Wednesday, January 23, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में राजेश गुप्ता सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी के लिए फिलहाल राजी तो हो गए हैं, पर उनके उम्मीदवार बने रहने को लेकर डिस्ट्रिक्ट के लोग आश्वस्त नहीं हैं; कई लोगों ने तो राजेश गुप्ता से पूछ भी लिया कि उम्मीदवार बने तो रहोगे, या बीच में मैदान छोड़ दोगे - जैसे कि पिछले वर्ष छोड़ गए थे ?

देहरादून । एक नाटकीय घटनाक्रम में (सेकेंड वाइस) डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के  लिए राजेश गुप्ता एक बार फिर उसी 'गंदगी' के ढेर पर जा बैठे हैं, जिस पर तीन वर्ष पहले उनकी पत्नी बैठी थीं - और डिस्ट्रिक्ट की सबसे भीषण पराजय को प्राप्त हुईं थीं; और जिसके बाद पति/पत्नी ने गंदगी के उस ढेर से दूरी बना ली थी । मजे की बात यह रही कि तीन वर्ष पहले के उस झटके का सदमा इतना गहरा रहा कि उसके बाद राजेश गुप्ता को उम्मीदवार बनने के कई ऑफर मिले, लेकिन वह उम्मीदवार बनने की हिम्मत नहीं कर पाए । पिछले वर्ष वह उम्मीदवार बने भी थे, लेकिन फिर जल्दी ही वापस हो लिए थे । अभी करीब पंद्रह दिन पहले तक मुकेश गोयल की तरफ से राजेश गुप्ता को उम्मीदवार बनने का ऑफर था; उस ऑफर में चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय मित्तल का समर्थन सुनिश्चित नहीं था - इसलिए राजेश गुप्ता ने बदतमीजी की हद तक जा कर मुकेश गोयल के ऑफर को ठुकरा दिया था । पिछले वर्ष भी विनय मित्तल ही राजेश गुप्ता की उम्मीदवारी में रोड़ा बने थे । पिछले वर्ष और अभी कुछ दिन पहले तक ऐसा लग रहा था कि राजेश गुप्ता ने जैसे तय कर लिया है कि जब तक उन्हें विनय मित्तल का समर्थन नहीं मिलेगा, तब तक वह उम्मीदवार नहीं बनेंगे; विनय मित्तल के चक्कर में ही राजेश गुप्ता ने मुकेश गोयल तक से 'बदतमीजी' कर ली । लेकिन अब अचानक से राजेश गुप्ता ने पलटी मारी और लगभग उन्हीं लोगों के भरोसे उम्मीदवार बन गए हैं, जिनके भरोसे रहते हुए तीन वर्ष पहले ही राजेश गुप्ता की पत्नी ने पराजय के अंतर का रिकॉर्ड बनाया था ।
मजे की और बिडंवना की बात यह भी है कि राजेश गुप्ता जिन लोगों के भरोसे चुनावी मैदान में उतरे हैं, राजेश गुप्ता उम्मीदवारी के लिए उनकी पहली पसंद नहीं हैं; वह लोग उम्मीदवार की खोज में कई एक लायंस के दरवाजे खटखटा चुके हैं । अपने आपको डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का 'चाणक्य' कहने वाले एक लायन ने लायन-समाज में 'चोर' के रूप में कुख्यात एक नेता के भरोसे चुनावी मैदान में उतरने को लेकर दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनय मित्तल की लोकप्रियता तथा मुकेश गोयल के साथ उनकी पुनः बनती जोड़ी को देख फिर उनकी हिम्मत आगे बढ़ने की नहीं हुई और उन्होंने अपनी 'चाणक्ययी' को समेट लेने में ही अपनी भलाई देखी । दरअसल विनय मित्तल और मुकेश गोयल की जोड़ी को चुनावी राजनीति के लिहाज से डिस्ट्रिक्ट में एक अजेय जोड़ी के रूप में देखा जाता है; डिस्ट्रिक्ट में कई लोग जो अपने आपको नेता 'दिखाने' की कोशिश में