Sunday, January 13, 2019

चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल पर 'कब्जा' करने के लिए सदस्यों को धमकी देने तथा नए पदाधिकारियों के चुनाव के लिए होने वाली अनौपचारिक मीटिंग को चेयरमैन संदीप जैन से टलवाने जैसी कार्रवाईयों से उत्तम अग्रवाल बहुमत जुटाने में सफल हो पायेंगे क्या ?

मुंबई । वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल पर कब्जे के लिए उत्तम अग्रवाल को नए सिरे से 'तैयारी' करने का समय देने के लिए चेयरमैन संदीप जैन काउंसिल के नए पदाधिकारियों के चुनाव के लिए होने वाली अनौपचारिक मीटिंग करने से बच रहे हैं और तरह तरह की बहानेबाजियों का सहारा लेकर उक्त मीटिंग की माँग को स्वीकार करने से मुँह छिपा रहे हैं । उल्लेखनीय है कि हर बार चुनावी नतीजा घोषित होने के बाद 20 जनवरी के आसपास नई काउंसिल के सदस्यों की अनौपचारिक मीटिंग हो जाती रही है, जिसमें तीनों वर्ष के चेयरमैन 'तय' हो जाते रहे हैं । परंपरा के अनुसार,  इस बार भी नई काउंसिल के सदस्यों को 20 जनवरी के आसपास की किसी तारीख में होने वाली अनौपचारिक मीटिंग के निमंत्रण का इंतजार है -लेकिन जो उन्हें मिल ही नहीं रहा है । चेयरमैन संदीप जैन को इस मामले में ढुलमुल रवैया अपनाते/दिखाते देख कुछेक सदस्यों ने उक्त मीटिंग के बाबत उन्हें ईमेल भी लिखे, लेकिन संदीप जैन की तरफ से उन्हें कोई जबाव नहीं मिल रहे हैं । ऐसे में आरोप लग रहे हैं कि इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रेसीडेंट उत्तम अग्रवाल ने रीजनल काउंसिल पर अपने 'कब्जे' को लेकर बहुमत जुटाने की जो तैयारी की है, उसमें कुछ कमी पड़ रही है - इसलिए संदीप जैन तब तक उक्त मीटिंग को टालते रहना चाहते हैं, जब तक कि उत्तम अग्रवाल बहुमत का पूरा जुगाड़ न कर लें । रीजनल काउंसिल के 22 सदस्यों में उत्तम अग्रवाल को अभी 9 सदस्यों का ही समर्थन मिला बताया जा रहा है । बहुमत के लिए उन्हें तीन और सदस्यों के समर्थन की जरूरत है । चर्चा है कि उत्तम अग्रवाल ने बाकी 13 सदस्यों में से तीन-चार सदस्यों को अपने 'निशाने' पर लिया हुआ है, जिन्हें वह धमकाने और लालच देने का काम कर रहे हैं । आरोपों और चर्चाओं के अनुसार, किसी को वह प्रोफेशनल क्लाइंट्स तोड़ने की तथा किसी को अगले चुनाव में 'देख लेने' की धमकी दे रहे हैं । नई काउंसिल में चुने गए 'अपने' समर्थक 9 लोगों को एकजुट रखने के लिए उत्तम अग्रवाल उन्हें आश्वस्त कर रहे हैं कि वह जल्दी ही तीन-चार सदस्यों का समर्थन जुटा लेंगे । 
मजे की बात यह है कि उत्तम अग्रवाल ने चुनावी नतीजे घोषित होते ही नई काउंसिल के लिए चुने गए सदस्यों में से 12/13 का समर्थन जुटा लिया था, और तीनों वर्षों के चेयरमैन तय भी कर लिए थे - उनकी तैयारी के तहत पहले वर्ष में सुश्रुत चितले, दूसरे वर्ष में कमलेश साबू और तीसरे वर्ष में प्रीति साँवला को चेयरमैन बनना था । लेकिन उत्तम अग्रवाल के चौधराहट भरे व्यवहार के चलते प्रीति साँवला तथा अन्य कुछेक सदस्य बिदक गए और वह उनकी 'योजना' से अलग हो गए । उत्तम अग्रवाल के लिए इस वर्ष बड़ी उपलब्धि सुश्रुत चितले को अपने खेमे में लाने की रही । उल्लेखनीय है कि सुश्रुत चितले को मौजूदा टर्म के पहले वर्ष में उत्तम अग्रवाल विरोधी खेमे की तरफ से चेयरमैन बनना था, लेकिन श्रुति शाह ने ऐन मौके पर रातोंरात पाला बदल कर उनका खेल बिगाड़ दिया था । सुश्रुत चितले ने लगता है कि यह समझ लिया है कि वह उत्तम अग्रवाल के सहारे से ही चेयरमैन बन सकते हैं । सुश्रुत चितले इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रेसीडेंट मुकुंद चितले के पुत्र हैं; मुकुंद चितले की प्रोफेशन के लोगों के बीच अच्छी साख/पहचान है - और इसी साख/पहचान के चलते लोगों को हैरानी है कि वह उत्तम अग्रवाल