Sunday, August 30, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ का बुरा हाल करने के उद्देश्य से ही मुकेश अरनेजा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रवीन निगम और दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को उकसा कर उनका इस्तेमाल करने की चाल चली है क्या ?

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ को रोटरी क्लब नोएडा एक्सीलेंस में अपनी आधिकारिक यात्रा में जिस अपमान का सामना करना पड़ा था, उसकी स्क्रिप्ट मुकेश अरनेजा द्वारा लिखे जाने की जानकारी उन्हें मिली है । जेके गौड़ के नजदीकियों का कहना है कि क्लब के लोगों ने ही जेके गौड़ को यह बात बताई है । रोटरी क्लब नोएडा एक्सीलेंस की जीओवी में जेके गौड़ के साथ जो हुआ, उसके लिए क्लब के पदाधिकारियों ने सीधे-सीधे मुकेश अरनेजा को जिम्मेदार ठहराया है । मुकेश अरनेजा ने यह बात तो कुछेक जगह कही भी है ही कि वह जेके गौड़ का भी वैसा ही हाल करेंगे, जैसा कि उन्होंने अमित जैन का किया था । मुकेश अरनेजा दरअसल जेके गौड़ से बुरी तरह खफा हैं । पहले तो वह जेके गौड़ से इस बात पर खफा थे, कि जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनकी बजाए रमेश अग्रवाल को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं; पिछले दिनों उनका पारा लेकिन तबसे और चढ़ गया है, जबसे जेके गौड़ ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के अधिकार-क्षेत्र का अतिक्रमण न करने की हिदायत दी है । उल्लेखनीय है कि जेके गौड़ को यह हिदायत मुकेश अरनेजा को तब देनी पड़ी, जब डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन के रूप में मुकेश अरनेजा ने एक ईमेल पत्र लोगों को लिखा/भेजा । जेके गौड़ ने मुकेश अरनेजा को स्पष्ट बताया कि इस तरह का कोई पत्र लिखने का अधिकार उन्हें नहीं है, और यह अधिकार सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को है । जेके गौड़ के नजदीकियों के अनुसार, जेके गौड़ ने मुकेश अरनेजा को स्पष्ट संकेत दे दिए कि इस तरह का पत्र लिखने की उन्होंने यदि दोबारा कोशिश की तो वह उन्हें डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन पद से हटा देंगे । पद छिनने के डर से मुकेश अरनेजा ने दोबारा पत्र लिखने की तो हिम्मत नहीं की, लेकिन जेके गौड़ को सबक सिखाने का फैसला उन्होंने जरूर कर लिया । रोटरी क्लब नोएडा एक्सीलेंस में जेके गौड़ के साथ जो हुआ, उसके जरिए मुकेश अरनेजा ने जेके गौड़ को दरअसल झाँकी दिखाई है - और उनका कहना है कि पूरी पिक्चर तो अभी बाकी है ।
रोटरी क्लब नोएडा एक्सीलेंस की जीओवी में जेके गौड़ को एक के बाद एक दो बड़े झटके लगे । पहला झटका तो उन्हें तब लगा, जब वह तो निर्धारित समय पर मीटिंग स्थल पर पहुँच गए - किंतु मीटिंग के आयोजकों के रूप में नोएडा एक्सीलेंस के पदाधिकारियों का वहाँ कोई अतापता नहीं था । किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की ऐसी बेइज्जती शायद ही कहीं/कभी हुई होगी - कि किसी क्लब के पदाधिकारी जीओवी का कार्यक्रम तय करें, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को समय और जगह बताएँ; और समय पर पहुँचे ही नहीं तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को इंतजार करवाएँ । इसमें भी मजा यह रहा कि क्लब के पदाधिकारियों से जब किसी ने इस बारे में बात की तो 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' वाले अंदाज में क्लब के पदाधिकारियों ने जबाव दिया कि गौड़ को समय से पहुँचने की जरूरत क्या थी, उन्हें क्या पता नहीं है कि कार्यक्रमों में आने/पहुँचने में देर हो ही जाती है । इस रवैये के चलते जेके गौड़ को अपमान का घूँट पी कर रह जाना पड़ा । खैर, देर-सवेर जीओवी हुई - जिसमें जेके गौड़ को दूसरा झटका तब लगा जब क्लब के पदाधिकारियों ने रोटरी फाउंडेशन के लिए एक भी पैसा देने से साफ इंकार कर दिया । