Thursday, February 19, 2015

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन की चुनावी राजनीति में अभी करीब दो महीने पहले तक जो मुकेश गोयल अकेले पड़े हुए थे, उन्हीं मुकेश गोयल ने अजय सिंघल को बिना किसी चुनावी मुकाबले के सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी तक पहुँचाने का काम कर दिखाया है

देहरादून । सुनील जैन ने अंततः खुद ही साबित कर दिया कि एपीएस कपूर के जरिये उनके जिस चक्कर में होने की खबरें लोगों के बीच चर्चाओं में थीं, वह सब सच थीं । पाठकों को याद होगा कि गंगोह में तीसरी कैबिनेट मीटिंग के आयोजन के बाद 'रचनात्मक संकल्प' ने स्थितियों का जो आकलन प्रस्तुत किया था उसका शीर्षक था : 'तीसरी कैबिनेट मीटिंग में सुनील जैन की बेवकूफी और अनीता गुप्ता की बदतमीजी से जो माहौल बना, उसमें हस्तक्षेप करके अरुण मित्तल ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का सारा गणित ही बदल दिया और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अजय सिंघल का रास्ता पूरी तरह साफ बना दिया' । इस आकलन में हालाँकि यह संभावना भी व्यक्त की गई थी कि सुनील जैन अभी थोड़े और प्रयास करेंगे । लेकिन सुनील जैन इतनी जल्दी समर्पण कर देंगे, इसका किसी को विश्वास नहीं था । यह बात सब जान रहे थे कि सुनील जैन के पास समर्पण के अलावा और कोई चारा नहीं है; सुनील जैन की सक्रियता की भाव-भंगिमा भी बता/जता रही थी कि उनकी सारी कसरत समर्पण की कीमत तय करने को लेकर है - बस ! सुनील जैन लेकिन अपनी कीमत भी नहीं पा सके ।
यहाँ यह तथ्य याद करना प्रासंगिक होगा कि अरुण मित्तल जब सुनील निगम को लेकर सुनील जैन से अलग हो गए थे, तब सुनील जैन ने मुकेश गोयल के सामने समर्पण करने का प्रस्ताव रखा था । उस समय समर्पण के लिए सुनील जैन ने लेकिन जो कीमत बोली थी, वह मुकेश गोयल को बहुत ज्यादा लगी थी । मुकेश गोयल ने उक्त कीमत देने से साफ इंकार कर दिया था । सुनील जैन ने तब एपीएस कपूर के जरिये मुकेश गोयल की बाँह मरोड़ने का दाँव चला और उम्मीद लगाई कि वह मुकेश गोयल को उक्त कीमत देने के लिए मजबूर कर देंगे । सुनील जैन का यह दाँव लेकिन उल्टा पड़ा । एक तरफ तो एपीएस कपूर की उम्मीदवारी उन पर बोझ की तरह लद गई, और दूसरी तरफ उनका अपना तथा अपने आप को डिस्ट्रिक्ट की 'मालकिन' समझ रहीं अनीता गुप्ता का व्यवहार ऐसा था कि लोगों के बीच उनकी फजीहत ही होती जा रही थी । एपीएस कपूर के ठिकाने - गंगोह - में तीसरी कैबिनेट मीटिंग को आयोजित करके सुनील जैन ने सोचा तो यह था कि यह उनकी तरफ से ऐसा मास्टर स्ट्रोक होगा जिसके बाद मुकेश गोयल उनकी माँग मानने को मजबूर हो जायेंगे; लेकिन वहाँ खुद सुनील जैन और अनीता गुप्ता की हरकतों से ऐसा माहौल बना कि 'अनीता गुप्ता हाय हाय' के साथ साथ 'सुनील जैन हाय हाय' के नारे गूँजे ।
गंगोह में आयोजित हुई इस तीसरी कैबिनेट मीटिंग में जो माहौल बना/दिखा उससे यह साबित हो गया कि सुनील जैन के हाथ अब कुछ नहीं बचा है । उस मीटिंग में मुकेश गोयल खेमे की बागडोर सँभाले बैठे अरुण मित्तल ने जिस तरह की चाल चली, उसके बाद सुनील जैन से सारे विकल्प छिन गए और उन्होंने समझ लिया कि उन्हें भी अब वही करना पड़ेगा जो दूसरे लोग अभी तक करते रहे हैं । कई उदाहरण हैं जिनमें देखा गया है कि मुकेश गोयल को पानी पी पी कर कोसने वाले अंततः मुकेश गोयल की शरण में जाने को मजबूर हुए हैं । तीसरी कैबिनेट मीटिंग में सुनील जैन की जो फजीहत हुई, उसके बाद सुनील जैन ने भी समझ लिया कि अब उनके पास मुकेश गोयल की शरण में जाने के अलावा और कोई चारा नहीं है । मुकेश गोयल की भी खूबी यह है कि जो भी उनकी शरण में आता है, उसे वह इस बात की परवाह किए बिना शरण में ले लेते हैं कि वह उनके बारे में कैसी क्या बकवास कर चुका है । मुकेश गोयल यह ज़हर पी लेने में सिद्धहस्त हो चुके हैं । इस कारण से उनके आसपास जुटे लोगों की भीड़ कई बार शिवजी की बारात की तरह की भीड़ जैसी दिखती है; और इस वजह से उन्हें अपने सच्चे शुभचिंतकों से आलोचना भी सुननी पड़ती है । लेकिन इसी हुनर ने मुकेश गोयल को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में सबसे ताकतवर भी बनाया हुआ है ।
इसी हुनर का सुबूत है कि अभी करीब दो महीने पहले तक डिस्ट्रिक्ट में जो मुकेश गोयल अकेले पड़े हुए थे, और लोगों के बीच चर्चा गर्म रहती थी कि अजय सिंघल की नाँव को वह कैसे पार लगवायेंगे - उन्हीं मुकेश गोयल ने अजय सिंघल को बिना किसी चुनावी मुकाबले के सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी तक पहुँचाने का काम कर दिखाया है । उनके तमाम विरोधी या तो उनके साथ आ खड़े हुए हैं और 'फ्रैंडशिप मीटिंग' कर रहे हैं और या अपने अपने घरों में दुबके पड़े हैं । मुकेश गोयल की रणनीति के सामने सुनील जैन के रूप में एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किस तरह असहाय बन गया और तमाम तिकड़मों के बावजूद पूरी तरह समर्पण के लिए मजबूर हो गया - यह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के इतिहास का अनोखा उदाहरण बन गया है ।