नई दिल्ली । शुरू से ही मुसीबतों का शिकार बना रहा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता का सम्मान समारोह अंततः जिस जोरदार सफलता के साथ संपन्न हुआ, उसने डिस्ट्रिक्ट की राजनीति को एक नया आयाम दिया है और वह हर किसी के लिए एक 'सबक' भी बना है । मजे की बात यह रही कि समारोह की तैयारी कमेटी के चेयरमैन विनोद बंसल ही समारोह को विफल करने/करवाने के प्रयासों में जुटे थे । समारोह से करीब दस दिन पहले हुई तैयारी कमेटी की मीटिंग का उन्होंने यह कहते हुए बायकाट किया कि 'आय एम् नॉट इंटरेस्टिंग' । विनोद बंसल के अधिकतर नजदीकी लगातार समारोह के खिलाफ माहौल बनाते रहे और रजिस्ट्रेशन के लिए लोगों को हतोत्साहित करते रहे और खुद भी समारोह से दूर रहे । इसके बावजूद समारोह में 400 से ज्यादा लोग जुटे । इससे पहले इस तरह के आयोजनों में मुश्किल से 200/250 लोग जुटते रहे हैं; और इतने भी तब, जब दो डिस्ट्रिक्ट्स मिल कर आयोजन करते थे । मंच सज्जा की भी खासी प्रशंसा हुई और शेखर मेहता के लिए दक्षिण भारत में प्रचलित फूलों की मोटी माला की व्यवस्था की गई, जो दिल्ली में देखने को नहीं मिलती है । समारोह की भव्यता और व्यवस्था ने सभी को आकर्षित व प्रभावित किया । समारोह में रोटेरियंस की जैसी उपस्थिति रही, समारोह स्थल की जो साज-सज्जा रही और जिस व्यवस्थित तरीके से समारोह संपन्न हुआ - उसने समारोह से जुड़ी सारी आशंकाओं को फिजूल साबित किया और दिखाया/बताया कि संगठन से बड़ा कोई नहीं है; किसी को कितनी ही गलतफहमी हो कि वह किसी भी कार्यक्रम को बना/बिगाड़ सकता है - लेकिन संगठन के सामने अंततः वह बौना ही साबित होता है और जीत संगठन की ही होती है ।
यह विडंबना ही कही जाएगी कि शेखर मेहता के सम्मान में डिस्ट्रिक्ट 3011 में होने वाला समारोह नेताओं की आपसी खींचतान का माध्यम बन गया । यूँ तो (किसी भी) डिस्ट्रिक्ट का हर समारोह अपने समानांतर डिस्ट्रिक्ट की राजनीति की दशा/दिशा को भी बनाता/बिगाड़ता चलता है, और इसीलिए डिस्ट्रिक्ट 3011 में शेखर मेहता का सम्मान समारोह भी डिस्ट्रिक्ट के नेताओं के बीच उठापटक का जरिया बना । दरअसल समारोह की कमान पर कब्जा करने को लेकर विनोद बंसल और रंजन ढींगरा के बीच शुरू से ही तलवारें खिंच गईं थीं । शुरुआत विनोद बंसल ने की । समारोह करने को लेकर जैसे ही काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के बीच बातचीत हुई, वैसे ही विनोद बंसल ने अपने ऑफिस में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव राय मेहरा तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल के साथ समारोह की तैयारी को लेकर मीटिंग की, और खुद चेयरमैन बन बैठे । विनोद बंसल को विश्वास रहा कि रंजन ढींगरा चूँकि आक्रामक राजनीति नहीं करते हैं और जितना/जो मिल जाता है, उससे खुश रहते हैं; इसलिए वह उन्हें बड़े आराम से किनारे लगा देंगे । चेयरमैन बन कर विनोद बंसल ने सचमुच उन्हें किनारे लगा ही दिया । लेकिन विनोद बंसल की बदकिस्मती यह रही कि उनकी यह कार्रवाई कई पूर्व गवर्नर्स को पसंद नहीं आई । उन्होंने रंजन ढींगरा को आगे करके विनोद बंसल की चालबाजियों से लड़ने की तैयारी की । काउंसिल ने विनोद बंसल को चेयरमैन के रूप में तो बरकरार रखा, लेकिन रंजन ढींगरा को कन्वेनर तथा सुरेश जैन व मंजीत साहनी को एडवाइजर बना कर विनोद बंसल की भूमिका को सीमित कर दिया । विनोद बंसल को तगड़ा झटका तब लगा, जब रमेश चंद्र को को-चेयर तथा अनूप मित्तल को को-कन्वेनर बना दिया गया ।
विनोद बंसल बहुत भड़के/तमतमाए; वह विनय भाटिया को कमेटी में लेना/रखवाना चाहते थे; अनूप मित्तल को कमेटी से बाहर करवाने के लिए उन्होंने तर्क भी दिया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी होने के नाते अनूप मित्तल तो किसी प्रोटोकॉल में ही नहीं आते हैं । काउंसिल ने लेकिन विनोद बंसल की एक न सुनी और काउंसिल में विनोद बंसल पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए । 'आय एम् नॉट इंटरेस्टिंग' कहते हुए विनोद बंसल तैयारी कमेटी की मीटिंग बीच में छोड़ कर जो चले गए थे, वह वास्तव में काउंसिल में अलग-थलग पड़ जाने से पैदा हुई बौखलाहट का ही नतीजा था । काउंसिल के सदस्यों ने विनोद बंसल को भड़का तो दिया था, लेकिन समारोह को प्रभावी रूप से संपन्न करने की चुनौती उनके सामने थी - यह चुनौती इसलिए और बड़ी हो गई थी, क्योंकि विनोद बंसल अपने साथियों के साथ समारोह को फेल करने की मुहिम में जुट गए थे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल ने काउंसिल के सदस्यों को आश्वस्त तो किया हुआ था कि वह समारोह की तैयारी को प्रभावी रूप से संभव कर/करवा लेंगे; लेकिन आशंकाएँ लगातार बनी हुई थीं । डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स ने समारोह की आड़ में होने वाली राजनीति को संभाला, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल ने समारोह की तैयारियों का मोर्चा देखा; इन्होंने डिस्ट्रिक्ट के सक्रिय लोगों को प्रेरित/प्रोत्साहित किया तो तुरंत से तीस/चालीस लोगों की एक टीम बन गई जिसने समारोह की तैयारी को लेकर फिर न रात देखी और न दिन देखा । समारोह को खासी भव्यता, व्यवस्था व रौनक के साथ होता देख शेखर मेहता भी गदगद नजर आए और शायद इसी का नतीजा रहा कि उन्होंने समारोह में ऐसा भाषण दिया कि सभी ने उनके भाषण की भूरि भूरि प्रशंसा की । समारोह की कामयाबी ने समारोह से जुड़े काउंसिल के सदस्यों को जहाँ एक नया जोश दिया है, वहीं विनोद बंसल को अपने रवैये पर पुनर्विचार करने की चेतावनी भी दी है । शेखर मेहता के सम्मान समारोह के समानांतर जो राजनीति हुई है, उसका डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति पर भी असर पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है ।