Monday, September 12, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रवि चौधरी पर चुनावी गिरोहबाजी का वास्ता देकर उम्मीदवारों से स्पॉन्सरशिप झटकने, और इस तरह इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की चेतावनी को अनदेखा करने का आरोप

नई दिल्ली । रवि चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों पर दबाव बना कर पेम वन के लिए स्पॉन्सरशिप के नाम पर उनसे पैसे झटकने का जो काम किया है, उसके कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में किया गया उनका पहला कार्यक्रम ही विवाद के घेरे में आ गया है । संजीव राय मेहरा ने रवि चौधरी के दबाव में आने से इंकार करके इस विवाद को और हवा दी है । जो सुरेश भसीन, रवि दयाल, अतुल गुप्ता, अमरजीत सिंह - रवि चौधरी के दबाव में फँसने से अपने आप को बचा नहीं सके, उन्होंने पेम वन में कोई खास तवज्जो न मिलने के कारण अपने आप को ठगा हुआ महसूस किया है - जिससे विवाद और भड़का है । रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में शायद यह पहला मौका है जब मौजूदा वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के हाथों अपनी 'जेब कटवाई' । रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में चलती आ रही 'प्रथा' के अनुसार डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों की जेब पर उस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का ही 'हक़' माना जाता है; रवि चौधरी पहले ऐसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट हैं, जिन्होंने इस प्रथा को तोड़ने का काम किया है - और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के 'माल' पर ही हाथ साफ कर दिया है । रवि चौधरी ने एक बड़ा काम और किया है : रोटरी और डिस्ट्रिक्ट की प्रथा के अनुसार, उम्मीदवार लोग पेट्स में पैसा लगाते हैं; रवि चौधरी ने लेकिन पेम में ही उम्मीदवारों से पैसा लगवा लिया है । इन बातों पर पेम में उपस्थित लोगों के बीच चर्चा छिड़ी, तो एक गंभीर आरोप यह भी सुनने को मिला कि रवि चौधरी ने कोर टीम के पद 'बेचे' हैं, और कोर टीम के कुछेक सदस्यों से तो एक एक लाख रुपए तक लिए हैं । प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि इन चर्चाओं और आरोपों की जानकारी रवि चौधरी को भी मिली, तो पोल खुलने के डर से उनका मूड ऐसा उखड़ा कि फिर वह पेम वन में अपना भाषण भी ठीक से नहीं दे सके ।
चर्चा/आलोचना बढ़ी, तो फिर रवि चौधरी की तरफ से भी मोर्चा संभाला गया और उनके समर्थकों व शुभचिंतकों ने जबाव में बताया कि कोर टीम के जिन सदस्यों से एक एक लाख रुपए लिए गए हैं, वह वास्तव में उधार लिए गए हैं - जिसकी जरूरत पेम वन के आयोजन के शुरुआती खर्चों को पूरा करने के लिए पड़ी । बताया गया है कि जिन लोगों से एक एक लाख रुपए लिए गए हैं, उन्हें यह बात बता भी दी गई है - इसलिए कोर टीम के पद बेचे जाने का आरोप पूरी तरह झूठा है । रवि चौधरी की बदकिस्मती है कि यह जबाव किसी के गले नहीं उतर रहा है । लोगों का कहना है कि पेम वन के आयोजन के शुरुआती खर्चे रवि चौधरी को या तो अपनी जेब से करने चाहिए थे, और या डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर सुब्रमणियम को विश्वास में लेकर डिस्ट्रिक्ट फंड से उन खर्चों को पूरा करना चाहिए था - यह पैसे सचमुच में यदि वापस हो जाने थे, तब फिर इन दोनों विकल्पों का इस्तेमाल करने की बजाए कोर टीम के सदस्यों से पैसे क्यों लिए गए ? डिस्ट्रिक्ट में चूँकि अधिकतर लोगों को रवि चौधरी के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर असित मित्तल के साथ हुए लेनदेन तथा उसके ऑफ्टर इफेक्ट्स की जानकारी है, इसलिए पेम वन के आयोजन के शुरुआती खर्चों को पूरा करने के नाम पर लिए गए पैसों को विवाद छिड़ने के बाद उधार बताने के तर्क को हजम कर पाना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है । दरअसल यह विवाद शुरू ही इस कारण से हुआ - क्योंकि पेम वन के शुरुआती खर्चों को पूरा करने के नाम पर कोर टीम के जिन सदस्यों से एक एक लाख रुपए लिए गए, खुद उन्होंने ही मान लिया और लोगों के बीच कहना/बताना शुरू कर दिया कि उनसे तो उन्हें कोर टीम का सदस्य बनाने की कीमत ले ली गई है ।
