Wednesday, February 1, 2012

पोलियो के नाम पर हुई मीटिंग में घटी मार-पिटाई की घटना पर पर्दा डाल कर असित मित्तल ने राजा साबू के नाम का भी इस्तेमाल किया

नई दिल्ली/गाजियाबाद | संजय खन्ना की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों द्धारा आयोजित की गई मीटिंग में लोगों को शामिल होने से रोकने के लिए सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह ने षड्यंत्र के तहत जिस मीटिंग का आयोजन किया, वह बुरी तरह फ्लॉप हुई | सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह द्धारा आयोजित इस मीटिंग को 'बुरी तरह फ्लॉप' इसलिए माना गया, क्योंकि इसके जरिये न तो वह 'राजनीति' की जा सकी, जिस राजनीति को करने के लिए वास्तव में इसका आयोजन किया गया था; और न उस उद्देश्य को ही प्राप्त किया जा सका - दिखावे के लिए जिसे औपचारिक तौर पर घोषित किया गया था | उल्लेखनीय है कि सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह ने तीस जनवरी की रात आठ बजे बुलाई गई मीटिंग का घोषित उद्देश्य कॉन्फ्रेंस में पोलियो कार्यक्रम को लेकर रोटेरियंस को प्रेरित करने का बताया था | सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह के एक सदस्य ने इन पंक्तियों के लेखक को बताया कि पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू ने फरवरी के अंत में दिल्ली में होने वाले पोलियो के कार्यक्रम को कामयाब बनाने के लिए ज़ोर दिया हुआ है और इसे लेकर वह कॉन्फ्रेंस में तैयारियों का जायेजा भी लेंगे | पोलियो का तो बहाना था, इस मीटिंग के पीछे सत्ताधारी गवर्नर्स का मूल उद्देश्य संजय खन्ना की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों द्धारा की जा रही मीटिंग को फेल करना था | इसीलिए इन्होंने जानबूझ मीटिंग का समय वही रखा जो कि संजय खन्ना के शुभचिंतकों व समर्थकों द्धारा तय की गई मीटिंग का था | इन्हें यदि सचमुच पोलियो पर बात करना थी तो कोई दूसरा समय तय करना चाहिए था, ताकि इनकी मीटिंग में ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हो सकते |
सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह के सदस्य - मुकेश अरनेजा, असित मित्तल, रमेश अग्रवाल और विनोद बंसल - पोलियो के बारे में यदि सचमुच गंभीर हैं, तो इन्हें पच्चीस जनवरी को हुई मीटिंग का संज्ञान लेना चाहिए, जो इन्होंने नहीं लिया और जिसके कारण डिस्ट्रिक्ट की और रोटरी की बदनामी हुई है | उल्लेखनीय है कि पच्चीस जनवरी को रवि चौधरी की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों ने रवि चौधरी की उम्मीदवारी के लिए समर्थन दिखाने और जुटाने के उद्देश्य से मीटिंग का आयोजन किया था | यह मीटिंग पोलियो के नाम पर की गई थी | मीटिंग के आयोजन की जिम्मेदारी संभालने वाले अशोक अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट पोलियो प्लस कमेटी के चेयरमैन हैं | गौर करने की बात यह है कि संजय खन्ना की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों ने संजय खन्ना की उम्मीदवारी के लिए समर्थन दिखाने और जुटाने के उद्देश्य से जो मीटिंग की वह पर्यावरण तथा वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के नाम पर की | गौर करने की बात यह है कि इन्होंने पर्यावरण तथा वृक्षारोपण के नाम पर यदि मीटिंग की तो पर्यावरण तथा वृक्षारोपण के प्रति लोगों को प्रोत्साहित भी किया और आगंतुकों को प्रेरित व उत्साहित करने के उद्देश्य से उनके बीच पौधे भी वितरित किए | लेकिन डिस्ट्रिक्ट पोलियो प्लस कमेटी के चेयरमैन अशोक अग्रवाल द्धारा पोलियो के नाम पर की गई मीटिंग में पोलियो के बारे में एक शब्द तक नहीं बोला गया | सिर्फ इतना ही नहीं, पोलियो के नाम पर आयोजित हुई मीटिंग में लोगों के बीच लात-घूसों से मार-पिटाई और हो गई | इससे भी जायदा शर्मनाक बात यह हुई कि इस मार-पिटाई के लिए शराबबाजी और लड़कीबाजी को जिम्मेदार ठहराया गया | सत्ताधारी गवर्नर्स ने शराबबाजी और लड़कीबाजी के आरोप से इंकार करने में तो देर नहीं लगाई, लेकिन मामले की जांच कराने की मांग को एकदम से खारिज कर दिया | लोगों का कहना यही रहा कि सत्ताधारी गवर्नर्स जब मौके पर मौजूद ही नहीं थे, तो उन्हें क्या पता और कैसे पता कि पोलियो के नाम पर हुई मीटिंग में मार-पिटाई की घटना का कारण क्या था ?
