Wednesday, March 7, 2012

इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अचानक से प्रस्तुत हुई ओम अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए चुनौतियाँ कम नहीं हैं

अहमदाबाद/मुंबई | ओम अग्रवाल को आगे करके राजू मनवानी को घेरने में लगे नेताओं की सक्रियता और हर हथकंडा आजमाने की तैयारी के चलते इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में खासी गर्मी पैदा हो गई है | राजू मनवानी से हमदर्दी रखने वाले लोगों का मानना और कहना है कि मल्टीपल के बड़े नेताओं का एक तबका राजू मनवानी को आगे बढ़ता हुआ नहीं देखना चाहता है और इसके लिए उस तबके ने पहले अरूणा ओसवाल को मोहरा बनाया; लेकिन जब अरूणा ओसवाल को सामने करके भी उन्हें मात खानी पड़ी, तो अब वह ओम अग्रवाल को ले आये हैं | ओम अग्रवाल की उम्मीदवारी को सबसे गंभीर आरोप यही झेलना पड़ रहा है कि वह उम्मीदवार बने नहीं हैं - बल्कि उम्मीदवार उन्हें 'बनाया' गया है | उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए ओम अग्रवाल का नाम कभी भी चर्चा में नहीं था | अरूणा ओसवाल के लिए जब अपने डिस्ट्रिक्ट में एंडोर्समेंट लेना संभव नहीं हुआ और उन्हें मल्टीपल के तमाम तुर्रमखां नेताओं के समर्थन के बावजूद राजू मनवानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा - तो अपनी अपनी उम्मीदवारी को बढ़ा/दिखा रहे लोगों ने उन तुर्रमखां नेताओं का समर्थन जुटाने के लिए प्रयास किया | समर्थन मिला लेकिन उन ओम अग्रवाल को - जिनकी उम्मीदवारी की कहीं कोई चर्चा ही नहीं थी | ओम अग्रवाल और उनके समर्थक हालाँकि सफाई देते हुए बता रहे हैं कि ओम अग्रवाल तो इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए तबसे अपनी उम्मीदवारी जता रहे थे, जब वह मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन थे | लेकिन पहले उन्हें नरेंद्र भंडारी का वास्ता देकर और फिर अरूणा ओसवाल का नाम लेकर अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत न करने के लिए मना लिया गया था - जिस कारण उनकी उम्मीदवारी की चर्चा लोगों के बीच नहीं हो सकी थी |
ओम अग्रवाल और उनके समर्थक जिस आरोप को धोने के लिए यह सफाई दे रहे हैं, वह आरोप इस सफाई से लेकिन और मजबूत ही हो रहा है | वह जो सफाई दे रहे हैं, उसका अर्थ भी यही निकल रहा है कि वह जब-जब उम्मीदवार होना चाहते थे, तब-तब बड़े नेताओं ने चूँकि उन्हें समर्थन नहीं दिया - उनकी बजाये पहले नरेंद्र भंडारी को और फिर अरूणा ओसवाल को दिया - इसलिए ओम अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत नहीं किया; लेकिन अब जब नेताओं ने उन्हें उम्मीदवार बनने के लिए कहा तो वह उम्मीदवार बन गए हैं | मतलब साफ है कि ओम अग्रवाल उम्मीदवार बने नहीं हैं, बल्कि बनाये गए हैं | ओम अग्रवाल की एक व्यक्ति और एक लायन के रूप में बहुत तारीफ है - उनके काम को, उनके व्यवहार को, उनकी सामर्थ्य को, उनकी सोच को बहुत-बहुत ऊँचा बताया जा रहा है | ओम अग्रवाल के बारे में जो बताया जा रहा है, हो सकता है कि वह सच भी हो - लेकिन जो लोग उन्हें नहीं जानते हैं उनके सामने सवाल यही है कि ओम अग्रवाल जब इतने योग्य और प्रतिभाशाली हैं तो आज उनका गुड़गान कर रहे बड़े नेताओं ने उन्हें उस समय समर्थन क्यों नहीं दिया, जब वह उम्मीदवार बनना चाहते थे; उनकी जगह बड़े नेताओं ने पहले नरेंद्र भंडारी और फिर अरूणा ओसवाल को क्यों उम्मीदवार बनाया ? बड़े नेताओं ने क्या नरेंद्र भंडारी और अरूणा ओसवाल को उनसे ज्यादा योग्य और प्रतिभाशाली माना, और इसीलिए उनकी बजाये उन्हें उम्मीदवार बनाया ? लोगों के लिए यह समझना एक चुनौती बना हुआ है कि नरेंद्र भंडारी ने इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में किस योग्यता व प्रतिभा का परिचय दिया है ? हर किसी का मानना और कहना है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में नरेंद्र भंडारी ने जो कुछ भी किया है, उसे तो कोई भी ऐरा-गैरा कर लेगा | अरूणा ओसवाल की लायन सदस्यों के बीच जो भी ख्याति है, वह सिर्फ और सिर्फ पैसे खर्च करने से जुड़ी है | तो क्या जो बड़े नेता पहले अरूणा ओसवाल को इंटरनेशनल डायरेक्टर बनवाने का 'ठेका' लिए हुए थे, और जिन्होंने अब ओम अग्रवाल को इंटरनेशनल चुनवाने के बीड़ा उठा लिया है - उनके लिए पैसा ही एकमात्र पैमाना है |
