Monday, June 22, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080, यानि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए दोबारा शुरू हुई चुनावी प्रक्रिया पर 'कब्जा' करके यशपाल दास ने सुधीर चौधरी की उम्मीदों को तगड़ा झटका दिया

रुड़की । यशपाल दास ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय पर जिस तरह से 'कब्जा' कर लिया है, उससे सुधीर चौधरी व उनके समर्थकों को खासा तगड़ा झटका लगा है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद पर टीके रूबी के हुए चयन को मनमाने तरीके से निरस्त करके दोबारा चुनाव की जो प्रक्रिया शुरू हुई है, उसमें सुधीर चौधरी और उनके समर्थकों को अपनी जीत का पूरा भरोसा था । यह भरोसा उन्हें इसलिए था क्योंकि दोबारा हो रहे चुनाव के लिए उनके अलावा उम्मीदवार के रूप में जो चार नाम आए हैं - उनमें डीसी बंसल, राजीव सूद और सुभाष धीर की उम्मीदवारी नियम-कानून के तहत विवादास्पद ठहरती है; और टीके रूबी के नाम पर तो यह झमेला ही खड़ा हुआ तथा दोबारा चुनाव की नौबत आई है । डिस्ट्रिक्ट में अब हर कोई यह मान रहा है कि राजा साबू और उनके 'गिरोह' के लोग पिछली बार की तरह अबकी बार कोई लापरवाही नहीं बरतेंगे तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद पर अपने ही 'आदमी' की जीत को सुनिश्चित करेंगे । इसी मानने के चलते डीसी बंसल, राजीव सूद, सुभाष धीर और सुधीर चौधरी अपने अपने चुने जाने की उम्मीद कर रहे हैं - इन्हें विश्वास है कि राजा साबू और उनके 'गिरोह' के लोग कुछ भी करेंगे और टीके रूबी को तो रोकेंगे; तथा इन्हें अपना 'आदमी' मान कर जितवायेंगे/बनवायेंगे । सुधीर चौधरी और उनके समर्थकों का मानना और कहना रहा कि टीके रूबी की जीत को 'छीनने' के लिए डिस्ट्रिक्ट में जो हरकतें हुईं उससे डिस्ट्रिक्ट तथा राजेंद्र उर्फ राजा साबू की रोटरी समुदाय में भारी फजीहत हुई है; इससे सबक लेते हुए डीसी बंसल, राजीव सूद व सुभाष धीर को चुनवाने का खतरा नहीं उठाया जायेगा, क्योंकि इनमें से किसी को भी चुनवाने का अर्थ होगा - और बड़े विवाद को आमंत्रित करना । इसी कारण से सुधीर चौधरी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपना रास्ता साफ दिख रहा था । 
यशपाल दास की सक्रियता देख कर लेकिन सुधीर चौधरी और उनके समर्थकों को अपने इस साफ रास्ते पर रोड़े पड़ते दिख रहे हैं । सुधीर चौधरी और उनके समर्थक यह देख/जान कर हैरान भी हुए हैं और डर भी गए हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए दोबारा हो रहे चुनाव की सारी प्रक्रिया को यशपाल दास ने अपने नियंत्रण में ले लिया है, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय तथा चुनावी प्रक्रिया को अंजाम देने वाले पदाधिकारियों को वही दिशा-निर्देश दे रहे हैं । सुधीर चौधरी तथा उनके समर्थकों का पिछले कुछेक दिनों का अनुभव रहा है कि चुनाव संबंधी कोई भी बात डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक, डिस्ट्रिक्ट एडवाइजर प्रेम भल्ला, डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर शाजु पीटर से पूछो तो एक ही जबाव सुनने को मिलता है कि - इस बारे में कोई भी बात यशपाल दास से पूछो । सुधीर चौधरी के क्लब के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हेमंत अरोड़ा ने भी माजरे को जानने/समझने का प्रयास किया, तो उन्हें भी यही जानकारी मिली कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए दोबारा हो रहे चुनाव की 'देखरेख' का जिम्मा यशपाल दास ने ले लिया है और उन्हीं के निर्देशानुसार तथ्यों व सूचनाओं को बताया/छिपाया जा रहा है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए दोबारा से शुरू हुई चुनावी प्रक्रिया में यशपाल दास ने अचानक से जिस तरह दिलचस्पी लेना शुरू किया है, उससे सुधीर चौधरी तथा उनके समर्थकों के कान खड़े हुए हैं और उन्हें यशपाल दास की इस सक्रियता में अपना बनता दिख रहा 'काम' बिगड़ता नजर आ रहा है । 
