फरीदाबाद । केसी लखानी ने नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा चुनी गई सरोज जोशी की अधिकृत उम्मीदवारी को चेलैंज करने की रवि चौधरी की कोशिशों का झंडा उठा कर हर किसी को चौंका दिया है । दरअसल रोटरी की चुनावी राजनीति में केसी लखानी को इतनी दिलचस्पी लेते हुए इससे पहले कभी नहीं देखा गया है ।
चार वर्ष पहले जब अजय जोनेजा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी
उम्मीदवारी प्रस्तुत की थी, तब उन्होंने केसी लखानी को अपने समर्थन में
सक्रिय करने का प्रयास जरूर किया था - लेकिन केसी लखानी ने उनके प्रयासों
का कोई बहुत सकारात्मक जबाव नहीं दिया था, और बस बड़े-बुजुर्गों की तरह
आशीर्वाद आदि देकर डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के पचड़े में फँसने से
अपने आप को बचा लिया था । एक रोटेरियन के रूप में केसी लखानी ने अपनी
भूमिका और सक्रियता को बहुत सीमित रखा हुआ था और कम ही मौकों पर उन्हें
रोटरी की गतिविधियों में शामिल देखा/पाया गया है । रोटरी की चुनावी राजनीति
में तो केसी लखानी को कभी भी सक्रिय नहीं देखा/पाया । इसीलिए अब जब उन्हें रवि चौधरी के लिए फरीदाबाद में कॉन्करेंस जुटाने की कार्रवाई में लगे देखा/सुना जा रहा है, तो हर किसी का चौंकना स्वाभाविक ही है ।
केसी
लखानी के परिचितों का अनुमान है कि चूँकि वह एक भले व्यक्ति हैं और जो कोई
उनके पास मदद माँगने जाता है, वह खासे उत्साह के साथ उसकी मदद करते हैं;
इसलिए लगता है कि रवि चौधरी ने उनकी भलमनसाहत का इस्तेमाल करते हुए उन्हें
अपने पक्ष में सक्रिय कर लिया है । अधिकतर लोगों को यह बात लेकिन हजम
नहीं हो रही है । उनका तर्क है कि मदद तो सरोज जोशी ने भी माँगी होगी, केसी
लखानी उनकी मदद करने लिए उत्साहित क्यों नहीं हुए ? उनकी भलमनसाहत रवि चौधरी पक्ष में ही क्यों जागी ?
इसके जबाव में जबाव आया कि रवि चौधरी ने हो सकता है कि ज्यादा खुशामद कर
ली होगी ! केसी लखानी के नजदीकियों का कहना ज्यादा मौजूँ है - उनका कहना है
कि केसी लखानी के पास आजकल कोई काम-धाम नहीं है; धंधा उनका लगभग चौपट हो
गया है - ऐसे में खुशामद करवाना उन्हें अच्छा लगने लगा है; और इतना वह समझ
गए हैं कि चुनाव होगा तो उनकी ज्यादा खुशामद होगी । केसी लखानी ने कुछेक
लोगों के बीच कहा भी है कि वह चाहते हैं कि चुनाव हो । केसी लखानी जान रहे
हैं कि फरीदाबाद में एक बड़े उद्यमी के रूप में उनकी जो पहचान रही है और उस
पहचान के कारण उनको यहाँ जो सम्मान मिलता रहा है, वह धीरे धीरे उनकी
'असलियत' खुलने के कारण अब धुँधला पड़ता जा रहा है - इसलिए यहाँ अब अपनी
पूछ-परख बनाये रखने के लिए उन्हें रोटरी की राजनीति में हाथ आजमा लेना
चाहिए ।
केसी लखानी के प्रति जो लोग आदर-भाव रखते हैं, उन्हें हैरानी लेकिन इस बात पर है कि उन्होंने रवि चौधरी के साथ दिखने का खतरा आखिर क्यों उठाया ? जेल में बंद असित मित्तल के साथ व्यापारिक लेन-देन के चलते रवि चौधरी खुद बड़े बदनामी भरे संकट में हैं । अपने पिछले चुनाव में लोगों के बीच समर्थन जुटाने के उद्देश्य से गाजियाबाद में आयोजित की गई मीटिंग में गायिका के रूप में आई लड़की को छेड़ने के चक्कर में वहाँ मौजूद लोगों के बीच मार-पिटाई हो जाने, खून-खच्चर हो जाने तथा पुलिस के आ जाने