ऐसे में, ओम अग्रवाल के सामने चुनौती यह है कि जो लोग उन्हें अभी नहीं जानते हैं और उनकी प्रतिभा व योग्यता से परिचित नहीं हैं उन्हें वह यह बतायें/ समझायें कि जो बड़े नेता आज उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने का बीड़ा उठाये हुए हैं, उन्होंने पहले उनके मुकाबले नरेंद्र भंडारी तथा अरूणा ओसवाल को क्यों वरीयता दी ? किसी भी चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को दो 'दांत' चाहिए होते हैं : एक दिखाने के लिए और एक खाने के लिए | एक 'प्रतिभा' और 'योग्यता' उसे 'दिखाने' के लिए चाहिए होती है तथा एक 'प्रतिभा' और 'योग्यता' उसे 'इस्तेमाल' करना होती है | ओम अग्रवाल के सामने समस्या यह है कि जिस प्रतिभा व योग्यता को वह 'दिखाने' की कोशिश करते हैं उस पर सवाल खड़ा हो जाता है कि इस प्रतिभा और योग्यता के बावजूद जब वह अपने नजदीकियों व समर्थकों के बीच ही सेकेंड और थर्ड च्वाइस हैं, तो जो लोग उन्हें नहीं जानते हैं उनके बीच वह एकदम से फर्स्ट च्वाइस कैसे बनें ? अब रही उस प्रतिभा व योग्यता की बात, जिसे चुनाव जीतने के लिए 'इस्तेमाल' करना होता है - तो ओम अग्रवाल को लोगों की इस शंका का जबाव देना है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का उम्मीदवार होने में ही उन्हें पाँच वर्ष क्यों लग गए ? और अब भी वह इसलिए उम्मीदवार हो सके हैं क्योंकि जिन लोगों से उन्हें अपनी उम्मीदवारी के लिए हरी झंडी मिली है वह लोग जिन अरूणा ओसवाल को उम्मीदवार बनाना चाहते थे, वह अरूणा ओसवाल अपने डिस्ट्रिक्ट में ही एंडोर्समेंट नहीं ले सकीं और उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी दौड़ से बाहर होना पड़ा | यानि ओम अग्रवाल मजबूरी में बनाये गए उम्मीदवार हैं |
ओम अग्रवाल उम्मीदवार भले ही मजबूरी में बने हों - लेकिन उन्होंने और उनका समर्थन करने वाले नेताओं ने पूरे दमखम के साथ इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को लिया है | उन्हें पता है कि उनका चुनावी मुकाबला जिन राजू मनवानी के साथ है, उन राजू मनवानी की उम्मीदवारी की चर्चा लोगों के बीच काफी समय से है और अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने को लेकर वह लोगों के बीच ठोस काम कर चुके हैं | राजू मनवानी की उम्मीदवारी की चूँकि पहले से सक्रियता रही है इसलिए अधिकतर जगहों पर लायन सदस्य उनके पक्ष में पोजीशन या तो ले चुके हैं और या हालात को समझने की कोशिश कर रहे हैं | ओम अग्रवाल की समस्या यह है कि अपनी उम्मीदवारी के बारे में देर से फैसला करने के कारण उनका दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के लोगों के साथ कोई परिचय ही नहीं है | यही कारण है कि उन्हें अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में काम करने के लिए लायन ही नहीं मिल रहे हैं और उन्हें रिश्तेदारों की मदद लेनी पड़ रही है | जैसे कि अहमदाबाद में अपने डिस्ट्रिक्ट की कांफ्रेंस में एंडोर्समेंट लेने के अगले ही दिन ग्वालियर क्षेत्र में समर्थन जुटाने पहुंचे ओम अग्रवाल को अपने चुनाव की व्यवस्था की बागडोर किसी सक्रिय लायन सदस्य या नेता की बजाये अपने रिश्तेदार को सौंपनी पड़ी | इससे हालाँकि ओम अग्रवाल यह संदेश दे सके हैं कि चुनाव में वह हर किसी की मदद लेंगे | उन्होंने कई जगह कहा भी है कि चुनावी समर्थन जुटाने के लिए जो कुछ भी - जी हाँ जो कुछ भी करना होगा, उसे वह करेंगे | इससे एक बात साफ है कि 24 अप्रैल को होने वाला इंटरनेशनल डायरेक्टर पड़ का चुनाव खासा घमासानपूर्ण होगा |