Monday, August 10, 2015

रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के सामने राजा साबू ने जो सफाई दी है, वह क्या राजा साबू को इस बात का अहसास होने का सचमुच संकेत और सुबूत है कि उन्होंने जिस तरह से कुछेक पूर्व गवर्नर्स को छूट दे रखी है तथा उनकी बातों पर वह आँख मूँद कर भरोसा करते रहते हैं, उससे न सिर्फ उनके डिस्ट्रिक्ट व रोटरी की साख का कबाड़ा हो रहा है, बल्कि उनकी खुद की पहचान व प्रतिष्ठा भी कलंकित हो रही है

नई दिल्ली । उदयपुर में रोटरी रिट्रीट में शामिल रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारी दिल्ली पहुँचे, तो उनके साथ साथ यह सूचना भी दिल्ली के रोटेरियंस को मिली कि रोटरी इंटरनेशनल के पूर्व प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू ने मौजूदा प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन से इस बात के लिए सॉरी फील किया है कि उनके डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर जो झमेला हो रहा है, उससे रोटरी तथा केआर रवींद्रन की खासी फजीहत हो रही है । यहाँ इस बात की भी चर्चा रही कि राजा साबू ने केआर रवींद्रन के सामने इस बात पर भी अफसोस प्रकट किया कि इस झमेले में उनका नाम और उनकी संलग्नता भी दिख रही है । इस अफसोस के साथ राजा साबू ने केआर रवींद्रन को यह विश्वास दिलाने का भी भरसक प्रयास किया कि उनके डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संबंध में जो कुछ भी हो रहा है, उसमें किसी भी स्तर पर और किसी भी रूप में उनकी कोई संलग्नता नहीं है । 
केआर रवींद्रन के सामने राजा साबू को यह सब करने/कहने की जरूरत दरअसल इसलिए पड़ी, क्योंकि रोटरी रिट्रीट के तहत उदयपुर के होटल ताज लेक पैलेस में इकट्ठा हुए रोटरी के बड़े पदाधिकारियों के बीच माहौल यह खबर मिलने के बाद कुछ तनावपूर्ण हो गया था कि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में राजा साबू सहित अन्य कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के क्लब्स ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में चेलैंजर उम्मीदवार के लिए कॉन्करेंस जुटा/जुटवा कर अपनी खुली भागीदारी को दिखाया है - और इस तरह प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के चुनावों को हतोत्साहित करने के अभियान की ही फजीहत कर दी है । रिट्रीट में मौजूद पदाधिकारियों के अनुसार, केआर रवींद्रन ने इस खबर पर वहाँ मौजूद राजा साबू और/या यशपाल दास से तो कोई बात नहीं की; किंतु अपने स्तर पर इस खबर की पुष्टि जरूर कराई और इसके सच निकलने पर बहुत दुखी व निराश हुए । 
केआर रवींद्रन के सामने समस्या दरअसल यह आ खड़ी हुई कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के रूप में जगह जगह भाषण देने के लिए उन्होंने जो मुख्य बिंदु तैयार किए हुए हैं, उनमें रोटेरियंस को चुनाव से दूर रहने की नसीहतें प्रमुख हैं । उनकी नसीहतों पर लेकिन जब पूर्व प्रेसीडेंट राजा साबू और पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर यशपाल दास और उनके डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स ही ध्यान नहीं देंगे, तब केआर रवींद्रन दूसरों से किस मुँह से इसके लिए उम्मीद करेंगे । राजा साबू के सीनियर होने के नाते और प्रेसीडेंट बनने में मिली उनकी मदद के नाते से केआर रवींद्रन की इस मामले में राजा साबू से सीधी बात करने की तो 'हिम्मत' नहीं हुई, किंतु यह जताने/'दिखाने' में केआर रवींद्रन ने कोई लिहाज भी नहीं किया कि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में पूर्व गवर्नर्स जो तमाशा कर रहे हैं - उससे वह बुरी तरह निराश और नाराज हैं । उनकी निराशा और नाराजगी की भनक राजा साबू को मिली तो उन्होंने केआर रवींद्रन से इस मामले में अकेले में सीधी बात करने की जरूरत समझी । केआर रवींद्रन और राजा साबू के बीच अकेले में जो बात हुई, उसके कंटेंट दूसरों के सामने नहीं भी आते - यदि वह आपस में बात करने के बाद चुप लगा जाते । किंतु आपस में बात करने के बाद चूँकि दोनों ने अपने अपने नजदीकियों के साथ उक्त बातचीत को शेयर किया; और फिर उनके नजदीकियों ने अपने अपने नजदीकियों से उसे बताया .... और फिर जब यह सिलसिला चल गया तो उनके बीच हुई बातचीत और उसके कंटेंट फिर गोपनीय नहीं रह पाए । 
