नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा को अपने क्लब की अध्यक्ष आभा गुप्ता के साथ लगातार 'बद तमीजी' करते रहना खासा महँगा पड़ा है - इसके
लिए एक तरफ उन्हें अपने ही क्लब में भारी फजीहत का सामना करना पड़ा है, और
दूसरी तरफ शरत जैन की उम्मीदवारी के समर्थकों ने उनसे कहना/बताना शुरू कर
दिया है कि उनका इस तरह का छिछोरापन शरत जैन की उम्मीदवारी को नुकसान
पहुँचाने का काम करेगा । मुकेश अरनेजा डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित
विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए दीपक
गुप्ता और शरत जैन के बीच होने वाले चुनाव में शरत जैन की उम्मीदवारी का
झंडा उठाये हुए हैं - लेकिन अपने ही क्लब की अध्यक्ष आभा गुप्ता को तरह-तरह
से परेशान करने के मामले में मुकेश अरनेजा को संलिप्त देख कर शरत जैन की
उम्मीदवारी के दूसरे समर्थकों को लगने लगा है कि मुकेश अरनेजा की इस तरह की
हरकतें शरत जैन की उम्मीदवारी को नुकसान पहुँचाने का ही काम करेंगी । शरत
जैन की मुश्किल यह है कि अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने के
लिए वह पूरी तरह से रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा पर निर्भर हैं - और मुकेश
अरनेजा अपने ही क्लब की अध्यक्ष आभा गुप्ता के साथ 'बद तमीजी' करने के
आरोपों में जिस तरह फँसे हैं उसे देख कर दूसरे क्लब्स के अध्यक्षों में
मुकेश अरनेजा के प्रति विरोध पैदा हुआ है । मुकेश अरनेजा और शरत जैन के
लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि आभा गुप्ता कभी अपनी तरफ से तो कभी पूछे
जाने पर मुकेश अरनेजा की कारस्तानी लोगों को बता रही हैं - जिसके चलते
लोगों के बीच यह समझ और मजबूत बन रही है कि मुकेश अरनेजा सुधरने वाले
व्यक्ति नहीं हैं, और शरत जैन अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के लिए
ऐसे व्यक्ति का समर्थन और सहयोग ले रहे हैं ।
मुकेश अरनेजा की हरकतों से परेशान आभा गुप्ता क्लब की एक मीटिंग में मुकेश अरनेजा की कारस्तानियों का जिक्र करते हुए रो तक पड़ीं और अध्यक्ष पद छोड़ने पर जोर देने लगीं । क्लब के दूसरे पदाधिकारियों ने उन्हें समझाया कि वह ऐसा करेंगी तो मुकेश अरनेजा को उन्हें और बदनाम करने का मौका मिलेगा तथा लोगों की निगाह में वह कमजोर साबित होंगी । मुकेश अरनेजा ने पिछले दिनों लगातार ईमेल लिख लिख कर क्लब के लोगों के बीच आभा गुप्ता को एक काम न करने वाले तथा संगठन चलाने की समझ न रखने वाले अध्यक्ष के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया । क्लब के लोगों के बीच हालाँकि आभा गुप्ता की पहचान एक अत्यंत सक्रिय और बेहद दिलचस्पी के साथ काम करने वाले अध्यक्ष की बनी है । इसीलिए मुकेश अरनेजा का रवैया क्लब में किसी की समझ में नहीं आया और सभी को लगा कि मुकेश अरनेजा अपनी जिन हरकतों के लिए बदनाम हैं, उन्हीं हरकतों को वह आभा गुप्ता के साथ आजमा रहे हैं । क्लब के कई एक वरिष्ठ सदस्यों का मानना और कहना रहा कि अध्यक्ष के रूप में आभा गुप्ता के काम करने के तौर-तरीकों में सुधार की हालाँकि बहुत जरूरत है, लेकिन उस जरूरत को बताने/जताने का जो तरीका मुकेश अरनेजा ने अपनाया वह अपमान करने वाला और प्रताड़ित करने वाला है - इसलिए आभा गुप्ता ने अपने आप को यदि परेशान अनुभव किया तो यह बहुत स्वाभाविक ही है; और मुकेश अरनेजा की हरकत को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है ।
