लखनऊ । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज बोरा के सहयोग/समर्थन के भरोसे पराग गर्ग ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी बनाये रख कर जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए खासी मुसीबत पैदा कर दी है ।
मजे की बात यह है कि जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी की बागडोर सँभाले रख रहे
पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विशाल सिन्हा लगातार जगदीश अग्रवाल को आश्वस्त
कर रहे हैं कि पराग गर्ग को जब कहीं से कोई समर्थन नहीं मिलेगा, तो वह
उम्मीदवार के रूप में बने रहने का साहस नहीं करेंगे और बैठ जायेंगे; लेकिन
पराग गर्ग चूँकि 'बैठते' हुए दिख नहीं रहे हैं, इसलिए जगदीश अग्रवाल के
नजदीकियों को लग रहा है कि विशाल सिन्हा उन्हें उल्लू बना रहे हैं और जगदीश
अग्रवाल को सिर्फ इसलिए उम्मीदवार बनाये हुए हैं - ताकि उनसे पैसे ऐंठते
रह सकें । उल्लेखनीय है कि वर्ष के शुरू से ही गुरनाम सिंह की तरफ से
उम्मीदवार बनने के लिए पराग गर्ग और जगदीश अग्रवाल के बीच होड़ थी । जगदीश
अग्रवाल की उम्मीदवारी का हालाँकि उनके अपने क्लब में ही भारी विरोध
सुना/बताया जाता है; उनके क्लब के प्रदीप अग्रवाल की डिस्ट्रिक्ट की चुनावी
राजनीति में अच्छी धाक देखी/पहचानी जाती है और डिस्ट्रिक्ट के लोगों के
बीच चर्चा रही है कि प्रदीप अग्रवाल ने इस वर्ष जगदीश अग्रवाल को रीजन
चेयरमैन बनाये जाने का खासा विरोध किया था । प्रदीप अग्रवाल को डर था
कि रीजन चेयरमैन के रूप में जगदीश अग्रवाल को लोगों के बीच रहने/दिखने का
मौका मिलेगा और इससे उनकी उम्मीदवारी का दावा मजबूत होगा । क्लब के सदस्यों
के अनुसार ही, प्रदीप अग्रवाल के विरोध को देखते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
एके सिंह ने जगदीश अग्रवाल को रीजन चेयरमैन बनाने का फैसला टालने की तैयारी
भी कर ली थी, किंतु विशाल सिन्हा के दबाव में एके सिंह फिर जगदीश अग्रवाल
को रीजन चेयरमैन बनाने के लिए मजबूर हो गए थे । जगदीश अग्रवाल को रीजन
चेयरमैन बनवाने में विशाल सिन्हा की दिलचस्पी सिर्फ इसलिए ही थी, ताकि वह
जगदीश अग्रवाल को यह विश्वास दिला सकें कि वह उनके लिए पूरे जोरशोर से
'काम' कर रहे हैं, और उनसे पैसे ऐंठते रह सकें ।
जगदीश अग्रवाल को उम्मीदवार बनाये रख कर विशाल सिन्हा ने पराग गर्ग को भी दबाव में लेने की चाल चली हुई थी । विशाल सिन्हा समझ रहे थे कि गुरनाम सिंह खेमे की तरफ से पराग गर्ग यदि अकेले उम्मीदवार रहे, तो सबसे पहले उनकी ही जड़ खोदेंगे; इसके अलावा उम्मीदवार बने पराग गर्ग से विशाल सिन्हा पैसे भी नहीं ऐंठ पाते - इसलिए जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी के जरिये विशाल सिन्हा ने पराग गर्ग की घेराबंदी की, जिससे कि पराग गर्ग उनके दबाव में और उन पर आश्रित रहें । खास बात यह रही कि विशाल सिन्हा, पराग गर्ग को समझाते भी रहे कि जगदीश अग्रवाल के बस की उम्मीदवार बने रहना होगा नहीं, और अंततः उन्हें ही - यानि पराग गर्ग को ही केएस लूथरा खेमे के बीएम श्रीवास्तव से मुकाबला करना होगा । इस तरह विशाल सिन्हा एक साथ जगदीश अग्रवाल और पराग गर्ग के साथ दोहरा खेल खेलते रहे और दोनों को एकसाथ 'गोली' देते रहे । पराग गर्ग ने विशाल सिन्हा के दोहरे खेल को खत्म करने के लिए नीरज बोरा की मदद ली । नीरज बोरा ने पराग गर्ग की उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने के लिए कुछेक प्रमुख लोगों से बात की और विशाल सिन्हा पर भी दबाव बनाया । नीरज बोरा के हस्तक्षेप से विशाल सिन्हा को अपना खेल बिगड़ता हुआ लगा । इस बीच डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह ने गुरनाम सिंह के रवैये से नाराज होकर उन्हें तगड़ा झटका दिया और गुरनाम सिंह को कॉन्फ्रेंस चेयरमैन के पद से हटा दिया । गुरनाम सिंह के चेलों के रूप में विशाल सिन्हा और अनुपम बंसल ने गुरनाम सिंह का कॉन्फ्रेंस चेयरमैन का पद बचाने का बहुत प्रयास भी किया, लेकिन एके सिंह के क्रोध के कारण गुरनाम सिंह को फजीहत झेलना ही पड़ी । पराग गर्ग और नीरज बोरा के दबाव के बीच विशाल सिन्हा के लिए एके सिंह को नाराज करना और महँगा पड़ता, लिहाजा उन्होंने गुरनाम सिंह की फजीहत का घूँट चुपचाप पी लेने में ही भलाई समझी ।
एके सिंह ने गुरनाम सिंह और उनके चेलों का जो हाल किया, उससे पराग गर्ग को और बल मिला तथा अपनी उम्मीदवारी को लेकर वह और ज्यादा दृढ़ निश्चयी होते हुए दिखे । पराग गर्ग को विश्वास है कि नीरज बोरा के सहयोग से सत्ता/प्रशासन की धमक दिखा कर वह डिस्ट्रिक्ट के कई लोगों का समर्थन जुटा लेंगे और तब विशाल सिन्हा भी उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए मजबूर हो जायेंगे । पराग गर्ग का आकलन है कि विशाल सिन्हा तथा गुरनाम सिंह खेमे के दूसरे लोग किसी भी कीमत पर केएस लूथरा खेमे के बीएम श्रीवास्तव को चुनाव नहीं जीतने देना चाहेंगे; और यह भी समझेंगे कि पराग गर्ग और जगदीश अग्रवाल - दोनों की उम्मीदवारी होने का सीधा फायदा बीएम श्रीवास्तव को ही मिलेगा; इसलिए पराग गर्ग की उम्मीदवारी के रहते विशाल सिन्हा को जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी को वापस करवाने के लिए मजबूर होना ही पड़ेगा । इसी आकलन के चलते पराग गर्ग ने अपनी उम्मीदवारी को लेकर अपनी गंभीरता जताना/दिखाना शुरू किया है । पराग गर्ग के इस रवैये ने जगदीश अग्रवाल और उनके नजदीकियों को मुसीबत में फँसा दिया है । जगदीश अग्रवाल और उनके नजदीकियों को लग रहा है कि विशाल सिन्हा तरीके से पराग गर्ग को हैंडल नहीं कर रहे हैं, कर रहे होते तो पराग गर्ग अभी तक अपनी उम्मीदवारी को छोड़ चुके होते । विशाल सिन्हा लगता है कि पराग गर्ग की अपने खिलाफ कुछेक वर्ष पहले की गई एक 'कार्रवाई' को अभी तक भूले नहीं हैं और इसलिए वह पराग गर्ग को 'आगे' नहीं बढ़ने देना चाहते हैं - और इसके लिए जगदीश अग्रवाल को मोहरा बनाये हुए हैं । गुरनाम सिंह खेमे में उम्मीदवारी को लेकर चल रही पराग गर्ग और जगदीश अग्रवाल के बीच की इस होड़ ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए बीएम श्रीवास्तव की उम्मीदवारी को खासी 'सुविधा' दे दी है, और चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है ।
जगदीश अग्रवाल को उम्मीदवार बनाये रख कर विशाल सिन्हा ने पराग गर्ग को भी दबाव में लेने की चाल चली हुई थी । विशाल सिन्हा समझ रहे थे कि गुरनाम सिंह खेमे की तरफ से पराग गर्ग यदि अकेले उम्मीदवार रहे, तो सबसे पहले उनकी ही जड़ खोदेंगे; इसके अलावा उम्मीदवार बने पराग गर्ग से विशाल सिन्हा पैसे भी नहीं ऐंठ पाते - इसलिए जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी के जरिये विशाल सिन्हा ने पराग गर्ग की घेराबंदी की, जिससे कि पराग गर्ग उनके दबाव में और उन पर