Tuesday, January 15, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में जेपी सिंह और गुरचरण सिंह भोला के परस्पर विरोधी रवैये से लोगों को शक हो रहा है कि कहीं आपसी मिलीभगत से अपने किसी और 'उद्देश्य' को साधने के लिए तो इन्होंने दिनेश बत्रा को उम्मीदवार नहीं बनाया हुआ है ?

नई दिल्ली । दिनेश बत्रा और उनके नजदीकी यह देख कर हैरान/परेशान हैं कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के काम में जेपी सिंह कोई दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं, और इस कारण से डिस्ट्रिक्ट में कोई उनकी उम्मीदवारी को गंभीरता से नहीं ले रहा है । दिनेश बत्रा और उनके नजदीकियों को सबसे बड़ा झटका हरियाणा में लग रहा है, जहाँ जेपी सिंह के नजदीक माने/देखे जाने वाले लोग ही दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी को ज्यादा तवज्जो देते हुए नजर नहीं आ रहे हैं; उनमें से कोई कोई तो साफ साफ कह भी चुका है कि दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी में जब जेपी सिंह ही कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं - तो उनके कहने/करने से भला क्या होगा ? दिनेश बत्रा को एक गुरचरण सिंह भोला का सहयोग/समर्थन तो मिल रहा है, लेकिन उनके रवैये में ही यह देखने को मिल रहा है जैसे कि वह बहुत ही बेमन से दिनेश बत्रा के लिए बात कर रहे हैं । दिनेश बत्रा और उनके नजदीकियों को यह बात भी समझ में नहीं आ रही है कि निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह जब उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में आने की कोशिश कर रहे हैं, तो जेपी सिंह की तरफ से इंद्रजीत सिंह को खेमे में शामिल करने का विरोध क्यों किया जा रहा है ? कई बातों और घटनाओं के कारण दिनेश बत्रा और उनके नजदीकियों को लग रहा है कि जेपी सिंह ने उनकी उम्मीदवारी को हरी झंडी तो दे है, लेकिन उनकी उम्मीदवारी की गाड़ी सचमुच आगे बढ़े इसके लिए पटरियों को क्लियर करने/करवाने के काम में वह कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं । 
जेपी सिंह के नजदीकियों की बातों में उभरने वाले संकेतों को यदि 'पढ़ें' तो यही समझ में आता है कि जेपी सिंह को दरअसल दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी से कोई उम्मीद नहीं है, और वह मान कर चल रहे हैं कि दिनेश बत्रा के लिए चुनाव में टिके रह पाना ही मुश्किल होगा, और उनका हाल पिछले वर्ष हुए मदन बत्रा के हाल से भी बुरा होगा । जेपी सिंह को 'डर' इस बात का है कि मदन बत्रा के बाद दिनेश बत्रा की भी होने वाली भारी पराजय लायन जगत में उनके लिए भारी फजीहत वाली साबित होगी । लायन जगत में लोगों को कहने का मौका मिलेगा कि जेपी सिंह कैसे इंटरनेशनल डायरेक्टर हैं, जो अपने डिस्ट्रिक्ट में अपने उम्मीदवार को चुनाव नहीं जितवा पाते हैं ? इससे भी बड़ा सवाल यह होगा कि जेपी सिंह आखिर कैसे 'लीडर' हैं जो अपने ही डिस्ट्रिक्ट में यह नहीं समझ/पहचान पाते हैं कि उनके डिस्ट्रिक्ट के लोग डिस्ट्रिक्ट को लीड करने के लिए किसे पसंद करते हैं और किसे नकार देते हैं । अधिकतर पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर ऐसे हैं, जिनकी अपने डिस्ट्रिक्ट में टके की पूछ/हैसियत नहीं है; जेपी सिंह उन जैसे नहीं बनना चाहते हैं और प्रयास करना चाहते हैं कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर हो जाने के बाद भी उनकी पूछ/हैसियत पहले जैसी ही बनी रहे । हाल के कुछेक वर्षों में अपने डिस्ट्रिक्ट में उन्हें जो झटके लगे हैं, उनसे लेकिन उनकी 'स्थिति' गड़बड़ाई है । मदन बत्रा की बुरी हार के बाद दिनेश बत्रा की संभावित बुरी हार गुरचरण सिंह भोला की जीत के प्रभाव को भी धो देगी । लोग फिर यही कहेंगे और मानेंगे कि गुरचरण सिंह भोला की जीत जेपी सिंह की नहीं, बल्कि गुरचरण सिंह भोला की खुद की जीत थी । जेपी सिंह इसी तरह की बातों के 'डर' से दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी के लिए काम करने से बच रहे हैं, ताकि लोगों को यह कहने का मौका न मिले कि जेपी सिंह के सक्रिय समर्थन के बावजूद दिनेश बत्रा बुरी तरह से हार गए ।
दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी को 'ताकत' दिलवाने के लिए जेपी सिंह, इंद्रजीत सिंह के व्यवहार को भी भूलने के लिए तैयार नहीं हैं । उन्हें लगता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में इंद्रजीत सिंह ने पिछले वर्ष उन्हें जितना तंग और अपमानित किया है, उसके कारण वह उन्हें कभी माफ नहीं कर पायेंगे और कभी उन्हें अपने साथ नहीं करेंगे । जेपी सिंह के नजदीकियों का कहना है कि जेपी सिंह को लगता है कि उन्हें अब आगे जो भी राजनीति करनी है, उसमें उन्हें इंद्रजीत सिंह की जरूरत नहीं पड़ेगी और इसलिए उन्हें इंद्रजीत सिंह को अपने खेमे में शामिल करने की जरूरत नहीं है । जेपी सिंह, दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी के लिए तो इंद्रजीत सिंह से मिले अपमान को भूलने तथा उन्हें माफ करने के मूड में बिलकुल नहीं हैं । जेपी सिंह के इस तरह के रवैयों ने दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी को सवालों के घेरे में ला दिया है । दिनेश बत्रा और उनके नजदीकियों को लग रहा है कि जेपी सिंह का सक्रिय सहयोग न मिलने पर तो उनकी उम्मीदवारी का और बुरा हाल होगा । अकेले गुरचरण सिंह भोला के सहयोग/समर्थन के भरोसे अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटा लेने का विश्वास उन्हें नहीं है । गुरचरण सिंह भोला भले ही फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, लेकिन चुनावी राजनीति के लिहाज से अभी उनकी कोई पहचान व साख नहीं बन सकी है; अभी उन्हें जेपी सिंह के 'आदमी' के रूप में ही देखा/पहचाना जाता है । लोगों को यह बात भी न समझ में आने वाली पहेली की तरह लग रही है कि दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी में जब जेपी सिंह ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं, तब गुरचरण सिंह भोला क्यों उनकी उम्मीदवारी का झंडा थामे हुए हैं ? इसमें लोगों को एक ही आशंका लग रही है कि जेपी सिंह और गुरचरण सिंह भोला आपसी मिलीभगत से कहीं अपने किसी और 'उद्देश्य' को साधने के लिए तो दिनेश बत्रा को उम्मीदवार नहीं बनाये हुए हैं ? दिनेश बत्रा के अपने खेमे के लोगों को ही शक है कि उस उद्देश्य के पूरा होते ही और या उसे पूरा न होता देख गुरचरण सिंह भोला भी दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी के प्रति वैसा ही रवैया अपना लेंगे, जैसा जेपी सिंह का है ।