नई दिल्ली | ललित खन्ना की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवारी की तैयारी की बात को रमेश अग्रवाल से छिपा कर मुकेश अरनेजा ने रमेश अग्रवाल को जो 'धोखा' देने की कोशिश की है, उससे रमेश अग्रवाल ने अपने आप को ठगा हुआ पाया है | इस मुद्दे को लेकर रमेश अग्रवाल के दो नजदीकियों के बीच हुई बातचीत को सुना गया जिसमें एक ने कहा कि 'सुनते हैं कि डायन भी पड़ोस का एक घर छोड़ देती है, लेकिन मुकेश अरनेजा ने रमेश अग्रवाल को भी नहीं छोड़ा'; दूसरे ने तुरंत चुटकी ली कि 'मुकेश अरनेजा डायन थोड़े ही हैं, वह क्यों एक भी घर छोड़े ?' उल्लेखनीय है कि रमेश अग्रवाल ने अपने गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार बनने वाले लोगों को चिन्हित करने पर खासा जोर दिया हुआ है और उनके साथ 'लूटो और दूर दिखने की कोशिश करो' वाला संबंध अपनाया हुआ है | पेट्स में संभावित उम्मीदवार जा सकें इसके लिए संभावित उम्मीदवारों से पचास-पचास हज़ार रुपये अतिरिक्त बसूलने वाले रमेश अग्रवाल पेट्स में यह देख/जान कर हैरान रह गए कि वहाँ मुकेश अरनेजा के मुँहबोले ललित खन्ना भी अपने आप को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का उम्मीदवार बताते हुए अपना चुनाव अभियान चला रहे हैं | हैरान होने का कारण यह रहा कि रमेश अग्रवाल ने मिले फीडबैक के आधार पर जिन लोगों को अपने गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार के रूप में चिन्हित किया है उनमें ललित खन्ना का नाम है ही नहीं | इसी कारण से उन्होंने संभावित उम्मीदवारों को दूर 'रखने' का जो नाटक रचा हुआ है, उस नाटक को वह ललित खन्ना के साथ नहीं रच पाये और न ही ललित खन्ना से वह पचास हज़ार रुपये बसूल कर पाये | रमेश अग्रवाल इस बात पर बहुत ही भन्नाए हुए रहे कि मुकेश अरनेजा ने उन्हें पचास हजार रुपये की चपत लगवा दी | ललित खन्ना ने जिस होशियारी के साथ अपने आप को रमेश अग्रवाल के हाथों लुटने से बचाया और रमेश अग्रवाल को उल्लू बनाया - रमेश अग्रवाल उसके पीछे मुकेश अरनेजा के 'धोखेबाजी के तरह-तरह के आइडियाज़ से भरे दिमाग' को जिम्मेदार मान रहे हैं | रमेश अग्रवाल को विश्वास है कि ललित खन्ना ने उनके साथ जो चाल चली है, उसे चलने की हिम्मत मुकेश अरनेजा ने ही उन्हें दी है |
रमेश अग्रवाल ही क्या, कोई भी यह नहीं स्वीकार करेगा कि ललित खन्ना ने पेट्स में अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के लिए जो अभियान चलाया उसकी उन्होंने पहले से तैयारी नहीं की होगी और उनकी उस तैयारी के बारे में मुकेश अरनेजा को नहीं पता होगा | रमेश अग्रवाल के लिए शिकायत की और निराशा की बात यही है कि तमाम दवाबों व प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद उन्होंने मुकेश अरनेजा को इस विश्वास के भरोसे डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया था कि मुकेश अरनेजा कम-से-कम उन्हें धोखा नहीं देंगे; लेकिन मुकेश अरनेजा अपनी फितरत से बाज नहीं आये और उन्होंने ललित खन्ना की उम्मीदवारी को लेकर रमेश अग्रवाल से धोखा किया | उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए ललित खन्ना की उम्मीदवारी की संभावना काफी समय से व्यक्त की जा रही थी | मुकेश अरनेजा ही लोगों को बताते थे कि ललित को तो वह जब चाहेंगे, तब उम्मीदवार बना देंगे | ललित खन्ना क्लब की राजनीति में मुकेश अरनेजा के प्रमुख सिपाही हैं और मुकेश अरनेजा की हिफाजत में तथा उनके कहने से किसी की भी ऐसी-तैसी करने को हमेशा तैयार रहते हैं | क्लब के लोगों का ही कहना है कि ललित खन्ना वैसे बहुत बढ़िया व्यक्ति हैं, बहुत मिलनसार हैं, बहुत मीठा बोलते हैं - लेकिन मुकेश अरनेजा की राजनीति को ज़माने के लिए वह किसी भी तरह का तांडव करने से पीछे नहीं रहते हैं | ललित खन्ना और मुकेश अरनेजा के बीच की जो केमिस्ट्री है, उसे जानने/पहचानने वाले लोगों को पूरा विश्वास है कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी की तैयारी मुकेश अरनेजा की देख-रेख में ही संपन्न हुई होगी | रमेश अग्रवाल को भी यही विश्वास है और इसीलिए वह मुकेश अरनेजा द्धारा उनके साथ किए गए घटियापन को लेकर निराश और नाराज़ हैं |
