Saturday, September 24, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में होने जा रहा डिस्ट्रिक्ट पदाधिकारियों का अधिष्ठापन समारोह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विशाल सिन्हा की हरकतों के कारण नरेश अग्रवाल के लिए परीक्षा का मौका होगा क्या ?

लखनऊ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में कुछेक वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को डिस्ट्रिक्ट अधिष्ठापन समारोह का निमंत्रण न मिलने का संदर्भ देते हुए जिस तरह से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विशाल सिन्हा पर वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स को अपमानित करने के आरोप लगे, उसे देखते हुए इंटरनेशनल फर्स्ट वाइस प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल के सामने लखनऊ में भी भी वाराणसी जैसे हालात बनते दिख रहे हैं । उल्लेखनीय है कि वाराणसी में आयोजित हुए डिस्ट्रिक्ट 321 ई के अधिष्ठापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए नरेश अग्रवाल को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को अपमानित किये जाने की शिकायतें मिलीं थीं, जिन्हें लेकिन नरेश अग्रवाल ने गंभीरता से नहीं लिया था । वाराणसी में नरेश अग्रवाल ने जो रवैया दिखाया था, उसे लेकर मल्टीपल में ही नहीं बल्कि मल्टीपल के बाहर के लायंस पदाधिकारियों के बीच उनकी भारी फजीहत और थू थू हुई थी । नरेश अग्रवाल और दूसरे लोग उस किस्से को अभी पूरी तरह से भूल भी नहीं पाए हैं, कि डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विशाल सिन्हा ने नरेश अग्रवाल के लिए फिर से वैसे ही हालात पैदा कर दिए हैं । नरेश अग्रवाल को 25 सितंबर को लखनऊ में आयोजित हो रहे डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन के अधिष्ठापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने आना/पहुँचना है । विशाल सिन्हा ने उनके स्वागत के लिए अच्छी तैयारी की है; विशाल सिन्हा दरअसल नरेश अग्रवाल को खुश करके लायन व्यवस्था में अपने लिए अच्छी पोजीशन की जुगाड़ में हैं । असल में, विशाल सिन्हा को यह बात बहुत ही अपमानजनक लगती है कि हाल-फिलहाल के वर्षों में उनके आगे-पीछे जो लोग गवर्नर बने हैं, वह तो एक बार में ही गवर्नर बन गए - जबकि उन्हें एक बार पराजित होकर दूसरी बार में गवर्नर बनने का मौका मिल पाया । इस 'कलंक' के दाग को हल्का करने के लिए विशाल सिन्हा को जरूरी लगता है कि वह लायन व्यवस्था में ऐसा कुछ प्राप्त करें, जिससे वह अपने आगे-पीछे गवर्नर बने लोगों के बीच अपना कद ऊँचा कर सकें । यह वह नरेश अग्रवाल की मदद से करना चाहते हैं, और इसीलिए डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में वह नरेश अग्रवाल के स्वागत-सम्मान में कोई कमी नहीं रहने देना चाहते हैं ।
लेकिन डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह से चार दिन पहले हुई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में जो हुआ, उसने विशाल सिन्हा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है । मीटिंग में कुछेक वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने शिकायत की कि कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को अभी तक भी अधिष्ठापन समारोह के निमंत्रण नहीं मिले हैं । यह शिकायत करते हुए विशाल सिन्हा से पूछा गया कि क्या वह कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को अधिष्ठापन समारोह से दूर रखना चाहते हैं ? विशाल सिन्हा ने इस सवाल के पीछे छिपे खतरे को पहचानते हुए तुरंत सफाई दी कि उन्होंने तो सभी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को निमंत्रण भेजे हैं; उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि किन्हीं कारणों से हो सकता है कि कुछेक पूर्व गवर्नर्स तक निमंत्रण न पहुँचा हो, इसलिए इस मीटिंग के माध्यम से वह सभी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स से अधिष्ठापन समारोह में शामिल होने का अनुरोध करते हैं । विशाल सिन्हा में यह बड़ा अच्छा हुनर है कि वह किसी को कितनी भी और कैसी भी गालियाँ दे रहे हों, बुरा-भला कह रहे हों - लेकिन जैसे ही उन्हें आभास होता है कि उनकी यह हरकत उन्हें  नुकसान पहुँचाएगी, वह तुरंत से खुशामद में जुट जायेंगे । विशाल सिन्हा कुछेक पूर्व गवर्नर्स के खिलाफ जमकर गालियाँ बकते हैं, उन्हें लायनिज्म से निकालने तक की बात करते हैं - लेकिन अधिष्ठापन समारोह से ठीक पहले हुई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में जैसे ही उन्हें आभास हुआ कि उनकी हरकत अधिष्ठापन समारोह में बबाल कर सकती है और नरेश अग्रवाल के सामने उनकी फजीहत कर/करा सकती है, वह तुरंत गिरगिट की तरह रंग बदल कर पूर्व गवर्नर्स की खुशामद पर उतर आए ।
