पोंटा साहिब । रोटरी क्लब पोंटा साहिब के पदाधिकारियों के विरोधी रवैये के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज का प्री-पेट्स कार्यक्रम मुसीबत में फँस गया है, जिससे 'निकलने' के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा को मदद के लिए पुकारा जा रहा है । क्लब के पदाधिकारियों का कहना है कि प्री-पेट्स कार्यक्रम उनका क्लब कर रहा है, और यह बात उन्हें ही नहीं पता है - और यह बात उन्हें दूसरे लोगों से पता चल रही है । उनका कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज इस तरह की 'बेईमानी' भला कैसे कर सकते हैं कि उनसे पूछे बिना, उन्हें बताये बिना उनके क्लब पर अपना कार्यक्रम करने की जिम्मेदारी थोप दें । क्लब के पदाधिकारियों से यह सब सुन कर डिस्ट्रिक्ट के लोगों को कहने का मौका मिला है कि लगता है कि रमेश बजाज उसी रास्ते पर चल पड़े हैं, जिस रास्ते पर चलते हुए राजा साबू खेमे के नेता डिस्ट्रिक्ट के लोगों से दूर हुए और फिर राजनीतिक व प्रशासनिक व्यवस्था में अलग-थलग पड़े हैं । लोगों को लग रहा है कि रमेश बजाज डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी पर पहुँचे तो हैं राजा साबू खेमे की विरोधी राजनीति पर सवार होकर; लेकिन उनके रंग-ढंग राजा साबू खेमे के नेताओं जैसे हैं, जिसमें क्लब के पदाधिकारियों को विश्वास में लिए बिना मनमानी करते/दिखाते हुए काम किए जाते हैं । लोगों का कहना है कि रमेश बजाज को यदि रोटरी क्लब पोंटा साहिब को प्री-पेट्स की जिम्मेदारी सौंपनी थी, तो क्लब के पदाधिकारियों से तो इस बारे में बात करना ही चाहिए थी ।
मजे की बात है कि रमेश बजाज के कुछेक नजदीकी इस झमेले के लिए रमेश बजाज के गवर्नर-वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर अरुण शर्मा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । अरुण शर्मा रोटरी क्लब पोंटा साहिब के सदस्य और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं । रमेश बजाज के नजदीकियों का कहना/बताना है कि रमेश बजाज ने तो प्री-पेट्स के आयोजन की जिम्मेदारी अरुण शर्मा को सौंप दी थी, और अरुण शर्मा ने अपने क्लब को आयोजक बना लिया । अपने क्लब को आयोजक बनाते हुए अरुण शर्मा ने किससे पूछा और किससे नहीं पूछा, इस बारे में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज को कुछ नहीं पता है । उल्लेखनीय है कि अरुण शर्मा की रोटरी ट्रेनिंग 'राजा साबू स्कूल' में हुई है, जिसके सिलेबस में मनमानी करना तथा अधिकृत पदाधिकारियों की उपेक्षा करना तथा उन्हें अपमानित करना मुख्य विषय है । विषय में विशेषज्ञता रखने के कारण ही संभवतः अरुण शर्मा ने आयोजन की जिम्मेदारी सौंपते समय क्लब के पदाधिकारियों को विश्वास में लेना जरूरी नहीं समझा होगा, जिसे देख/जान कर क्लब के पदाधिकारी भड़क गए हैं और प्री-पेट्स कार्यक्रम मुसीबत में फँस गया है । दूसरे कई लोगों का कहना लेकिन यह है कि रोटरी क्लब पोंटा साहिब के पदाधिकारियों की नाराजगी से पैदा हुए हालात का ठीकरा रमेश बजाज भले ही अरुण शर्मा के सिर फोड़ने का प्रयास कर रहे हों, किंतु जो हुआ - उसके लिए रमेश बजाज भी कोई कम जिम्मेदार नहीं हैं । लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का 'ताज' जब रमेश बजाज पहनेंगे, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारियाँ भी उन्हें ही निभानी/लेनी होंगी । जिम्मेदारियाँ दूसरों के सिर मढ़ कर बचने की उनकी कोशिश स्वीकार नहीं होगी ।
