Wednesday, August 12, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में रोटरी फाउंडेशन के लिए घोषित की गई रकम जल्दी से जल्दी देने की बात कहने के जरिए मुकेश अरनेजा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ के अधिकार-क्षेत्र का अतिक्रमण कर उन्हें नीचा दिखाने का काम करने के साथ साथ अपने आप को इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई से भी ज्यादा जिम्मेदार, होशियार और रोटरी के प्रति प्रतिबद्ध साबित करने की फूहड़ कोशिश कर रहे हैं क्या ?

नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा ने डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन के रूप में डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस को एक ईमेल पत्र लिख कर न सिर्फ अपनी फजीहत करवा ली है, बल्कि लोगों के बीच दीपक गुप्ता का भी अच्छा मजाक बना/बनवा दिया है । मुकेश अरनेजा अब अपने किए-धरे के लिए लोगों से माफी माँगते फिर रहे हैं, और लोगों को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि उनका इरादा वह नहीं था - जो समझा जा रहा है । मुकेश अरनेजा का वैसे यह प्रिय शगल है - वह स्मार्टनेस दिखाते हैं, लेकिन बदले में जब 'मार' पड़ती है तो माफी माँगने पर उत्तर आते हैं । अपनी इन्हीं हरकतों के चलते वह अपने ही क्लब में और अपनी ही कंपनी में अपने भाई-भतीजों से - यानि रोटरी में भी और बिजनेस में भी 'मार' खा चुके हैं लेकिन फिर भी सबक नहीं सीख पाए हैं । इसी का नतीजा है कि डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन के रूप में लिखे उनके ईमेल पत्र को लेकर उनपर चौतरफा 'मार' पड़ रही है, और लाख माफियाँ माँगने के बावजूद उन्हें माफी मिलती दिख नहीं रही है । कुछेक क्लब-अध्यक्षों ने मुकेश अरनेजा की कारस्तानी को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ को शिकायती पत्र लिखे हैं, और जेके गौड़ ने उन्हें आश्वस्त किया है कि उनकी शिकायतों पर वह आवश्यक कार्रवाई करेंगे तथा उनकी शिकायतों से रोटरी के बड़े पदाधिकारियों को भी वह अवगत करायेंगे । मुकेश अरनेजा की इस कारस्तानी ने दरअसल रोटरी फाउंडेशन ट्रस्ट के लिए मिलने वाली रकम पर प्रतिकूल असर डालने का खतरा पैदा कर दिया है - जिस कारण लोगों को भेजे गए उनके ईमेल पत्र को रोटरी विरोधी हरकत के रूप में भी देखा/पहचाना जा रहा है । 
मुकेश अरनेजा ने तमाम लोगों को भेजे अपने एक ईमेल पत्र के जरिए उन लोगों को आगाह किया, जिन्होंने 30 जून 2015 को रोटरी फाउंडेशन में रकम देने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक घोषित की गई रकम दी नहीं है । अपने इसी पत्र के जरिए मुकेश अरनेजा ने क्लब-अध्यक्षों को काम सौंपा कि वह देखें कि उनके क्लब के जिन जिन सदस्यों ने 30 जून 2015 को रोटरी फाउंडेशन में रकम देने की घोषणा की थी, वह जल्दी से जल्दी रोटरी फाउंडेशन में उक्त रकम का भुगतान करें । यह पत्र पाकर कई लोग भड़क गए हैं, और उनका सवाल है कि मुकेश अरनेजा यह सब कहने वाला होता कौन है ? डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन के रूप में यह सब कहना/करना न तो उनका काम है, और न ही यह उनके अधिकार क्षेत्र में आता है । यह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का काम है । रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसा इकट्ठा करने और रोटरी फाउंडेशन में ज्यादा से ज्यादा पैसा देने के लिए लोगों को प्रेरित करने का काम डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का है, और लोग भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के प्रति अपने सहयोग/समर्थन के भाव के अनुसार रोटरी फाउंडेशन में पैसा देते हैं । रोटरी की व्यवस्था में डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन का काम डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व रोटरी फाउंडेशन ट्रस्ट के बीच पुल का काम करने का होता है, और डिस्ट्रिक्ट में उसकी कोई भी भूमिका डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के थ्रू ही हो सकने का प्रावधान है । मुकेश अरनेजा ने जो मुद्दा बनाया है, पहली बात तो यह कि वह कोई मुद्दा ही नहीं है; दूसरी बात यह कि मुकेश अरनेजा को यह बात यदि जरूरी लगी भी, तो इस बारे में उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ से बात करना चाहिए थी । सदस्यों और या क्लब-अध्यक्षों से सीधे कुछ कहने का अधिकार डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन को बिलकुल भी नहीं है । इसी बिना पर कई लोगों ने सवाल उठाया है कि मुकेश अरनेजा रोटरी फाउंडेशन के लिए घोषित की गई रकम जल्दी से जल्दी देने की बात कहने वाला होता कौन है ? 
