Thursday, January 24, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल की भारतीय ईकाई एलसीसीआईए के मुख्यालय के स्टॉफ को नौकरी से निकालने की कार्रवाई को नरेश अग्रवाल व विनोद खन्ना की लूटखसोट व बेईमानियों पर पर्दा डालने की कोशिश के रूप में देखते/पहचानते हुए समझा जा रहा है कि यह मामला अभी और बबाल पैदा करेगा

नई दिल्ली । एलसीसीआईए (लायंस को-ऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इंडिया एसोसिएशन) के दिल्ली ऑफिस में स्टॉफ को लेकर चल रही उठापटक के कारण न सिर्फ दिल्ली ऑफिस के, बल्कि एलसीसीआईए के - और वर्ष 2022 में दिल्ली में होने वाली इंटरनेशनल कन्वेंशन के भविष्य को लेकर संशय पैदा हो गए हैं । उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल कन्वेंशन को आयोजित करने की जिम्मेदारी लायंस इंटरनेशनल के इसामे (आईएसएएएमई - इंडिया, साउथ एशिया, अफ्रीका, व मिडिल ईस्ट) फोरम को मिली है, जिसे बेहद चालाकी से एलसीसीआईए ने हथिया ली है; और एलसीसीआईए भी सिर्फ दो लोगों - पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल और पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना के कब्जे में है - जो सुविधानुसार मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर वीके लूथरा और जेपी सिंह को तरह तरह से इस्तेमाल करते रहते हैं । एलसीसीआईए के हिसाब-किताब में भारी हेरफेर के आरोप सुने/कहे जाते हैं । इसके वर्ष 2017-18 के वित्तीय हिसाब किताब पर गंभीर सवाल उठे हैं; डिस्ट्रिक्ट 324 ए वन के लायंस क्लब मद्रास ग्रेटर के वरिष्ठ सदस्य वी वल्लभन ने तो बाकायदा ईमेल लिख कर हिसाब-किताब की गड़बड़ियों को रेखांकित किया और जबाव माँगे - लेकिन एलसीसीआईए के पदाधिकारी जबाव देने की बजाये लगातार चुप्पी साधे हुए हैं । इसके चलते एलसीसीआईए में पैसों की लूट-खसोट के आरोपों को खूब हवा मिली है, और आम लायन सदस्यों से लेकर लायंस इंटरनेशनल के खास सदस्यों/पदाधिकारियों तक आरोपों की चर्चा है; और मान लिया गया है कि एलसीसीआईए तथा इंटरनेशनल कन्वेंशन को नरेश अग्रवाल व विनोद खन्ना की जोड़ी ने पैसा बनाने/कमाने का जरिया बना लिया है ।
एलसीसीआईए के दिल्ली ऑफिस में स्टॉफ को लेकर जो उठापटक चल रही है, उसे एलसीसीआईए पदाधिकारियों द्वारा की जा रही पैसों की हेराफेरी के मामले से जोड़ कर ही देखा/पहचाना जा रहा है, और तरह तरह की बातें चर्चा में हैं । हालांकि नरेश अग्रवाल के नजदीकियों की तरफ से इसे सामान्य प्रशासनिक कार्रवाई बताया जा रहा है, लेकिन यह सामान्य कार्रवाई जितनी असामान्य दिख रही है - उसे किसी बड़े कांड पर पर्दा डालने की कोशिश के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । हुआ यह है कि एलसीसीआईए के दिल्ली ऑफिस के बहुत से स्टॉफ को अचानक से हटा दिया गया है । पहले लोगों के बीच बात फैली कि स्टॉफ को तनख्वाह देने के लिए पैसे नहीं हैं, इसलिए या तो स्टॉफ के लोग खुद नौकरी छोड़ रहे हैं और या उन्हें हटा दिया जा रहा है । इस पर लेकिन नरेश अग्रवाल के नजदीकियों की तरफ से सुनने को मिला कि स्टॉफ की तनख्वाह को लेकर कोई समस्या नहीं है; समस्या स्टॉफ की कार्यकुशलता को लेकर