जैसे व्यक्ति से 'हाथ मिलाने' के लिए तैयार कैसे और क्यों हो गए ? हालाँकि कई लोगों को लगता है कि सुश्रुत चितले पिछली बार उत्तम अग्रवाल के विरोध में होने के कारण चेयरमैन नहीं बन पाए थे, और इस बार उत्तम अग्रवाल के समर्थन में होने के कारण उनका चेयरमैन बनना खटाई में पड़ता दिख रहा है । वेस्टर्न इंडिया रीजन की नई काउंसिल में चुने गए 22 सदस्यों में 13 ने अपने आपको जिस तरह से जोड़ा है, उन्हें एकजुट करने  के पीछे इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट प्रफुल्ल छाजेड़ की भूमिका को देखा/पहचाना जा रहा है, जिन्हें रीजनल काउंसिल में चेयरमैन तथा सेंट्रल काउंसिल में सदस्य रहे पंकज जैन, संजीव माहेश्वरी, अतुल भेडा आदि का सहयोग/समर्थन बताया/सुना जाता है । इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में सक्रिय रहे इन लोगों का अलग अलग कारणों से उत्तम अग्रवाल के साथ छत्तीस का संबंध है और यह वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में उत्तम अग्रवाल के 'कब्जे' की कोशिशों को किसी भी तरह से रोकने के प्रयासों में हैं ।
वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में अभी जो 13 सदस्यों का ग्रुप बना है, उसकी तरफ से तीनों वर्ष के चेयरमैन पद के लिए प्रीति साँवला, दृष्टि देसाई, मनीष गडिया और ललित बजाज के नाम हैं; और इनसे कहा गया है कि आपस में बात करके तीन नामों पर सहमति बना लो और आगे-पीछे का क्रम भी तय कर लो । इन चारों को राकेश अलशी, विशाल दोषी, जयेश काला, अर्पित काबरा, मुर्तुजा कांचवाला, उमेश शर्मा, यशवंत कसार, अरुण गिरि, आनंद जखोटिया आदि का समर्थन देखा/बताया जा रहा है । इन 13 सदस्यों में तीन-चार लोग उत्तम अग्रवाल  के 'रडार' पर हैं, जिन्हें धमकियाँ और लालच देकर अपनी तरफ करने के प्रयास करने का आरोप उत्तम अग्रवाल पर है । उत्तम अग्रवाल को हालाँकि अपने प्रयासों में अभी तक सफलता तो नहीं मिली है, लेकिन उनकी तरफ से सफल होने के दावे जरूर किए जा रहे हैं । उत्तम अग्रवाल के नजदीकियों को हालाँकि यह डर भी सता रहा है कि उत्तम अग्रवाल की बदनामी तथा उनके प्रयासों की पोल खुलने के कारण बहुमत जुटाने का उनका अभियान फेल हो जा सकता है । वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में 'कब्जा' करने के खेल में उत्तम अग्रवाल की बाजी जिस तरह से पलट गई है, और उनका खेल बिगड़ने की पूरी पूरी संभावना नजर आ रही है, उसके कारण अहमदाबाद के तीनों सदस्यों का मन बदलने की सूचनाएँ भी सुनी जा रही हैं । दरअसल मौजूदा काउंसिल में अहमदाबाद के सदस्यों की सत्ता में अच्छी भागीदारी रही है, जिस कारण काउंसिल में अहमदाबाद का प्रतिनिधित्व रहा है । नई काउंसिल के लिए अहमदाबाद से चुने गए सदस्यों को डर हुआ है कि उत्तम अग्रवाल का साथ देने के चक्कर में काउंसिल में अहमदाबाद  का प्रतिनिधित्व यदि नहीं हो पाया, तो अहमदाबाद के लोगों का सामना करना उनके लिए मुश्किल होगा । अहमदाबाद के सदस्यों में मची इस घबराहट ने उत्तम अग्रवाल की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है । परंपरानुसार, नई काउंसिल के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए होने वाली अनौपचारिक मीटिंग को 20 जनवरी के आसपास करने/करवाने से बचने की कोशिश के जरिये उत्तम अग्रवाल अपने 9 सदस्यों को वास्तव में यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वह बहुमत जुटाने में लगे हैं, और जब तक बहुमत जुटा नहीं लेंगे - तब तक चेयरमैन संदीप जैन उक्त मीटिंग नहीं बुलायेंगे/करेंगे । यह देखना दिलचस्प होगा कि संदीप जैन के जरिये वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल पर कब्जे की उत्तम अग्रवाल की कोशिश सफल होती है - या उन्हें मुँहकी खानी पड़ेगी ।