Wednesday, January 16, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी को लेकर अकेले चलने के रवैये के कारण कपिल गुप्ता अपने स्वाभाविक समर्थकों के बीच ही अलग-थलग पड़ गए हैं और उनके सामने अपने समर्थकों को ही अपने समर्थन में बनाए रखने की चुनौती पैदा हो गई है

चंडीगढ़ । कपिल गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में वोट जुटाने के लिए तीन-तिकड़म तो खूब करते सुने जा रहे हैं, लेकिन उनकी तिकड़में कामयाब होती हुई दिख नहीं रही हैं । कपिल गुप्ता के लिए मुसीबत की बात यह नजर आ रही है कि उनकी उम्मीदवारी के जो स्वाभाविक सहयोगी/समर्थक हो सकते हैं, वह तक उनकी उम्मीदवारी को लेकर उत्साहित नहीं हो पा रहे हैं - जिसका फायदा अजय मदान की उम्मीदवारी को होता लग रहा है । कपिल गुप्ता के नजदीकी और उनकी उम्मीदवारी के समर्थक के रूप में देखे जाने वाले लोग ही कहते सुने जा रहे हैं कि कपिल गुप्ता की गर्दन में पता नहीं कोई सरिया लगा है क्या, कि वह हमेशा अकड़ी हुई सी ही रहती है । कपिल गुप्ता के समर्थकों का ही मानना और कहना है कि कपिल गुप्ता के लिए इस वर्ष अच्छा मौका है कि अपनी उम्मीदवारी के लिए पर्याप्त समर्थन जुटा लें और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में जीत हासिल करें, लेकिन अपने व्यवहार और रवैये के चलते वह हाथ में रखे मौके को गवाँ रहे हैं । कपिल गुप्ता के सामने सबसे अच्छा मौका इस बात का है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल उनके सहयोगी/समर्थक हो सकते हैं । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सलूजा तो कपिल गुप्ता के क्लब के ही सदस्य हैं, और डिस्ट्रिक्ट में उनकी अच्छी साख/पहचान है - कपिल गुप्ता उनकी मदद लेते, तो कई छोटे क्लब्स का समर्थन जुटा सकते थे । डिस्ट्रिक्ट के कई पूर्व गवर्नर्स खेमेबाजी की राजनीति के चलते अजय मदान को चुनाव जीतने से रोकना चाहते हैं, और इस कारण से वह कपिल गुप्ता के स्वाभाविक सहयोगी/समर्थक हो सकते हैं - लेकिन कपिल गुप्ता इनमें से किसी का भी समर्थन जुटा पाने में सफल नहीं हो सके हैं; और इसीलिए उनकी उम्मीदवारी डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच कोई अपील बनाती नहीं दिख रही है ।
मजे की बात यह है कि यह स्थिति तब है जब कपिल गुप्ता अपनी उम्मीदवारी को लेकर बहुत गंभीर भी हैं । अपनी तरफ से वह अपनी उम्मीदवारी को लेकर जी-जान लगाए हुए हैं, और वोट जुटाने के जुगाड़ों में सिर खपा रहे हैं । लेकिन उनके सिर खपाने में चूँकि कोई सोच और या रणनीति नहीं है, इसलिए उनके तमाम प्रयास निरर्थक तो साबित हो ही रहे हैं, अलग अलग कारणों से लोगों को नाराज भी कर रहे हैं । जैसे कपिल गुप्ता एक तरफ तो रिश्तेदारियाँ निकाल निकाल कर वोट जुटाने के काम में लगे हुए हैं, तो दूसरी तरफ छोटे क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को ऑब्लाइज करके समर्थन जुटाने की तिकड़म बैठा रहे हैं - लेकिन उनके यह दोनों ही दाँव उन्हें फायदा पहुँचाने के बजाए उलटे पड़ रहे हैं और नुकसान पहुँचा रहे हैं । दरअसल कपिल गुप्ता के समर्थकों का ही कहना है कि कपिल गुप्ता इतनी मोटी सी बात नहीं समझ रहे हैं कि रोटरी की चुनावी राजनीति में प्रेसीडेंट्स और या दूसरे रोटेरियंस डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ रोटेरियंस की बात ही सुनते/मानते हैं - इसलिए उन्हें उनके जरिये ही 'प्रभावित' किया जा सकता है; रिश्तेदारियाँ और ऑब्लीगेशंस महत्त्वपूर्ण भूमिका तो निभाते हैं, लेकिन यह चीजें यदि प्रॉपर चैनल से आती हैं - तो । कपिल गुप्ता ने प्रेसीडेंट्स तक पहुँच बनाने के लिए प्रॉपर चैनल ही नहीं बनाए । अजय मदान की उम्मीदवारी के लिए माहौल बनाने तथा वोट जुटाने के काम को नियंत्रित करने के लिए प्रायः हर शहर में वरिष्ठ रोटेरियंस हैं, जिन्हें अजय मदान ने नहीं तैयार किया है; वह तो खेमे के बड़े नेताओं के संगी-साथी हैं जिनका फायदा अजय मदान को मिल रहा है । प्रतिद्धंद्धी खेमे के वरिष्ठ रोटेरियंस भी हर शहर में हैं, जिनका फायदा कपिल गुप्ता की उम्मीदवारी को मिल सकता है, लेकिन कपिल गुप्ता ने उनका फायदा उठाने के लिए कोई योजना ही नहीं बनाई - लिहाजा उनके पल्ले कुछ हाथ लगता नहीं दिख रहा है ।
कपिल गुप्ता के लिए बेहतर स्थिति की बात यह है कि खेमेबाजी की राजनीति के चलते डिस्ट्रिक्ट के बड़े क्लब्स, ज्यादा वोट्स के क्लब्स का समर्थन उन्हें मिलता दिख रहा है; ऐसे में कुछेक क्लब्स का समर्थन जुटाने की ही उन्हें जरूरत है - लेकिन देखने में यह आ रहा है कि कपिल गुप्ता इस सुनहरे मौके का भी लाभ उठाने की तैयारी नहीं कर पाए हैं । अपने अकेले चलने के रवैये के कारण कपिल गुप्ता अपने स्वाभाविक समर्थकों के बीच ही अलग-थलग पड़ गए हैं और उनके सामने अपने समर्थकों को ही अपने समर्थन में बनाए रखने की चुनौती पैदा हो गई है । व्यवहार और रवैये को लेकर अजय मदान से भी लोगों को खूब शिकायतें हैं, लेकिन अजय मदान के प्रति पैदा होने वाली शिकायतों को उनके साथी/समर्थक संभाल लेते हैं और अजय मदान निशाना बनने से बच जाते हैं । अजय मदान की बाकी मदद कपिल गुप्ता कर देते हैं । अजय मदान की कमजोरियों और गलतियों का कपिल गुप्ता फायदा उठाने की कोई कोशिश ही नहीं करते हैं, और इस तरह अजय मदान की खासी मदद करते हैं । कपिल गुप्ता के नजदीकियों और समर्थकों का ही कहना है कि जीतने के बाद अजय मदान को सबसे पहले कपिल गुप्ता को शुक्रिया कहना चाहिए ।