Saturday, June 30, 2012
रमेश अग्रवाल ने असित मित्तल को नीचा दिखाने की अपनी कारस्तानी को सही साबित करने के लिए शेखर मेहता के नाम का इस्तेमाल किया
नई दिल्ली | रमेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के अपने कार्यकाल की शुरुआत इंटरनेश्नल डायरेक्टर शेखर मेहता की उपस्थिति में करने की योजना बनाई और साथ ही साथ उन्हें अपनी चालबाजियों का शिकार भी बना लिया | असित मित्तल को नीचा दिखाने की अपनी कार्रवाई में रमेश अग्रवाल ने जिस तरह शेखर मेहता का नाम इस्तेमाल किया, उससे रमेश अग्रवाल ने एक फिर साबित किया कि उनकी चालबाजियों का शिकार होने से कोई भी नहीं बच सकता है | रमेश अग्रवाल ने अपने प्रायः हर काम में जिस तरह से घटियापन दिखाया है और जिस तरह से वह लगातार उन लोगों को भी नाराज़ करते जा रहे हैं जिनकी एक समय वह खुशामद और चापलूसी किया करते थे - उससे लोगों को यह देख कर तो कोई हैरानी नहीं हुई कि रमेश अग्रवाल ने असित मित्तल को एक फिर नीचा दिखाया; लेकिन यह किसी ने नहीं सोचा था कि रमेश अग्रवाल अपना घटियापन दिखाने के चक्कर में शेखर मेहता तक को नहीं बख्शेंगे | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रमेश अग्रवाल ने एक से एक मूरखतापूर्ण नजारों को प्रस्तुत किया है, जिसकी श्रृंखला में उन्होंने ऐलान किया कि वह तीस जून के कार्यक्रम में कॉलर एक्सचेंज नहीं करेंगे | कई एक लोगों के सामने रमेश अग्रवाल ने यह कहने/बताने में भी कोई संकोच नहीं किया कि लोगों के बीच असित मित्तल की जिस तरह की बदनामी है, उसे देखते हुए उनसे कॉलर एक्सचेंज करना उन्हें अपमानित होने जैसा लगता है | उल्लेखनीय है कि असित मित्तल की बिजनेस संबंधी बेईमानियों को लेकर रमेश अग्रवाल उन्हें पहले भी कई बार जलील कर चुके हैं |
रमेश अग्रवाल को तीस जून के बाद असित मित्तल को जलील करने का मौका चूँकि नहीं मिलता, इसलिए उन्होंने तीस जून को मिल सकने वाले मौके का इस्तेमाल कर लेने में भी कोई चूक नहीं की | उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में यह प्रथा भी है और तकनीकी रूप से देखें तो यह सही भी है कि चूँकि तीस जून तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का अंतिम कार्यदिवस होता है, इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रहते हुए वह पद की जिम्मेदारी आने वाले गवर्नर को सौंप दे | रमेश अग्रवाल ने लेकिन न डिस्ट्रिक्ट की प्रथा का सम्मान किया और न व्यावहारिकता को अपनाया | तीस जून को उन्होंने जब कॉलर एक्सचेंज नहीं किया है, तो एक जुलाई को वह किस्से कॉलर एक्सचेंज करेंगे - भूतपूर्व हो चुके गवर्नर असित मित्तल से ? एक जुलाई को असित मित्तल तो गवर्नर हैं नहीं, कॉलर उनके पास है ही नहीं - उसे तो वह उतार चुके हैं; अब जो चीज उनके पास है नहीं, उसे वह दे कैसे सकते हैं ? लेकिन रमेश अग्रवाल की जिद है कि वह एक जुलाई को कॉलर लेंगे - लेंगे लेकिन किससे ? नियम और संविधान के संदर्भ में इस बात को यदि देखें तो यह 'संवैधानिक संकट' जैसा मामला है | रमेश अग्रवाल ने जिसे अपनी जिद और असित मित्तल को जलील करने की अपनी कोशिश में पैदा किया है |
रमेश अग्रवाल के नजदीकियों तथा डिस्ट्रिक्ट के कुछेक बड़े नेताओं ने उन्हें ऐसा न करने को लेकर समझाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी; बल्कि उन्होंने सभी को यह कह कर चुप करा दिया कि इस बारे में उन्होंने इंटरनेश्नल डायरेक्टर शेखर मेहता से बात कर ली है, जो एक जुलाई के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि हैं; और जिन्होंने कहा है कि ऐसा हो सकता है | रोटरी में नियमों के साथ खिलवाड़ चूँकि कोई भी कर सकता है, इसलिए लोगों ने भी मान लिया कि शेखर मेहता ने भी हाँ कह दी होगी | और फिर क्या पता कि रमेश अग्रवाल ने सचमुच उनसे पूछा भी है या नहीं, और यदि पूछा भी है तो उन्हें पूरी बात तो नहीं ही बताई होगी | इस बात पर तो कोई भी विश्वास नहीं करेगा कि रमेश अग्रवाल ने शेखर मेहता को बताया होगा कि उन्हें चूँकि असित मित्तल को नीचा दिखाना है, इसलिए वह तीस जून को नहीं, बल्कि एक जुलाई को कॉलर पहनेंगे और शेखर मेहता ने उन्हें कह दिया होगा कि हाँ, आप ऐसा कर सकते हो | जाहिर है कि रमेश अग्रवाल ने असित मित्तल को नीचा दिखाने की कोशिश में की गई अपनी एक मूरखतापूर्ण कारस्तानी को सही साबित करने के लिए शेखर मेहता को या तो धोखा दिया है और या उनके नाम का इस्तेमाल किया है |
रमेश अग्रवाल ने अपनी हरकतों से लगातार लोगों को अपमानित ही किया है, जिसका नतीजा है कि उनसे हमदर्दी रखने वाले और उनके काम आने वाले कई लोग उनका साथ छोड़ चुके हैं | इससे कोई सबक न लेते हुए रमेश अग्रवाल जिस तरह अपनी कारगुजारियों को अंजाम देते जा रहे हैं तथा इंटरनेश्नल डायरेक्टर शेखर मेहता तक का नाम इस्तेमाल कर रहे हैं और रोटरी को कलंकित कर रहे हैं उससे लोगों को लग रहा है कि रमेश अग्रवाल के गवर्नर-काल में उन्हें और-और नज़ारे देखने को मिलेंगे |