Sunday, June 24, 2012

डॉक्टर सुब्रमणियन लीडर/गवर्नर बनना चाहते हैं या ऐनटरटेनर ?

नई दिल्ली | डॉक्टर सुब्रमणियन ने अपनी जिस गायकी को एक उम्मीदवार के रूप में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी लड़ाई में अपना हथियार बनाने की रणनीति बनाई थी, उसने उनकी उम्मीदवारी को चोट पहुँचाने का ही काम किया है | उल्लेखनीय है कि 23 जून को इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में अपनी गायकी के कार्यक्रम के जरिये डॉक्टर सुब्रमणियन ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट करने की जोरदार तैयारी की थी | किंतु उनके कार्यक्रम में न तो उनकी तैयारी की अपेक्षानुसार रोटेरियन पहुँचे और जो पहुँचे भी उन्होंने भी पाया/माना कि इस एक कार्यक्रम से अपनी उम्मीदवारी का प्रमोशन शुरू करके डॉक्टर सुब्रमणियन ने अपनी उम्मीदवारी का बँटा धार कर लिया है | डॉक्टर सुब्रमणियन के शुभचिंतकों ने भी माना और कहा है कि इस कार्यक्रम के जरिये डॉक्टर सुब्रमणियन ने रोटेरियंस को अपनी उम्मीदवारी के प्रति उत्सुक और उत्साहित करने की जो कोशिश की, वह कोशिश न सिर्फ विफल रही बल्कि उसने उल्टा असर ही पैदा किया है | कुछ लोग मजाक में, तो कुछ गंभीरता के साथ यह पूछने/समझने में लग गए हैं कि डॉक्टर सुब्रमणियन लीडर/गवर्नर बनना चाहते हैं या ऐनटरटेनर ? वह अच्छा गाते हैं - यह जान कर रोटेरियंस उन्हें अपना गवर्नर भला क्यों चुनें ? डॉक्टर सुब्रमणियन के लिए मुसीबत की बात यह भी हुई कि उसी 23 जून को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के एक दूसरे उम्मीदवार जेके गौड़ ने भी अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जो अप्रत्याशित रूप से सफल रहा | जेके गौड़ की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से आयोजित हुए कार्यक्रम में न केवल रोटेरियंस की उपस्थिति अच्छी दिखी, बल्कि हर किसी ने जेके गौड़ और उनके संगी-साथियों की व्यवहार कुशलता की जम कर तारीफ भी की और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में जेके गौड़ की सक्रियता व रोटेरियंस के बीच पैठ बनाने की कोशिशों को सकारात्मक रूप से रेखांकित भी किया | 23 जून से पहले जो रोटेरियंस डॉक्टर सुब्रमणियन और जेके गौड़ के बीच तुलना करते हुए डॉक्टर सुब्रमणियन को ज्यादा नंबर देते थे, 23 जून को हुए दोनों कार्यक्रमों की रिपोर्ट जानने के बाद यह कहते हुए सुने गए हैं कि डॉक्टर सुब्रमणियन को चुनावी राजनीति के तौर-तरीकों की जरा भी समझ नहीं है और कि वह अपनी उम्मीदवारी का कबाड़ा खुद ही कर लेंगे | डॉक्टर सुब्रमणियन के लिए ज्यादा झटके की बात यह भी रही कि उन्होंने जिन भी रोटेरियंस को अपना गाना सुनने के लिए आमंत्रित किया, उनमें से कइयों से उन्हें यह सुनने को मिला कि उन्हें तो जेके गौड़ के कार्यक्रम में जाना है | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी राजनीति के संदर्भ में, डॉक्टर सुब्रमणियन के कार्यक्रम की विफलता से निराश डॉक्टर सुब्रमणियन के नजदीकियों ने विफलता के लिए एक मजेदार कारण यह बताया कि कार्यक्रम के निमंत्रण कार्ड में चूँकि डिनर का जिक्र नहीं था, इसलिए रोटेरियंस ने इस कार्यक्रम में आने में दिलचस्पी नहीं दिखाई | ऐसा तर्क देने वाले डॉक्टर सुब्रमणियन के नजदीकियों से पूछा लेकिन यह गया कि यदि उन्हें लगता है कि रोटेरियंस डिनर के लालच में ही कार्यक्रम में आते हैं तो उन्होंने रोटेरियंस को डिनर का लालच दिया क्यों नहीं ? डॉक्टर सुब्रमणियन से अभी तक लोगों को यह शिकायत थी कि वह यदि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार हैं तो एक उम्मीदवार के रूप में सक्रिय क्यों नहीं हो रहे हैं | इस तरह की शिकायत करने वाले लोगों को लेकिन यह देख/जान कर घोर निराशा ही हुई है कि डॉक्टर सुब्रमणियन एक उम्मीदवार के रूप में सक्रिय भी हुए तो इस तरह कि उन्होंने रोटेरियंस को अपने से दूर करने का ही काम किया और रोटेरियंस को यह दिखाने/जताने का ही काम किया कि उन्हें चुनावी राजनीति के 'तौर-तरीके' न तो पता हैं और न ही वह उन्हें जानना/समझना चाहते हैं | अधिकतर रोटेरियंस को शक/संदेह है कि डॉक्टर सुब्रमणियन एक उम्मीदवार के रूप में काम कर पायेंगे | 23 जून को हुए कार्यक्रम के जरिये डॉक्टर सुब्रमणियन ने एक उम्मीदवार के रूप में अपनी जिस तरह की सोच और तैयारी को प्रदर्शित किया है उससे उन रोटेरियंस का शक/संदेह इस विश्वास में बदलता हुआ नजर आ रहा है कि डॉक्टर सुब्रमणियन के लिए एक उम्मीदवार के रूप में काम कर पाना सचमुच बहुत ही मुश्किल होगा | 23 जून को हुए दोनों कार्यक्रमों की रोटेरियंस के बीच जो तुलना हुई है उसमें जेके गौड़ का पलड़ा डॉक्टर सुब्रमणियन से भारी हो गया है | डॉक्टर सुब्रमणियन के शुभचिंतकों का भी मानना और कहना है कि डॉक्टर सुब्रमणियन ने इस असफलता से यदि कोई सबक नहीं सीखा तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी लड़ाई में बने रहना उनके लिए सचमुच मुश्किल हो जायेगा |