केआर रवींद्रन और राजा साबू के बीच हुई बातचीत की गोपनीयता भंग हुई तो यह बात सामने कि राजा साबू ने अपने डिस्ट्रिक्ट में हो रही राजनीति पर सॉरी फील किया । दोनों के बीच हुई बातचीत के जो कंटेंट चर्चा में हैं उनमें बताया जा रहा है कि राजा साबू ने पहले केआर रवींद्रन को अपने डिस्ट्रिक्ट में पिछले छह महीने से चल रहे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की पृष्ठभूमि बताना शुरू किया । केआर रवींद्रन ने लेकिन उन्हें यह कह कर रोका कि इसमें उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है; उनके लिए चिंता की बात सिर्फ यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में गवर्नर्स लोग खुल कर अपनी भूमिका निभा रहे हैं । केआर रवींद्रन ने संकेतों में यह स्पष्ट कर दिया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में राजा साबू के खुद के एक उम्मीदवार के पक्ष में पार्टी बन जाने से रोटरी की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है, तथा उन्हें बुरा लगा है । इन संकेतों को समझ कर राजा साबू ने सारा दोष अपने डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स के सिर मढ़ दिया । राजा साबू ने स्वीकार किया कि उनके डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स ने उन्हें अँधेरे में रखा और उनका नाम लेकर 'अपनी' राजनीति की । राजा साबू ने कहा कि उनके लिए हर बात पर ध्यान देना संभव नहीं होता है, जिसका फायदा उठा कर कई बड़े और छोटे नेता उनका नाम लेकर 'अपने काम' बनाते रहते हैं । केआर रवींद्रन के सामने राजा साबू ने जिस तरह से सफाई दी और अपने डिस्ट्रिक्ट के चुनावी झमेले में अपनी संलग्नता की बात से इंकार किया; और अपनी 'दिख' रही संलग्नता के लिए अपने डिस्ट्रिक्ट के कुछेक पूर्व गवर्नर्स को जिम्मेदार ठहराया - उससे लगा है कि राजा साबू को इस बात का अहसास हुआ है कि उन्होंने जिस तरह से कुछेक पूर्व गवर्नर्स को छूट दे रखी है तथा उनकी बातों पर वह आँख मूँद कर भरोसा करते रहते हैं, उससे न सिर्फ उनके डिस्ट्रिक्ट व रोटरी की साख का कबाड़ा हो रहा है, बल्कि उनकी खुद की पहचान व प्रतिष्ठा भी कलंकित हो रही है ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट के कई लोग हालाँकि लगातार यह कहते और दावा करते रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट में बहुत सी ओछी व घटिया हरकतें राजा साबू का नाम लेकर होती रही हैं, उनके बारे में राजा साबू को पता भी नहीं होगा । डिस्ट्रिक्ट में यह एक फैशन बन गया है कि जिसे लोगों के बीच अपनी बात मनवानी होती है वह राजा साबू का हवाला दे देता है - जिससे कि सामने वाले लोग निरुत्तर हो जाते हैं और बात मान लेते हैं । राजा साबू का नाम लेकर काम निकालने वाले लोगों में बड़े नेता ही नहीं, बल्कि क्लब्स के छुटभैये नेता भी शामिल देखे गए हैं । इस बार के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में भी राजा साबू की भूमिका को लेकर डिस्ट्रिक्ट में लोग दो खेमों में बँटे नजर आए - कुछ का कहना रहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में जो मनमानीपूर्ण बेईमानी हो रही है, वह राजा साबू की रजामंदी और उनके ही दिशा-निर्देशन में हो रही है; लेकिन कुछेक अन्य का कहना यह भी रहा है कि जो कुछ भी हो रहा है राजा साबू की उसमें सीधी मिलीभगत नहीं है, और उन्हें अँधेरे में रख कर उनके नजदीकी पूर्व गवर्नर्स अपनी अपनी राजनीतिक 'रोटियाँ सेंक रहे हैं ।' डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में अब सच चाहें जो हो - राजा साबू की रजामंदी और उनका दिशा-निर्देशन सचमुच में रहा हो, और या वह इस्तेमाल हुए हों - इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के सामने दी गई अपनी सफाई के बाद अब लेकिन राजा साबू के सामने चुनौती यह आ खड़ी हुई है कि वह लोगों को 'दिखाएँ' कि केआर रवींद्रन से उन्होंने सच कहा है, और इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन को उन्होंने कोई 'गोली' नहीं दी है । 
यह देखना सचमुच दिलचस्प होगा कि रोटरी रिट्रीट के तहत उदयपुर के होटल ताज लेक पैलेस में मौजूदा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन से आमना-सामना होने पर पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजा साबू अपने डिस्ट्रिक्ट में हो रहे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अपनी संलग्नता को लेकर जो सफाई देने के लिए मजबूर हुए - अपनी उस सफाई पर वह वास्तव में टिके भी रहते हैं और केआर रवींद्रन की चुनाव संबंधी नसीहतों पर अमल करने के लिए वह सचमुच में कोई प्रयास करते भी हैं ? राजा साबू, यशपाल दास तथा डिस्ट्रिक्ट के दूसरे पूर्व गवर्नर्स की समस्या यह है कि करीब चार महीने बाद, 18 से 20 दिसंबर 2015 को जयपुर में होने वाले रोटरी इंस्टीट्यूट में जब उनका आमना-सामना केआर रवींद्रन से होगा - तब वह अपना कौन सा मुँह लेकर उनके सामने जाना पसंद करेंगे; क्योंकि तब तक उनकी मिलीभगत के कारण खासा विवादित हो चुका डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव तो संभवतः हो चुका होगा और उसका नतीजा भी आ चुका होगा; लेकिन जरूरी नहीं है कि इस चुनाव के चक्कर में डिस्ट्रिक्ट में जो राजनीतिक आग भड़की है, वह भी बुझ चुकी होगी ?