आश्रित रहें । खास बात यह रही कि विशाल सिन्हा, पराग गर्ग को समझाते भी रहे कि जगदीश अग्रवाल के बस की उम्मीदवार बने रहना होगा नहीं, और अंततः उन्हें ही - यानि पराग गर्ग को ही केएस लूथरा खेमे के बीएम श्रीवास्तव से मुकाबला करना होगा । इस तरह विशाल सिन्हा एक साथ जगदीश अग्रवाल और पराग गर्ग के साथ दोहरा खेल खेलते रहे और दोनों को एकसाथ 'गोली' देते रहे । पराग गर्ग ने विशाल सिन्हा के दोहरे खेल को खत्म करने के लिए नीरज बोरा की मदद ली । नीरज बोरा ने पराग गर्ग की उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने के लिए कुछेक प्रमुख लोगों से बात की और विशाल सिन्हा पर भी दबाव बनाया । नीरज बोरा के हस्तक्षेप से विशाल सिन्हा को अपना खेल बिगड़ता हुआ लगा । इस बीच डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह ने गुरनाम सिंह के रवैये से नाराज होकर उन्हें तगड़ा झटका दिया और गुरनाम सिंह को कॉन्फ्रेंस चेयरमैन के पद से हटा दिया । गुरनाम सिंह के चेलों के रूप में विशाल सिन्हा और अनुपम बंसल ने गुरनाम सिंह का कॉन्फ्रेंस चेयरमैन का पद बचाने का बहुत प्रयास भी किया, लेकिन एके सिंह के क्रोध के कारण गुरनाम सिंह को फजीहत झेलना ही पड़ी । पराग गर्ग और नीरज बोरा के दबाव के बीच विशाल सिन्हा के लिए एके सिंह को नाराज करना और महँगा पड़ता, लिहाजा उन्होंने गुरनाम सिंह की फजीहत का घूँट चुपचाप पी लेने में ही भलाई समझी ।
एके सिंह ने गुरनाम सिंह और उनके चेलों का जो हाल किया, उससे पराग गर्ग को और बल मिला तथा अपनी उम्मीदवारी को लेकर वह और ज्यादा दृढ़ निश्चयी होते हुए दिखे । पराग गर्ग को विश्वास है कि नीरज बोरा के सहयोग से सत्ता/प्रशासन की धमक दिखा कर वह डिस्ट्रिक्ट के कई लोगों का समर्थन जुटा लेंगे और तब विशाल सिन्हा भी उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए मजबूर हो जायेंगे । पराग गर्ग का आकलन है कि विशाल सिन्हा तथा गुरनाम सिंह खेमे के दूसरे लोग किसी भी कीमत पर केएस लूथरा खेमे के बीएम श्रीवास्तव को चुनाव नहीं जीतने देना चाहेंगे; और यह भी समझेंगे कि पराग गर्ग और जगदीश अग्रवाल - दोनों की उम्मीदवारी होने का सीधा फायदा बीएम श्रीवास्तव को ही मिलेगा; इसलिए पराग गर्ग की उम्मीदवारी के रहते विशाल सिन्हा को जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी को वापस करवाने के लिए मजबूर होना ही पड़ेगा । इसी आकलन के चलते पराग गर्ग ने अपनी उम्मीदवारी को लेकर अपनी गंभीरता जताना/दिखाना शुरू किया है । पराग गर्ग के इस रवैये ने जगदीश अग्रवाल और उनके नजदीकियों को मुसीबत में फँसा दिया है । जगदीश अग्रवाल और उनके नजदीकियों को लग रहा है कि विशाल सिन्हा तरीके से पराग गर्ग को हैंडल नहीं कर रहे हैं, कर रहे होते तो पराग गर्ग अभी तक अपनी उम्मीदवारी को छोड़ चुके होते । विशाल सिन्हा लगता है कि पराग गर्ग की अपने खिलाफ कुछेक वर्ष पहले की गई एक 'कार्रवाई' को अभी तक भूले नहीं हैं और इसलिए वह पराग गर्ग को 'आगे' नहीं बढ़ने देना चाहते हैं - और इसके लिए जगदीश अग्रवाल को मोहरा बनाये हुए हैं । गुरनाम सिंह खेमे में उम्मीदवारी को लेकर चल रही पराग गर्ग और जगदीश अग्रवाल के बीच की इस होड़ ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए बीएम श्रीवास्तव की उम्मीदवारी को खासी 'सुविधा' दे दी है, और चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है ।