है - जिसके बारे में लगातार शिकायतें मिल रही थीं, और उन शिकायतों को देखते हुए कई लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया है, और उनकी जगह नए लोगों को नौकरी पर रखे जाने के लिए कार्रवाई हो रही है । यह बात किसी को हजम नहीं हुई । एलसीसीआईए के मुख्यालय के लिए स्टॉफ का चयन सड़क चलते लोगों को पकड़ कर तो कर नहीं लिया होगा; उनके चयन के लिए प्रोफेशनल तरीके ही अपनाए गए होंगे और चयनित स्टॉफ में यह तो देखा ही गया होगा कि वह जरूरत के काम करने लायक हैं या नहीं । किसी भी संस्था में काम करने वाले लोगों की कार्यकुशलता को लेकर शिकायतें आमतौर पर होती ही हैं; शिकायतों के चलते स्टॉफ को नौकरी से निकालने के मौके कभी-कभार ही आते हैं - अधिकतर मामलों में डाँट/डपट कर और या समझा/बुझा कर काम चलाया जाता है । एलसीसीआईए में एक झटके में जिस तरह से स्टॉफ को निकाल दिया गया है, ऐसा होता हुआ कहीं देखा/सुना नहीं जाता है । और फिर इस बात की ही क्या गारंटी है कि नया स्टॉफ कार्यकुशल होगा ही, और उनकी कार्यकुशलता को लेकर शिकायतें नहीं मिलेंगी ?
इसी से लोगों को शक हुआ है कि स्टॉफ को हटाने के पीछे असली कारण कुछ और है, जिसे छिपाया जा रहा है । एलसीसीआईए के कामकाज के तरीकों तथा उसके हिसाब-किताब को छिपा कर रखने के प्रयास किए जाने के कारण स्टॉफ को एकसाथ हटाए जाने का कारण भी संदेह के घेरे में आ गया है - और इसलिए इसे लेकर तरह तरह की बातें लोगों के बीच चर्चा में हैं । एक गंभीर आरोप यह सुना जा रहा है कि एलसीसीआईए के पदाधिकारियों द्वारा तरह तरह से पैसा बनाने की बात चूँकि स्टॉफ की जानकारी में थी, इसलिए उन्होंने भी खर्चों के अनाप-शनाप बिल बनाना तथा अन्य तरीकों से पैसों की हेराफेरी करना शुरू कर दिया था, और आपत्ति करने पर वह पदाधकारियों को उनका भांडा फोड़ने की धमकियाँ देने लगे थे - इसलिए मौका देख कर कार्यकुशलता में कमी और शिकायतों का सहारा लेकर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है । समझा जाता है कि स्टॉफ को नौकरी से निकाल कर एलसीसीआईए के पदाधिकारी अपनी लूटखसोट व अपनी बेईमानियों पर पर्दा डालने की जो कोशिश कर रहे हैं, वह अभी और बबाल पैदा करेगी - और इसीलिए एलसीसीआईए के मुख्यालय में स्टॉफ को एक झटके में निकाल देने की कार्रवाई को एक बड़े संकट के रूप में भी देखा/पहचाना जा रहा है । उल्लेखनीय है कि एलसीसीआईए को लायंस इंटरनेशनल की अधिकृत ईकाई के रूप में स्वीकार करने को लेकर भी गंभीर आरोप और सवाल हैं । इन आरोपों और सवालों के चलते एलसीसीआईए के अस्तित्व पर भी संशय है तथा वर्ष 2022 में इंटरनेशनल कन्वेंशन के दिल्ली में होने को लेकर आशंकाएँ हैं । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि पीछे एक बार इसामे फोरम की मीटिंग दिल्ली में होने की बात हुई थी, लेकिन दिल्ली के नेताओं/पदाधिकारियों के आपसी झगड़ों और लूट-खसोट की उनकी कोशिशों को देखते हुए दिल्ली की बजाये उक्त मीटिंग फिर अफ्रीका में हुई थी । कई लोगों को लगता है कि नरेश अग्रवाल और विनोद खन्ना की मनमानियों को देखते हुए, उसी तर्ज पर वर्ष 2022 में होने वाली इंटरनेशनल कन्वेंशन दिल्ली से छिन सकती है ।