Monday, September 19, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में अपने पद की प्रतिष्ठा के साथ न्याय करने की अनुपम बंसल की कोशिश ने लीडरशिप इंस्टीट्यूट के नाम पर जगदीश गुलाटी, वीएस कुकरेजा और विशाल सिन्हा के तमाशे की पोल खोली

लखनऊ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विशाल सिन्हा के अपमानजनक रवैये के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनुपम बंसल ने ताशकंद में आयोजित हुए डिस्ट्रिक्ट लायंस लीडरशिप इंस्टीट्यूट का बहिष्कार किया । ताशकंद से लौटे लोगों से डिस्ट्रिक्ट के लोगों को यही एक महत्त्वपूर्ण खबर सुनने को मिली है । मजे की बात यह है कि अनुपम बंसल इसी इंस्टीट्यूट में शामिल होने के लिए लखनऊ से ताशकंद गए थे । उल्लेखनीय है कि ग्लोबल लीडरशिप टीम (जीएलटी) के डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डीनेटर होने के नाते अनुपम बंसल को उक्त कार्यक्रम में प्रमुख भूमिका निभानी थी, लेकिन वह पूरे कार्यक्रम से ही बाहर रहे । प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अनुपम बंसल के इस रवैए पर लोगों के सामने ही विशाल सिन्हा ने अनुपम बंसल को खूब कोसा; हालाँकि कार्यक्रम शुरू हो जाने के कुछ देर बाद तक भी विशाल सिन्हा फोन पर अनुपम बंसल से बात करने और उन्हें मनाने की कोशिश करते रहे - पर अनुपम बंसल कार्यक्रम में नहीं ही पहुँचे । वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर गुरनाम सिंह ने भी अनुपम बंसल को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राजी करने वास्ते प्रयास किया, किंतु उनका प्रयास भी अनुपम बंसल की नाराजगी को दूर नहीं कर सका । प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कार्यक्रम समाप्त होने के बाद जब खाना शुरू हुआ, अनुपम बंसल तब मौके पर पहुँचे ।
ताशकंद से लौटे लोगों के अनुसार, अनुपम बंसल ने दो कारणों से अपने आप को बहुत अपमानित महसूस किया और इसके चलते पैदा हुई नाराजगी के कारण उन्होंने डिस्ट्रिक्ट लायंस लीडरशिप इंस्टीट्यूट का बहिष्कार किया । पहला कारण तो यह रहा कि इस इंस्टीट्यूट का जो निमंत्रण पत्र छपा, उसमें अनुपम बंसल का नाम ही नहीं छपा । अनुपम बंसल यह देख कर बुरी तरह बौखलाए कि निमंत्रण पत्र में इंस्टीट्यूट के चेयरपरसन के रूप में संजय चोपड़ा का नाम छपा, लेकिन डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डीनेटर होने के बावजूद उनका नाम नहीं छपा । संजय चोपड़ा वैसे भी अनुपम बंसल से जूनियर पूर्व गवर्नर हैं । इसके अलावा, संजय चोपड़ा की तुलना में अनुपम बंसल को विशाल सिन्हा के ज्यादा नजदीक समझा/देखा जाता है । यानि हर तरह से संजय चोपड़ा से 'भारी' होने के बावजूद अनुपम बंसल का नाम विशाल सिन्हा ने निमंत्रण पत्र पर नहीं छापा । विशाल सिन्हा की तरफ से अनुपम बंसल को दूसरा झटका यह देख कर लगा कि विशाल सिन्हा खुद तो एक अच्छे होटल में ठहरे, किंतु उन्हें दूसरे अपेक्षाकृत सेकेंडग्रेड होटल में ठहरवा दिया । लोगों का कहना है कि इन दो बातों से अनुपम बंसल ने खुद को अपमानित महसूस किया और फिर विरोधस्वरूप उन्होंने उस कार्यक्रम से ही दूर रहने का फैसला किया, जिसके नाम पर वह ताशकंद गए/पहुँचे थे ।
डिस्ट्रिक्ट लायंस लीडरशिप इंस्टीट्यूट को विशाल सिन्हा ने जिस तरह से आयोजित किया, उसकी ऊपरी रूपरेखा को देख कर ही समझा जा सकता है कि इसके आयोजन को लेकर वह जरा भी गंभीर नहीं थे, और इस आयोजन के जरिए उन्होंने वास्तव में अपना और लायनिज्म का मज़ाक ही बनाया है । कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र ही बताता है कि इंस्टीट्यूट लीडरशिप को लेकर था, लेकिन उसके लिए फैकल्टी मेंबरशिप की बुलाई गई - और वह पट्ठे आकर भाषण भी पेल गए । यह क्या ऐसा ही मामला नहीं है कि चिकनगुनिया और डेंगू जैसी बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए किसी डॉक्टर की बजाए किसी चार्टर्ड एकाउंटेंट का भाषण करवा दिया जाए ? इस मामले में इसीलिए अकेले विशाल सिन्हा को ही दोष देने का क्या फायदा ? जगदीश गुलाटी और वीएस कुकरेजा को क्या यह कहते हुए कार्यक्रम में फैकल्टी के रूप में शामिल होने से इंकार नहीं कर देना चाहिए था कि हम लोग जीएमटी के लोग हैं - इस कार्यक्रम में जीएलटी के लोगों को बुलाया जाना चाहिए ? लेकिन जब पता हो कि विदेश घूमने का मौका मिल रहा हो, भाषण पेलने का और नेतागिरी दिखाने का अवसर मिल रहा हो, और बुलाने वाला बिलकुल मूर्खता दिखाने पर ही आमादा हो - तो फिर इंकार करने में कौन सी अक्लमंदी है ? इस तरह अपनी अपनी अक्लमंदी में जगदीश गुलाटी और वीएस कुकरेजा से मिली शह में विशाल सिन्हा ने फिर लायनिज्म का मज़ाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।
जगदीश गुलाटी और वीएस कुकरेजा की सरपरस्ती में विशाल सिन्हा ने लीडरशिप इंस्टीट्यूट के नाम पर जो तमाशा किया, उसकी पोल शायद न खुलती - यदि वह अनुपम बंसल को नाराज न करते । ताशकंद में जो लोग उपलब्ध थे, उनमें लीडरशिप इंस्टीट्यूट के लिए अनुपम बंसल सबसे बड़े अधिकृत पदाधिकारी थे - विशाल सिन्हा ने लेकिन उन्हें ही कार्यक्रम की औपचारिक व्यवस्था से अलग-थलग रखा । अनुपम बंसल ने एक सामान्य प्रतिभागी की तरह कार्यक्रम में शामिल होना यदि उचित नहीं समझा, तो इस तरह उन्होंने अपने पद की प्रतिष्ठा के साथ वास्तव में न्याय ही किया है । अनुपम बंसल की इस न्यायप्रियता ने लेकिन लायनिज्म के नाम पर जगदीश गुलाटी, वीएस कुकरेजा और विशाल सिन्हा द्धारा किए गए तमाशे की असलियत को डिस्ट्रिक्ट व मल्टीपल के लोगों के सामने ला देने का काम कर दिया है ।