मुकेश अरनेजा तर्क देते हैं कि वह यदि अपने क्लब के अध्यक्ष से यह पूछ रहे हैं कि क्लब में न्यूजलैटर क्यों नहीं निकल रहा है; और या क्लब के सदस्यों के क्लासीफिकेशन स्पष्ट करने की बात कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है और इससे अध्यक्ष के रूप में आभा गुप्ता को परेशान होने की या रोने की क्या बात हो गई ? जिन भी लोगों के बीच मुकेश अरनेजा ने यह तर्क दिया, उनमें से कइयों को उनका यह तर्क सड़कछाप लोफर के तर्क जैसा लगा जो सीटी बजाने और गाना गाने के चलते ईव टीचिंग के आरोप में धर लिए जाने पर तर्क देता है कि सीटी बजाना और गाना गाना तो एक कला है, यह आरोप कैसे हो गया ? मुकेश अरनेजा की तरह क्लब में जो अन्य लोग न्यूजलैटर निकलते हुए देखना चाहते हैं, उनका कहना है कि अच्छा तरीका यह होगा कि उन्हें न्यूजलैटर निकालने के लिए आभा गुप्ता को अपनी अपनी तरफ से मदद का प्रस्ताव देना चाहिए, न कि आभा गुप्ता को बदनाम करना चाहिए । उन्होंने ही बताया कि आभा गुप्ता से पहले के कई अध्यक्षों ने भी न्यूजलैटर नहीं निकाले थे - लेकिन उन्हें तो मुकेश अरनेजा ने निशाना नहीं बनाया था । क्लासीफिकेशन की जो बात है, तो उसका सच यह है कि सदस्यों के क्लासीफिकेशन की बात आज सिर्फ बात ही बनकर रह गई है और क्लब्स तो छोड़िये डिस्ट्रिक्ट तक में क्लासीफिकेशन स्पष्ट नहीं हैं । रोटरी के जो जानकर लोग हैं उनका कहना है कि क्लासीफिकेशन का काम दरअसल इसलिए भी नहीं हो रहा है क्योंकि रोटरी इंटरनेशनल के मुख्य कर्ता-धर्ता ही उसे लेकर कन्फ्यूज से हैं और बदलती परिस्थितियों व जरूरतों के अनुरूप कोई स्पष्ट पैमाने नहीं तय कर पा रहे हैं । ऐसे में, सदस्यों के क्लासीफिकेशन स्पष्ट करने की आभा गुप्ता से की जाने की मुकेश अरनेजा की माँग के पीछे मुकेश अरनेजा की बदनियती को यदि देखा गया - और आभा गुप्ता ने अपने आप को परेशान तथा अपमानित होता हुआ महसूस किया तो यह बहुत स्वाभाविक ही है ।
आभा गुप्ता के प्रति मुकेश अरनेजा की बदनियती लोगों ने इसलिए भी देखी क्योंकि मुकेश अरनेजा कई बार लोगों के बीच शिकायत कर चुके हैं कि आभा गुप्ता उन्हें लिफ्ट ही नहीं देती हैं । मुकेश अरनेजा की मुख्य समस्या दरअसल यही रही कि अध्यक्ष के रूप में आभा गुप्ता ने उन्हें कोई तवज्जो ही नहीं दी । मुकेश अरनेजा अपने आप को बड़ा तुर्रमखाँ नेता मानते/समझते हैं; इसलिए उनके लिए यह बर्दाश्त करना मुश्किल हुआ कि उनके अपने ही क्लब में उनकी कोई पूछ नहीं हो रही है । मुकेश अरनेजा चूँकि सीधी ऊँगली से घी नहीं निकलने की स्थिति में ऊँगली टेढ़ी कर लेने वाले सिद्धांत में विश्वास करते हैं, इसलिए उन्होंने आभा गुप्ता को ठिकाने लगाने का काम शुरू कर दिया । मुकेश अरनेजा ने उम्मीद तो यह की थी - और कुछेक लोगों से उन्होंने यह कहा भी था - कि वह आभा गुप्ता की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करेंगे तो आभा गुप्ता उनकी शरण में आने को मजबूर हो जायेंगी; लेकिन हुआ उल्टा । आभा गुप्ता ने मुकेश अरनेजा के कार्य-व्यवहार की पहले तो अनदेखी की; और जब मुकेश अरनेजा की हरकतें हद से पार जाने लगीं तो मुकेश अरनेजा की शरण में जाने की बजाये उन्होंने पद छोड़ देने का विकल्प चुना - और इस तरह मुकेश अरनेजा की सारी योजना को उन्होंने फेल ही कर दिया । मुकेश अरनेजा के लिए इससे भी ज्यादा बुरी बात यह हुई कि क्लब के लोगों ने भी आभा गुप्ता का समर्थन किया और मुकेश अरनेजा की थू थू की । मास्टर स्ट्रोक चला क्लब के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर केके गुप्ता ने ।