सुधीर चौधरी और उनके समर्थकों को लग रहा है कि चुनावी प्रक्रिया में यशपाल दास की पैदा हुई दिलचस्पी के पीछे सुभाष धीर को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने की मंशा काम कर रही है । ऐसा लगने के पीछे एक कारण यह भी है कि टीके रूबी की जीत में मट्ठा डालने के काम की शुरुआत यशपाल दास के क्लब की तरफ से ही हुई थी । टीके रूबी की जीत को निरस्त कराने की 'जिम्मेदारी' हालाँकि बाद में डीसी बंसल ने सँभाल ली थी, किंतु सुधीर चौधरी तथा उनके समर्थकों को लग रहा है कि यशपाल दास ने उस समय बड़ी होशियारी से डीसी बंसल का इस्तेमाल कर लिया था । यशपाल दास ने समझ लिया था कि टीके रूबी की जीत को निरस्त करवाने में यदि उनकी सीधी भागीदारी नजर आई, तो उनकी बदनामी होगी - इसलिए टीके रूबी की जीत को निरस्त करवाने का रास्ता 'दिखा' कर, उस रास्ते पर आगे बढ़ने का जिम्मा उन्होंने डीसी बंसल को सौंप दिया । डीसी बंसल को लगा कि यशपाल दास द्वारा सौंपी गई 'जिम्मेदारी' को पूरा करके वह यशपाल दास ही नहीं, बल्कि राजा साबू की निगाह में भी चढ़ जायेंगे और तब टीके रूबी को हटा कर जो जगह खाली होगी, वह उन्हें मिल जायेगी । डीसी बंसल बेचारे इसी उम्मीद में अपने चुने जाने का सपना देख रहे हैं । सुधीर चौधरी तथा उनके नजदीकियों को लग रहा है कि यशपाल दास ने अपना 'काम' बना/बनवा लेने के बाद डीसी बंसल को तो बीच मँझदार में छोड़ ही दिया है, साथ ही सुधीर चौधरी की राह को रोकने की तैयारी भी कर ली है । जैसा कि पहले कहा/बताया जा चुका है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए आए पाँच उम्मीदवारों में 'पाकसाफ' उम्मीदवार के रूप में टीके रूबी तथा सुधीर चौधरी को ही देखा/पहचाना जा रहा है; सुधीर चौधरी तथा उनके समर्थकों का मानना और कहना रहा है कि राजा साबू तथा उनके 'गिरोह' के लोग टीके रूबी को तो बनने नहीं देंगे, इसलिए सुधीर चौधरी ही उनकी च्वाइस बचते हैं । किंतु यशपाल दास की सक्रियता से उन्हें लगने लगा है कि यशपाल दास ने सुभाष धीर को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने का बीड़ा उठा लिया है । उनका यह डर, सुभाष धीर के 'उत्साह' को देख कर, दूसरे लोगों को भी सच होता हुआ नजर आ रहा है ।  
कुछेक लोगों को हालाँकि लग रहा है कि टीके रूबी के साथ हुए 'खेल' के चलते डिस्ट्रिक्ट व राजा साबू की रोटरी समुदाय में जो फजीहत हुई है, उससे सबक लेते हुए यशपाल दास अब ऐसा कोई काम नहीं करेंगे - जिससे फजीहत में और इजाफा हो । लेकिन अन्य कुछेक लोगों को लगता है कि राजा साबू और उनके 'गिरोह' के लोग अपनी मनमानियाँ करने से बाज नहीं आयेंगे । टीके रूबी के मामले में जरूर उनके अनुमान व विश्वास गलत साबित हो गए हैं और उन्हें चौतरफा रूप से बदनामी का सामना करना पड़ा है; किंतु उनका अनुमान व विश्वास है कि बाकी जो लोग हैं उनमें से कोई भी वैसा साहस नहीं दिखा पायेगा, जैसा साहस टीके रूबी ने दिखाया है - और इसलिए वह अपनी मनमानी चलाते रह सकते हैं । सुभाष धीर की उम्मीदवारी को मान्य मानने/कराने में अड़चन पैदा हो सकने का मौका तो बनेगा, लेकिन यशपाल दास को भरोसा है कि अड़चन पैदा करने का साहस कोई करेगा नहीं । डीसी बंसल भले ही अपने को ठगा हुआ महसूस करें, और सुधीर चौधरी भले ही दुखी हों कि उनके जैसे 'पाकसाफ' उम्मीदवार के होते हुए नियमों/कानूनों पर खरे न उतरते एक दूसरे उम्मीदवार को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवा दिया गया - लेकिन यह दोनों 'फैसले' को चुपचाप स्वीकार कर लेंगे और टीके रूबी जैसा आत्मसम्मान नहीं दिखा सकेंगे । लोगों को यह भी लगता है कि यशपाल दास मान रहे होंगे कि टीके रूबी के साथ जो हुआ उससे रोटरी समुदाय में डिस्ट्रिक्ट की और राजा साबू की बदनामी तो हुई है किंतु उससे क्या फर्क पड़ा ? रोटरी में 'सिकंदर' तो राजा साबू ही साबित हुए हैं ! इन्हीं बातों के बीच, सुधीर चौधरी और उनके समर्थकों को भी लगने लगा है कि यशपाल दास ने अपनी मनमानी करने के उद्देश्य से ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए दोबारा शुरू हुई चुनावी प्रक्रिया पर अपना कब्जा कर लिया है तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक, डिस्ट्रिक्ट एडवाइजर प्रेम भल्ला व डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर शाजु पीटर को किनारे कर दिया है ।