नई दिल्ली | सतीश गुप्ता ने अपनी उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों के साथ मीटिंग करके अपनी चुनावी रणनीति को जिस आक्रामक तरीके से जाँचा-परखा है, उसके बारे में जान/सुन कर मुकेश अरनेजा और असित मित्तल को तगड़ा झटका लगा है | दरअसल इन्हें क्या, अन्य कईयों को यह उम्मीद नहीं थी कि सतीश गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में कई-एक प्रमुख लोगों का खुल्लमखुल्ला समर्थन जुटा लेंगे | अपनी चुनावी रणनीति को लेकर सतीश गुप्ता ने जो मीटिंग की, उसमें पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अशोक घोष के बहुत खासमखास सतिंदर नारंग, पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर केके गुप्ता के बेटे समीर गुप्ता, असित मित्तल की डिस्ट्रिक्ट टीम में ट्रेजरार अशोक गर्ग के क्लब के कुछेक खास सदस्य, असित मित्तल-रमेश अग्रवाल-विनोद बंसल की चुनावी जीत में प्रमुख भूमिका निभाने वाले गाजियाबाद के रवींद्र सिंह, असित मित्तल की डिस्ट्रिक्ट टीम के चार-पाँच असिस्टेंट गवर्नर आदि की उपस्थिति ने उनकी मीटिंग को महत्वपूर्ण बना दिया | इन तथा कुछेक अन्य प्रमुख लोगों की उपस्थिति से यह स्वतः साबित हुआ कि जिन सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी को हल्के में लिया जा रहा है, उन सतीश गुप्ता ने अपनी उम्मीदवारी के लिए लोगों के बीच अच्छा समर्थन जुटाया हुआ है और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनावी मुकाबले में वह 'छुपे रुस्तम' साबित हो सकते हैं | इस मीटिंग में सतीश गुप्ता के क्लब के प्रायः सभी पूर्व अध्यक्ष तथा मौजूदा पदाधिकारी भी उपस्थित थे | उनकी उपस्थिति से सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह के उन 'नेताओं' को स्वतः ही जबाव मिल गया जो लगातार यह झूठ फैलाए हुए थे कि सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी को तो उनके अपने ही क्लब में विरोध का सामना करना पड़ रहा है |
सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों की इस मीटिंग की जानकारी मिलते ही मुकेश अरनेजा और असित मित्तल के तो हाथों के तोते उड़ गए | दरअसल इन दोनों को उम्मीद थी कि यह सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी को वापस करवा देंगे | मुकेश अरनेजा ने तो पिछले दिनों झूठ बोल-बोल कर लोगों को यह बताना भी शुरू कर दिया था कि सतीश गुप्ता ने अपनी उम्मीदवारी को वापस ले लिया है | इससे पहले मुकेश अरनेजा और असित मित्तल ने तरह-तरह से सतीश गुप्ता को अपनी उम्मीदवारी के प्रति हतोत्साहित करने का हर संभाव प्रयास किया था | मुकेश अरनेजा ने तो कई-कई बार यह दावा करते हुए कि सतीश गुप्ता को चार से ज्यादा वोट नहीं मिलेंगे, सतीश गुप्ता की स्थिति और पहुँच को कम करके आँकने का और उन्हें अपमानित करने का काम किया था | असित मित्तल ने सतीश गुप्ता के साथ दोस्ती की आड़ में धोखाधड़ी की | असित मित्तल मीठी-मीठी बातें करके सतीश गुप्ता से यह पता कर लेते कि वह किन-किन लोगों से मिल रहे हैं तथा कौन-कौन लोग उनके साथ आ रहे हैं, और फिर उन लोगों को बहला/फुसला कर सतीश गुप्ता से दूर कर देते | सतीश गुप्ता को जब तक असित मित्तल की धोखाधड़ी का पता चला, तब तक असित मित्तल उनका काफी नुकसान कर चुके थे | पता चलने के