Wednesday, July 11, 2012

विनोद बंसल की गुपचुप तरीके से की जा रही मीटिंग की तैयारी में, अपने को उनका बहुत खास समझने वाले कई लोगों ने ठगा-सा महसूस किया है

नई दिल्ली | विनोद बंसल की डिस्ट्रिक्ट टीम का सदस्य बनने की तैयारी में 'बैठे' कई लोगों को यह जान कर खासा तगड़ा झटका लगा है कि 16 जून को आयोजित की जा रही अपनी पहली अनौपचारिक मीटिंग का निमंत्रण विनोद बंसल ने उन्हें दिया ही नहीं है | विनोद बंसल के इस रवैये को देख कई लोग अपने आप को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं | उनके लिए समस्या यह हो गई है कि विनोद बंसल के साथ अपनी नजदीकियत की जिस तरह की डींगें वह जिन लोगों के बीच हाँक चुके हैं - उन लोगों को वह अब क्या मुँह दिखायेंगे ? कुछेक लोगों ने तो कहना शुरू भी कर दिया है कि विनोद बंसल से उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी - उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में मदद करने का विनोद बंसल इस तरह से उन्हें ईनाम देंगे ? विनोद बंसल की भी समस्या है ! विनोद बंसल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव जीतने के लिए बहुत से लोगों की मदद की जरूरत थी | इस जरूरत को पूरा करने के लिए - जैसा कि प्रत्येक उम्मीदवार करता, विनोद बंसल ने भी किया और लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाये | लोगों के साथ उनके जो अच्छे संबंध बने, उसका फायदा उन्हें तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी जीत के रूप में मिल गया; उनकी चुनावी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोगों को फायदा बसूल करने के लिए लेकिन इंतजार करना था | विनोद बंसल की चुनावी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोगों ने इंतजार किया भी - और उनके लिए जैसे-जैसे फायदा लेने का समय नज़दीक आता गया, वह तैयारी में जुटने लगे और विनोद बंसल के निमंत्रण की प्रतीक्षा करने लगे | कईयों को लेकिन यह जान कर खासा तगड़ा झटका लगा कि विनोद बंसल 16 जुलाई को अपनी टीम के संभावित सदस्यों के साथ जो मीटिंग कर रहे हैं उसके बारे में विनोद बंसल ने उन्हें हवा भी नहीं लगने दी है | विनोद बंसल का यह रवैया उन लोगों को ज्यादा बुरा लगा जो इस बीच उनके संपर्क में थे, लेकिन फिर भी विनोद बंसल ने उन्हें 16 जुलाई के आयोजन की भनक नहीं लगने दी | समस्या दरअसल इसलिए ज्यादा गंभीर हुई है - जैसा कि विनोद बंसल के नज़दीकी एक वरिष्ठ रोटेरियन का कहना है कि - विनोद बंसल अपने व्यवहार से दूसरों में एक खास उम्मीद पैदा कर देते हैं; वह जताते तो ऐसा हैं जैसे कि सामने वाले को वह बहुत महत्व देते हैं - लेकिन जब सचमुच महत्व देने की बारी आती है तो सामने वाले को पता चलता है कि विनोद बंसल तो उसे पहचान ही नहीं रहे हैं | तब सामने वाला अपने को ठगा-सा महसूस करता है | सामान्य रूप से कहें तो कह सकते हैं कि बातों के लच्छों में विनोद बंसल दूसरों को झाड़ पर ऐसा चढ़ाते हैं कि चढ़ने वाला फिर आगा-पीछा नहीं देखता - वह तो चढ़ने के बाद पाता है कि विनोद बंसल का तो कहीं कोई अता-पता ही नहीं है | 16 जुलाई की मीटिंग से दूर रखे गए कई लोगों का कहना है कि विनोद बंसल ने उन्हें कई-कई बार की बातचीत में यह महसूस कराया हुआ है जैसे उनके सहयोग के भरोसे ही विनोद बंसल अपनी गवर्नरी चला पायेंगे - लेकिन जब सचमुच सहयोग लेने का मौका आया तो विनोद बंसल ने उन्हें पूछा तो नहीं ही, मीटिंग की जानकारी तक भी उनसे छिपा कर रखी | विनोद बंसल के इस रवैये ने अपने को उनका बहुत खास समझने वाले कई लोगों को तगड़ा झटका दिया है और निराश किया है |