का जो बबाल हुआ था - उसका बदनामीभरा कलंक भी रवि चौधरी के माथे पर है । इन्हीं मामलों का संदर्भ लेते/देते हुए केसी लखानी को उनके कुछेक नजदीकियों ने आगाह भी किया था कि रवि चौधरी के चक्कर में आपको सिर्फ बदनामी ही मिलेगी, किंतु केसी लखानी ने उनकी भी नहीं सुनी/मानी । चुनाव का मजा लेने के लिए केसी लखानी इस हद तक चले जायेंगे और फरीदाबाद में रवि चौधरी की उम्मीदवारी का झंडा उठा कर चलने लगेंगे - इसका अनुमान उनके नजदीकियों को भी नहीं था ।
केसी लखानी के प्रति जो लोग आदर-भाव रखते हैं, उन्हें हैरानी लेकिन इस बात पर है कि उन्होंने रवि चौधरी के साथ दिखने का खतरा आखिर क्यों उठाया ? जेल में बंद असित मित्तल के साथ व्यापारिक लेन-देन के चलते रवि चौधरी खुद बड़े बदनामी भरे संकट में हैं । अपने पिछले चुनाव में लोगों के बीच समर्थन जुटाने के उद्देश्य से गाजियाबाद में आयोजित की गई मीटिंग में गायिका के रूप में आई लड़की को छेड़ने के चक्कर में वहाँ मौजूद लोगों के बीच मार-पिटाई हो जाने, खून-खच्चर हो जाने तथा पुलिस के आ जाने का जो बबाल हुआ था - उसका बदनामीभरा कलंक भी रवि चौधरी के माथे पर है । इन्हीं मामलों का संदर्भ लेते/देते हुए केसी लखानी को उनके कुछेक नजदीकियों ने आगाह भी किया था कि रवि चौधरी के चक्कर में आपको सिर्फ बदनामी ही मिलेगी, किंतु केसी लखानी ने उनकी भी नहीं सुनी/मानी । चुनाव का मजा लेने के लिए केसी लखानी इस हद तक चले जायेंगे और फरीदाबाद में रवि चौधरी की उम्मीदवारी का झंडा उठा कर चलने लगेंगे - इसका अनुमान उनके नजदीकियों को भी नहीं था ।
लोगों को चौंकाते तथा हैरान करते हुए केसी
लखानी ने जब यह कर ही लिया है, तो फरीदाबाद में लोगों ने मान लिया है कि
केसी लखानी अब रोटरी की राजनीति करने में अपने आप को व्यस्त करेंगे । नजदीकियों का कहना है कि केसी लखानी का कामकाज चौपट तो हो ही गया है, अब वह पूरी तरह खत्म होने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है । कंपनी लॉ बोर्ड में अपने भाई पीडी लखानी के साथ
लंबे चले कानूनी झगड़े के बाद केसी लखानी बिजनेस का बँटवारा करने में तो सफल
रहे, लेकिन इस सफलता ने उनके बिजनेस की कमर पूरी तरह से तोड़ कर रख दी है । बैंक लिमिट्स का पूरी तरह दोहन कर लेने के चलते केसी लखानी ग्रुप भारी मुसीबत और दबाव में है । इन्हीं सब बातों को देखते हुए देश की प्रमुख
रेटिंग संस्था क्रिसिल ने केसी लखानी ग्रुप की रेटिंग को घटा कर खतरे का
सायरन बजा दिया है, जिसके बाद केसी लखानी के लिए संकट और भी ज्यादा बढ़ गया
है । केसी लखानी के संकट को इस तथ्य से भी पहचाना जा सकता है कि पिछले रोटरी वर्ष में विनोद बंसल के गवर्नर-काल में उन्होंने रोटरी फाउंडेशन में जो दान देने की घोषणा की थी, उस घोषणा को व्यावहारिक रूप दे पाने में वह विफल साबित हुए थे और इस कारण से उनकी खासी किरकिरी भी हुई थी ।
लोगों
को लगता है कि केसी लखानी सार्थक कुछ कर सकने में अब शायद समर्थ नहीं रहे
हैं और इसीलिए रोटरी की चुनावी राजनीति में सक्रिय होने की उन्होंने तैयारी
कर ली है । रवि चौधरी की उम्मीदवारी का झंडा उठा कर केसी लखानी ने शायद यही दिखाने/जताने की कोशिश की है कि रोटरी की चुनावी राजनीति में उम्मीदवारों के लिए अब उनका आशीर्वाद लेना भी जरूरी होगा ।