Tuesday, July 23, 2013

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में एसएस भामरा ने जेपी सिंह का साथ सचमुच छोड़ दिया है, या वह अजय गोयल के साथ कोई खेल खेल रहे हैं

करनाल/नई दिल्ली । अजय गोयल ने एसएस भामरा को अपनी तरफ मिला कर जेपी सिंह को खासा तगड़ा झटका दिया है । इस झटके के ‘तगड़ेपन’ को कम करने/दिखाने के लिए जेपी सिंह ने यह दावा करके चाल तो हालाँकि चली हुई है कि एसएस भामरा को अजय गोयल से तार जोड़ने की सलाह उन्होंने ही दी है और अजय गोयल के यहाँ एसएस भामरा उनके ही जासूस के रूप में हैं; लेकिन डिस्ट्रिक्ट में लोगों को सच यही नजर आ रहा है कि जेपी सिंह को डूबते हुए जहाज के रूप में देखते/पहचानते हुए एसएस भामरा ने उनका साथ छोड़ने में ही अपनी भलाई देखी और पहचानी है तथा उन्हें चूँकि अजय गोयल के साथ अपना भविष्य दिखाई दे रहा है, इसलिए वह अब अजय गोयल के साथ जा मिले हैं । एसएस भामरा ने भी अपनी तरफ से होशियारी यह दिखाई हुई है कि वह सीधे अजय गोयल से नहीं जा मिले हैं, उन्होंने यह ‘काम’ बाया एमआर शर्मा किया है । डिस्ट्रिक्ट में लोगों से उन्होंने यही कहा है कि वह तो एमआर शर्मा के साथ हैं, अब यदि एमआर शर्मा ने अपने आप को अजय गोयल के साथ जोड़ लिया है तो फिर स्वाभाविक रूप से वह भी अजय गोयल के साथ ही हुए । इन तीनों के नजदीकियों की बातों पर यदि विश्वास करें तो अंदरखाने यह तय हो चुका है कि अगले लायन वर्ष में एसएस भामरा की उम्मीदवारी अजय गोयल के नेतृत्व में प्रस्तुत होगी । अजय गोयल के उम्मीदवार के रूप में हालाँकि विनय गर्ग को देखा/पहचाना जा रहा था, लेकिन समझा जाता है कि अजय गोयल ने एसएस भामरा को आश्वस्त कर दिया है कि विनय गर्ग से पहले वह उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनवायेंगे । अजय गोयल ने कहा है कि अगले लायन वर्ष में डिस्ट्रिक्ट के विभाजन की प्रक्रिया यदि पूरी हो गई तो अगले लायन वर्ष में ही दो चुनाव होंगे, और तब एसएस भामरा व विनय गर्ग दोनों ही गवर्नर की लाइन में आ जायेंगे - और यदि किसी वजह से अगले लायन वर्ष तक डिस्ट्रिक्ट के विभाजन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो विनय गर्ग की बजाये एसएस भामरा उनके उम्मीदवार होंगे ।
विनय गर्ग को पीछे करके एसएस भामरा को अपने साथ मिला कर अजय गोयल ने जेपी सिंह की ‘राजनीति की कमर’ ही तोड़ देने का जो दाँव चला है, उसने जेपी सिंह को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में पहली बार पटखनी खाने का अहसास कराया है । असल में, जेपी सिंह ने यह सपने में भी नहीं सोचा था कि एसएस भामरा उनका साथ छोड़ कर किसी और के साथ जा मिलेंगे । जेपी सिंह ने अपने नजदीकियों को इसका एक कारण यह भी बताया हुआ था कि एसएस भामरा की एक मोटी रकम उनके पास फँसी हुई है और उस रकम को चूँकि उनके चुनाव में ही एडजस्ट होना है, इसलिए भी एसएस भामरा उनका साथ नहीं छोड़ पायेंगे । डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच चर्चा है कि जेपी सिंह संभावित उम्मीदवारों से अपने घर/परिवार के खर्च के नाम पर अच्छी.खासी रकम उधार ले लेते हैं और फिर उस रकम को चुनाव के खर्च में ‘एडजस्ट’ कर लेते हैं । उम्मीदवार ‘मजबूरी’ में कुछ बोल ही नहीं पाता है । जेपी सिंह का यह खेल चूँकि पिछले कई वर्ष से सफलता के साथ चल रहा है, इसलिए उन्हें उम्मीद रही कि एसएस भामरा के साथ भी उनका यह खेल चलेगा । लेकिन एसएस भामरा ने उनके खेल के इस ‘दाँव’ को भोथरा कर दिया है । जेपी सिंह ने अपने ‘चमचों’ से एसएस भामरा को यह संदेश भिजवाया भी कि यदि उन्होंने जेपी सिंह का साथ छोड़ा तो जेपी सिंह को उधार दी गई उनकी रकम तो मारी जायेगी - लेकिन एसएस भामरा ने यह जबाव देकर उन्हें और झटका दिया कि जेपी सिंह से अपनी रकम तो वह निकलवा लेंगे ।
