Friday, July 26, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने मंजीत साहनी को आगे करके विनोद बंसल की रोटरी इंस्टीट्यूट का चेयरमैन बनने की तैयारी में अड़चन पैदा की

नई  दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट 3010 में इन दिनों उस मशहूर हिंदी कहावत को चरितार्थ होते देखा जा सकता है जिसमें 'गाँव के बसने से पहले ही लुटेरों के सक्रिय होने' की बात कही गई है । हुआ यह है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर ने वर्ष 2014 में होने वाले रोटरी इंस्टीट्यूट को दिल्ली में आयोजित करने का प्रस्ताव रखा तो डिस्ट्रिक्ट 3010 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच उस इंस्टीट्यूट का चेयरमैन बनने को लेकर भयानक मारकाट मच गई । यह मारकाट इतने गंभीर रूप में चल रही है कि इसके चलते इंस्टीट्यूट के दिल्ली में होने का प्रस्ताव रद्द होने का खतरा तक पैदा हो गया है । उल्लेखनीय है कि क्लब्स के लोग इन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को अपने प्रोजेक्ट्स संबंधी कार्यक्रम में आमंत्रित करें, तो यह व्यस्तता का तर्क देकर बच निकलते हैं । डिस्ट्रिक्ट के इंटरसिटी सेमीनारों में न आने का इनके पास बड़ा ठोस बहाना होता है कि गवर्नर ने इन्हें तरीके से निमंत्रित ही नहीं किया, बस एक इमेल भेज दिया है । लेकिन प्रस्तावित इंस्टीट्यूट के चेयरमैन बनने को लेकर छिड़ी लड़ाई में अपनी अपनी पोजीशन लेने की तैयारी को लेकर होने वाली मीटिंग्स के लिए इन्हें न तो किसी निमंत्रण के 'तरीके से' मिलने की जरूरत है और न इनके पास समय की कोई कमी है । इससे भी ज्यादा मजे की बात यह हुई है कि प्रस्तावित इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पद को लेकर छिड़ी लड़ाई में अभी कुछ दिन पहले तक एक-दूसरे को अश्लील और अशालीन तरीके से निशाना बना रहे कुछेक पूर्व गवर्नर्स अब एक दूसरे से गलबहियाँ करते देखे जा हैं ।
इस संबंध में मुकेश अरनेजा, आशीष घोष और अमित जैन के बीच बनी निकटता ने लोगों का ध्यान खास तौर से खींचा है । उल्लेखनीय है कि मुकेश अरनेजा पिछले काफी समय से आशीष घोष और अमित जैन को तरह-तरह से निशाना बनाते हुए अपमानित करते रहे हैं । आशीष घोष को लेकर मुकेश अरनेजा ने जिस तरह की अश्लील और अशालीन किस्म की बातें की हैं, किसी सामान्य भले व्यक्ति के लिए तो उन बातों को कहना/सुनना भी मुश्किल होगा । अमित जैन के साथ तो मुकेश अरनेजा का ऐसा टकराव रहा कि अमित जैन के लिए मुकेश अरनेजा को अपने गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से हटाने की मजबूरी पैदा हो गई थी जिसके बदले में मुकेश अरनेजा ने अमित जैन के गवर्नर-काल को खराब करने का बीड़ा उठा लिया था । लेकिन अब, प्रस्तावित इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पद को लेकर छिड़ी लड़ाई में मुकेश अरनेजा की 'बातों' में आशीष घोष और अमित जैन को मजे लेते हुए देखा गया है । दरअसल, मुकेश अरनेजा की अश्लील और अशालीन किस्म की बातों में निशाने पर अब विनोद बंसल हैं - इसलिए इन्हें मजा आ रहा है । इन्हें मजा इसलिए भी आ रहा है क्योंकि अभी तक मुकेश अरनेजा की  बातों में निशाने पर जब ये होते थे तो विनोद बंसल मजा लेते थे । विनोद बंसल ने यह समझने की दरअसल कोई कोशिश ही नहीं की कि जो मुकेश अरनेजा अभी आशीष घोष और अमित जैन को निशाना बना रहे हैं, कल वही मुकेश अरनेजा उन्हें निशाना बनाने से नहीं चूकेंगे ।
