Saturday, June 13, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट मनोज फडनिस ने आखिर किस स्वार्थ और या किस मजबूरी में ऐसे लोगों को अपनाया हुआ है, जिनके कारण इंदौर ब्रांच में कामकाज की बदइंतजामी फैली हुई है और खुद मनोज फडनिस की साख व प्रतिष्ठा दाँव पर लग गई है

इंदौर । मनोज फडनिस की 'घरेलू' ब्रांच के सदस्यों को अभी जून माह में जब मार्च माह का न्यूजलेटर मिला, तो ब्रांच के कामकाज की पोल खुली और सवाल उठे कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष मनोज फडनिस की अपनी ब्रांच में कामकाज का इतना बुरा हाल क्यों है ? कामकाज के बुरे हाल का संदर्भ सिर्फ यही नहीं है कि मार्च माह का न्यूजलेटर लोगों को जून माह में मिला; संदर्भ यह भी है कि मार्च माह का न्यूजलेटर जब समय से प्रकाशित नहीं किया जा सका था, तब चार माह बाद उसे प्रकाशित करके पैसे की बर्बादी क्यों की गई । यानि कामकाज का बुरा हाल सिर्फ क्रियान्वन के स्तर पर ही नहीं, बल्कि सोच और नीति के स्तर पर भी है । इंस्टीट्यूट के मौजूदा अध्यक्ष मनोज फडनिस चूँकि इंदौर के हैं, इसलिए इंस्टीट्यूट की इंदौर ब्रांच को उनकी घरेलू ब्रांच के रूप में देखा/पहचाना जाता है और उम्मीद की जाती है कि इंदौर ब्रांच अपने कामकाज में गुणवत्ता को स्थापित करेगी । इंदौर ब्रांच अपने कामकाज में गुणवत्ता के मामले में लेकिन निकृष्ट दौर में दिखाई दे रही है । लोगों के बीच जो चर्चा है उसमें मतभेद सिर्फ इस बात को लेकर है कि इंदौर ब्रांच में कामकाज की बुरी दशा के लिए मनोज फडनिस को सिर्फ नैतिक आधार पर ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है; और या इंदौर ब्रांच में कामकाज की बदइंतजामी के लिए मनोज फडनिस सचमुच में सीधे जिम्मेदार भी ठहरते हैं ?
यह जानने/समझने के लिए कुछेक तथ्यों पर गौर करना उपयोगी होगा । 
इंदौर ब्रांच में कामकाज की बदइंतजामी के लिए ब्रांच के चेयरमैन सुनील खंडेलवाल ब्रांच के सचिव अभय शर्मा से अपेक्षित सहयोग न मिलने को जिम्मेदार ठहराते हैं । उन्होंने अलग अलग मौकों पर कई लोगों से कहा/बताया है कि अभय शर्मा ने सचिव पद की जिम्मेदारियों का निर्वाह यदि ठीक से किया होता, तो ब्रांच के न्यूजलेटर भी समय से निकलते और ब्रांच के दूसरे काम भी उचित समय पर और प्रभावी तरीके से संपन्न होते । ब्रांच के दूसरे पदाधिकारियों के अनुसार भी, अभय शर्मा की सचिव पद की जिम्मेदारियों को निभाने से ज्यादा रुचि अपनी राजनीति करने में दिखाई दे रही है । अभय शर्मा पर गंभीर आरोप है कि वह ब्रांच के स्वयंभू मीडिया प्रभारी बन गए हैं, और शहर के अखबारों में अपनी तथाकथित सक्रियता की खबरें प्रकाशित करवाते हैं - और इस सब के बाद उन्हें जो समय मिलता है उसमें वह विकास जैन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का काम करते हैं । इस तरह, अभय शर्मा काम तो बहुत करते हैं; बस ब्रांच के सचिव पद का काम करने में वह कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं - और इसका नतीजा यह है कि ब्रांच में ठीक ढंग से कोई काम नहीं हो पा रहा है; न्यूजलेटर तक चार महीने बाद लोगों को मिल रहा है । उल्लेखनीय तथ्य यह है कि यह अभय शर्मा इंदौर ब्रांच को मनोज फडनिस का ही गिफ्ट है । मनोज फडनिस ने पिछले वर्ष नियम-कायदों की अनदेखी करते हुए अपनी पूरी धमकीबाजी से जिस तरह अभय शर्मा को इंदौर ब्रांच की मैनेजिंग कमेटी का सदस्य बनवाया था, वह मनोज फडनिस के राजनीतिक जीवन का शायद सबसे शर्मनाक काम होगा । (इस किस्से को यहाँ क्लिक करके पढ़ा जा सकता है ।)
