Friday, November 2, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में अपने साथियों व समर्थकों के साथ अशोक अग्रवाल द्वारा निभाई/दिखाई गई व्यापक सक्रियता के चलते डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मुकाबले में अशोक अग्रवाल को अच्छी बढ़त मिलती हुई नजर आई

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में अशोक  अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए जैसे जो प्रयास किए, उनके चलते लोगों के बीच वह अपना प्रभाव और बनाने/जमाने में सफल होते हुए दिखे, तथा लोगों को वह दूसरे उम्मीदवारों से काफी आगे बढ़े हुए नजर आए । डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की जोरदार कामयाबी तथा उसमें लोगों की बड़ी संख्या में हुई भागीदारी ने अशोक अग्रवाल के काम और उनके 'लक्ष्य' पाने के प्रयासों को और आसान कर दिया । यहाँ दरअसल अशोक अग्रवाल का अनुभव काम आया । पिछले कई वर्षों से वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की भूमिका देख भी रहे हैं, और किसी न किसी उम्मीदवार के लिए उस भूमिका का लाभ उठाने के प्रयासों में शामिल भी रहे हैं । दरअसल डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में डिस्ट्रिक्ट के सभी आम और खास लोगों की अलग अलग भूमिका होती है; और इससे कई लोगों की पहचान और प्रतिष्ठा जुड़ी होती है । सबसे पहले तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के लिए ही यह मेला प्रतिष्ठा का विषय होता है । प्रत्येक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की इच्छा होती है और वह अपनी सामर्थ्यानुसार प्रयास करता है कि उसके गवर्नर-काल का डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेला पिछले वर्षों के मेलों की तुलना में ज्यादा भीड़भाड़ वाला हो तथा ज्यादा भव्य व आकर्षक हो । इसके बाद डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के आयोजन की जिम्मेदारी लेने वाले डिस्ट्रिक्ट पदाधिकारी और आयोजक/मेजबान क्लब के पदाधिकारियों का सम्मान इससे जुड़ जाता है; उनकी भी इच्छा होती है और वह इसके लिए अपनी समझ के अनुसार अथक प्रयास भी करते हैं कि मेला बढ़िया हो और इसके लिए सभी से उन्हें प्रशंसा के शब्द सुनने को मिलें । आयोजन से जुड़े प्रमुख लोगों की यह इच्छा/चाहत डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों को इनकी 'गुड बुक' में शामिल होने का एक मौका देती है । 
अशोक अग्रवाल ने अपने अनुभव से इस मौके को पहचाना और इसका फायदा उठाने के लिए पहले से तैयारी की । दरअसल पहले से की गई तैयारी के कारण ही डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में दूसरे उम्मीदवारों की तुलना में अशोक अग्रवाल का पलड़ा भारी नजर आया । असल में, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति में डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की महत्ता तो सभी उम्मीदवार समझते हैं, और वह उसका फायदा उठाने का प्रयास भी करते हैं - लेकिन प्रायः सीमित अर्थों में ही । डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में अशोक अग्रवाल का पलड़ा भारी इसलिए नजर आया क्योंकि उन्होंने इसका बड़ी बारीकी से तथा व्यापक रूप में फायदा उठाने का पहले से इंतजाम किया हुआ था । इंतजाम करने से भी पहले, अपनी निरंतर बनाई गई सक्रियता व संलग्नता से प्राप्त अपने अनुभव से मिली सीख से उन्होंने डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में फायदा उठाने के बारीक व व्यापक मौकों को पहचाना व रेखांकित किया । दरअसल आमतौर पर उम्मीदवार फायदा उठाने के लिए दीवाली मेले को अपनी तरफ से स्पॉन्सर करने तक सीमित मान लेते हैं, और स्पॉन्सर के नाम पर पैसे देकर संतुष्ट हो जाते हैं । इससे ज्यादा और इसके अलावा क्या और कैसे फायदा उठाया जा सकता है, इसकी समझ अनुभव से मिलती है । अपने अनुभव से यही फायदा उठाते हुए अशोक अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के आयोजन से जुड़ी 'व्यवस्था' में अपनी पैठ बनाई और लोगों के बीच अपनी पहुँच को व्यापक व असरदार बनाते हुए डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले का भरपूर फायदा उठाया । 
अशोक अग्रवाल यह फायदा इसलिए भी उठा सके, क्योंकि उन्हें एक टीम के रूप में अपने साथियों व समर्थकों का पूरा पूरा सहयोग प्राप्त था । यहाँ फिर कहना/दोहराना पड़ेगा कि अपने साथियों व समर्थकों का सहयोग उन्हें इसलिए प्राप्त था - क्योंकि उन्होंने इस बात को समझा हुआ था कि अपने साथियों व समर्थकों का उन्हें कहाँ और किस तरह से सहयोग चाहिए होगा, और इसके लिए उन्होंने पहले से ही 'फील्डिंग' सजाई हुई थी । साथी और समर्थक दूसरे उम्मीदवारों के पास भी हैं, लेकिन उनसे काम/फायदा लेने की योजना या रणनीति के अभाव में वह उनका बेहतर तरीके से प्रभावी उपयोग ही नहीं कर पाए ।अशोक अग्रवाल ने एक तरफ तो डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के आयोजन से जुड़ी व्यवस्था में भूमिका निभाते हुए अपने लिए अवसर बनाया, और दूसरी तरफ अपने साथियों व समर्थकों के जरिये आम लोगों के बीच अपनी सक्रियता व भागीदारी दिखाई । भीड़भाड़ व भव्यता के मामले में इस वर्ष का दीवाली मेला चूँकि लोगों के बीच चर्चा और तारीफ का विषय बना, तो सक्रियता व भागीदारी के चलते उक्त चर्चा व तारीफ में खुद ब खुद अशोक अग्रवाल का नाम भी आ ही गया । साथियों और समर्थकों की लोगों के बीच ली गई 'पोजीशंस' व अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए 'काम' करने की उनकी दिलचस्पी व तत्परता ने अशोक अग्रवाल का काम आसान भी किया, और उसके असर को कई गुना बढ़ाया भी । डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में चूँकि डिस्ट्रिक्ट के प्रायः सभी आम और खास लोग उपस्थित थे; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका रखने तथा निभाने वाले प्रायः सभी लोग इस मेले में थे - इसलिए लोगों के बीच अपने साथियों व समर्थकों के साथ अशोक अग्रवाल की सक्रियता ने सभी का ध्यान खींचा; और इसके चलते डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मुकाबले में उन्हें अच्छी बढ़त मिलती हुई नजर आई ।