केके गुप्ता ने आभा गुप्ता को लिखे एक ईमेल संदेश में सुझाव दिया कि क्लब में माहौल जिस तरह से ख़राब चल रहा है, उस पर चर्चा करने के लिए उन्हें दीपावली के बाद पूर्व अध्यक्षों की कमेटी की मीटिंग बुलानी चाहिए । आभा गुप्ता को लिखे ईमेल संदेश की कॉपी उन्होंने क्लब के दूसरे सदस्यों को भी भेजी । केके गुप्ता द्धारा किए गए इस हस्तक्षेप से मुकेश अरनेजा ने भाँप लिया कि अब उनकी ख़ैर नहीं है । मुकेश अरनेजा ने समझ लिया कि केके गुप्ता के सुझाव पर पूर्व अध्यक्षों की कमेटी की मीटिंग यदि बुला ली गई तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई होना निश्चित ही है - और तब डिस्ट्रिक्ट में उनकी बड़ी फजीहत होगी । मुकेश अरनेजा जितनी तेजी से उफनते हैं, उतनी ही तेजी से बैठने की 'कला' के बड़े ऊँचे खिलाड़ी हैं - इसलिए वह तुरंत ही क्लब के सदस्यों की मान-मनौव्वल में जुट गए और कहने लगे कि आभा गुप्ता से कुछ कहना आभा गुप्ता को और क्लब के सदस्यों को बुरा लगा है, तो वह आभा गुप्ता को कुछ नहीं कहेंगे । क्लब के कुछेक सदस्यों को तो लगता है कि मुकेश अरनेजा को अक्ल आ गई है और अब वह आभा गुप्ता के साथ बद तमीजी नहीं करेंगे; लेकिन अन्य कुछेक लोगों को लगता है और वह कहते हैं कि मुकेश अरनेजा अपनी हरकतों से बाज आने वाले व्यक्ति नहीं हैं और जल्दी ही वह फिर कोई न कोई कारस्तानी करेंगे इसलिए आभा गुप्ता को सावधान रहने की जरूरत है ।
मुकेश अरनेजा की अपने ही क्लब के अध्यक्ष के साथ की गई हरकत और उनकी हरकत पर हुई प्रतिक्रिया के चलते मुकेश अरनेजा की तो फजीहत हुई ही है, साथ ही शरत जैन के लिए भी मुसीबत हो गई है । कई क्लब्स के अध्यक्षों ने अपनी कलीग आभा गुप्ता के प्रति अपनाये गए मुकेश अरनेजा के रवैये की भर्त्स्ना की है और इस बात को रेखांकित किया है कि मुकेश अरनेजा के रहते हुए रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में किसी की भी इज्जत सुरक्षित नहीं है । शरत जैन के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि उन्हें चूँकि मुकेश अरनेजा के उम्मीदवार के रूप में ही देखा/पहचाना जाता है - इसलिए मुकेश अरनेजा के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट में बनते हुए माहौल में उनके लिए दीपक गुप्ता के मुकाबले अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाना एक बड़ी चुनौती होगा । यानि अपने ही क्लब की अध्यक्ष आभा गुप्ता के साथ की गई मुकेश अरनेजा की हरकतों ने उनकी खुद की फजीहत तो कराई ही है, शरत जैन के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी है ।
मुकेश अरनेजा की हरकतों से परेशान आभा गुप्ता क्लब की एक मीटिंग में मुकेश अरनेजा की कारस्तानियों का जिक्र करते हुए रो तक पड़ीं और अध्यक्ष पद छोड़ने पर जोर देने लगीं । क्लब के दूसरे पदाधिकारियों ने उन्हें समझाया कि वह ऐसा करेंगी तो मुकेश अरनेजा को उन्हें और बदनाम करने का मौका मिलेगा तथा लोगों की निगाह में वह कमजोर साबित होंगी । मुकेश अरनेजा ने पिछले दिनों लगातार ईमेल लिख लिख कर क्लब के लोगों के बीच आभा गुप्ता को एक काम न करने वाले तथा संगठन चलाने की समझ न रखने वाले अध्यक्ष के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया । क्लब के लोगों के बीच हालाँकि आभा गुप्ता की पहचान एक अत्यंत सक्रिय और बेहद दिलचस्पी के साथ काम