Saturday, March 24, 2012

एच कृष्णामूर्ति की उम्मीदवारी की वापसी ने पंजाब नेशनल बैंक के शेयरहोल्डर डायरेक्टर्स चुनाव को संदेहास्पद बनाया

चंडीगढ़/नई दिल्ली | पंजाब नेशनल बैंक में शेयरहोल्डर डायरेक्टर्स के चुनाव की प्रक्रिया को लेकर शिकायत की गई है | एक उम्मीदवार एच कृष्णामूर्ति द्धारा चुनाव से चार दिन पहले नाम वापस लेने को आधार बनाते हुए चंडीगढ़ की संस्था 'एसोसियेशन ऑफ कंपनी मैनेजमेंट' द्धारा मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स तथा मिनिस्ट्री ऑफ फाईनेंस को लिखी शिकायत में कहा गया है कि चुनाव में बैंक प्रबंधन की दिलचस्पी से नाराज होकर ही एच कृष्णामूर्ति ने अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का फैसला किया था | उल्लेखनीय है कि पंजाब नेशनल बैंक में शेयरहोल्डर डायरेक्टर्स के तीन पदों के लिए ग्यारह उम्मीदवारों के नामांकन सही घोषित किए गए थे | बैंक की नोमीनेशन कमेटी ने करीब एक माह पहले लखनऊ से गोपालकृष्ण लाठ, कच्छ से पंकज ठक्कर, चंडीगढ़ से डीके सिंगला, बंगलौर से एच कृष्णामूर्ति, जयपुर से सुभाष चंद्र बापना, गाजियाबाद से विनय मित्तल और सुनील गुप्ता, नई दिल्ली से महेश प्रसाद मेहरोत्रा तथा पंकज अग्रवाल, कानपुर से श्रीकांत मिश्र तथा मुंबई से माधवन नायर गोपीनाथ के नामांकनों को 'फिट एंड प्रोपर' घोषित किया था | प्रत्येक उम्मीदवार अपनी-अपनी क्षमता व अपने-अपने तरीके से वोट जुटाने तथा अपनी जीत को सुनिश्चित करने की कोशिश में लगा था - शेयरहोल्डर डायरेक्टर्स के चुनाव में पर्दे के पीछे जैसा जो खेल होता है वह खेल शांतिपूर्वक चल रहा था कि चुनाव से चार दिन पहले एच कृष्णामूर्ति ने अपनी उम्मीदवारी वापस लेकर शांतिपूर्वक चल रहे खेल में हलचल मचा दी | मजे की बात यह है कि एच कृष्णामूर्ति ने अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का कोई कारण नहीं बताया है लेकिन उनसे परिचित होने का दावा करने वाले लोगों का कहना रहा कि शेयरहोल्डर डायरेक्टर्स के चुनाव में पंजाब नेशनल बैंक प्रबंधन को खुली दिलचस्पी लेते देख एच कृष्णामूर्ति को चुनाव में खुला पक्षपात होता हुआ नज़र आया और अपना विरोध दर्ज कराने के उद्देश्य से ही उन्होंने अपनी उम्मीदवारी को चुनाव से चार दिन पहले वापस ले लिया |
एच कृष्णामूर्ति द्धारा अपनी उम्मीदवारी वापस लेने से पंजाब नेशनल बैंक के शेयरहोल्डर डायरेक्टर्स के चुनाव संदेह के खुले घेरे में आ गए - क्योंकि जो भी उम्मीदवार थे उनमें एच कृष्णामूर्ति की एक अलग और खास हैसियत व पहचान है | टीचिंग, रिसर्च व कंसल्टिंग में तीस से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले एच कृष्णामूर्ति ने मद्रास यूनीवर्सिटी से बीई (आनर्स) तथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से एमई किया है | वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के सुपरकम्प्यूटर एजूकेशन एंड रिसर्च सेंटर में प्रिंसीपल रिसर्च साइंटिस्ट के पद पर हैं | कम्यूनिकेशन, नेटवर्किंग और बैंकिंग टेकनोलॉजी उनकी दिलचस्पी और सक्रियता के विषय व क्षेत्र हैं | पिछले पंद्रह वर्षों से वह कई सरकारी संस्थाओं में सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं | टेक्नीकल एडवाइजरी ग्रुप तथा टेक्नोलॉजी से संबद्ध स्टैंडिंग कमेटी में सदस्य के रूप में वह आरबीआई, सेबी और इरडा जैसी संस्थाओं से जुड़े हैं | आई डी आर बी टी की गवर्निंग काउंसिल में वह वर्ष 2002-05 में सदस्य रह चुके हैं तथा अब यहाँ स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य हैं | आई डी आर बी टी के भविष्य के लिए रोडमेप तैयार करने के उद्देश्य से हाल ही में गठित डॉक्टर सी रंगराजन कमेटी के वह सदस्य बनाये गए हैं | पेट्रोलियम, कोल व स्टील क्षेत्र की कई कंपनियों को वह टेक्नीकल सुझाव व सलाह देते रहे हैं तथा सलाहकार के रूप में वह बैंकिंग व वित्तीय क्षेत्र की कई संस्थाओं में भी सक्रिय रहे हैं |
एक अलग और खास हैसियत व पहचान रखने वाले एच कृष्णामूर्ति के नाम वापस लेने के साथ ही पंजाब नेशनल बैंक में हुए शेयरहोल्डर डायरेक्टर्स के चुनाव संदेह के घेरे में आ गए | एच कृष्णामूर्ति के नाम वापस लेने को ही आधार बनाते हुए चुनावी प्रक्रिया की और उसमें बैंक प्रबंधन की भूमिका की जाँच की मांग उठने लगी है | चंडीगढ़ की संस्था 'एसोसियेशन ऑफ कंपनी मैनेजमेंट' द्धारा मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स तथा मिनिस्ट्री ऑफ फाईनेंस को लिखे अपने पत्र में शेयरहोल्डर्स डायरेक्टर्स के चुनाव में पंजाब नेशनल बैंक प्रबंधन की भूमिका की जाँच की मांग की गई है |