नई दिल्ली । अगले तीन वर्षों में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद संभालने वाले क्रमशः सुरेश भसीन, संजीव राय मेहरा और अनूप मित्तल के बीच सहमति न बन पाने के कारण अगले तीन वर्षों के लिए नियुक्त होने वाले डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन का नाम तय होने का काम लगातार टलता ही जा रहा है - और उसके हल होने के जल्दी ही कोई आसार नहीं दिख रहे हैं । सुरेश भसीन और अनूप मित्तल उक्त पद के लिए रंजन ढींगरा का नाम ले रहे हैं, जबकि संजीव राय मेहरा ने आशीष घोष के नाम को लेकर पैर जमाया हुआ है । संजीव राय मेहरा का गंभीर आरोप यह है कि डीआरएफसी के लिए आशीष घोष के नाम पर पहले तीनों की सहमति बन गई थी, लेकिन फिर अचानक से पता नहीं क्या हुआ कि सुरेश भसीन और अनूप मित्तल ने आशीष घोष के नाम पर दी गई अपनी अपनी सहमति को वापस ले लिया और वह रंजन ढींगरा के नाम की वकालत करने लगे । संजीव राय मेहरा चूँकि अपनी राय बदलने के लिए तैयार नहीं हुए, इसलिए मामला अटक गया । संजीव राय मेहरा की तरफ से यह सुझाव भी दिया गया कि चूँकि इन दोनों नामों पर सहमति नहीं बन पा रही है, इसलिए किसी तीसरे नाम पर विचार किया जाए । सुरेश भसीन और अनूप मित्तल लेकिन इसके लिए भी राजी नहीं हो रहे हैं । इससे लगा है कि जैसे सुरेश भसीन और अनूप मित्तल डीआरएफसी पद के लिए रंजन ढींगरा के नाम की जिद पकड़ कर बैठ गए हैं; जिसकी प्रतिक्रिया में संजीव राय मेहरा ने भी जिद पकड़ ली लगती है - औरडीआरएफसी पद को लेकर मामला फँस गया है ।
इस झमेले की शुरुआत वास्तव में सुरेश भसीन के गवर्नर-वर्ष के लिए विनोद बंसल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने से हुई । दरअसल सुरेश भसीन के गवर्नर-वर्ष का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर पद रंजन ढींगरा को मिलने की चर्चा थी ।इसके लिए कई लोग रंजन ढींगरा को बधाई भी दे चुके थे, और रंजन ढींगरा बधाई ले भी चुके थे । लेकिन डिस्ट्रिक्ट में लोग तब हक्के-बक्के रह गए जब डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद पर उन्होंने विनोद बंसल की ताजपोशी होते हुए देखी । विनोद बंसल की ताजपोशी पर लोगों को आश्चर्य इसलिए भी हुआ, क्योंकि विनोद बंसल को अक्सर ही कहते/बताते सुना जाता है कि रोटरी फाउंडेशन एंडोवमेंट मेजर गिफ्ट एडवाइजर लीडरशिप टीम में शामिल होने के बाद उनके लिए डिस्ट्रिक्ट और जोन का हर पद छोटा है, और उन्हें डिस्ट्रिक्ट में या जोन में कोई पद नहीं चाहिए । यह कहते/बताते रहने के बावजूद अगले रोटरी वर्ष में लगातार दूसरे वर्ष उनको डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद लेते देख लोगों को कहने का मौका मिला कि विनोद बंसल कहते तो हैं कि उन्हें कोई पद नहीं चाहिए, लेकिन वास्तव में उन्हें हर पद चाहिए । कुछेक लोगों का हालाँकि यह भी मानना/कहना है कि रोटरी फाउंडेशन एंडोवमेंट मेजर गिफ्ट एडवाइजर लीडरशिप टीम में पद मिलना भले ही इंटरनेशनल लेबल की बात हो, लेकिन उक्त पद का रोटेरियंस के बीच वास्तव में कोई 'ग्लैमर' नहीं है; सच तो यह है कि डिस्ट्रिक्ट में और या जोन में कोई जानता भी नहीं होगा कि ऐसी कोई लीडरशिप टीम है, जिसमें विनोद बंसल को शामिल किया गया है । इसलिए उक्त पद पर होने में कोई 'मजा' नहीं है, और ऐसे में यह स्वाभाविक ही है कि इंटरनेशनल लेबल का एक बड़ा पद मिलने के बाद भी डिस्ट्रिक्ट और जोन के 'छोटे' 'छोटे' पदों के लिए विनोद बंसल का मोह न छूट पाता हो । अब एक इंटरनेशनल लेबल के पद पर रहते हुए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर जैसे डिस्ट्रिक्ट के पद को - और वह भी लगातार दूसरे वर्ष - विनोद बंसल ने क्यों स्वीकार कर लिया, यह तो विनोद बंसल ही जानते होंगे; लेकिन उनके डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने के साथ ही डिस्ट्रिक्ट में झमेला खड़ा हो गया । रंजन ढींगरा से डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद छिना तो उन्हें डीआरएफसी का पद देने की चर्चा शुरू हुई ।
इस चर्चा ने ही मामले में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता की मिलीभगत के संकेत दिए । चूँकि विनोद बंसल और रंजन ढींगरा को सुशील गुप्ता के नजदीकियों के रूप में देखा/पहचाना जाता है; इसलिए माना/समझा जा रहा है कि सुशील गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट के दोनों महत्त्वपूर्ण पदों पर अपने नजदीकियों की नियुक्ति के लिए दबाव बनाया है । डीआरएफसी पद के लिए आशीष घोष के नाम पर बनी सहमति से सुरेश भसीन और अनूप मित्तल ने जिस तरह से पलटी मारी, उससे भी मामले में सुशील गुप्ता की मिलीभगत के संदेह और मजबूत हुए हैं - क्योंकि सुरेश भसीन और अनूप मित्तल को भी सुशील गुप्ता की 'टीम' के सदस्य के रूप में देखा/पहचाना जाता है । संजीव राय मेहरा ने भी जिस तरह से जिद पकड़ ली है; और वह आशीष घोष के नाम को तो छोड़ने के लिए तैयार हो गए हैं, लेकिन रंजन ढींगरा के नाम को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं - उससे भी उक्त मामला डिस्ट्रिक्ट में सुशील गुप्ता खेमे और उनके विरोधी खेमे के बीच का झगड़ा बनता नजर आ रहा है । संजीव राय मेहरा ने इस मामले को एक बड़ी बहस में तब्दील करने की भी कोशिश की है, जिसके तहत उनका सवाल है कि ग्रांट्स आदि के काम करने का रंजन ढींगरा को जब कोई अनुभव नहीं है, तब डीआरएफसी का पद उन्हें ही देने पर जोर क्यों दिया जा रहा है; और इस तरह से पद देने के मामले में सिफारिश और पक्षपातपूर्ण व्यवहार क्यों हावी हो रहा है ? डिस्ट्रिक्ट में कुछेक लोगों को लग रहा है कि इस तरह की बातों के जरिये वास्तव में सुशील गुप्ता को निशाने पर लेने और उन्हें घेरने की कोशिश की जा रही है । समझा जा रहा है कि विनोद बंसल को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद दिलवा कर सुशील गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट में एक ऐसा पिटारा खोल दिया है, जिसमें विवाद ही विवाद हैं ।