Sunday, January 27, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना की मिलीभगत से अधिष्ठापन के नाम पर किए गए फर्जीवाड़े की पोल खुलने के बाद दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी के पुराने समर्थकों ने इंद्रजीत सिंह जैसे नए समर्थक के खिलाफ मोर्चा खोला

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के क्लब्स के नए पदाधिकारियों के अधिष्ठापन जैसे महत्त्वपूर्ण काम को फन, मस्ती व पिकनिक में बदल कर दिनेश बत्रा और उनके समर्थकों ने सोचा तो यह था कि इससे दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी के पक्ष में महौल बनेगा, लेकिन लगता है कि उनकी योजना ने उल्टा ही असर किया है - जिसके चलते उन्हें फजीहत का शिकार बनना पड़ रहा है । दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थक इसके लिए निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । दरअसल दिनेश बत्रा और उनके समर्थकों की तरफ से 26 जनवरी के कार्यक्रम में 26 क्लब्स के पदाधिकारियों का अधिष्ठापन होने का किया जा रहा दावा झूठा साबित हो रहा है और मजाक का विषय बन गया है । कहा/बताया जा रहा है कि 26 में से 10/11 क्लब्स से तो एक भी सदस्य जब कार्यक्रम में मौजूद नहीं था, तब अधिष्ठापन किसका और कैसे हो गया ? दिनेश बत्रा और उनके समर्थक नेता व पदाधिकारी इस धोखाधड़ी में पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना को भी शामिल करने से नहीं चूके । कुछेक लोगों का कहना/पूछना हालाँकि यह भी है कि विनोद खन्ना ने क्या आँख बंद करके अधिष्ठापन किया, जो उन्हें यह नहीं दिखा कि अधिष्ठापित किए जा रहे नए पदाधिकारी मौके पर मौजूद ही नहीं हैं ? विनोद खन्ना और दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी की एक साथ फजीहत करवाने वाली इस कार्रवाई के लिए दिनेश बत्रा के ही समर्थक इंद्रजीत सिंह को यह कहते हुए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं कि दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी की कमान अपने हाथ में लेने के उद्देश्य से इंद्रजीत सिंह ने 26 जनवरी के कार्यक्रम को 'बड़ा' दिखाने की कोशिश में यह फर्जीवाड़ा किया - जो अब उल्टा पड़ गया है ।
उल्लेखनीय है कि 26 जनवरी को पहले गन्नौर में एक पिकनिक करने की योजना बनाई गई थी, जिसमें सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक फन व मस्ती होना थी । दिनेश बत्रा कार्यक्रम के चेयरमैन बने/बनाए गए । इससे जाहिर हो गया कि उक्त कार्यक्रम दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से किया जा रहा है । फिर विचार जुड़ा कि जब कार्यक्रम किया ही जा रहा है, और पैसे खर्च हो ही रहे हैं तो कुछेक छोटे व कमजोर क्लब्स के पदाधिकारियों काअधिष्ठापन ही कर लिया जाए, जिससे कि कार्यक्रम को थोड़ी गरिमा भी मिल जायेगी । प्राप्त जानकारी के अनुसार, शुरू में अधिष्ठापन के लिए 11/12 क्लब्स चुने गए थे । कार्यक्रम का दिन नजदीक आते आते अधिष्ठापित होने वाले क्लब्स की संख्या 26 तक जा पहुँची । कार्यक्रम से जुड़े लोगों का ही कहना/बताना है कि अधिष्ठापित होने से रह गए सभी क्लब्स के नाम जोड़ लिए गए, ताकि डिस्ट्रिक्ट में लोगों को 'संदेश' दिया जा सके कि इतने क्लब दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी के समर्थन में हैं । इन्हीं लोगों का कहना/बताना है कि यह आईडिया इंद्रजीत सिंह का था । उस समय तो इंद्रजीत सिंह का यह फर्जीवाड़ा सभी को पसंद आया, लेकिन अब जब फर्जीवाड़े की पोल खुल गई है और फजीहत हो रही है, तो हर कोई इंद्रजीत सिंह को कोस रहा है । दिनेश बत्रा के नजदीकियों को ही लग रहा है कि दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी की कमान अभी तक फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर गुरचरण सिंह भोला के हाथ में थी, जिसे अब खेमा बदल कर आये इंद्रजीत सिंह अपने हाथ में लेना चाहते हैं । जोश और उतावलेपन में इंद्रजीत सिंह की 'योजना' लेकिन बदनामी का ऐसा शिकार बन गई कि दिनेश बत्रा और उनके समर्थकों के लिए शर्मिंदगी की स्थिति बन गई ।
गन्नौर के आयोजन में अधिष्ठापित हुए क्लब्स के पदाधिकारी और सदस्य वाट्स-ऐप पर पूछ रहे हैं कि अधिष्ठापन कार्यक्रम को लेकर जब हम से कोई बात नहीं की गई; हम आयोजन में मौजूद नहीं थे - तो आखिर अधिष्ठापन किसका हो गया ? इस मामले में हो रही फजीहत के चलते दिनेश बत्रा और उनके समर्थकों व शुभचिंतकों को तगड़ा झटका लगा है और उन्हें लगा है कि 26 जनवरी के आयोजन को लेकर उन्होंने जो तैयारी की तथा उनका जो पैसा खर्च हुआ है, उस पर पानी फिर गया है । दिनेश बत्रा के कुछेक नजदीकी इस फजीहत के लिए इंद्रजीत सिंह को कोस रहे हैं । वास्तव में खेमा/पाला बदल कर इंद्रजीत सिंह ने जिस तरह से दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी की कमान अपने हाथ में लेने की कोशिश की है, उसे दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों ने मन से स्वीकार नहीं किया है और इंद्रजीत सिंह की भूमिका में उन्होंने अपने आप को पीछे होते/खिसकते देखा/पहचाना है । ऐसे में, 26 जनवरी के कार्यक्रम में हुए फर्जीवाड़े - तथा उसके चलते हो रही फजीहत की जिम्मेदारी इंद्रजीत सिंह पर थोपने - तथा इंद्रजीत सिंह को निशाने पर लेने का उन्हें मौका मिल गया है । इस तरह, 26 जनवरी के आयोजन ने दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी के अभियान को दोहरी चोट पहुँचाई है - एक तरफ तो फर्जीवाड़े के कारण उनकी फजीहत हो रही है, और दूसरी तरफ इस फजीहत के कारण दिनेश बत्रा की उम्मीदवारी के पुराने और नए समर्थकों के बीच ही जैसे 'लड़ाई' छिड़ गई है ।