ललित खन्ना और मुकेश अरनेजा के नजदीकियों का हालाँकि कहना है कि ललित खन्ना अभी अपनी उम्मीदवारी की बात भले ही कर रहे हों और अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हों - लेकिन दरअसल अभी वह स्थितियों का जायेजा ले रहे हैं | संभवतः इसीलिए उन्होंने और मुकेश अरनेजा ने रमेश अग्रवाल को न बताया हो - उन्होंने तय किया हो कि वह पहले स्थितियों को समझ लें; और अभी पचास हजार रुपये रमेश अग्रवाल को देने से बच भी जाएँ | ललित खन्ना को जानने वाले लोगों का कहना है कि ललित खन्ना में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की इच्छा तो बहुत है, किंतु उम्मीदवार बनने की काबिलियत उनमें नहीं है | वह मुकेश अरनेजा के 'खाड़कू' की भूमिका तो अच्छे से निभा सकते हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार की 'जरूरतों' को पूरा करना उनके बस की बात नहीं है | मुकेश अरनेजा के चक्कर में ललित खन्ना ने अपनी स्थिति को हास्यास्पद ही बनाया हुआ है | इसका नज़ारा यह है कि पेट्स में तो ललित खन्ना ने अपने आप को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के उम्मीदवार के रूप में पेश किया और समर्थन जुटाने के लिए अभियान चलाया, किंतु पेट्स के लिए रवाना होने से कुछ ही दिन पहले वह क्लब में प्रेसीडेंट नोमीनी बने | अब ऐसे व्यक्ति की राजनीतिक समझ या अक्ल को आप क्या कहेंगे जो जिस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत कर रहा होगा, उस वर्ष वह अपने क्लब का प्रेसीडेंट इलेक्ट होगा ? इसी बात से ललित खन्ना के नजदीकियों की इस बात में दम लगता है कि ललित खन्ना के बस की उम्मीदवार बनना है नहीं | यह बात शायद उन्हें भी पता है और इसीलिए उन्होंने रमेश अग्रवाल द्धारा मांगे जाने वाले पचास हजार रुपये होशियारी से बचा लिए | पचास हजार रुपये की 'दिन-दहाड़े' लगाई गई इस चपत के लिए रमेश अग्रवाल लेकिन ललित खन्ना की बजाये मुकेश अरनेजा को ज्यादा जिम्मेदार मान रहे हैं |
|| रमेश अग्रवाल की धूर्तता का नायाब उदाहरण ||
नई दिल्ली | रमेश अग्रवाल ने पेट्स में अपनी धूर्तता का एक नायाब नमूना प्रस्तुत किया | उन्होंने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए होने वाले चुनाव में किसी भी उम्मीदवार का पक्ष नहीं लेंगे और उम्मीदवारों से दूरी बना कर रखेंगे | उन्होंने अपनी टीम के सदस्यों को भी चेतावनी के लहजे में आगाह किया कि वह भी उम्मीदवारों से दूर रहें | यह सुनते ही लोगों में इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि रमेश अग्रवाल यदि सचमुच इतने ही ईमानदार हैं तो फिर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के संभावित उम्मीदवार यहाँ - पेट्स में क्यों आमंत्रित किए गए हैं ? रमेश अग्रवाल की कथनी और करनी का भेद साक्षात् लोगों के सामने था - लेकिन रमेश अग्रवाल की बेशर्मी का आलम यह था कि वह लगातार उम्मीदवारों से दूर रहने की बात किए जा रहे थे | पेट्स में संभावित उम्मीदवारों का कोई काम नहीं था, उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं मिली थी, पेट्स में उनके उपस्थित होने का कोई कारण नहीं था - लेकिन फिर भी वह पेट्स में बुलाये गए थे | क्यों ? इस मामले का सबसे गंभीर पहलू यह है कि पेट्स में उपस्थित होने की अनुमति देने के बदले में रमेश अग्रवाल ने संभावित उम्मीदवारों से पचास-पचास हजार रुपये अतिरिक्त बसूले | बेईमानी का - पैसे बसूलने का ऐसा नायाब तरीका इससे पहले किसी भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने नहीं अपनाया है | 'रंगे हाथ' पकड़े जाने के बावजूद रमेश अग्रवाल द्धारा की जा रही उम्मीदवारों से दूरी बनाये रखने की बात को लोगों ने उनकी धूर्तता के एक नायाब सुबूत के रूप में ही देखा/पहचाना |