समस्या दरअसल यह है कि अब जो लोग डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बन रहे हैं, वह 'राजा साबू स्कूल' में ट्रेनिंग पाए हुए लोग हैं, जिनके तौर-तरीके लोगों को भड़का देते हैं । मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा के गवर्नर-वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर मनमोहन सिंह के कुछेक फैसलों के चलते जितेंद्र ढींगरा को कई मौकों पर अपने ही समर्थकों के बीच परेशानी का सामना करना पड़ा है । एक कार्यक्रम में जितेंद्र ढींगरा को अँधेरे में रख कर मनमोहन सिंह ने यशपाल दास को आमंत्रित कर लिया; जितेंद्र ढींगरा के नजदीकियों ने उनसे पूछा, तो जितेंद्र ढींगरा से जबाव देते हुए नहीं बना । अन्य कुछेक मौकों पर मनमोहन सिंह को राजा साबू खेमे के लिए 'खेलते' हुए देखा/पाया गया, जिस पर जितेंद्र ढींगरा को अपने ही लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा । अरुण शर्मा के कारण रमेश बजाज जिस तरह से अपने पहले ही कार्यक्रम में मुसीबत में फँस गए हैं, उसे देखते हुए लोगों को लग रहा है कि जितेंद्र ढींगरा की तुलना में रमेश बजाज को ज्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है । उल्लेखनीय है कि रमेश बजाज के कई नजदीकियों ने उन्हें अरुण शर्मा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर न बनाने का सुझाव दिया था, और बहुत दिनों तक लगता रहा था कि रमेश बजाज अपने नजदीकियों की सुन/मान रहे हैं; लेकिन अंततः रमेश बजाज ने अपने नजदीकियों के सुझाव को दरकिनार करके अरुण शर्मा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर घोषित कर दिया - जिससे उनके कई नजदीकी खफा हुए हैं । रमेश बजाज के कुछेक नजदीकियों को तो लगता है कि पहले मनमोहन सिंह के जरिये, और अब अरुण शर्मा के जरिये राजा साबू खेमे के नेता सत्ता खेमे में असंतोष पैदा करके फूट डालने का प्रयास कर रहे हैं । रमेश बजाज अपने पहले ही कार्यक्रम को लेकर जिस तरह की मुसीबत में फँस गए हैं, उम्मीद है कि उसे तो जितेंद्र ढींगरा की कोशिशों से हल कर लिया जायेगा - लेकिन इस मामले से यह साफ संकेत मिला है कि रमेश बजाज ने यदि अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई/देखी और अरुण शर्मा पर ही निर्भर रहे, तो बार-बार मुसीबत में फँसेंगे तथा सत्ता खेमे के लोगों के बीच असंतोष व नाराजगी पैदा करेंगे ।
मजे की बात है कि रमेश बजाज के कुछेक नजदीकी इस झमेले के लिए रमेश बजाज के गवर्नर-वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर अरुण शर्मा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । अरुण शर्मा रोटरी क्लब पोंटा साहिब के सदस्य और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं । रमेश बजाज के नजदीकियों का कहना/बताना है कि रमेश बजाज ने तो प्री-पेट्स के आयोजन की जिम्मेदारी अरुण शर्मा को सौंप दी थी, और अरुण शर्मा ने अपने क्लब को आयोजक बना लिया । अपने क्लब को आयोजक बनाते हुए अरुण शर्मा ने किससे पूछा और किससे नहीं पूछा, इस बारे में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज को कुछ नहीं पता है । उल्लेखनीय है कि अरुण शर्मा की रोटरी ट्रेनिंग 'राजा साबू स्कूल' में हुई है, जिसके सिलेबस में मनमानी