नई दिल्ली । अरनेजा गिरोह ने संजीव
रस्तोगी का रोटरी-जीवन खत्म करने के उद्देश्य से जो ताना-बाना बुना था,
संजीव रस्तोगी ने उसे समय से पहले ही पहचान लिया और एहतियादि कदम उठा कर
अरनेजा गिरोह की चाल को फेल कर दिया है । अरनेजा गिरोह के मुखिया मुकेश
अरनेजा और गिरोह के दूसरे सदस्यों ने पिछले कई दिनों से हवा बनाई हुई थी कि
वह संजीव रस्तोगी को उनके अपने क्लब से इस तरह निकलवायेंगे जिससे कि संजीव
रस्तोगी का असिस्टेंट गवर्नर का पद भी छिनेगा और फिर वह रोटरी में भी नहीं
रह पायेंगे । मुकेश अरनेजा लोगों को बता रहे थे कि रोटरी क्लब दिल्ली
शाहदरा के वरिष्ठ और सक्रिय सदस्य अशोक कुमार गर्ग उनके पक्के वाले चेले
हैं और अशोक कुमार गर्ग के जरिये ही वह संजीव रस्तोगी का 'ईलाज' करेंगे ।
मुकेश अरनेजा का दावा था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय खन्ना भी संजीव
रस्तोगी को नहीं बचा पायेंगे । यह दावा करने से भी पहले से मुकेश अरनेजा
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय खन्ना की इस बात के लिए आलोचना कर चुके थे कि वह
संजीव रस्तोगी को शह दे रहे हैं । इस तरह की बातों/चर्चाओं के चलते
डिस्ट्रिक्ट के कुछेक लोगों के बीच पिछले कुछेक दिनों से चर्चा थी कि मुकेश
अरनेजा ने संजीव रस्तोगी को रोटरी से बाहर करने का दृढ़ निश्चय कर लिया है; और अपने इस निश्चय को पूरा करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं ।
संजीव रस्तोगी से मुकेश अरनेजा दरअसल इसलिए नाराज हैं क्योंकि संजीव रस्तोगी ने डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए होने वाले चुनाव के अभियान में दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का झंडा उठाया हुआ है । मुकेश अरनेजा को समस्या सिर्फ इस बात से ही नहीं है कि संजीव रस्तोगी ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का झंडा उठाया हुआ है; समस्या उन्हें इस बात से भी है कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में संजीव रस्तोगी ने खासा आक्रामक अभियान चला रखा है - और उनके अभियान के चलते दीपक गुप्ता के प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार शरत जैन के लिए ऐसी मुश्किलें खड़ी हो गईं जिन्हें हल करने का उन्हें कोई तरीका ही समझ में नहीं आ रहा । शरत जैन की उम्मीदवारी का झंडा चूँकि मुकेश अरनेजा के हाथ में है - इसलिए शरत जैन की मुश्किलें मुकेश अरनेजा को अपनी मुश्किल लगी और इस कारण उन्हें संजीव रस्तोगी से निपटना जरूरी लगा । मुकेश अरनेजा ने कई बार डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय खन्ना से इस बात की शिकायत की कि संजीव रस्तोगी असिस्टेंट गवर्नर पद का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं । मुकेश अरनेजा को संजय खन्ना लेकिन कोई कार्रवाई करते हुए नहीं दिखे, तो उन्होंने संजीव रस्तोगी से खुद ही निपटने का फैसला किया ।
मुकेश अरनेजा जिससे नाराज होते हैं, उससे निपटने का उनका अपना एक स्टाइल है - अपने इस स्टाइल से वह गाजियाबाद में योगेश गर्ग, राजीव वशिष्ट, उमेश चोपड़ा, रवींद्र सिंह, दीपक गुप्ता, आलोक गुप्ता आदि को अलग-अलग तरीके से बेइज्जत और 'अकेला' कर चुके हैं । इन लोगों के बारे में मुकेश अरनेजा का 'अनुभव' चूँकि यह रहा है कि यह लोग भले किस्म के लोग हैं, इन्हें मुकेश अरनेजा ने कैसे भी अपमानित और परेशान किया हो, किंतु अब जब मुकेश अरनेजा इनकी खुशामद करेंगे और इनसे माफी माँगेंगे - तो यह अपना पिछला अपमान और परेशानी भूल भी जायेंगे । 'पहले गाली, फिर माफी' वाले अपने स्टाइल से मुकेश अरनेजा को लेकिन संजीव रस्तोगी से निपटना चूँकि मुश्किल लगा, इसलिए संजीव रस्तोगी से निपटने के लिए उन्होंने दूसरे तरीकों पर विचार किया । यह विचार करना उन्हें इसलिए भी जरूरी लगा क्योंकि संजीव रस्तोगी ने उनकी राजनीतिक सत्ता को सीधी चुनौती दी हुई थी । संजीव रस्तोगी इस बात को खूब धड़ल्ले से कहा करते हैं कि उन्हें डिस्ट्रिक्ट में मुकेश अरनेजा की चौधराहट और गुंडागर्दी खत्म करनी है ।