लगे रहते हैं, वह विनय मित्तल व मुकेश गोयल की जोड़ी के समर्थन के सहारे ही गवर्नर बने हैं । इस वर्ष विनय मित्तल और मुकेश गोयल के बीच कुछेक मामलों को लेकर जो दूरी पैदा होती दिख रही थी, उसमें कुछेक लोगों को 'राजनीतिक जीवन' मिलता नजर आ रहा था; उन्हें लग रहा था कि विनय मित्तल और मुकेश गोयल एक साथ रहेंगे, तब तो इन्हें हराना असंभव है - इसलिए इनके बीच पैदा हो रही दरार को चौड़ा करके इन्हें अलग कर दिया जाये और इनके बीच बने गैप में अपना तम्बू तान लिया जाए । विनय मित्तल और मुकेश गोयल ने लेकिन होशियारी और बड़प्पन दिखाते हुए अपने बीच पैदा हो रही गलतफहमियों को दूर कर लिया और डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के समीकरणों को फिर से पुराने गणित में ले आए । 
पिछले वर्ष और इस वर्ष अभी तक विनय मित्तल का समर्थन न मिल पाने के कारण राजेश गुप्ता उम्मीदवार बनने से इंकार कर रहे थे; लेकिन अब वह विनय मित्तल के समर्थन के बिना ही उम्मीदवार बनने को राजी हो गए हैं । राजेश गुप्ता राजी तो हो गए हैं, पर उनके सामने समस्या यह है कि डिस्ट्रिक्ट में लोग उनके उम्मीदवार बने रहने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं । कई लोगों ने तो राजेश गुप्ता से पूछ भी लिया कि उम्मीदवार बने तो रहोगे, या बीच में मैदान छोड़ दोगे - जैसे कि पिछले वर्ष छोड़ गए थे ? दरअसल कहा/सुना जा रहा है कि राजेश गुप्ता यह देख/सोच कर उम्मीदवार बन गए हैं कि गौरव गर्ग कमजोर व्यक्ति हैं, वह राजेश गुप्ता को उम्मीदवार बनते देखेंगे तो उम्मीदवारी से पीछे हट जायेंगे । राजेश गुप्ता और उन्हें उम्मीदवार बनवा देने वालों को यह भी उम्मीद थी कि विनय मित्तल और मुकेश गोयल के बीच पटती दिख रही दरार पट नहीं पाएगी और मुकेश गोयल का समर्थन राजेश गुप्ता को मिल जायेगा । लेकिन उनकी दोनों उम्मीदें पूरी होती हुई नहीं दिख रही हैं - न तो गौरव गर्ग कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं, और न विनय मित्तल व मुकेश गोयल के बीच बने संबंध कमजोर पड़ते दिख रहे हैं । राजेश गुप्ता के लिए मुसीबत और चुनौती की बात यह है कि तीन वर्ष पहले उनकी पत्नी रेखा गुप्ता जब विनय मित्तल से भारी अंतर से चुनाव हारी थीं, तब रेखा गुप्ता को फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का समर्थन प्राप्त था; लेकिन अब राजेश गुप्ता को किसी भी सत्ताधारी गवर्नर का समर्थन नहीं मिल सकेगा । तीन वर्ष पहले रेखा गुप्ता जब उम्मीदवार बनी थीं, तब अधिकतर लोगों ने उन्हें कहा/समझाया था कि इस समय उम्मीदवार बनना उनके लिए राजनीतिक रूप से आत्मघाती साबित होगा, और वही हुआ भी । अब राजेश गुप्ता के उम्मीदवार बनने पर भी डिस्ट्रिक्ट की राजनीति के समीकरणों को समझने/पहचानने वाले लोगों का कहना है कि उम्मीदवार बन कर राजेश गुप्ता ने एक बार फिर आत्मघाती कदम उठाया है । कई लोगों का कहना है कि रेखा गुप्ता की रिकॉर्ड पराजय के बाद डिस्ट्रिक्ट में गुप्ता दंपति के प्रति सहानुभूति तो पैदा हुई थी, राजेश गुप्ता लेकिन अब की बार सहानुभूति भी खो देंगे ।