मजे की बात यह है कि जेपी सिंह को मुसीबतों ने जिस तरह से घेरा है, उसके लिए खुद जेपी सिंह ही जिम्मेदार हैं । दरअसल अपनी अकड़ में जेपी सिंह यह भूल बैठे कि अपने लालच के चलते उन्होंने डिस्ट्रिक्ट में किस किस तरह के ‘दुश्मन’ बनाये हुए हैं - जो सिर्फ मौका देख रहे हैं उन्हें घेरने और उनसे निपटने का । लायंस क्लब अंबाला होस्ट के अनिल चोपड़ा की पहलभरी सक्रियता से डिस्ट्रिक्ट विभाजन का जो मुद्दा उठा वह शुरू में कोई इतना बड़ा मुद्दा नहीं था कि उससे निपटा न जा सकता हो - जेपी सिंह लेकिन इसी गलतफहमी में रहे कि यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, और इससे तो वह आसानी से निपट लेंगे । उन्हें इस बात का जरा भी अहसास नहीं हुआ कि इस मुद्दे को लपक कर उनके तमाम विरोधी उनकी छाती पर चढ़ बैठेंगे । जेपी सिंह ने दूसरी गलती यह की कि जब उन्हें डिस्ट्रिक्ट विभाजन का मुद्दा गंभीर होता हुआ ‘दिखा’ भी, तब उन्होंने उससे निपटने के लिए विनोद खन्ना जैसे बदनाम आदमी पर भरोसा किया । जेपी सिंह यह समझने में असफल रहे कि डिस्ट्रिक्ट में उनसे भी ज्यादा बदनाम तो विनोद खन्ना हैं, और विनोद खन्ना का संग-साथ उन्हें बचाने की बजाये उन्हें डुबोने का ही काम करेगा । यही हुआ भी । डिस्ट्रिक्ट के विभाजन को रोकने के लिए जेपी सिंह और विनोद खन्ना की जोड़ी की सक्रियता ने इनके विरोधियों को भी एकजुट होने के लिए प्रेरित किया ।
दरअसल, डिस्ट्रिक्ट को विभाजन की तरफ जाता देख कर जेपी सिंह और विनोद खन्ना जिस तरह से बौखलाए और डिस्ट्रिक्ट के विभाजन को रोकने के लिए यह जिस तरह की हरकतों पर उतरे, उससे लोगों को ऐसा लगा जैसे इन्हें अपनी जायदाद छिनने का डर हो गया है - इससे इनके लिए मामला और बिगड़ गया । इनके लायनिज्म को धंधा बना लेने तथा पैसों के लूटखसोट में इनके लगे रहने के आरोपों पर जिन लोगों को पहले भरोसा नहीं होता था, उन्हें भी इन आरोपों में सच्चाई नजर आने लगी और इस तरह जेपी सिंह और विनोद खन्ना का विरोध बढ़ता गया । इसी का नतीजा रहा कि वोटों की लड़ाई में प्रायः जीतते रहे जेपी सिंह और विनोद खन्ना डिस्ट्रिक्ट विभाजन के मुद्दे पर हुई वोट की लड़ाई में बुरी तरह हार गये । बुरी तरह हार कर भी इन्होंने कोई सबक नहीं लिया और हार को जीत में बदलने की तिकड़मों में जुट गये - यह एक बार फिर यह न समझने/पहचानने की भूल कर बैठे कि इनकी करतूतों से मल्टीपल के दूसरे डिस्ट्रिक्ट के लोग भी भलीभाँति परिचित हैं और इसीलिए डिस्ट्रिक्ट में हुई हार को मल्टीपल में जीत में बदलने की इनकी कोशिश औंधे मुँह जा गिरी । इस सारे घमासान में, डिस्ट्रिक्ट के विभाजन को रोकने की जेपी सिंह और विनोद खन्ना की कोशिश ही सिर्फ विफल नहीं हुई, डिस्ट्रिक्ट में उनकी बदनामी और उनके विरोधियों की संख्या में भी इजाफा हुआ । यह देख कर उन्हें राजनीतिक मात देने की कोशिशों में लगे लोगों में नये सिरे से जोश भरा - उनकी सक्रियता बढ़ी और नये समीकरण बनने की संभावनाओं को देखा/पहचाना जाने लगा । इसी देखने/पहचानने में एसएस भामरा ने पाला बदल लिया । ऐसा करने की कुछ तो एसएस भामरा के सामने मजबूरी बनी और फिर उन्हें इसमें ही अपना फायदा भी दिखा । डिस्ट्रिक्ट के विभाजन की मांग को चूँकि हरियाणा में ज्यादा समर्थन मिला, इसलिए इस मांग के विरोधी के रूप में हरियाणा के लोगों के बीच कुख्यात हुए जेपी सिंह के साथ एसएस भामरा भला कैसे खड़े रह सकते थे ? उन्होंने जान/समझ लिया है कि जेपी सिंह के खुले भरोसे में रह कर वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए हरियाणा के लोगों का समर्थन नहीं प्राप्त कर सकेंगे । जेपी सिंह हालाँकि लगातार यह दावा दोहराये जा रहे हैं कि एसएस भामरा उनके ही साथ हैं । तो क्या, एसएस भामरा राजनीतिक मजबूरी में अजय गोयल के साथ कोई खेल खेल रहे हैं ? अगले कुछ दिनों की घटनाएं बतायेंगी कि कौन किसके साथ खेल खेल रहा है और कौन किसे धोखा दे रहा है ? जाहिर है कि अगले कुछेक दिनों में घटने वाली घटनाएं डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के संदर्भ में महत्वपूर्ण होंगी ।