मुकेश अरनेजा को समस्या या खतरा इस बात से नहीं है कि संजीव रस्तोगी क्या करना चाहते हैं; उन्हें समस्या इस बात से है कि संजीव रस्तोगी की बातें उनकी नकारात्मक छवि को बनाये रखने का काम कर रही हैं । डिस्ट्रिक्ट में कई लोगों ने इस बात पर गौर किया है कि मुकेश अरनेजा अपनी नकारात्मक छवि से छुटकारा पाने का प्रयास कर रहे हैं; हालाँकि कई लोग यह भी मानते और कहते हैं कि मुकेश अरनेजा प्रयास चाहें जितना करें, लेकिन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकते हैं । लोगों के ऐसा मानने और कहने के बीच, संजीव रस्तोगी की बातें मुकेश अरनेजा को अपने प्रयासों में बाधा बनती हुईं दिखीं । मुकेश अरनेजा के लिए तकलीफ की बात यह थी कि जो लोग संजीव रस्तोगी की बातों और उनकी गतिविधियों के खिलाफ भी थे, वह भी यही कहते सुने जा रहे थे कि संजीव रस्तोगी 'दूसरे मुकेश अरनेजा' बनने की कोशिश कर रहे हैं । मुकेश अरनेजा के लिए समस्या की बात यह हुई कि संजीव रस्तोगी तो उनकी ऐसीतैसी करने के अभियान में लगे हुए थे ही, संजीव रस्तोगी का जो विरोध हो रहा था उसमें भी मुकेश अरनेजा की ही किरकिरी हो रही थी । इस तरह मुकेश अरनेजा को संजीव रस्तोगी दोनों तरफ से काट रहे थे । इससे, डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच स्थापित अपनी नकारात्मक छवि को बदलने का मुकेश अरनेजा का प्रयास बाधित हो रहा है ।
मुकेश अरनेजा के खिलाफ संजीव रस्तोगी ने जो अभियान छेड़ा हुआ है, उसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए प्रस्तुत शरत जैन की उम्मीदवारी के अभियान का भी पूरी तरह कबाड़ा किया हुआ है । शरत जैन को हर जगह मुकेश अरनेजा तथा रमेश अग्रवाल की कारस्तानियों को लेकर तथा उनके साथ अपने संबंधों को लेकर सफाई ही देनी पड़ती है । इससे अपनी उम्मीदवारी के बारे में बात करने का उनका उत्साह न तो बन पाता है और न ही वह बना पाते हैं । शरत जैन को चूँकि मुकेश अरनेजा तथा रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है, इसलिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के प्रति लोगों के बीच जो रोष है उसका खामियाजा शरत जैन को भुगतना पड़ रहा है । स्थिति को सँभालने के लिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने अपने आप को पीछे भी किया किंतु - संजीव रस्तोगी के आक्रामक प्रचार अभियान के चलते - उन दोनों की बदनामी चूँकि उनसे आगे चल रही है, इसलिए उसका भी कोई फायदा शरत जैन को नहीं मिल पा रहा है । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की बदनामी शरत जैन की उम्मीदवारी पर एक बोझ की तरह लद गई है, जिससे उबर पाना न शरत जैन के लिए संभव हो पा रहा है और न मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल जैसे उनके समर्थक नेताओं के लिए । ऐसे में, संजीव रस्तोगी के अभियान ने उनकी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है ।
