है कि मुकेश अरनेजा जिन कारणों से अपने क्लब से निकाले गए हैं, उससे जाहिर और साबित हो गया है कि वह रोटरी में रहने/रखने लायक नहीं हैं - जो व्यक्ति अपने क्लब में रहने लायक नहीं समझा गया; उसे किसी भी बहाने/तरीके से रोटरी में बने रहने का अधिकार भला क्यों मिलना चाहिए ? उल्लेखनीय है कि मुकेश अरनेजा के किसी और क्लब की सदस्यता लेकर या एक नया क्लब बना कर रोटरी में बने रहने की तिकड़में लगाने की चर्चा है - इस पर कई लोगों का कहना है कि मुकेश अरनेजा अपनी करतूतों व कारस्तानियों के चलते जब अपने ही क्लब में नहीं बने रह सके, तो किसी दूसरे क्लब में और रोटरी में रह कर ही क्या करेंगे ? मुकेश अरनेजा पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं - इस नाते उनका क्लब से निकाला जाना रोटरी समुदाय में एक बड़ी घटना है; कई रोटेरियंस का मानना और कहना है कि क्लब से निकाले जाने की घटना पर शर्मसार होकर मुकेश अरनेजा को खुद ही रोटरी को अब अलविदा कह देना चाहिए; लेकिन मुकेश अरनेजा ने शर्मसार होना तो जाना ही नहीं है - इसलिए वह रोटरी में बने रहने की हर संभव कोशिश करेंगे ही ।
मुकेश अरनेजा रोटरी में बने रहने का जुगाड़ तो कर लेंगे, किंतु रमेश अग्रवाल ने जिस तरह उन्हें क्लब से निकाले जाने में उनसे डीआरएफसी का पद छीनने का मौका देखा है - उससे एक मजेदार स्थिति बनी है । यह देखना दिलचस्प होगा कि डिस्ट्रिक्ट 3012 के गवर्नर जेके गौड़ इस मामले में रमेश अग्रवाल की 'कोशिश' को सफल बनायेंगे और/या मुकेश अरनेजा के दावे को सच साबित करेंगे कि उनके खिलाफ कोई कदम उठाने का उनमें दम ही नहीं है ।