बाद सतीश गुप्ता सावधान हो गए और फिर उन्होंने असित मित्तल की चालाकी में फँसने से बचने का गुण सीख लिया | विनोद बंसल से भी सतीश गुप्ता को कुल मिलाकर निराशा ही हाथ लगी | विनोद बंसल ने हालांकि शुरू में सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन दिखाया था, लेकिन खुलकर उनके लिए कुछ करने से उन्होंने यह तर्क देकर अपने को बचा लिया था कि चूंकि वह डीजीएन हैं, इसलिए उनके लिए खुलकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में पार्टी बनना उचित नहीं होगा और यह उनके पद की गरिमा के अनुकूल भी नहीं होगा | सतीश गुप्ता लेकिन बाद में यह देख कर हैरान रह गए कि पद की गरिमा की दुहाई देने वाले विनोद बंसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में न सिर्फ पार्टी बने बल्कि कहीं-कहीं तो उन्होंने मुकेश अरनेजा व असित मित्तल से भी 'आगे निकलने' की कोशिश की |
सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी को कम करके आँकने, उन्हें हतोत्साहित करने, उनके साथ दोस्ती की आड़ में धोखाधड़ी करने के बाद भी मुकेश अरनेजा और असित मित्तल जब अपने 'उद्देश्यों' में सफल नहीं हुए हैं; और सतीश गुप्ता ने अपनी तैयारी तथा अपनी उम्मीदवारी के प्रति लोगों के समर्थन की एक झलक दिखा दी है तो मुकेश अरनेजा और असित मित्तल ने सतीश गुप्ता को झूठे और बेहूदा किस्म के आरोप लगा कर बदनाम करने की चाल भी चल दी है | मुकेश अरनेजा और असित मित्तल की घटिया हरकतें चूंकि लोगों के बीच जाहिर हो चुकी हैं - पच्चीस जनवरी को इनकी शह पर आयोजित हुई गाजियाबाद की मीटिंग में शराबबाजी और लड़कीबाजी के चक्कर में हुई खूनी मार-पिटाई की घटना पर पर्दा डालने की इनकी तमाम कोशिशों के बाद भी इनकी 'दिलचस्पियों' के किस्से चूंकि अब हर जुबान पर हैं, इसलिए इन्होंने दूसरों को भी अपने जैसा ही बताने/दिखाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं | सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों की मीटिंग के बाद सतीश गुप्ता पर झूठे और बेहूदा आरोप लगाने की जो कोशिश हुई है, उसके पीछे मुकेश अरनेजा और असित मित्तल को ही पहचाना जा रहा है | चूंकि यह भी जानते हैं कि सतीश गुप्ता पर और या अन्य दूसरों पर यह जो आरोप लगा रहे हैं, वह झूठे हैं - इसलिए यह फर्जी या बेनामी रूप से आरोप लगा रहे हैं | सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों की मीटिंग होने, तथा इस मीटिंग के कारण सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी के मजबूती से दिखने के बाद मुकेश अरनेजा और असित मित्तल ने सतीश गुप्ता के खिलाफ जिस तरह का हल्ला बोला है, उससे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनावी परिदृश्य दिलचस्प हो गया है |
सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी की तैयारी और उनको मिलते 'दिख' रहे समर्थन के प्रभाव को समझने वाले सत्ताधारी गवर्नर्स के नज़दीकियों ने ही यह कहना शुरू कर दिया है कि सत्ताधारी गवर्नर्स को यदि अपनी चुनावी इज्ज़त बचानी है तो उन्हें सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में आ जाना चाहिए | इस बात को लेकर रमेश अग्रवाल तथा विनोद बंसल पर ज्यादा दबाव है | रमेश अग्रवाल पर इसलिए भी, क्योंकि सतीश गुप्ता के कई शुभचिंतक और समर्थक