मुकेश अरनेजा का ईमेल पत्र डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ के अधिकार-क्षेत्र का अतिक्रमण कर उन्हें नीचा दिखाने का काम तो करता ही है, साथ ही वह उन लोगों को भी अपमानित करने का प्रयास करता है जो रोटरी फाउंडेशन के लिए बढ़चढ़ कर पैसे दे रहे हैं । उल्लेखनीय है कि 30 जून 2015 के आयोजन में कुछेक लोगों ने इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई को पोस्ट डेटेड चेक सौंपे थे, जिन्हें मनोज देसाई ने सहर्ष स्वीकार किया था और सिर्फ उस आयोजन में ही नहीं, बल्कि बाद में अपने फेसबुक एकाउंट की टाइमलाइन में भी उन लोगों की भूरि भूरि प्रशंसा की थी । मुकेश अरनेजा लेकिन ऐसे लोगों को हड़का रहे हैं, कि जल्दी से घोषित किए गए पैसे दो । मुकेश अरनेजा की यह हरकत क्या रोटरी फाउंडेशन के लिए कुछ अच्छा और बड़ा करने वाले लोगों को अपमानित करके हतोत्साहित करने का काम नहीं करती है । सवाल यह है कि पोस्ट डेटेड चेक लेने का जो काम करना इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई को गलत नहीं लगा है, वह मुकेश अरनेजा को स्वीकार क्यों नहीं हो रहा है ? सवाल यह भी है कि पोस्ट डेटेड चेक देने वाले जिन लोगों की इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई जगह जगह प्रशंसा कर रहे हैं, उन लोगों को अपमानित करने का काम मुकेश अरनेजा कैसे कर सकते हैं और क्यों कर रहे हैं ? मुकेश अरनेजा क्या अपने आप को मनोज देसाई से भी ज्यादा जिम्मेदार, होशियार और रोटरी के प्रति प्रतिबद्ध समझ रहे हैं ?
