Monday, January 21, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अमित गुप्ता की बड़े अंतर से हुई हार को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट दीपक गुप्ता और डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर मुकेश अरनेजा की हार के रूप में देखा जाना भी, अगले रोटरी वर्ष के संभावित उम्मीदवारों की असमंजसता का एक कारण बना

गाजियाबाद । अमित गुप्ता की संशयभरी चुप्पी के कारण अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की सोच रहे संभावित उम्मीदवारों ने भी अपने अपने कदम रोके हुए हैं, और इस वजह से अगले रोटरी वर्ष के चुनावी परिदृश्य को लेकर डिस्ट्रिक्ट अभी भी अनिश्चय बना हुआ है । समय के लिहाज से हालाँकि यह कोई खास बात नहीं है, लेकिन रोटरी की राजनीति में ही नहीं - बल्कि हर राजनीति में चूँकि कोई 'गैप पीरियड' नहीं होता है और एक चुनाव खत्म होते ही, अगले चुनाव की तैयारियाँ शुरू हो जाती है; इसलिए यह थोड़ा आश्चर्य की बात जरूर है कि संभावित उम्मीदवार अभी चुप्पी ओढ़े बैठे हैं । यह बात आश्चर्य की इसलिए भी है क्योंकि संभावित उम्मीदवारों के रूप में कई लोगों को देखा/पहचाना जा रहा है, लेकिन जिन्हें देखा/पहचाना जा रहा है उनकी तरफ से कोई सुगबुगाहट नहीं है ।डिस्ट्रिक्ट में सभी लोगों की निगाहें अमित गुप्ता की तरफ हैं; डिस्ट्रिक्ट में अधिकतर लोग यह तो मान रहे हैं कि अमित गुप्ता दोबारा अपनी उम्मीदवारी जरूर प्रस्तुत करेंगे, किंतु अमित गुप्ता की तरफ से कोई सक्रियता नहीं देखी/सुनी जा रही है । कुछेक लोगों को लग रहा है कि अमित गुप्ता इस बार जितने भारी अंतर से चुनाव में हारे/पिछड़े हैं, उसे देखते हुए अमित गुप्ता अब अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत नहीं करेंगे । हालाँकि अगले वर्ष दीपक गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के कारण अमित गुप्ता के लिए स्थितियों को अनुकूल भी देखा/समझा जा रहा है, लेकिन दीपक गुप्ता और उनके डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर मुकेश अरनेजा के समर्थन के बावजूद इस वर्ष उनकी उम्मीदवारी का जो हाल हुआ, उसे देखते हुए इन दोनों के भरोसे रहना अमित गुप्ता के लिए आत्मघाती भी साबित हो सकता है । समझा जाता है कि अमित गुप्ता अभी यही 'देख' रहे हैं कि वह आखिर किसके भरोसे दोबारा अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करें ?
अगले रोटरी वर्ष की उम्मीदवारी के संदर्भ में सबसे ज्यादा रोचक स्थिति रोटरी क्लब दिल्ली विकास के प्रेसीडेंट सुनील मल्होत्रा की बनी है । मजे की बात यह है कि सुनील मल्होत्रा जब से क्लब के प्रेसीडेंट बने हैं, तब ही से अगले रोटरी वर्ष में उनके उम्मीदवार बनने की चर्चा है - लेकिन अब जब उन्हें उम्मीदवार के रूप में 'दिखना' चाहिए, तो वह न जाने कहाँ 'छिप' गए हैं ? जानकारों का कहना है कि सुनील मल्होत्रा के क्लब के कुछेक पूर्व प्रेसीडेंट ही उनकी टाँग खींचने में इस कदर लगे हुए हैं कि उनसे अपनी टाँग छुड़ाकर उम्मीदवार बनना सुनील मल्होत्रा के लिए मुश्किल बना हुआ है । सुनील मल्होत्रा के लिए अनुकूल बात यह तो है कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उनकी उम्मीदवारी को लेकर चर्चा है और उन्हें संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, लेकिन अभी वह खुद ही ढीले पड़े नजर आ रहे हैं । प्रेसीडेंट के रूप में रोटरी क्लब नोएडा के प्रेसीडेंट सुधीर वालिया की जैसी सक्रियता रही है, उसके कारण उन्हें भी अगले रोटरी वर्ष के संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, लेकिन उनके समर्थक अभी उनकी उम्मीदवारी के लिए संभावना खोजने के काम में ही लगे हुए हैं । सुधीर वालिया और उनके क्लब के लोग अपने लिए समर्थन जुटाने की कोशिश करने की बजाये अभी यही देखने/जानने/समझने में लगे हुए हैं कि कौन कौन अपनी उम्मीदवार प्रस्तुत कर रहे हैं, और उन्हें किन किन नेताओं का समर्थन मिल रहा है । 
डिस्ट्रिक्ट में कई लोग ललित खन्ना को संभावित उम्मीदवार के रूप में 'देख' रहे हैं, हालाँकि ललित खन्ना की तरफ से अभी न 'हाँ' किया जा रहा है और न ही 'न' । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में कई लोगों ने ललित खन्ना से उनकी उम्मीदवारी की संभावना के बारे में पूछा - और उस 'पूछने' में उन्हें प्रेरित करने वाला अंदाज भी था, लेकिन ललित खन्ना अभी भी अपनी उम्मीदवारी को लेकर 'हाँ' कहने की स्थिति में नहीं हैं । रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के प्रतिनिधि के रूप में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में पधारे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर उपकार सेठी तथा अतिथि के रूप में शामिल हुए मशहूर पत्रकार रजत शर्मा ने अपने अपने भाषणों में बार बार जिस तरह से ललित खन्ना का जिक्र किया और उनकी प्रशंसा की, उससे भी लोगों को लगा कि ललित खन्ना को उम्मीदवार बनना चाहिए - लेकिन ललित खन्ना की तरफ से संकेत दिया जा रहा है कि वह अपनी उम्मीदवारी को लेकर जल्दबाजी में फैसला नहीं करेंगे और सोच-विचार कर ही निष्कर्ष पर पहुँचेंगे । हर मौके पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन के दाएँ और बाएँ रहते आ रहे आलोक गर्ग और विपुल कुछल को भी संभावित उम्मीदवारों के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, लेकिन इनके नजदीकियों का ही कहना/बताना है कि इनके लिए अभी उम्मीदवार बनना संभव नहीं है; दरअसल इनकी जैसी जो सक्रियता रही है उसमें उम्मीदवारी की तैयारी जैसा कोई भाव रहा/दिखा भी नहीं है । अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए सचमुच में कौन कौन उम्मीदवार बनेंगे, यह अभी भले ही स्पष्ट न हो - लेकिन इस अस्पष्टता में डिस्ट्रिक्ट के दो राजनीतिबाजों - मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की बुरी गत बनी हुई है । उनके जोरदार सक्रियताभरे समर्थन के बावजूद अमित गुप्ता को बड़े अंतर से जिस हार का सामना करना पड़ा है, उसने मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की राजनीतिक हैसियत की पोल खोल दी है, और हर संभावित उम्मीदवार इनकी छाया से भी बच रहा है और यह दोनों चुपचाप बैठने के लिए मजबूर हो रखे हैं ।