इसीलिए मुकेश अरनेजा के लिए संजीव रस्तोगी का 'ईलाज' करना जरूरी हो गया । मुकेश अरनेजा को जब यह पता चला कि संजीव रस्तोगी की अपने क्लब में ही खटपट चल रही है, तो उन्हें संजीव रस्तोगी का 'ईलाज' करने का आसान रास्ता भी मिल गया । मुकेश अरनेजा ने खुद ही लोगों को बताया कि वह संजीव रस्तोगी का ऐसा हाल कर देंगे कि संजीव रस्तोगी न अपने क्लब में रह पायेंगे और न रोटरी में ही रह पायेंगे । संजीव रस्तोगी ने जब यह देखा/पहचाना कि मुकेश अरनेजा ने उनके क्लब के कुछेक प्रमुख सदस्यों के साथ मिल कर उनके खिलाफ षड्यंत्र करने और उन्हें फँसाने की तैयारी कर ली है तो उन्होंने पहले ही क्लब को छोड़ दिया । इससे मुकेश अरनेजा और उनके गिरोह के लोगों की संजीव रस्तोगी को रोटरी से आउट करने की योजना फ़िलहाल तो फेल हो गई है । संजीव रस्तोगी ने अभी भले ही मुकेश अरनेजा की योजना को फेल कर दिया दिया हो, लेकिन सभी लोग जानते/समझते हैं कि मुकेश अरनेजा चुप बैठने वाले नहीं हैं - इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में अभी और पटाखे फूटेंगे ।
संजीव रस्तोगी से मुकेश अरनेजा दरअसल इसलिए नाराज हैं क्योंकि संजीव रस्तोगी ने डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए होने वाले चुनाव के अभियान में दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का झंडा उठाया हुआ है । मुकेश अरनेजा को समस्या सिर्फ इस बात से ही नहीं है कि संजीव रस्तोगी ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का झंडा उठाया हुआ है; समस्या उन्हें इस बात से भी है कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में संजीव रस्तोगी ने खासा आक्रामक अभियान चला रखा है - और उनके अभियान के चलते दीपक गुप्ता के प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार शरत जैन के लिए ऐसी मुश्किलें खड़ी हो गईं जिन्हें हल करने का उन्हें कोई तरीका ही समझ में नहीं आ रहा । शरत जैन की उम्मीदवारी का झंडा चूँकि मुकेश अरनेजा के हाथ में है - इसलिए शरत जैन की मुश्किलें मुकेश अरनेजा को अपनी मुश्किल लगी और इस कारण उन्हें संजीव रस्तोगी से निपटना जरूरी लगा । मुकेश अरनेजा ने कई बार डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय खन्ना से इस बात की शिकायत की कि संजीव रस्तोगी असिस्टेंट गवर्नर पद का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं । मुकेश अरनेजा को संजय खन्ना लेकिन कोई कार्रवाई करते हुए नहीं दिखे, तो उन्होंने संजीव रस्तोगी से खुद ही निपटने का फैसला किया ।
मुकेश अरनेजा जिससे नाराज होते हैं, उससे निपटने का उनका अपना एक स्टाइल है - अपने इस स्टाइल से वह गाजियाबाद में योगेश गर्ग, राजीव वशिष्ट, उमेश चोपड़ा, रवींद्र सिंह, दीपक गुप्ता, आलोक गुप्ता आदि को अलग-अलग तरीके से बेइज्जत और 'अकेला' कर चुके हैं । इन लोगों के बारे में मुकेश अरनेजा का 'अनुभव' चूँकि यह रहा है कि यह लोग भले किस्म के लोग हैं, इन्हें मुकेश अरनेजा ने कैसे भी अपमानित और परेशान किया हो, किंतु अब जब मुकेश अरनेजा इनकी खुशामद करेंगे और इनसे माफी माँगेंगे - तो यह अपना पिछला अपमान और परेशानी भूल भी जायेंगे । 'पहले गाली, फिर माफी' वाले अपने स्टाइल से मुकेश अरनेजा को लेकिन संजीव रस्तोगी से निपटना चूँकि मुश्किल लगा, इसलिए संजीव रस्तोगी से निपटने के लिए उन्होंने दूसरे तरीकों पर विचार किया । यह विचार करना उन्हें इसलिए भी जरूरी लगा क्योंकि संजीव रस्तोगी ने उनकी राजनीतिक सत्ता को सीधी चुनौती दी हुई थी । संजीव रस्तोगी इस बात को खूब धड़ल्ले से कहा करते हैं कि उन्हें डिस्ट्रिक्ट में मुकेश अरनेजा की चौधराहट और गुंडागर्दी खत्म करनी है ।