विशाल सिन्हा ने मौके की नजाकत को पहचान कर भले ही रंग बदल लिया हो, किंतु विशाल सिन्हा की हरकतों से अपमानित महसूस कर रहे पूर्व गवर्नर्स की नरेश अग्रवाल के सामने उनकी असलियत लाने की कोशिशों का खतरा पूरी तरह टला नहीं है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद को विशाल सिन्हा ने जिस तरह से पैसा बनाने का जरिया बना लिया है; और इस चक्कर में जिस तरह से गैर लायन सदस्यों तक को न सिर्फ अपनी कैबिनेट का सदस्य बना लिया है बल्कि डिस्ट्रिक्ट लायंस लीडरशिप इंस्टीट्यूट में भी शामिल कर लिया - उसे देख कर पूर्व गवर्नर्स के बीच भारी असंतोष व नाराजगी है । विशाल सिन्हा के मनमाने तरीके से काम करने और पूर्व गवर्नर्स के प्रति गाली-गलौच भरे शब्दों का प्रयोग करने के रवैये के कारण ही वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज बोरा ने बीस दिन के भीतर ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी के चेयरमैन का पद छोड़ दिया था । दरअसल नीरज बोरा को पता चला था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय में उनके बारे में बहुत ही ख़राब तरीके से बातें होती हैं और उनके लिए गाली-गलौच पूर्ण शब्दों का इस्तेमाल होता है । विशाल सिन्हा ने इस तरह 'सामने कुछ और पीछे कुछ' वाला अपना दो-रंगी रूप दिखाया, तो नीरज बोरा ने व्यस्तता का वास्ता देकर उनके गवर्नर-काल में किसी भी पद पर रहने से तौबा कर ली । किसी डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के व्यवहार व रवैये के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ऑनरेरी कमेटी का चेयरमैन एक महीने से भी कम समय में अपना पद छोड़ दे, तो यह डिस्ट्रिक्ट और लायनिज्म के लिए बहुत ही अपमानजनक बात है - इंटरनेशनल फर्स्ट वाइस प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल इस बात को कैसे लेते हैं, यह देखना अभी बाकी है ।
विशाल सिन्हा की हरकतों के कारण ही एक अन्य पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनुपम बंसल ग्लोबल लीडरशिप टीम (जीएलटी) के डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डीनेटर होने के बावजूद अभी हाल ही संपन्न हुए डिस्ट्रिक्ट लायन लीडरशिप इंस्टीट्यूट में शामिल नहीं हुए । मजे की बात यह है कि नीरज बोरा और अनुपम बंसल - दोनों ही विशाल सिन्हा के या तो बहुत खास हैं और या उनकी राजनीति के खेमे के समर्थक हैं । पिछले वर्ष डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में जो खेमेबाजी थी, उसमें नीरज बोरा उस तरफ थे - जिस तरफ विशाल सिन्हा थे । अनुपम बंसल तो विशाल सिन्हा के 'शाम' के पक्के वाले साथी हैं । इसके बावजूद विशाल सिन्हा ने उनके प्रति कोई रियायत नहीं बरती और उनके साथ ऐसा व्यवहार किया कि उन्होंने विशाल सिन्हा के एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम से दूर रहने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । इन दो उदाहरणों से समझा जा सकता है कि विशाल सिन्हा अपनी कारस्तानियों से जब अपने ही खास व नजदीकी लोगों के साथ बदतमीजी कर सकते हैं और उन्हें उपेक्षित तथा अपमानित तक कर सकते हैं, तो फिर अपने से असहमत और अपने विरोधियों के प्रति उनका रवैया क्या होता होगा ?
डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आने वाले इंटरनेशनल फर्स्ट वाइस प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल के सामने कुछेक लोग विशाल सिन्हा के इस रवैये को रखने की तैयारी कर रहे हैं । उनका कहना है कि वह नरेश अग्रवाल को बताना चाहेंगे कि विशाल सिन्हा को किसी भी तरह की तवज्जो देकर वह सिर्फ लायनिज्म को ही बदनाम नहीं करवायेंगे, बल्कि अपनी छवि को भी कलंकित करेंगे । विशाल सिन्हा हालाँकि आश्वस्त हैं; उनका कहना है कि नरेश अग्रवाल को उनके बारे में अच्छी तरह पता है और वह गुरनाम सिंह के साथ उनके रिश्ते को जानते/पहचानते हैं, इसके अलावा वह लखनऊ में नरेश अग्रवाल की सेवा में कोई कमी नहीं रहने देंगे - इसलिए उनकी शिकायत करने वालों की दाल नरेश अग्रवाल के सामने नहीं गलेगी । नरेश अग्रवाल यूँ भी घटिया लोगों को प्रश्रय देने के मामले में खासे बदनाम हैं, और इस चक्कर में अपनी छीछालेदर भी कराते रहते हैं । हालाँकि कुछेक लोगों को लगता है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की तरफ बढ़ रहे नरेश अग्रवाल अब शायद थोड़ा सावधान हों, और लायनिज्म की नहीं तो कम से कम अपनी छवि की तो फ़िक्र करेंगे - और इस फ़िक्र में विशाल सिन्हा के मंसूबों को पूरा करने में सहायक नहीं बनेंगे । इस पृष्ठभूमि में, लखनऊ में होने जा रहा अधिष्ठापन समारोह विशाल सिन्हा के लिए ही नहीं - बल्कि नरेश अग्रवाल के लिए भी परीक्षा की घड़ी है ।