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर असित मित्तल ने पोलियो के काम के नाम पर हुई शराबबाजी और लड़कीबाजी तथा उस कारण हुई मार-पिटाई की घटना पर पर्दा डालने की जो कोशिश की, उससे पोलियो के प्रति उनकी जिम्मेदारी को सहज ही समझा जा सकता है | असित मित्तल ने इस कार्यक्रम के 'आयोजक' अशोक अग्रवाल के खिलाफ भी कोई कार्यवाई नहीं की | लोगों के बीच इसके 'कारण' की चर्चा भी खूब है | लोगों के बीच चर्चा है कि असित मित्तल ने अशोक अग्रवाल से तरह-तरह से मोटी रकम बसूली हुई है, जिसे वह वापस नहीं कर रहे हैं | इसी कारण से उनकी अशोक अग्रवाल के खिलाफ कार्यवाई करने की हिम्मत नहीं हो रही है | सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह के 'सरदार' मुकेश अरनेजा का भी असित मित्तल पर अशोक अग्रवाल के खिलाफ कार्यवाई न करने के लिए दबाव है | मुकेश अरनेजा का भी पैसा असित मित्तल के पास दबा हुआ है, जो मुकेश अरनेजा को वापस नहीं मिल रहा है | अशोक अग्रवाल और मुकेश अरनेजा लोगों के बीच ताल ठोक कर कहते भी हैं कि असित मित्तल पहले उनका पैसा वापस करें, तब उनके खिलाफ कार्यवाई करने के बारे में सोचें | उनके यह कहने में दम भी दिखा है | पच्चीस जनवरी को पोलियो के नाम पर तमाशा करवा देने वाले अशोक अग्रवाल तीस जनवरी की मीटिंग में मंच पर गवर्नर्स के साथ बैठे थे | लोगों ने माना कि अशोक अग्रवाल का जलवा है |
तीस जनवरी को सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह द्धारा बुलाई गई मीटिंग में अशोक अग्रवाल का जलवा और असित मित्तल की बेचारगी तो साबित हुई, लेकिन पोलियो के काम की ऐसी-तैसी हुई | आनन-फानन में बुलाई गई इस मीटिंग को लेकर दरअसल पहले ही सत्ताधारी गवर्नर्स की इतनी थू-थू हो चुकी थी कि इसे लेकर उनका उत्साह भी खत्म हो चुका था और इसके आयोजन को लेकर वह बचाव की मुद्रा में भी आ चुके थे | सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह के 'सरदार' मुकेश अरनेजा ने तो मीटिंग में न आने में ही अपनी ख़ैर समझी | लोगों की नाराज़गी को देखते हुए गिरोह के दूसरे सदस्य भी लोगों को यह सफाई देते नज़र आए कि इस मीटिंग में वह कोई राजनीति नहीं करेंगे | हालांकि किसी के लिए भी यह जबाव देते नहीं बना कि जब तुम्हें राजनीति नहीं करनी है तो फिर इस मीटिंग को ऐसे समय करने की क्या जरूरत थी जिस समय अधिकतर लोग एक दूसरी मीटिंग में व्यस्त हैं ? मुश्किल से बीस कदमों की दूरी पर आयोजित हुईं दो मीटिंग्स में लोगों की उपस्थिति के आधार पर जिन लोगों ने तुलना की उन्होंने पाया कि संजय खन्ना की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों द्धारा आयोजित मीटिंग में कहीं ज्यादा लोगों की उपस्थिति थी | अधिकतर लोग ऐसे रहे जो सिर्फ संजय खन्ना की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों द्धारा आयोजित मीटिंग में उपस्थित हुए, जबकि कुछेक लोग सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह द्धारा आयोजित मीटिंग में मुँह-दिखाई करके संजय खन्ना की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों द्धारा आयोजित मीटिंग में पहुंचे | सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह द्धारा अड़ंगा डालने की तमाम कोशिशों के बावजूद संजय खन्ना की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों व समर्थकों द्धारा आयोजित मीटिंग में लोगों की अच्छी-ख़ासी उपस्थिति ने यही साबित किया है कि सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह ने पोलियो के काम का, रोटरी का और डिस्ट्रिक्ट का जो मज़ाक बनाया हुआ है उसे अधिकतर लोग पसंद नहीं कर रहे हैं | राजा साबू का नाम लेकर तीस जनवरी की मीटिंग करने वाले सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह ने जिस तरह पच्चीस जनवरी की घटना पर पर्दा डालने की कोशिश की है, उससे यही पता चलता है कि इन्हें रोटरी की और डिस्ट्रिक्ट की पहचान की परवाह तो नहीं ही है, राजा साबू के नाम की भी फिक्र नहीं है |