मनोज फडनिस ने पिछले वर्ष अभय शर्मा को इंदौर ब्रांच की मैनेजिंग कमेटी का सदस्य बनवाया था; और इस वर्ष उन्हें इंदौर ब्रांच का सचिव बनवाया । मजे की बात यह रही कि अभय शर्मा को सचिव बनवाने के लिए मनोज फडनिस को पिछले वर्ष बनाई गई अपनी ही व्यवस्था का उल्लंघन करना पड़ा । उल्लेखनीय है कि पिछले ही वर्ष मनोज फडनिस ने इंदौर ब्रांच के लिए पदाधिकारियों के चयन के लिए लैडर सिस्टम बनाया था, जिसके अनुसार इस वर्ष नीलेश गुप्ता को सचिव पद पर होना था । मनोज फडनिस ने लेकिन तिकड़म करके अभय शर्मा को सचिव बनवा दिया । अभय शर्मा को दरअसल विकास जैन के 'आदमी' के रूप में देखा/पहचाना जाता है; और विकास जैन को इस बार सेंट्रल काउंसिल के लिए चुनवाने का जिम्मा मनोज फडनिस ने लिया हुआ बताया जाता है । विकास जैन की उम्मीदवारी के अभियान में ब्रांच की मदद ली जा सके, इसके लिए ही मनोज फडनिस ने अपनी ही बनाई व्यवस्था को एक वर्ष में ही ध्वस्त करके अभय शर्मा को ब्रांच में सचिव बनवा दिया है । 
मनोज फडनिस की तिकड़मबाजी से ब्रांच में सचिव का पद पाने वाले अभय शर्मा के कारण ब्रांच कामकाज की बदइंतजामी का शिकार यदि होती है, तो इसके लिए मनोज फडनिस भी स्वाभाविक रूप से सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहरते हैं । मनोज फडनिस इसलिए भी जिम्मेदार ठहरते हैं क्योंकि उनकी तरफ से इंदौर ब्रांच में कामकाज की गुणवत्ता स्थापित कराने की कोई कोशिश होती हुई नहीं दिखी है । कुछेक लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि अभय शर्मा और उनके असली वाले 'गॉडफॉदर्स' ने मनोज फडनिस से अपने 'काम' तो करवा लिए हैं, लेकिन अब उनकी सुनते नहीं हैं - और मनोज फडनिस असहाय बन कर रह गए हैं । बात चाहें जो सच हो : इंदौर ब्रांच में कामकाज की बदइंतजामी को लेकर मनोज फडनिस चाहें सबकुछ जानते/बूझते हुए भी चुप बने हुए हों, या असहाय बनकर चुप हों - बदइंतजामी के लिए जिम्मेदार वही ठहराए जा रहे हैं । लोगों के बीच सवाल यही चर्चा में है कि मनोज फडनिस ने आखिर किस स्वार्थ में और या किस मजबूरी में ऐसे लोगों को अपनाया हुआ है जिन्हें ब्रांच व प्रोफेशन के काम में कोई दिलचस्पी ही नहीं है; और जिनके कारण ब्रांच में कामकाज की बदइंतजामी फैली हुई है । 
मनोज फडनिस के लिए इंदौर में एक और खतरा मंडरा रहा है । सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के बाद से सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल की पूर्व चेयरपरसन केमिशा सोनी के खिलाफ जिस तरह का नकारात्मक व अशालीन प्रचार अभियान शुरू किया गया है, उसके पीछे मनोज फडनिस के नजदीकियों को ही देखा/पहचाना जा रहा है । केमिशा सोनी की उम्मीदवारी को दरअसल विकास जैन की उम्मीदवारी के लिए सीधी चुनौती के रूप में रेखांकित किया गया है । केमिशा सोनी की उम्मीदवारी को विकास जैन की उम्मीदवारी के लिए खतरे के रूप में देख रहे विकास जैन के कुछेक समर्थकों ने केमिशा सोनी के खिलाफ अपमानजनक अभियान छेड़ दिया है । उनका मानना है कि उनके इस अभियान से डर कर केमिशा सोनी चुनावी मैदान छोड़ जायेंगी और तब विकास जैन के लिए मैदान एकदम से खाली हो जायेगा । केमिशा सोनी के खिलाफ अपमानजनक अभियान चलाने वालों को मनोज फडनिस के करीबियों के रूप में भी देखा/पहचाना जाता है, इसलिए कुछेक लोगों को लगता है कि उनके अभियान को मनोज फडनिस की भी शह है । मनोज फडनिस की साख और प्रतिष्ठा की परवाह करने वाले लोगों को इस बात की फिक्र है कि केमिशा सोनी के खिलाफ अभियान चलाने वाले लोग केमिशा सोनी को कोई नुकसान पहुँचा सकेंगे या नहीं - यह तो अभी नहीं पता है; किंतु मनोज फडनिस की साख व प्रतिष्ठा को वह अवश्य ही धूल-धूसरित कर देंगे । मनोज फडनिस के कुछेक समर्थकों व शुभचिंतकों को तो उनकी साख और प्रतिष्ठा की चिंता है, खुद मनोज फडनिस को यह चिंता है - इसके कोई संकेत उन्होंने अपने 'व्यवहार' से तो अभी तक नहीं दिए हैं । यह देखना दिलचस्प होगा कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष मनोज फडनिस अपने नजदीकियों की हरकतों को रोकने व नियंत्रित करने की कोई कोशिश करते हैं - और या अपने नजदीकियों को अपनी साख व प्रतिष्ठा के साथ खेलने देते हैं ।