Friday, November 15, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के गतिरोध को दूर करने के उद्देश्य से हुई 14 नवंबर की मीटिंग रीजनल काउंसिल के सदस्य गौरव गर्ग की अकेले श्रेय लेने की अवसरवादी, स्वार्थी तथा बेवकूफीपूर्ण हरकतों से फेल हुई; तथा मामला और बिगड़ता हुआ दिख रहा है 

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में पैदा हुए गतिरोध को दूर करने के लिए रीजनल काउंसिल सदस्यों की कल हुई मीटिंग 'ढाक के तीन पात' साबित हुई और मामला सिर्फ जहाँ का तहाँ ही फँसा नहीं रह गया है - बल्कि उलझ और गया दिख रहा है । मजे की बात यह है कि कुछेक काउंसिल सदस्यों का ही मानना/कहना है कि 14 नवंबर की मीटिंग के फेल होने की नींव काउंसिल सदस्य गौरव गर्ग ने एक दिन पहले, 13 नवंबर को ही रख दी थी - जब अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर उन्होंने भड़काने वाली बातें लिखीं । गौरव गर्ग ने रीजन के सदस्यों को उकसाते/भड़काते हुए कहा कि उन्हें चुने हुए सदस्यों से कहना चाहिए कि वह काम करने के लिए चुने गए हैं, न कि अपनी पर्सनल ईगो को संतुष्ट करने के लिए । गौरव गर्ग की इस बात से समझ लिया गया कि जब काउंसिल का एक सदस्य सरेआम कह रहा है कि काउंसिल के दूसरे सदस्य काम करने की बजाये अपनी पर्सनल ईगो को संतुष्ट करने में ही लगे रहते हैं, तो फिर सदस्यों के बीच क्या तो बातचीत होगी और क्या उसका नतीजा निकलेगा ? काउंसिल सदस्यों का ही कहना है कि गौरव गर्ग को इस तरह की बात सार्वजनिक रूप से और सोशल मीडिया में कहने की जरूरत नहीं थी, और नाहक ही कही गई उनकी इस बात ने मीटिंग से एक दिन पहले ही गतिरोध को दूर करने के उद्देश्य से होने वाली मीटिंग के 'माहौल' को खराब करने का काम कर दिया ।
गौरव गर्ग ने अपनी इस फेसबुक पोस्ट में एक और हरकत की - 14 नवंबर की मीटिंग के लिए उन्होंने अजय सिंघल, रतन सिंह यादव, अविनाश गुप्ता, राजेंद्र अरोड़ा, नितिन कँवर तथा अपने खुद के प्रयासों का हवाला दिया । यह देख कर पाँचों लोग भड़क गए और उन्होंने गौरव गर्ग की इस हरकत को काउंसिल सदस्यों के बीच फूट डालने तथा झगड़े पैदा करने की कोशिश के रूप में देखा । एक एक करके सभी ने गौरव गर्ग को हड़काया और उन पर दबाव बनाया कि वह अपनी पोस्ट से उनका नाम हटाएँ । जब सभी ने गौरव गर्ग के कान उमेंठे, तब करीब साढ़े तीन घंटे के अंदर गौरव गर्ग अपनी पोस्ट  संपादित करके पाँचों नाम हटाने के लिए मजबूर हुए । (गौरव गर्ग की मूल पोस्ट का स्क्रीन शॉट इस रिपोर्ट के साथ प्रकाशित तस्वीर में देखा जा सकता है ।) लोगों के बीच सवाल यही है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में पैदा हुए गतिरोध को दूर करने की कोशिश जब सभी सदस्यों को मिलजुल कर करना है, तब फिर गौरव गर्ग अकेले ही सक्रिय 'दिखने' का प्रयास क्यों कर रहे हैं ? लोगों को लग रहा है कि गौरव गर्ग प्रयासों का श्रेय अकेले ही लेना चाहते हैं और रीजन  सदस्यों को 'दिखाना' चाहते हैं कि वह तो हालात सुधारने के लिए काम कर रहे हैं, जबकि अन्य दूसरे सदस्य कुछ नहीं कर रहे हैं । गौरव गर्ग के नजदीकियों का कहना है कि गौरव गर्ग नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के हालात को सुधारना तो चाहते हैं, लेकिन अपनी बेवकूफीपूर्ण हरकतों से वह बनते काम को बिगाड़ देने का हुनर रखते हैं - और यही उन्होंने 14 नवंबर की मीटिंग को लेकर किया ।
14 नवंबर की मीटिंग को मजाक बनाने में चेयरमैन हरीश जैन तथा निकासा चेयरमैन राजेंद्र अरोड़ा का भी पूरा पूरा 'सहयोग' रहा । यह दोनों मीटिंग स्थल के आसपास ही बैठे रहे, लेकिन मीटिंग में नहीं पहुँचे । इनका कहना रहा कि श्वेता पाठक जब तक पुलिस में की गई अपनी शिकायत वापस नहीं लेंगी, तब तक वह उनके साथ किसी मीटिंग में नहीं शामिल होंगे । श्वेता पाठक यह स्पष्ट कर चुकी हैं कि पुलिस में दर्ज की गई उनकी शिकायत उनका पर्सनल मैटर है, जिस पर काउंसिल की मीटिंग में बात नहीं हो सकती है । हरीश जैन और राजेंद्र अरोड़ा मीटिंग में तभी शामिल हुए, जब श्वेता पाठक व विजय गुप्ता मीटिंग छोड़ कर चले गए थे । ऐसे में मीटिंग में गतिरोध को दूर करने के लिए क्या तो बात होती और क्या सहमति बनती ? लोगों का मानना और कहना है कि दोनों पक्षों के तर्क अपनी अपनी जगह हैं, और उनके सही या गलत होने की बहस में न पड़ें तो भी यह तो तय ही है कि गतिरोध को दूर करने के लिए शुरू होने वाली बातचीत में यदि शर्तों को थोपा जायेगा, तो फिर बात कैसे होगी और कैसे आगे बढ़ेगी ? इस मामले को मीटिंग से पहले ही हल कर लेना चाहिए था, लेकिन लगता है कि जिस पर ध्यान ही नहीं दिया गया । आधी-अधूरी तैयारियों के साथ, नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के गतिरोध को दूर करने के प्रयासों को गौरव गर्ग की अकेले श्रेय लेने की अवसरवादी, स्वार्थी तथा बेवकूफीपूर्ण हरकतों से दोहरी चोट पहुँची है; तथा मामला और बिगड़ता दिख रहा है ।