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जेके गौड़ को ऐसा दो-टूक इंकार किसी भी क्लब में सुनने को नहीं मिला । हर क्लब में, मरे से मरे क्लब में भी रोटरी फाउंडेशन के लिए की गई जेके गौड़ की माँग का सम्मान रखा गया, और कुछ न कुछ रकम अवश्य ही दी गई । किंतु रोटरी क्लब नोएडा एक्सीलेंस की जीओवी में रोटरी फाउंडेशन के लिए इकन्नी देने से भी साफ इंकार कर दिया गया । क्लब के पदाधिकारियों का कहना रहा कि उन्हें जो पैसे खर्च करने हैं, उसे वह रोटरी फाउंडेशन में देने की बजाए अपने प्रोजेक्ट्स में खर्च करेंगे । बाद में, क्लब के अधिष्ठापन समारोह में क्लब के कुछेक बड़े और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स घोषित भी किए गए - जिनकी लोगों के बीच भारी प्रशंसा भी हुई । इस प्रशंसा के बीच लेकिन रोटरी फाउंडेशन के प्रति उनके नकारात्मक रवैये को लेकर आलोचना के स्वर भी रहे - और इस आलोचना को इसलिए भी तवज्जो मिली, क्योंकि इसमें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ के अपमान का भाव भी था । 
उल्लेखनीय है कि रोटरी फाउंडेशन को लेकर कई एक रोटेरियंस के बीच नकारात्मक भाव देखने/सुनने को मिलते रहते हैं । कई एक रोटेरियंस इस बात की वकालत करते देखे/सुने जाते रहे हैं कि रोटरी फाउंडेशन में पैसे देने का कोई फायदा नहीं होता है, और उसमें पैसे देने की बजाए उस पैसे को अपने प्रोजेक्ट्स में खर्च करना चाहिए । ऐसी बातें दरअसल इसलिए होती हैं, क्योंकि बहुत से रोटेरियंस के सामने रोटरी फाउंडेशन का कॉन्सेप्ट ही स्पष्ट नहीं होता है, और वह उस कॉन्सेप्ट को जानने/समझने की बजाए अपनी ही मनमानी करना चाहते हैं । ऐसे लोग दरअसल कन्फ्यूज्ड लोग होते हैं । ये रोटरी जैसे इंटरनेशनल ऑर्गेनाजेशन में भी सदस्य बनना चाहेंगे, किंतु उसके कॉन्सेप्ट को भी नहीं अपनायेंगे । ये लोग ऐसे लोग होते हैं जो अपनी पसंद और अपनी ही मर्जी से मिठाई खाने का फैसला करते हैं, और फिर शिकायत करते हैं कि इसमें नमक तो है ही नहीं ! इनकी शिकायत बहुत सही होती है, और नमक खाने की इनकी इच्छा इनका अधिकार भी होता है - बस इनका फैसला गलत होता है । खाने की हर चीज में जिसे नमक चाहिए ही, उसे मिठाई खाने का फैसला करना ही नहीं चाहिए । जो लोग अपने पैसे से अपने प्रोजेक्ट्स करना चाहते हैं, वह कोई गलत सोच नहीं रखते हैं; लेकिन अपनी सोच को क्रियान्वित करने के लिए उन्हें अपना एक एनजीओ खोलना/बनाना चाहिए, या किसी स्थानीय एनजीओ से जुड़ना चाहिए - रोटरी जैसे इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन में उन्हें शामिल ही नहीं होना चाहिए । इसीलिए रोटरी क्लब नोएडा एक्सीलेंस के पदाधिकारियों का रोटरी फाउंडेशन में एक भी पैसा न देने के फैसले को हैरानी और संदेह के साथ देखा गया । हैरानी इसलिए भी हुई क्योंकि इस क्लब के एक वरिष्ठ सदस्य प्रवीन निगम डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की दौड़ में हैं । सवाल यह है कि प्रवीन निगम यदि गवर्नर बन गए, तो क्या तब भी वह रोटरी फाउंडेशन के प्रति वही रवैया रखेंगे/दिखायेंगे - जो अभी उनके क्लब के पदाधिकारी दिखा रहे हैं ?
