Monday, January 14, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के दूसरे सदस्यों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से की जा रही विनोद बंसल की कार्रवाई रवि चौधरी की लूट-खसोट पर पर्दा डालने का मौका बना रही है, जो इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता के लिए भी फजीहत का कारण हो सकता है

नई दिल्ली । पिछले रोटरी वर्ष के अपने गवर्नर-काल के हिसाब-किताब को लेकर निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन विनोद बंसल पर राजनीति करने तथा उन्हें परेशान और बदनाम करने का आरोप लगाया है । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता का डिस्ट्रिक्ट होने के नाते इस मामले में रोटरी के छोटे/बड़े नेताओं की भी दिलचस्पी नजर आ रही है । रवि चौधरी की तरफ से गंभीर आरोप यह सुनने को मिल रहा है कि विनोद बंसल डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के बाकी सदस्यों को विश्वास में लिए बिना, उनके द्वारा दिए/सौंपे गए विवरण में कमी निकाल रहे हैं और तरह तरह से उन्हें दबाव में लेने की कोशिश कर रहे हैं । रवि चौधरी की तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि उन्होंने अक्टूबर में ही अपने गवर्नर-वर्ष के अकाउंट्स डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के तीनों सदस्यों को भेज दिए थे, जिस पर तीनों सदस्यों को मीटिंग करना थी और तीनों सदस्य जिन कमियों पर एकराय होते - उन कमियों के बारे में उनसे स्पष्टीकरण माँगते - चेयरमैन के रूप में विनोद बंसल ने लेकिन डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के बाकी सदस्यों के साथ कोई मीटिंग ही नहीं की, और खुद 'चौधरी' बन कर हिसाब-किताब में कमियाँ निकालने/बताने लगे । रवि चौधरी का कहना है कि विनोद बंसल उनके द्वारा दिए गए विवरणों को लीक कर रहे हैं, और उनके आधे-अधूरे होने की बात कहते हुए उन पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में पैसे कमाने/बनाने के आरोपों को हवा दे रहे हैं । रवि चौधरी और उनके समर्थकों की तरफ से कहा जा रहा है कि विनोद बंसल के रवैये से लग रहा है कि उनकी दिलचस्पी पिछले रोटरी वर्ष के अकाउंट्स को क्लियर करने/करवाने में नहीं है, और वह उसकी आड़ में डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के बाकी दो सदस्यों के सामने खुद को 'बॉस' दिखाने/जताने तथा रवि चौधरी को परेशान और बदनाम करने का काम कर रहे हैं ।
विनोद बंसल पर लगाए जा रहे रवि चौधरी के इन आरोपों को डिस्ट्रिक्ट में अधिकतर लोग 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' वाले मुहावरे के रूप में ले रहे हैं । लोगों का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी ने पैसों की जो लूट-खसोट मचाई, और जिसे लेकर खुद अपने द्वारा दिए विवरण में ही वह 'पकड़े/फँसते' दिख रहे हैं - उससे लोगों का ध्यान भटकाने के लिए वह उलटे विनोद बंसल पर ही आरोप लगा रहे हैं । लोगों का कहना है कि विनोद बंसल पर आरोप लगाने की बजाये; कई एक रोटेरियंस से पैसे लेने और उस पैसे का विवरण न देने के जो आरोप 'पब्लिक डोमेन' में सुने/सुनाये जा रहे हैं - वह भले ही विनोद बंसल के यहाँ से लीक हुए हों - रवि चौधरी को उन आरोपों का जबाव देना चाहिए । लोगों की माँग है कि रवि चौधरी पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में लोगों से पैसे लेने और उसका विवरण हिसाब-किताब में न देने तथा खर्चों के कच्चे/फर्जी बिल देने के जो आरोप लग रहे हैं, वह बहुत ही गंभीर किस्म के आरोप हैं, और डिस्ट्रिक्ट व रोटरी को कलंकित करने वाले हैं - इसलिए रवि चौधरी को सीधे सीधे तरीके से उनके जबाव देने चाहिए; और यदि वह ऐसा नहीं करते हैं, तो काउंसिल ऑफ गवर्नर्स को रवि चौधरी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना चाहिए ।
रवि चौधरी अपने ऊपर लगे आरोपों को भटकाने का जो प्रयास कर रहे हैं, कई लोग उसके लिए विनोद बंसल को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । लोगों का कहना है कि विनोद बंसल डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के बाकी दोनों सदस्यों - आशीष घोष और राजेश बत्रा को दरकिनार कर पिछले रोटरी वर्ष के अकाउंट्स को लेकर रवि चौधरी के साथ जो 'खेल' खेल रहे हैं, उसने रवि चौधरी को 'टेबल टर्न' करने का अवसर दिया है, और रवि चौधरी इसी का फायदा उठा रहे हैं । उल्लेखनीय है कि नियम, तरीका, परंपरा यह है कि निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अपने वर्ष के अकाउंट्स का विवरण डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के सभी सदस्यों को भेजता है; कमेटी सदस्य उस विवरण को लेकर मीटिंग करते हैं - और आपसी सहमति से उन्हें जो कोई तथ्य संदेहास्पद लगते हैं, उसके बारे में कमेटी निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर से स्पष्टीकरण माँगती है; और इस तरह अकाउंट्स मान्य होने की तरफ बढ़ते हैं । इस बार लेकिन विनोद बंसल ने एक अलग ही नजारा पेश किया । वह चूँकि डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन हैं, शायद इसलिए उन्होंने मान लिया कि 'बॉस' वही हैं और उन्हें बाकी सदस्यों के साथ मीटिंग करने की कोई जरूरत ही नहीं है और उन्होंने अकेले ही रवि चौधरी से मीटिंग कर ली । रवि चौधरी ने अक्टूबर में अपने अकाउंट्स के विवरण सौंप दिए थे; उसके बाद किसी किसी ने विनोद बंसल से डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी की मीटिंग के बारे में पूछा भी, लेकिन हर किसी को विनोद बंसल से यही सुनने को मिला कि जल्दी क्या है, मीटिंग हो जाएगी - पर जो अभी करीब करीब तीन महीने होने पर भी नहीं हो पाई है । तीन सदस्यीय डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी में चेयरमैन होता जरूर है, लेकिन वह सिर्फ एक व्यवस्था के तहत होता है, उसे कोई विशेषाधिकार नहीं होता है - लेकिन विनोद बंसल ने लगता है कि अपने लिए विशेषाधिकार खुद गढ़ लिया और चेयरमैन होने के नाते उन्होंने अपने आप को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का 'बॉस' मान लिया । विनोद बंसल के इस रवैये ने पिछले रोटरी वर्ष के अकाउंट्स के मामले को और उलझा दिया है, जिसमें रवि चौधरी को बचने का चोर-दरवाजा नजर आ रहा है । विनोद बंसल के रवैये के चलते रवि चौधरी की लूट-खसोट पर यदि पर्दा पड़ा रह गया, तो यह इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता के लिए भी फजीहत भरी स्थिति हो सकती है ।