करना तथा अधिकृत पदाधिकारियों की उपेक्षा करना तथा उन्हें अपमानित करना मुख्य विषय है । विषय में विशेषज्ञता रखने के कारण ही संभवतः अरुण शर्मा ने आयोजन की जिम्मेदारी सौंपते समय क्लब के पदाधिकारियों को विश्वास में लेना जरूरी नहीं समझा होगा, जिसे देख/जान कर क्लब के पदाधिकारी भड़क गए हैं और प्री-पेट्स कार्यक्रम मुसीबत में फँस गया है । दूसरे कई लोगों का कहना लेकिन यह है कि रोटरी क्लब पोंटा साहिब के पदाधिकारियों की नाराजगी से पैदा हुए हालात का ठीकरा रमेश बजाज भले ही अरुण शर्मा के सिर फोड़ने का प्रयास कर रहे हों, किंतु जो हुआ - उसके लिए रमेश बजाज भी कोई कम जिम्मेदार नहीं हैं । लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का 'ताज' जब रमेश बजाज पहनेंगे, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारियाँ भी उन्हें ही निभानी/लेनी होंगी । जिम्मेदारियाँ दूसरों के सिर मढ़ कर बचने की उनकी कोशिश स्वीकार नहीं होगी ।
समस्या दरअसल यह है कि अब जो लोग डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बन रहे हैं, वह 'राजा साबू स्कूल' में ट्रेनिंग पाए हुए लोग हैं, जिनके तौर-तरीके लोगों को भड़का देते हैं । मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा के गवर्नर-वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर मनमोहन सिंह के कुछेक फैसलों के चलते जितेंद्र ढींगरा को कई मौकों पर अपने ही समर्थकों के बीच परेशानी का सामना करना पड़ा है । एक कार्यक्रम में जितेंद्र ढींगरा को अँधेरे में रख कर मनमोहन सिंह ने यशपाल दास को आमंत्रित कर लिया; जितेंद्र ढींगरा के नजदीकियों ने उनसे पूछा, तो जितेंद्र ढींगरा से जबाव देते हुए नहीं बना । अन्य कुछेक मौकों पर मनमोहन सिंह को राजा साबू खेमे के लिए 'खेलते' हुए देखा/पाया गया, जिस पर जितेंद्र ढींगरा को अपने ही लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा । अरुण शर्मा के कारण रमेश बजाज जिस तरह से अपने पहले ही कार्यक्रम में मुसीबत में फँस गए हैं, उसे देखते हुए लोगों को लग रहा है कि जितेंद्र ढींगरा की तुलना में रमेश बजाज को ज्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है । उल्लेखनीय है कि रमेश बजाज के कई नजदीकियों ने उन्हें अरुण शर्मा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर न बनाने का सुझाव दिया था, और बहुत दिनों तक लगता रहा था कि रमेश बजाज अपने नजदीकियों की सुन/मान रहे हैं; लेकिन अंततः रमेश बजाज ने अपने नजदीकियों के सुझाव को दरकिनार करके अरुण शर्मा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर घोषित कर दिया - जिससे उनके कई नजदीकी खफा हुए हैं । रमेश बजाज के कुछेक नजदीकियों को तो लगता है कि पहले मनमोहन सिंह के जरिये, और अब अरुण शर्मा के जरिये राजा साबू खेमे के नेता सत्ता खेमे में असंतोष पैदा करके फूट डालने का प्रयास कर रहे हैं । रमेश बजाज अपने पहले ही कार्यक्रम को लेकर जिस तरह की मुसीबत में फँस गए हैं, उम्मीद है कि उसे तो जितेंद्र ढींगरा की कोशिशों से हल कर लिया जायेगा - लेकिन इस मामले से यह साफ संकेत मिला है कि रमेश बजाज ने यदि अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई/देखी और अरुण शर्मा पर ही निर्भर रहे, तो बार-बार मुसीबत में फँसेंगे तथा सत्ता खेमे के लोगों के बीच असंतोष व नाराजगी पैदा करेंगे ।