नई दिल्ली । प्रवीन निगम के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में विशेष आमंत्रित के रूप में शामिल होना स्वीकार करके मुकेश अरनेजा ने प्रवीन निगम के समर्थकों द्वारा किए गए उस दावे को विश्वसनीय बनाने का काम किया है, जिसमें प्रवीन निगम की उम्मीदवारी को मुकेश अरनेजा के समर्थन की बात कही गई है । मजे की बात यह है कि मुकेश अरनेजा के समर्थन का दावा अशोक गर्ग और दीपक गुप्ता भी कर रहे हैं । मुकेश अरनेजा का समर्थन सचमुच किसके साथ है, इसे खुद मुकेश अरनेजा स्पष्ट कर सकते हैं - और उनके स्पष्ट कर देने से सारा कन्फ्यूजन खुद-ब-खुद दूर हो जायेगा । मुकेश अरनेजा लेकिन कन्फ्यूजन दूर करने की बजाए कन्फ्यूजन बनाए रखने में दिलचस्पी ले रहे हैं - इसलिए सारा मामला और भी ज्यादा संदेहास्पद हो गया है । अशोक गर्ग तथा दीपक गुप्ता के शुभचिंतकों ने अपने अपने तरीके से मुकेश अरनेजा को प्रवीन निगम के क्लब के अधिष्ठापन समारोह से 'दूर' रहने का सुझाव दिया है, जिससे कि प्रवीन निगम के समर्थकों के उस दावे को झूठा ठहराया जा सके - जिसमें प्रवीन निगम की उम्मीदवारी को मुकेश अरनेजा के समर्थन की बातें की गई हैं । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत प्रवीन निगम की उम्मीदवारी के समर्थकों ने पिछले दिनों तो यहाँ तक दावा किया कि प्रवीन निगम के क्लब के अधिष्ठापन समारोह के जोरशोर से होने के पीछे का 'आईडिया' मुकेश अरनेजा की खोपड़ी में ही उपजा था । मुकेश अरनेजा की खोपड़ी वास्तव में बड़ी उपजाऊ किस्म की खोपड़ी है, जिसमें तीन-तिकड़मों के नए नए फार्मूले निरंतर पैदा होते रहते हैं और कुलबुलाते रहते हैं । यह बात चूँकि जगजाहिर है, इसलिए हर किसी ने प्रवीन निगम के समर्थकों के इस दावे पर सहज ही विश्वास कर लिया ।
दरअसल प्रवीन निगम की उम्मीदवारी चूँकि लोगों के बीच अपनी कोई स्वीकार्यता बना पाते हुए नहीं नजर आ रही है, इसलिए लोगों को उनकी हर कार्रवाई एक फिजूल की कसरत जैसी लगती रही है । लोगों को भले ही उनकी हर कार्रवाई फिजूल की कसरत लगती रही हो, किंतु उम्मीदवारी को लेकर उनके और उनके समर्थकों के जोश में कोई फर्क नहीं देखा/पाया गया - जिससे इस प्रश्नवाचक चर्चा को बल मिला कि प्रवीन निगम व उनके समर्थकों को अपनी उम्मीदवारी के प्रति जोश दिखाने लिए खाद-पानी आखिर कहाँ से मिल रहा है ? इसी प्रक्रिया में प्रवीन निगम के क्लब के अधिष्ठापन समारोह के खासे जोरशोर से होने की चर्चा सुनी गई, तो लोगों के बीच सुगबुगाहट फिर तेज हुई कि प्रवीन निगम को अपने क्लब का अधिष्ठापन समारोह भव्य तरीके से करवाने के लिए आखिर सलाह/सुझाव कहाँ से मिला है ? लोगों को इस पर ज्यादा माथापच्ची नहीं करना पड़ी, क्योंकि प्रवीन निगम के समर्थकों ने खुद से ही इसका जबाव दे दिया और मुकेश अरनेजा का नाम लिया । उनका कहना रहा कि यह मुकेश अरनेजा का ही सुझाव रहा कि क्लब का अधिष्ठापन धूमधाम से करोगे, तो उम्मीदवारी की हवा बनेगी । अधिष्ठापन समारोह को कंट्री इन में करने का सुझाव भी मुकेश अरनेजा का ही है, अन्यथा प्रवीन निगम और उनके क्लब के सदस्य तो यह समारोह नोएडा के किसी होटल में करना चाहते थे - किंतु मुकेश अरनेजा ने उन्हें समझाया कि यह समारोह उन्हें गाजियाबाद में करना चाहिए और ऐसी जगह करना चाहिए, जहाँ गाजियाबाद के साथ साथ दिल्ली के लोगों के लिए भी पहुँचना आसान हो । उनके अनुसार तो अधिष्ठापन समारोह के निमंत्रण पत्र का मैटर भी मुकेश अरनेजा ने ही तैयार करवाया । धूमधाम से अधिष्ठापन समारोह करने के मुकेश अरनेजा के आईडिया ने वास्तव में 'काम' किया और प्रवीन निगम की उम्मीदवारी अचानक से महत्वपूर्ण हो उठी है ।