सवाल यह भी है कि 30 जून 2015 को जिन लोगों ने रोटरी फाउंडेशन में पैसा देने की घोषणा की थी, क्या उस समय उन्हें बताया गया था कि उन्हें घोषित किया गया पैसा 31 जुलाई तक देना है; या कब तक देना है ? रोटरी फाउंडेशन ट्रस्ट में इस तरह का कोई नियम ही नहीं है । मुकेश अरनेजा ने एक अनोखा ऐलान यह और किया कि 30 जून 2015 को पैसा देने की घोषणा करने वाले लोगों ने 31 जुलाई तक चूँकि पैसा नहीं दिया है, इसलिए वह चाहेंगे कि रोटरी फाउंडेशन के लिए लोग कमिटमेंट न करें, बल्कि सीधे डिमांड ड्राफ्ट दें । यह कह कर मुकेश अरनेजा ने अपनी घटिया सोच का एक बार फिर परिचय देते हुए अपने आप को रोटरी इंटरनेशनल से ऊँचा/ऊपर दिखाने का प्रयास किया है । लोगों का कहना/पूछना यह है कि रोटरी फाउंडेशन का काम रोटरी के नियम-कायदों से होगा, या मुकेश अरनेजा की मनमर्जियों से चलेगा ? रोटरी फाउंडेशन में पैसे देने का काम ऐच्छिक प्रेरणा का काम है, वह कोई जबर्दस्ती की जिम्मेदारी नहीं है; कमिटमेंट इसीलिए लिए/दिए जाते हैं, जिससे कि कमिटमेंट करने वाला एक नैतिक दबाव महसूस करे, और अपने कमिटमेंट को पूरा करे । कोई यदि अपने कमिटमेंट को पूरा नहीं भी कर पाता है, तो किसी को भी यह अधिकार नहीं दिया जा सकता है कि वह उसे अपमानित करे । पिछले वर्षों में लोगों के बीच चर्चा सुनी जाती रही है कि हाल-फिलहाल के वर्ष में मुकेश अरनेजा ने रोटरी फाउंडेशन में दो हजार डॉलर देने का कमिटमेंट किया था, किंतु दिए सिर्फ एक हजार डॉलर । किसी को भी यह अधिकार नहीं दिया जा सकता है कि वह मुकेश अरनेजा की गर्दन पकड़ पर रोटरी फाउंडेशन के लिए कमिट किए गए बाकी के एक हजार डॉलर भी बसूल करे । जैसे किसी और को यह अधिकार नहीं है कि वह मुकेश अरनेजा से कहे कि उन्होंने दो हजार डॉलर देने का जो कमिटमेंट किया था, उसे पूरा करें; वैसे ही मुकेश अरनेजा को भी यह अधिकार नहीं है कि वह किसी से कमिटमेंट पूरा करने की बात कहें । 
मुकेश अरनेजा ने अपने ईमेल पत्र से अपनी जो फजीहत कराई है, वह तो एक बात है ही - इससे भी बड़ी बात यह हुई है कि उन्होंने इस ईमेल पत्र के जरिए दीपक गुप्ता का भी मजाक बना/बनवा दिया है । कुछेक लोगों को हालाँकि लगता है कि मुकेश अरनेजा ने होशियारी तो दीपक गुप्ता को तारीफ दिलवाने की, की थी - लेकिन अपनी मूर्खता में उन्होंने जो किया और जैसे किया उससे दीपक गुप्ता का मजाक बन गया है । इस किस्से में दीपक गुप्ता का नाम घसीटने की कोई जरूरत ही नहीं थी, किंतु मुकेश अरनेजा ने अपनी होशियारी दिखाते हुए लोगों को यह बताना जरूरी समझा कि दीपक गुप्ता ने रोटरी फाउंडेशन में डिमांड ड्राफ्ट के जरिए पैसा दिया है । अब जब फजीहत हो रही है, तब मुकेश अरनेजा माफी माँगने की प्रक्रिया में लोगों को बता रहे हैं कि उन्होंने दीपक गुप्ता से इसीलिए ड्राफ्ट दिलवाया, क्योंकि उन्हें भरोसा नहीं था कि दीपक गुप्ता कमिटमेंट करने के बाद भी पैसे दे ही देंगे - दीपक गुप्ता बाद में पैसे नहीं देते, तो आरोप उन पर भी लगता । लोगों के बीच चर्चा है ही कि मुकेश अरनेजा ने रोटरी फाउंडेशन में दीपक गुप्ता से पैसे राजनीतिक चाल के तहत ही दिलवाए हैं । इस संदर्भ के बीच मुकेश अरनेजा को लोग जब दीपक गुप्ता के प्रति अविश्वास व्यक्त करते हुए सुन/देख रहे हैं, तो लोगों के बीच इस चर्चा को और बल मिला है कि दीपक गुप्ता को तो मुकेश अरनेजा सिर्फ इस्तेमाल कर रहे हैं, और दीपक गुप्ता को उकसा कर वास्तव में वह अशोक गर्ग के लिए राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे हैं । दीपक गुप्ता के प्रति हमदर्दी रखने वाले लोगों का ही कहना है कि मुकेश अरनेजा सहयोग करने की आड़ में दीपक गुप्ता का पूरी तरह कबाड़ा ही करेंगे ।