Monday, January 28, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के पूर्व प्रेसीडेंट भूषण चौहान की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन के साथ चली चुनावी राजनीति की चाल के चक्कर में सुनने और बोलने से लाचार मासूम बच्चे ईलाज से वंचित हुए

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन को अमित गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में पक्षपात करने के उद्देश्य से ब्लैकमेल करने तथा रोटरी जगत में उन्हें बदनाम करने के लिए उनके क्लब के पूर्व प्रेसीडेंट भूषण चौहान ने सुनने व बोलने में लाचार बच्चों के ईलाज से जुड़े प्रोजेक्ट की बलि ही चढ़ा दी है । भूषण चौहान की हरकत से सिर्फ संदर्भित प्रोजेक्ट की ही बलि नहीं चढ़ी है, बल्कि उनके क्लब - रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के ग्लोबल ग्रांट्स के सभी प्रोजेक्ट्स निरस्त कर दिए गए हैं; और संदर्भित प्रोजेक्ट में जो विदेशी क्लब जुड़ा था - उसने भविष्य में भारत के किसी भी क्लब के साथ ग्रांट की मैचिंग न करने की सौगंध खा ली है । यह प्रसंग इस बात का भी गंभीर उदाहरण व सुबूत है कि डिस्ट्रिक्ट 3012 में ग्लोबल ग्रांट्स को लेकर किस तरह की टुच्ची और अमानवीय राजनीति होती रही है, जिसके शिकार सुनने व बोलने में लाचार मासूम बच्चे तक बनते रहे हैं । उल्लेखनीय है कि पिछले से पिछले रोटरी वर्ष में, यानि शरत जैन के गवर्नर-वर्ष में रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल को चार कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरीज के लिए करीब 23 लाख रुपए (33,200 अमेरिकी डॉलर) की ग्लोबल ग्रांट स्वीकृत हुई थी । तत्कालीन प्रेसीडेंट भूषण चौहान 'जी 1233' नाम से फाइल हुई इस ग्रांट/प्रोजेक्ट के मुखिया बने । सुनने और बोलने में लाचार बच्चों के ईलाज से जुड़े प्रोजेक्ट के मुखिया बन भूषण चौहान ने ग्लोबल ग्रांट तो मंजूर करवा ली, लेकिन जब प्रोजेक्ट पर सचमुच काम करने का नंबर आया, तो उनका नाकारापन और उनकी बेईमानी सामने आ गई ।
दरअसल जरूरी औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद जब तक प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने का समय आया, तब तक अमित गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को जाहिर कर चुके थे, और उसके लिए समर्थन जुटाने के अभियान में लग गए थे । अमित गुप्ता की उम्मीदवारी के एक समर्थक के रूप में भूषण चौहान को उक्त प्रोजेक्ट का राजनीतिक इस्तेमाल करने का उपाय सूझा; क्लब में उनके नजदीकियों का हालाँकि यह भी कहना है कि उपाय उन्हें खुद नहीं सूझा, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के चुनावबाज नेताओं ने उन्हें सुझाया । अब सच चाहें जो हो - प्रोजेक्ट के राजनीतिक इस्तेमाल का उपाय उन्होंने खुद सोचा हो, या किसी ने उन्हें आईडिया दिया हो; उक्त प्रोजेक्ट एक राजनीतिक हथियार बन गया - जिसका सहारा लेकर सुभाष जैन पर दबाव बनाना शुरू किया गया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उन्हें अमित गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का काम करना चाहिए, अन्यथा प्रोजेक्ट का काम आगे नहीं बढ़ाया जायेगा; जिससे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनकी बदनामी होगी । सुभाष जैन का कहना रहा कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाना उनके लिए उचित नहीं होगा, और ऐसा करने से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की मर्यादा का उल्लंघन भी होगा - इसलिए वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में पक्षपातपूर्ण भूमिका नहीं निभायेंगे । इसके बाद भी, सुभाष जैन पर राजनीतिक पक्षपात करने के लिए दबाव बनाने के उद्देश्य से भूषण चौहान ने लेकिन सुनने और बोलने से लाचार बच्चों के ईलाज के लिए स्वीकृत हुए ग्लोबल ग्रांट जी 1233 के काम को शुरू करना टाले रखा ।
रोटरी फाउंडेशन को ग्लोबल ग्रांट से जुड़े काम के विवरण नहीं मिले तो उन्हें प्रोजेक्ट के पैसों में बेईमानी होने के संदेह हुए । रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों की बातों से सुभाष जैन को भी लगा कि भूषण चौहान की हरकतों से फाउंडेशन के पदाधिकारी नाराज हो रहे हैं, और उनकी नाराजगी के चलते क्लब के दूसरे प्रोजेक्ट्स भी खतरे में पड़ सकते हैं । सुभाष जैन ने होशियारी दिखाई और समय रहते क्लब के ग्लोबल ग्रांट्स से जुड़े प्रोजेक्ट्स दूसरे क्लब्स में ट्रांसफर करवा दिए; इतना सब होने के बाद भी भूषण चौहान के कानों पर जूँ नहीं रेंगी और सुनने व बोलने से लाचार बच्चों के ईलाज से जुड़े प्रोजेक्ट पर उन्होंने काम करना शुरू नहीं किया । क्लब के कई सदस्यों ने भूषण चौहान को समझाया भी कि चुनावी राजनीति के चक्कर में उन्हें मासूम बच्चों के जीवन से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए, लेकिन सुभाष जैन के विरोध और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश में भूषण चौहान पर किसी की समझाइस का असर नहीं पड़ा । लोगों ने उनसे कहा भी कि वह जो कर रहे हैं, उससे न तो अमित गुप्ता की उम्मीदवारी का कोई भला होगा, और न सुभाष जैन का कुछ बिगड़ेगा - उलटे क्लब की ही बदनामी होगी । हुआ भी यही, भूषण चौहान के नाकारापन और बेईमानीभरी राजनीतिक सोच के कारण अंततः न सिर्फ उक्त प्रोजेक्ट पर गाज गिर गई, और रोटरी जगत में न सिर्फ रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल की, बल्कि देश के दूसरे क्लब्स की भी साख और पहचान को धक्का लगा है - और ईलाज का इंतजार करते मासूम बच्चे ईलाज से वंचित रह गए