प्रवीन निगम की उम्मीदवारी के महत्वपूर्ण हो उठने से मुकेश अरनेजा के भरोसे उम्मीदवार बने अशोक गर्ग तथा दीपक गुप्ता के समर्थकों के बीच खलबली मचना स्वाभाविक ही था, और वह मची भी । इन दोनों के समर्थकों ने अपने अपने तरीके से मुकेश अरनेजा पर दबाव बनाया है कि वह प्रवीन निगम के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में न जाएँ । इनका तर्क है कि प्रवीन निगम की उम्मीदवारी को मुकेश अरनेजा का सहयोग व समर्थन मिलने की बातों से लोगों के बीच बहुत कन्फ्यूजन पैदा हो रहा है; इस कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए जरूरी है कि मुकेश अरनेजा कोई भी बहानेबाजी करके प्रवीन निगम के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में न पहुँचे - जिससे कि प्रवीन निगम की उम्मीदवारी के समर्थकों द्वारा मुकेश अरनेजा का सहयोग व समर्थन मिलने के बाबत किए जा रहे दावे लोगों के बीच विश्वसनीयता प्राप्त न कर सकें । इस सब स्थिति में मजेदार सीन यह बना हुआ है कि एक तरफ तो प्रवीन निगम की उम्मीदवारी के समर्थकों की तरफ से दावा किया जा रहा है कि मुकेश अरनेजा को उनके क्लब के अधिष्ठापन समारोह में आने/पहुँचने से रोकने की कोशिशें सफल नहीं होंगी, और मुकेश अरनेजा अवश्य ही उनके क्लब के अधिष्ठापन समारोह में पहुँचेंगे; जबकि दूसरी तरफ अशोक गर्ग व दीपक गुप्ता के समर्थकों की तरफ से बताया जा रहा है कि मुकेश अरनेजा ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वह कोई अच्छा सा बहाना सोच/खोज रहे हैं, जिसे वह समारोह में न पहुँचने के लिए ऐन मौके पर इस्तेमाल कर सकें । यह देखना सचमुच दिलचस्प होगा कि इन दोनों तरफ के दावों में से किसका दावा सच साबित होगा ।
यूँ तो किसी उम्मीदवार के समारोह में कौन नेता जाता है, या नहीं जाता है - इसका कोई खास मतलब होता नहीं है, और न मतलब को लेकर किसी तरह का कोई विवाद ही होता है । जैसे, प्रवीन निगम के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में मुकेश अरनेजा के साथ रमेश अग्रवाल का नाम भी विशेष आमंत्रितों वाली कैटेगरी में है; लेकिन रमेश अग्रवाल की पक्षधरता को लेकर कोई विवाद ही नहीं है । उल्लेखनीय है कि लोगों के बीच रमेश अग्रवाल को सुभाष जैन की उम्मीदवारी के समर्थन में देखा/पहचाना जाता है, किंतु न तो सुभाष जैन की उम्मीदवारी के समर्थकों को ही इस बात पर आपत्ति करते हुए सुना गया है कि प्रवीन निगम के क्लब के समारोह में रमेश अग्रवाल क्यों जा रहे हैं, और न ही प्रवीन निगम के समर्थकों की तरफ से रमेश अग्रवाल से सहयोग व समर्थन मिलने की बातें कही/सुनी जा रही हैं । यह सारा झमेला मुकेश अरनेजा को लेकर ही है । दरअसल राजनीति में धोखेबाजी करने को लेकर मुकेश अरनेजा का ज्यादा 'नाम' है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में मुकेश अरनेजा का नाम यदि तीन तीन उम्मीदवारों के साथ जुड़ रहा है, तो यह वास्तव में मुकेश अरनेजा की करनी का ही तो नतीजा है ! मुकेश अरनेजा ने तीन तीन लोगों को सहयोग व समर्थन देने का झाँसा देकर उम्मीदवारी के लिए जिस तरह से उकसाया हुआ है - उसके चलते ही उनकी भूमिका संदेहास्पद बनी हुई है । प्रवीन निगम की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के इरादे से हो रहे उनके क्लब के अधिष्ठापन समारोह में मुकेश अरनेजा की संलग्नता की बातों ने उनकी भूमिका को लेकर जन्मे संदेहों को पुख्ता बनाने का ही काम किया है ।