करने वाले अध्यक्ष की बनी है । इसीलिए मुकेश अरनेजा का रवैया क्लब में किसी की समझ में नहीं आया और सभी को लगा कि मुकेश अरनेजा अपनी जिन हरकतों के लिए बदनाम हैं, उन्हीं हरकतों को वह आभा गुप्ता के साथ आजमा रहे हैं । क्लब के कई एक वरिष्ठ सदस्यों का मानना और कहना रहा कि अध्यक्ष के रूप में आभा गुप्ता के काम करने के तौर-तरीकों में सुधार की हालाँकि बहुत जरूरत है, लेकिन उस जरूरत को बताने/जताने का जो तरीका मुकेश अरनेजा ने अपनाया वह अपमान करने वाला और प्रताड़ित करने वाला है - इसलिए आभा गुप्ता ने अपने आप को यदि परेशान अनुभव किया तो यह बहुत स्वाभाविक ही है; और मुकेश अरनेजा की हरकत को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है ।
मुकेश अरनेजा तर्क देते हैं कि वह यदि अपने क्लब के अध्यक्ष से यह पूछ रहे हैं कि क्लब में न्यूजलैटर क्यों नहीं निकल रहा है; और या क्लब के सदस्यों के क्लासीफिकेशन स्पष्ट करने की बात कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है और इससे अध्यक्ष के रूप में आभा गुप्ता को परेशान होने की या रोने की क्या बात हो गई ? जिन भी लोगों के बीच मुकेश अरनेजा ने यह तर्क दिया, उनमें से कइयों को उनका यह तर्क सड़कछाप लोफर के तर्क जैसा लगा जो सीटी बजाने और गाना गाने के चलते ईव टीचिंग के आरोप में धर लिए जाने पर तर्क देता है कि सीटी बजाना और गाना गाना तो एक कला है, यह आरोप कैसे हो गया ? मुकेश अरनेजा की तरह क्लब में जो अन्य लोग न्यूजलैटर निकलते हुए देखना चाहते हैं, उनका कहना है कि अच्छा तरीका यह होगा कि उन्हें न्यूजलैटर निकालने के लिए आभा गुप्ता को अपनी अपनी तरफ से मदद का प्रस्ताव देना चाहिए, न कि आभा गुप्ता को बदनाम करना चाहिए । उन्होंने ही बताया कि आभा गुप्ता से पहले के कई अध्यक्षों ने भी न्यूजलैटर नहीं निकाले थे - लेकिन उन्हें तो मुकेश अरनेजा ने निशाना नहीं बनाया था । क्लासीफिकेशन की जो बात है, तो उसका सच यह है कि सदस्यों के क्लासीफिकेशन की बात आज सिर्फ बात ही बनकर रह गई है और क्लब्स तो छोड़िये डिस्ट्रिक्ट तक में क्लासीफिकेशन स्पष्ट नहीं हैं । रोटरी के जो जानकर लोग हैं उनका कहना है कि क्लासीफिकेशन का काम दरअसल इसलिए भी नहीं हो रहा है क्योंकि रोटरी इंटरनेशनल के मुख्य कर्ता-धर्ता ही उसे लेकर कन्फ्यूज से हैं और बदलती परिस्थितियों व जरूरतों के अनुरूप कोई स्पष्ट पैमाने नहीं तय कर पा रहे हैं । ऐसे में, सदस्यों के क्लासीफिकेशन स्पष्ट करने की आभा गुप्ता से की जाने की मुकेश अरनेजा की माँग के पीछे मुकेश अरनेजा की बदनियती को यदि देखा गया - और आभा गुप्ता ने अपने आप को परेशान तथा अपमानित होता हुआ महसूस किया तो यह बहुत स्वाभाविक ही है ।
आभा गुप्ता के प्रति मुकेश अरनेजा की बदनियती लोगों ने इसलिए भी देखी क्योंकि मुकेश अरनेजा कई बार लोगों के बीच शिकायत कर चुके हैं कि आभा गुप्ता उन्हें लिफ्ट ही नहीं देती हैं । मुकेश अरनेजा की मुख्य समस्या दरअसल यही रही कि अध्यक्ष के रूप में आभा गुप्ता ने उन्हें कोई तवज्जो ही नहीं दी । मुकेश अरनेजा अपने आप को बड़ा तुर्रमखाँ नेता मानते/समझते हैं; इसलिए उनके लिए यह बर्दाश्त करना मुश्किल हुआ कि उनके अपने ही क्लब में उनकी कोई पूछ नहीं हो रही है । मुकेश अरनेजा चूँकि सीधी ऊँगली से घी नहीं निकलने की स्थिति में ऊँगली टेढ़ी कर लेने वाले सिद्धांत में विश्वास करते हैं, इसलिए उन्होंने आभा गुप्ता को ठिकाने लगाने का काम शुरू कर दिया । मुकेश अरनेजा ने उम्मीद तो यह की थी - और कुछेक लोगों से उन्होंने यह कहा भी था - कि वह आभा गुप्ता की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करेंगे तो आभा गुप्ता उनकी शरण में आने को मजबूर हो जायेंगी; लेकिन हुआ उल्टा । आभा गुप्ता ने मुकेश अरनेजा के कार्य-व्यवहार की पहले तो अनदेखी की; और जब मुकेश अरनेजा की हरकतें हद से पार जाने लगीं तो मुकेश अरनेजा की शरण में जाने की बजाये उन्होंने पद छोड़ देने का विकल्प चुना - और इस तरह मुकेश अरनेजा की सारी योजना को उन्होंने फेल ही कर दिया । मुकेश अरनेजा के लिए इससे भी ज्यादा बुरी बात यह हुई कि क्लब के लोगों ने भी आभा गुप्ता का समर्थन किया और मुकेश अरनेजा की थू थू की । मास्टर स्ट्रोक चला क्लब के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर केके गुप्ता ने ।
केके गुप्ता ने आभा गुप्ता को लिखे एक ईमेल संदेश में सुझाव दिया कि क्लब में माहौल जिस तरह से ख़राब चल रहा है, उस पर चर्चा करने के लिए उन्हें दीपावली के बाद पूर्व अध्यक्षों की कमेटी की मीटिंग बुलानी चाहिए । आभा गुप्ता को लिखे ईमेल संदेश की कॉपी उन्होंने क्लब के दूसरे सदस्यों को भी भेजी । केके गुप्ता द्धारा किए गए इस हस्तक्षेप से मुकेश अरनेजा ने भाँप लिया कि अब उनकी ख़ैर नहीं है । मुकेश अरनेजा ने समझ लिया कि केके गुप्ता के सुझाव पर पूर्व अध्यक्षों की कमेटी की मीटिंग यदि बुला ली गई तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई होना निश्चित ही है - और तब डिस्ट्रिक्ट में उनकी बड़ी फजीहत होगी । मुकेश अरनेजा जितनी तेजी से उफनते हैं, उतनी ही तेजी से बैठने की 'कला' के बड़े ऊँचे खिलाड़ी हैं - इसलिए वह तुरंत ही क्लब के सदस्यों की मान-मनौव्वल में जुट गए और कहने लगे कि आभा गुप्ता से कुछ कहना आभा गुप्ता को और क्लब के सदस्यों को बुरा लगा है, तो वह आभा गुप्ता को कुछ नहीं कहेंगे । क्लब के कुछेक सदस्यों को तो लगता है कि मुकेश अरनेजा को अक्ल आ गई है और अब वह आभा गुप्ता के साथ बद तमीजी नहीं करेंगे; लेकिन अन्य कुछेक लोगों को लगता है और वह कहते हैं कि मुकेश अरनेजा अपनी हरकतों से बाज आने वाले व्यक्ति नहीं हैं और जल्दी ही वह फिर कोई न कोई कारस्तानी करेंगे इसलिए आभा गुप्ता को सावधान रहने की जरूरत है ।
मुकेश अरनेजा की अपने ही क्लब के अध्यक्ष के साथ की गई हरकत और उनकी हरकत पर हुई प्रतिक्रिया के चलते मुकेश अरनेजा की तो फजीहत हुई ही है, साथ ही शरत जैन के लिए भी मुसीबत हो गई है । कई क्लब्स के अध्यक्षों ने अपनी कलीग आभा गुप्ता के प्रति अपनाये गए मुकेश अरनेजा के रवैये की भर्त्स्ना की है और इस बात को रेखांकित किया है कि मुकेश अरनेजा के रहते हुए रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में किसी की भी इज्जत सुरक्षित नहीं है । शरत जैन के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि उन्हें चूँकि मुकेश अरनेजा के उम्मीदवार के रूप में ही देखा/पहचाना जाता है - इसलिए मुकेश अरनेजा के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट में बनते हुए माहौल में उनके लिए दीपक गुप्ता के मुकाबले अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाना एक बड़ी चुनौती होगा । यानि अपने ही क्लब की अध्यक्ष आभा गुप्ता के साथ की गई मुकेश अरनेजा की हरकतों ने उनकी खुद की फजीहत तो कराई ही है, शरत जैन के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी है ।