मुकेश अरनेजा को समस्या या खतरा इस बात से नहीं है कि संजीव रस्तोगी क्या करना चाहते हैं; उन्हें समस्या इस बात से है कि संजीव रस्तोगी की बातें उनकी नकारात्मक छवि को बनाये रखने का काम कर रही हैं । डिस्ट्रिक्ट में कई लोगों ने इस बात पर गौर किया है कि मुकेश अरनेजा अपनी नकारात्मक छवि से छुटकारा पाने का प्रयास कर रहे हैं; हालाँकि कई लोग यह भी मानते और कहते हैं कि मुकेश अरनेजा प्रयास चाहें जितना करें, लेकिन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकते हैं । लोगों के ऐसा मानने और कहने के बीच, संजीव रस्तोगी की बातें मुकेश अरनेजा को अपने प्रयासों में बाधा बनती हुईं दिखीं । मुकेश अरनेजा के लिए तकलीफ की बात यह थी कि जो लोग संजीव रस्तोगी की बातों और उनकी गतिविधियों के खिलाफ भी थे, वह भी यही कहते सुने जा रहे थे कि संजीव रस्तोगी 'दूसरे मुकेश अरनेजा' बनने की कोशिश कर रहे हैं । मुकेश अरनेजा के लिए समस्या की बात यह हुई कि संजीव रस्तोगी तो उनकी ऐसीतैसी करने के अभियान में लगे हुए थे ही, संजीव रस्तोगी का जो विरोध हो रहा था उसमें भी मुकेश अरनेजा की ही किरकिरी हो रही थी । इस तरह मुकेश अरनेजा को संजीव रस्तोगी दोनों तरफ से काट रहे थे । इससे, डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच स्थापित अपनी नकारात्मक छवि को बदलने का मुकेश अरनेजा का प्रयास बाधित हो रहा है ।
मुकेश अरनेजा के खिलाफ संजीव रस्तोगी ने जो अभियान छेड़ा हुआ है, उसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए प्रस्तुत शरत जैन की उम्मीदवारी के अभियान का भी पूरी तरह कबाड़ा किया हुआ है । शरत जैन को हर जगह मुकेश अरनेजा तथा रमेश अग्रवाल की कारस्तानियों को लेकर तथा उनके साथ अपने संबंधों को लेकर सफाई ही देनी पड़ती है । इससे अपनी उम्मीदवारी के बारे में बात करने का उनका उत्साह न तो बन पाता है और न ही वह बना पाते हैं । शरत जैन को चूँकि मुकेश अरनेजा तथा रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है, इसलिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के प्रति लोगों के बीच जो रोष है उसका खामियाजा शरत जैन को भुगतना पड़ रहा है । स्थिति को सँभालने के लिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने अपने आप को पीछे भी किया किंतु - संजीव रस्तोगी के आक्रामक प्रचार अभियान के चलते - उन दोनों की बदनामी चूँकि उनसे आगे चल रही है, इसलिए उसका भी कोई फायदा शरत जैन को नहीं मिल पा रहा है । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की बदनामी शरत जैन की उम्मीदवारी पर एक बोझ की तरह लद गई है, जिससे उबर पाना न शरत जैन के लिए संभव हो पा रहा है और न मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल जैसे उनके समर्थक नेताओं के लिए । ऐसे में, संजीव रस्तोगी के अभियान ने उनकी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है ।
इसीलिए मुकेश अरनेजा के लिए संजीव रस्तोगी का 'ईलाज' करना जरूरी हो गया । मुकेश अरनेजा को जब यह पता चला कि संजीव रस्तोगी की अपने क्लब में ही खटपट चल रही है, तो उन्हें संजीव रस्तोगी का 'ईलाज' करने का आसान रास्ता भी मिल गया । मुकेश अरनेजा ने खुद ही लोगों को बताया कि वह संजीव रस्तोगी का ऐसा हाल कर देंगे कि संजीव रस्तोगी न अपने क्लब में रह पायेंगे और न रोटरी में ही रह पायेंगे । संजीव रस्तोगी ने जब यह देखा/पहचाना कि मुकेश अरनेजा ने उनके क्लब के कुछेक प्रमुख सदस्यों के साथ मिल कर उनके खिलाफ षड्यंत्र करने और उन्हें फँसाने की तैयारी कर ली है तो उन्होंने पहले ही क्लब को छोड़ दिया । इससे मुकेश अरनेजा और उनके गिरोह के लोगों की संजीव रस्तोगी को रोटरी से आउट करने की योजना फ़िलहाल तो फेल हो गई है । संजीव रस्तोगी ने अभी भले ही मुकेश अरनेजा की योजना को फेल कर दिया दिया हो, लेकिन सभी लोग जानते/समझते हैं कि मुकेश अरनेजा चुप बैठने वाले नहीं हैं - इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में अभी और पटाखे फूटेंगे ।