उस समय तो बात सिर्फ हैरानी तक सिमट कर रह गई, लेकिन अब भेद खुला कि यह सब मुकेश अरनेजा की पढ़ाई/सिखाई का नतीजा था । क्लब के पदाधिकारियों ने ही जेके गौड़ को बताया है कि मुकेश अरनेजा ने ही उन्हें सलाह दी थी कि जीओेवी में देर से पहुँचोगे और जेके गौड़ को इंतजार करवाओगे । मुकेश अरनेजा का तर्क था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जेके गौड़ क्लब के लोगों को कुछ समझ ही नहीं रहा है, और क्लब के लोगों को उपेक्षित कर रहा है - इसलिए उसे क्लब की ताकत दिखाने/बताने की जरूरत है । रोटरी फाउंडेशन को लेकर मुकेश अरनेजा ने उन्हें समझाया था कि रोटरी फाउंडेशन के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसे इकट्ठे करके जेके गौड़ अपना रिकॉर्ड बनाना चाहता है, इसलिए उसमें पैसे देने से क्लब को कोई फायदा नहीं होगा और क्लब को रोटरी फाउंडेशन में एक पैसा देने की भी जरूरत नहीं है । मुकेश अरनेजा ने उन्हें पूरी पट्टी पढ़ाई कि रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसे लेने खातिर जेके गौड़ उन्हें तरह तरह के लालच देगा और तरह तरह की बातें बनायेगा, लेकिन उसकी बातों में मत आना और बस एक ही तर्क देना कि हमें जो पैसे खर्च करने हैं, उन्हें हम अपने ही प्रोजेक्ट्स में करेंगे । मुकेश अरनेजा की इस पढ़ाई/सिखाई का एक ही मकसद था और वह यह कि वह जेके गौड़ को अपमानित करवाना चाहते थे । 
मुकेश अरनेजा ने जब दीपक गुप्ता से रोटरी फाउंडेशन में पैसे दिलवाए थे, तब भी जेके गौड़ को नीचा दिखाने का काम किया था । जेके गौड़ ने अलग अलग जगहों पर कई बार यह शिकायत की है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई को रोटरी फाउंडेशन के लिए ड्रॉफ्ट सौंपते समय दीपक गुप्ता ने उन्हें बिलकुल अलग-थलग और अँधेरे में रखा । जेके गौड़ ने इसे अपने अपमान के रूप में देखा/पहचाना है । लोगों के बीच की चर्चाओं में इसे मुकेश अरनेजा की खुराफात के रूप में समझा गया है । इस खुराफात के जरिए मुकेश अरनेजा ने जेके गौड़ को अपमानित करने का सुख भले ही प्राप्त कर लिया हो, किंतु दीपक गुप्ता और प्रवीन निगम के लिए तो मुसीबत पैदा कर दी है । मुकेश अरनेजा की करनी के चलते जेके गौड़ इन दोनों की उम्मीदवारी के प्रति दुश्मनी का भाव रखने लगे हैं । रोटरी की चुनावी राजनीति में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर यदि किसी उम्मीदवारी के प्रति दुश्मनी का भाव अपना ले, तो फिर उसे तो कदम कदम पर मुसीबतें ही खड़ी मिलती हैं । प्रवीन निगम और दीपक गुप्ता इन मुसीबतों का सामना कर भी रहे हैं । इनकी मुसीबतों का रोचक परिदृश्य यह है कि यह जिन मुकेश अरनेजा को अपनी अपनी उम्मीदवारी का खैवनहार समझ रहे हैं, वही मुकेश अरनेजा इनकी मुसीबतों के वास्तविक कारण हैं । इससे यह और साफ हुआ है कि प्रवीन निगम और दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को उकसा कर मुकेश अरनेजा वास्तव में अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं; इनकी उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन बढ़े इसके लिए प्रयास करने की बजाए मुकेश अरनेजा इनकी उम्मीदवारी को सीढ़ी बना कर अपने ही काम बनाने/निकालने में लगे हुए हैं और इस बात की भी परवाह करते हुए नहीं दिख रहे हैं कि उनकी कारगुजारियों से इनकी उम्मीदवारी के समर्थकों की बजाए विरोधी बढ़ रहे हैं । ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह दोनों मुकेश अरनेजा के झाँसे में कब तक फँसे रहते हैं ।