रवि चौधरी के समर्थकों व शुभचिंतकों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों से पैसे लेने के आरोपों का तकनीकी आधार पर बचाव करते हुए दावा किया कि किसी भी उम्मीदवार से व्यक्तिगत रूप में कोई पैसा नहीं लिया गया है; उम्मीदवारों के क्लब्स ने पेम वन को स्पॉन्सर किया है । तकनीकी रूप से यह बात सही भी है । रोटरी में वास्तव में व्यक्ति का, व्यक्ति के रूप में रोटेरियन का कोई महत्त्व नहीं है; महत्त्व क्लब का है; इसलिए कोई भी काम व्यक्ति ही करते हैं, लेकिन वह होता है क्लब के नाम पर । इसी 'व्यवस्था' का फायदा उठा कर रवि चौधरी के समर्थक व शुभचिंतक रवि चौधरी को आरोपों से बचाने की कोशिश रहे हैं । उनकी इस कोशिश से हालाँकि कोई फायदा होता हुआ दिखा नहीं है, क्योंकि हर कोई इतनी सी बात समझता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का 'इस वर्ष का' कोई भी उम्मीदवार और या उनका क्लब अगले रोटरी वर्ष के क्लब-अध्यक्षों के कार्यक्रम में 'बिना किसी दबाव' के पैसा भला क्यों खर्च करेगा ? जाहिर है कि रवि चौधरी ने यह जता/बता कर कि भले ही वह अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर होंगे - लेकिन वह इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को भी प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं, इसलिए इस वर्ष के उम्मीदवारों को भी उन्हें गंभीरता से लेना होगा - उम्मीदवारों से उन्होंने स्पॉन्सरशिप जुटा ली । रवि चौधरी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी विनय भाटिया तथा पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स दीपक तलवार, सुशील खुराना, विनोद बंसल सहित अन्य कई प्रमुख रोटेरियंस के समर्थन का दावा करते हुए बताते हैं कि अगला डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी भी वही बनेगा - जिसे 'हम' समर्थन देंगे । इस तरह के दावों के बीच डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के इस बार के उम्मीदवार रवि चौधरी के कार्यक्रम पेम वन को स्पॉन्सर करने के लिए मजबूर हुए, जिसमें हालाँकि उनके लिए फजीहत की बात यह रही कि उन्हें कोई तवज्जो भी नहीं मिली । 
यहाँ इस तथ्य पर गौर करना प्रासंगिक होगा कि पिछले वर्ष तक पेम वन के आयोजन के लिए छह/आठ और ज्यादा से ज्यादा दस क्लब्स की स्पॉन्सरशिप काफी होती थी; रवि चौधरी ने लेकिन 19 क्लब्स की स्पॉन्सरशिप जुटाई । उनके समर्थकों व शुभचिंतकों का कहना है कि किसी काम को अच्छे से करने के लिए पैसे तो ज्यादा लगते ही हैं । कुछेक लोगों को यह तर्क उस तर्ज का लगता है, जो अक्सर ही अख़बारों में पढ़ने को मिलता है - जिसके अनुसार गर्लफ्रेंड्स को महँगे गिफ्ट देने की व्यवस्था करने के लिए लड़कों को झपटमारी, चोरी और लूट करने के लिए 'मजबूर' होना पड़ता है । रवि चौधरी के समर्थकों व शुभचिंतकों के तर्क सुन कर लोगों का कहना रहा कि अपने आयोजनों को पहले तो महँगा करने/बनाने और फिर उसके लिए खर्चा जुटाने के लिए रवि चौधरी यदि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों पर दबाव बनायेंगे और चुनावी गिरोहबाजी करेंगे, तो यह डिस्ट्रिक्ट के लिए बहुत ही आत्मघाती होगा । इस तरह की हरकतों के चलते पिछले रोटरी वर्ष में ही डिस्ट्रिक्ट ने बड़ी बदनामी कमाई है । अभी पिछले सप्ताह ही इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई ने डिस्ट्रिक्ट में राजनीति करने वाले रोटेरियंस के लिए एक बड़ा कर्रा सा पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी है - उसके बावजूद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में रवि चौधरी ने चुनावी राजनीति की आड़ में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों से जेब ढीली करवा ली है । जाहिर है कि मनोज देसाई की चेतावनी को रवि चौधरी गीदड़ भभकी समझ रहे हैं, और चेतावनी की उन्हें कोई परवाह नहीं है ।