Monday, July 15, 2013

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में सुनील जैन की घोषणा ने कैबिनेट पदों की ऊँची कीमत बसूलने में लगे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर जनमेजा को फजीहत का शिकार बनाया

देहरादून/गाजियाबाद । सुनील जैन ने अपने गवर्नर-काल में कैबिनेट सदस्यों से पैसा न लेने की अपनी घोषणा को दोहरा कर सुधीर जनमेजा के लिए आलोचना और विरोध के स्वरों को तेज कर दिया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुधीर जनमेजा ने कैबिनेट सदस्यों से जो रकम बसूल करने की तैयारी की हुई है, उसके चलते वह पहले से ही डिस्ट्रिक्ट के लोगों की आलोचना के निशाने पर हैं । सुधीर जनमेजा ने रीजन चैयरपरसन्स, जोन चेयरपरसन्स तथा कमेटी चेयरपरसन्स के लिए जो रेट तय किए, उन्हें डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने ‘लूट’ की संज्ञा दी है । लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुधीर जनमेजा ने लगता है कि पैसा ‘बनाने’ का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है । सुधीर जनमेजा ने एक कमाल यह और किया कि परिचय सम्मेलन में आने वाले लोगों तक से उन्होंने रजिस्ट्रेशन के नाम पर पैसा बसूल कर लिया । सुधीर जनेमजा के नजदीकियों का कहना है कि सुधीर जनमेजा ने इस सच्चाई को जान/पहचान लिया है कि लायनिज्म में कुछ लोग पदों के इतने लालची हैं कि पद की ऐवज में कोई भी रकम देने को तैयार हो जायेंगे । इन्हीं नजदीकियों का कहना है कि लोग जब लुटने के लिए तैयार हैं तो सुधीर जनमेजा उन्हें ‘लूटने’ का मौका भला क्यों छोड़े ? नजदीकियों की इन बातों में दम तो है । इन्हीं नजदीकियों ने मजाक-मजाक में एक तथ्य की ओर और ध्यान दिलाया कि सुधीर जनमेजा चंदा उगाहने के मामले में तो गाजियाबाद में पहले से ही बदनाम हैं । इस तरह की बातों के बीच, सुधीर जनमेजा के विरोधियों को यह कहने का मौका मिल गया है कि वह तो पहले से ही कहते थे कि सुधीर जनमेजा को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सिर्फ पैसा बसूलने का ही काम करना है - अब देखिये, उनकी कही हुई बात सच साबित हो रही है ।
सुधीर जनमेजा को पैसा बसूलने के मामले में जिस तरह की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है, उसमें घी डालने का काम किया है - उनके बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद-भार संभालने वाले सुनील जैन ने । यह घी दरअसल सुनील जैन के उस दावे से पड़ा, जिसे उन्होंने लोगों के बीच एक बार फिर दोहराया है कि वह अपने गवर्नर-काल में कैबिनेट सदस्यों से कोई पैसा नहीं लेंगे । सुनील जैन ने अपनी इस बात को चूँकि ऐसे समय दोहराया है, जब कि सुधीर जनमेजा कैबिनेट सदस्यों से पैसा ‘लूटने’ के आरोपों में घिरे हैं - उस कारण से सुधीर जनमेजा के खिलाफ बोलने वालों को और बल मिला । सुधीर जनमेजा की बदकिस्मती यह रही कि सुनील जैन ने जो कहा, वह इरादतन उन्हें नीचा दिखाने के उद्देश्य से नहीं कहा । सुनील जैन तो उन लोगों को जबाव दे रहे थे, जो उनके सामने सुधीर जनमेजा की आलोचना करते हुए जोर-शोर से यह शिकायत कर रहे थे कि उम्मीदवार के रूप में तो लोग बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन गवर्नर बनते ही अपने असली रंग में आ जाते हैं । उन लोगों को जबाव देते हुए सुनील जैन ने दावा किया कि वह ‘ऐसे’ साबित नहीं होंगे । उम्मीदवार के रूप में उन्होंने यदि यह कहा है कि वह कैबिनेट सदस्यों से पैसे नहीं लेंगे, तो गवर्नर के रूप में भी वह अपनी इस घोषणा का पालन करेंगे । लोगों के बीच सुनील जैन की चूँकि अच्छी साख है, इसलिए लोगों ने सहज विश्वास भी कर लिया कि वह सुधीर जनमेजा जैसे साबित नहीं होंगे । सुधीर जनमेजा और सुनील जैन की साख/पहचान में जो अंतर है - वह इस तथ्य से भी जाहिर है कि सुधीर जनमेजा तीसरी बार के प्रयास में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जा सके, जबकि सुनील जैन पहले ही प्रयास में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुन लिए गये थे । यहाँ इस तथ्य को याद कर लेना भी प्रासंगिक होगा कि सुनील जैन की उम्मीदवारी का सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुधीर जनमेजा ने खुला विरोध किया था - सुनील जैन लेकिन फिर भी जीते ।