मुकेश अरनेजा ने विनोद बंसल को आजकल इसलिए निशाने पर लिया हुआ है, क्योंकि दिल्ली में प्रस्तावित रोटरी इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पद के लिए पीटी प्रभाकर की पसंद के रूप में उन्हें विनोद बंसल का नाम सुनाई दिया । मुकेश अरनेजा ने यह भाँपने में कोई देर नहीं की कि पूर्व गवर्नर्स के बीच राजनीति करने का उन्हें यह सुनहरा मौका मिला है । उन्होंने समझ लिया कि अलग-अलग तरीके से वह लोगों को उकसायेंगे तो विनोद बंसल को चेयरमैन बनाने का विरोध करने के लिए हर कोई तैयार हो जायेगा । मुकेश अरनेजा ने गणित यह लगाया कि पिछले छह-आठ वर्ष में बने गवर्नर निजी खुन्नस, ईर्ष्या और या निजी महत्वाकांक्षा के चलते विनोद बंसल के खिलाफ किये जा सकते हैं और पुराने गवर्नर्स को वरिष्ठता का नारा देकर विनोद बंसल के खिलाफ किया जा सकता है । दिल्ली में प्रस्तावित रोटरी इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पद के लिए मंजीत साहनी और अशोक घोष का नाम उछाल कर मुकेश अरनेजा ने पहले तो काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में स्थितियों को विनोद बंसल के लिए प्रतिकूल बना दिया और फिर अपनी आदत के अनुसार चटखारेदार बातों के जरिये विनोद बंसल को निशाने पर ले कर मजाक का विषय बना दिया । इस तरह, आशीष घोष और अमित जैन को भी मुकेश अरनेजा की बातों में मजे लेने का मौका बहुत समय बाद मिला ।
मुकेश अरनेजा लोगों को रस ले ले कर बता रहे हैं कि दिल्ली में प्रस्तावित रोटरी इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पद की लड़ाई में किस तरह सुशील गुप्ता भी विनोद बंसल के काम नहीं आ पाये । लोगों को यह बात बताना मुकेश अरनेजा को इसलिए जरूरी लगा क्योंकि मुकेश अरनेजा को इस बात से भी बड़ी चिढ़ रही कि विनोद बंसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुशील गुप्ता को कुछ ज्यादा ही तवज्जो दे रहे हैं । मुकेश अरनेजा ने लोगों को जो बताया उसके अनुसार, काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में सुशील गुप्ता ने एक बार यह तर्क जरूर दिया कि इंस्टीट्यूट के चेयरमैन को चुनने का अधिकार तो इंटरनेशनल डायरेक्टर को मिलना ही चाहिए । लेकिन बाकी लोगों ने जब यह तर्क दिया कि इंटरनेशनल डायरेक्टर को यह अधिकार मिलना तो जरूर चाहिए, लेकिन इंस्टीट्यूट की व्यवस्था अच्छे से हो सके इसके लिए क्या यह उचित नहीं होगा कि वह चेयरमैन का चुनाव दूसरों से सलाह करके करे - तो सुशील गुप्ता को चुप रह जाना पड़ा । दिल्ली में अगले रोटरी वर्ष में, यानि संजय खन्ना के गवर्नर-काल में रोटरी इंस्टीट्यूट की बात अभी सिर्फ प्रस्ताव के स्तर पर है - लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3010 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पद को लेकर आपस में भिड़ गए हैं । इंस्टीट्यूट के प्रभारी के रूप में पीटी प्रभाकर ने विनोद बंसल को चेयरमैन बनाने की तैयारी की, तो डिस्ट्रिक्ट के सभी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर उनके खिलाफ लामबंद हो गए; मंजीत साहनी और अशोक घोष का नाम काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में आया जरूर, लेकिन किसी एक नाम पर सहमति नहीं हो पाई - सहमति बनाने की कोशिश भी दरअसल नहीं हुई और इसलिए नहीं हुई क्योंकि इनके नाम ऐसे लोगों ने दिए जो इनके घोर विरोधी के रूप में जाने/पहचाने जाते हैं । समझा जाता है कि इनके नाम तो विनोद बंसल के खिलाफ माहौल बनाने के उद्देश्य से लिया गया है - चेयरमैन चुनने का जब सचमुच का वक्त आयेगा तो कुछेक लोग अपना नाम आगे कर सकते हैं । चेयरमैन पद को लेकर काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग होने के बाद भी जिस तरह की हलचल है और छोटे-छोटे समूहों में गुपचुप गुपचुप बातचीतें हो रही हैं उससे यही आभास मिल रहा है कि इंस्टीट्यूट - जिसके दिल्ली में होने का सिर्फ प्रस्ताव भर है, अभी यह तय नहीं हुआ है कि वह दिल्ली में होगा भी या नहीं - के चेयरमैन पद को लेकर पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स तलवारें लिए घूम रहे हैं, इस बात की परवाह किये बिना कि उनकी यह तलवारें इंस्टीट्यूट के दिल्ली में होने की संभावना को ही काटने का काम करेंगी ।