रमेश अग्रवाल के क्लब में हैं | विनोद बंसल के साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों का कहना है कि विनोद बंसल जितना जल्दी यह समझ लेंगे कि मुकेश अरनेजा और असित मित्तल 'जैसी' राजनीति करके उन्हें सिर्फ बदनामी ही मिलेगी, उतना ही उनके लिए भी अच्छा है | मुकेश अरनेजा और असित मित्तल को भी इस बात का आभास है कि कुछेक लोग रमेश अग्रवाल व विनोद बंसल को सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन के लिए राजी करने का प्रयास कर रहे हैं; इसीलिए उन्होंने सतीश गुप्ता को बदनाम करने की मुहिम छेड़ दी है | मजे की बात यह है कि यह लोग एक तरफ तो सतीश गुप्ता को बदनाम कर रहे हैं, और दूसरी तरफ सतीश गुप्ता को यह समझा कर 'बैठाने' की कोशिश भी कर रहे हैं कि उनकी उम्मीदवारी संजय खन्ना की उम्मीदवारी को फायदा पहुँचा रही है | सतीश गुप्ता लेकिन इनकी अपमानित करने तथा बदनाम करने की बातों और दोस्ती की आड़ में की गई इनकी धोखाधड़ी की हरकतों से इतने दुखी हो चुके हैं कि वह इन पर जरा भी भरोसा करने को तैयार नहीं हैं | सतीश गुप्ता को अपने काम पर, अपनी उम्मीदवारी के लिए जुटाये अपने समर्थन-आधार पर इतना भरोसा हो गया है कि वह अब और ज़ोर-शोर से न सिर्फ अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के अभियान में लग गए हैं, बल्कि यह व्यवस्था करने में भी जुट गए हैं कि सत्ताधारी गवर्नर्स चुनाव में किसी तरह की बेईमानी या हेराफेरी न कर सकें | सतीश गुप्ता ने अपने समर्थकों को चेता दिया है कि मुकेश अरनेजा और असित मित्तल चुनाव में किसी भी तरह की धांधली कर सकते हैं, इसलिए इनकी हर हरकत पर निगाह रखने की जरूरत है | यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि सतीश गुप्ता की शिकायत के बाद ही पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता और सुदर्शन अग्रवाल की 'अदालत' ने मुकेश अरनेजा को 'तड़ीपार' करने का आदेश सुनाया था |
सतीश गुप्ता ने बड़े नेताओं - पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के समर्थन के बिना - और सत्ताधारी गवर्नर्स के खुले व षडयंत्रपूर्ण विरोध के बावजूद जिस तरह अपनी उम्मीदवारी के लिए न सिर्फ अच्छा-खासा समर्थन जुटा लिया है, बल्कि अपनी उम्मीदवारी की हवा भी बना ली है, उससे उनके हौंसले काफी बुलंद हैं | उन्हें उम्मीद है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए डिस्ट्रिक्ट में जो चुनावी घमासान मचा हुआ है और जिस तरह से क्लब्स के अध्यक्षों को तथा अन्य रोटेरियंस को परेशान किया हुआ है उससे तंग होकर लोग उन्हें ही चुनना पसंद करेंगे | सतीश गुप्ता की उम्मीदवारी, उनकी सक्रियता, प्रभावपूर्ण नतीजे पाने की उनकी सामर्थ्य (जैसे मुकेश अरनेजा को 'तड़ीपार' करवा देना) ने रवि चौधरी की उम्मीदवारी के समर्थकों को बुरी तरह डरा दिया है | असित मित्तल का मानना और कहना है कि सतीश गुप्ता यह नहीं समझ रहे हैं कि उनके साथ जो लोग नज़र आ रहे हैं, वह वास्तव में संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थक हैं, और उन्हें सिर्फ इस्तेमाल कर रहे हैं; तथा उनकी उम्मीदवारी संजय खन्ना की जीत को ही सुनिश्चित करने का काम करेगी | सतीश गुप्ता लेकिन असित मित्तल या रवि चौधरी के किसी और समर्थक की बात को सुनने/मानने को तैयार नहीं हैं |