कोई भी बुराई तब और भी बुरी दिखाई देती है, जब अच्छाई उसके ठीक सामने आ खड़ी हो । सुधीर जनमेजा ने कैबिनेट सदस्यों से जो लूट मचाई, वह लोगों के थोड़े-बहुत गुस्से-गुबार के बाद शांत हो जाती - लेकिन प्रसंगवश सामने आई सुनील जैन की घोषणा ने लोगों के गुस्से-गुबार को बुरी तरह भड़का दिया । सुधीर जनमेजा के लिए राहत की बात लेकिन यह रही कि पदों के लिए तय किए गए उनके रेट्स पर हाय-हल्ला चाहें जितना मचा हो, उन्हें उनकी कीमत पर ‘शिकार’ लेकिन मिल गये । सुधीर जनमेजा ने दरअसल इस बात को समझ/पहचान लिया है कि यहाँ कई लोग ऐसे हैं जिनके पास पैसे तो हैं लेकिन जिनकी कोई सामाजिक पहचान या संलग्नता नहीं है और जो पैसा देकर सामाजिक पहचान को ‘खरीदने’ को तैयार रहते हैं । सुधीर जनमेजा ने उनके सामने पद का ‘चारा’ फेंका और उन्हें फँसा लिया । इस तरह, सुधीर जनमेजा कैबिनेट के पदों को ऊँची कीमत पर ‘बेचने’ में तो कामयाब रहे, लेकिन सुनील जैन की घोषणा के कारण पैदा हुए माहौल में अपनी छवि और पहचान को फजीहत का शिकार होने से नहीं बचा सके । सुधीर जनमेजा की बदकिस्मती यह है कि उनके कारनामों की पोलें बड़ी जल्दी जल्दी खुल जा रही हैं । मल्टीपल के दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के लोगों के बीच सुधीर जनमेजा पैकेजबाजी को लेकर पहले से ही बदनाम हो चुके हैं । एक कार्यक्रम में भाषण देते हुए पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर नरेश अग्रवाल ने जब यह चेतावनीपूर्ण सलाह दी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद-भार संभालने जा रहे लोगों को पैकेजबाजी से बचना चाहिए तो वहाँ मौजूद सभी की निगाहें सुधीर जनमेजा पर जा टिकीं । दरअसल सुधीर जनमेजा ने पिछले दिनों जो कार्यक्रम किए उन्हें पैकेज टूर की तरह आयोजित किया - जिससे मल्टीपल तक के लोगों के बीच यह चर्चा चली कि इन पैकेज कार्यक्रमों की आड़ में सुधीर जनमेजा ने पैसा कमाने का काम किया है । नरेश अग्रवाल को इसीलिए पैकेजबाजी से बचने की सलाह देने के लिए मजबूर होना पड़ा ।
नरेश अग्रवाल की सलाह ने मल्टीपल के पदाधिकारियों के बीच और सुनील जैन की घोषणा ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच सुधीर जनमेजा की खासी किरकिरी करा दी है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुधीर जनमेजा का कार्यकाल औपचारिक रूप से शुरू होने से पहले ही लोगों के बीच उनकी ‘लायनिज्म के सौदागर’ की जो पहचान बन गई है, उसके कारण उनका कार्यकाल संदेहों के घेरे में आ गया है । इससे उन लोगों को झटका लगा है जो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुधीर जनमेजा से और उनके गवर्नर-काल से लायनिज्म के संदर्भ में कुछ अलग किस्म की उम्मीदें लगाये हुए थे । उल्लेखनीय बात यह है कि इन उम्मीदों को खुद सुधीर जनमेजा ने ही लोगों के बीच पैदा किया था । उम्मीदवार रहते हुए उन्होंने बड़ी बड़ी बातें की थीं, और लायनिज्म के नाम पर जो चल रहा है उसे बदलने की जरूरत को रेखांकित किया था । उम्मीदवार के रूप में कही गई उनकी बातों को सुन कर ऐसा लगता था कि जब उन्हें मौका मिलेगा, तब वह लायनिज्म के नाम पर डिस्ट्रिक्ट में होने वाली धांधलियों को न सिर्फ खत्म कर देंगे - बल्कि डिस्ट्रिक्ट में लायनिज्म की एक नई इबारत लिखेंगे । लेकिन सुधीर जनमेजा के लिए जब कुछ करने का मौका आया, तब वह तरह-तरह से पैसा जुटाने/बनाने के अभियान में ही लगे दिखे । यह देख कर उनसे उम्मीद रखने वालों का निराश होना स्वाभाविक ही है ।