Wednesday, November 27, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में प्रियतोष गुप्ता को आलोक गुप्ता पर निर्भर होता देख भड़के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अशोक अग्रवाल के दाँव ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी पैदा की 

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए सुरेंद्र शर्मा की उम्मीदवारी को आगे बढ़ा कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अशोक अग्रवाल ने प्रियतोष गुप्ता को तगड़ा झटका दिया है और प्रियतोष गुप्ता अपने आप को ठगा हुआ पा रहे हैं । प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी के विरोध में अशोक अग्रवाल इस हद तक चले गए हैं कि 'नौ सौ चूहे खा कर हज पर जाने वाली बिल्ली' वाले मुहावरे को चरितार्थ करते हुए वह रोटरी को सस्ता बनाने और फिजूलखर्ची रोकने की बात करने लगे हैं । उल्लेखनीय है कि प्रियतोष गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अशोक अग्रवाल के समर्थन का भरोसा रहा था, लेकिन अशोक अग्रवाल को सुरेंद्र शर्मा की उम्मीदवारी का झंडा उठाये देख कर उन्हें अशोक अग्रवाल से धोखा मिलने का आभास हो चला है । अशोक अग्रवाल इस स्थिति के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट आलोक गुप्ता को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । अशोक अग्रवाल के नजदीकियों के अनुसार, अशोक अग्रवाल का कहना है कि आलोक गुप्ता ने प्रियतोष गुप्ता को उनसे 'छीन' कर उन्हें इस स्थिति में धकेल दिया है, और उन्हें सुरेंद्र शर्मा की उम्मीदवारी लाने के लिए मजबूर होना पड़ा है ।
प्रियतोष गुप्ता के लिए बदकिस्मती की बात यह हुई है कि पहले तो कई गवर्नर-नेता उनकी उम्मीदवारी के समर्थक थे; लेकिन अब वह आलोक गुप्ता के उम्मीदवार के रूप में देखे/पहचाने जा रहे हैं और इसलिए कई गवर्नर-नेताओं ने दूसरे दूसरे उम्मीदवार खोजने शुरू कर दिए हैं । अशोक अग्रवाल भी प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में थे, और चाहते थे कि प्रियतोष गुप्ता उनके गवर्नर-वर्ष में उम्मीदवारी प्रस्तुत करें, ताकि प्रियतोष गुप्ता के उम्मीदवार होने का 'लाभ' उन्हें मिल सके । प्रियतोष गुप्ता लेकिन आलोक गुप्ता के गवर्नर-वर्ष में उम्मीदवार बनने की तैयारी करने लगे । सिर्फ इतना ही नहीं, प्रियतोष गुप्ता के रवैये से बाकी गवर्नर-नेताओं को यह भी लगा, जैसे उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने के लिए और किसी की मदद की जरूरत नहीं है और सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में आलोक गुप्ता के समर्थन के बलबूते ही कामयाबी प्राप्त कर लेंगे । दरअसल प्रियतोष गुप्ता ने ही अपने व्यवहार से अपने आप को आलोक गुप्ता के ज्यादा नजदीक दिखाया और अपने संपर्क-अभियान में आलोक गुप्ता के गवर्नर-वर्ष के दौरान के क्लब-प्रेसीडेंट्स के बीच अपने आप को आलोक गुप्ता के उम्मीदवार के रूप में 'दिखाया/जताया' । प्रियतोष गुप्ता के इस व्यवहार ने दूसरे गवर्नर-नेताओं के बीच उनकी उम्मीदवारी के प्रति समर्थन-भाव को कमजोर करने का काम किया ।
प्रियतोष गुप्ता के इस व्यवहार ने अशोक अग्रवाल को लगता है कि कुछ ज्यादा ही गहरी चोट पहुँचाई है । अशोक अग्रवाल ने अपने नजदीकियों के बीच कहा भी कि आलोक गुप्ता ने प्रियतोष गुप्ता को पता नहीं क्या पट्टी पढ़ाई है कि प्रियतोष गुप्ता को लगने लगा है कि उन्हें आलोक गुप्ता ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनवा देंगे, तथा उन्हें अन्य किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी । अशोक अग्रवाल के नजदीकियों का कहना है कि प्रियतोष गुप्ता के व्यवहार से आहत होकर, प्रियतोष गुप्ता को सबक सिखाने के लिए ही अशोक अग्रवाल ने सुरेंद्र शर्मा को उम्मीदवार बना/बनवा दिया है । प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी को हतोत्साहित करने के इरादे से अशोक अग्रवाल ने रोटरी तथा रोटरी के चुनाव को सस्ता बनाने तथा फिजूलखर्ची रोकने का आह्वान किया है । लोगों का कहना है कि अशोक अग्रवाल ने पिछले रोटरी वर्ष में ही तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी का चुनाव लड़ा था, तब उन्हें यह ख्याल क्यों नहीं आया कि उन्हें फिजूलखर्ची नहीं करना चाहिए । अपने चुनाव में तो उन्होंने अनापशनाप पैसे खर्च किए - इसलिए अब फिजूलखर्ची न करने की बात करना उस बिल्ली की याद दिलाता है, जो नौ सौ चूहे खाकर हज पर जाने के उपदेश देती है । लोगों का कहना है कि अशोक अग्रवाल यदि सचमुच रोटरी को सस्ता करना चाहते हैं, तो उन्हें घोषणा करना चाहिए - और सिर्फ घोषणा ही नहीं करना चाहिए, उस पर अमल भी करना चाहिए - कि रोटरी के जिस आयोजन में फिजूलखर्ची हो रही होगी, वह उस कार्यक्रम शामिल नहीं होंगे । इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी और सचमुच में रोटरी को सस्ता करने की दिशा में बढ़ा जा सकेगा । अशोक अग्रवाल की सक्रियता प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी को कितना नुकसान पहुँचा सकेगी, यह तो बाद में पता चलेगा; अभी लेकिन उनकी सक्रियता ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी जरूर पैदा कर दी है ।