नई दिल्ली। अतुल कुमार गुप्ता को नार्दर्न
इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरपरसन विशाल गर्ग से इस बात को लेकर बहुत
शिकायत है कि चेयरपरसन के रूप में विशाल गर्ग ने ब्रांचेज में अपना
स्वागत.सम्मान कराने का अकेला एजेंडा लागू किया हुआ है और इस तरह चेयरपरसन
के रूप में सेंट्रल काउंसिल के लिए चुनावी तैयारी कर रहे हैं । चार्टर्ड
एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के सदस्य अतुल कुमार गुप्ता
कई मौकों पर अपनी इस शिकायत को व्यक्त कर चुके हैं कि नार्दर्न इंडिया
रीजनल काउंसिल के चेयरपरसन के रूप में विशाल गर्ग चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और
प्रोफेशन के हित में कुछ ठोस पहल करने की बजाये अपने आप को प्रमोट करने में
लगे हुए हैं । अतुल कुमार गुप्ता का आरोप है कि चेयरपरसन के रूप में
विशाल गर्ग ब्रांचेज के पदाधिकारियों पर दबाव बनाते हैं कि वह अपने-अपने
आयोजनों में चेयरपरसन के रूप में उनका सम्मान करें और या उनका सम्मान करने
के लिए अलग से कार्यक्रम आयोजित करें । अतुल कुमार गुप्ता का कहना है कि
इससे ब्रांचेज में कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है; क्योंकि ब्रांचेज के
साधन और उनके पदाधिकारियों की एनर्जी विशाल गर्ग का स्वागत.सम्मान करने
में ही खर्च हो जा रही है । अतुल कुमार गुप्ता ने इस तथ्य की ओर लोगों
का ध्यान आकर्षित किया है कि नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की ब्रांचेज
में इस बार रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों का स्वागत.सम्मान कुछ ज्यादा ही
हो रहा है । तथ्यात्मक रूप से देखें तो अतुल कुमार गुप्ता की बात सच है ।
हालाँकि तथ्य यह भी है कि ब्रांचेज में इस तरह के स्वागत.सम्मान हर वर्ष
ही होते हैं, पर अतुल कुमार गुप्ता की बात भी सच है कि इस बार यह कुछ
ज्यादा ही हो रहे हैं । प्रोफेशन से जुड़े लोग इस तथ्य से परेशान तो हैं,
लेकिन अतुल कुमार गुप्ता की शिकायत के पीछे वह प्रोफेशन के प्रति उनके
कंसर्न को नहीं, बल्कि उनकी राजनीति को देख/पहचान रहे हैं ।
विशाल गर्ग और नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के दूसरे पदाधिकारियों के ब्रांचेज में जो स्वागत समारोह हो रहे हैं, वह अतुल कुमार गुप्ता की आंखों में दरअसल इसलिए खटक रहे हैं, क्योंकि इनमें उन्हें अपना राजनीतिक समर्थन.आधार खिसकता/कमजोर पड़ता दिख रहा है । ब्रांचेज में होने वाले स्वागत समारोहों की आलोचना करते हुए अतुल कुमार गुप्ता जब यह आरोप लगाते हैं कि इन स्वागत.समारोहों के जरिये विशाल गर्ग दरअसल सेंट्रल काउंसिल के लिए अपनी चुनावी तैयारी कर रहे हैं तो स्वतः जता देते हैं कि उनका दर्द भी वास्तव में राजनीतिक ही है । मजे की बात यह है कि विशाल गर्ग के चेयरपरसन के रूप में शुरू के कई दिन अतुल कुमार गुप्ता के साथ अच्छी दोस्ती में गुजरे थे । उन दिनों तो कई लोग यहाँ तक कहने लगे थे कि पर्दे के पीछे से नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल को अतुल कुमार गुप्ता ही चला रहे हैं । किंतु जैसे ही विशाल गर्ग ने अतुल कुमार गुप्ता को रीजनल काउंसिल की रोज.रोज की गतिविधियों से बाहर किया, अतुल कुमार गुप्ता भड़क गये हैं और विशाल गर्ग पर राजनीति करने का आरोप लगाने लगे हैं । अतुल कुमार गुप्ता की बदकिस्मती लेकिन यह है कि कोई भी उनकी शिकायत को गंभीरता से लेता नहीं दिख रहा है । विशाल गर्ग के खिलाफ अतुल कुमार गुप्ता ने जो अभियान छेड़ा हुआ है, उसे कोई तवज्जो देता हुआ नहीं दिख रहा है तो इसका कारण यही है कि हर किसी ने यह स्वीकार कर लिया है कि रीजनल काउंसिल में जो कोई भी चेयरपरसन बनता है, वह फिर सेंट्रल काउंसिल के लिए तैयारी करता ही है । नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पिछले टर्म के पहले वर्ष में जब अतुल कुमार गुप्ता चेयरपरसन थे, तब उन्होंने भी यही किया था - जो अब विशाल गर्ग कर रहे हैं । ऐसे में, विशाल गर्ग की शिकायत को अतुल कुमार गुप्ता की राजनीतिक खिसियाहट के रूप में ही देखा/पहचाना जा रहा है ।
अतुल कुमार गुप्ता के नजदीकियों का कहना है कि अतुल कुमार गुप्ता को समस्या इस बात से नहीं है कि विशाल गर्ग सेंट्रल काउंसिल के लिए तैयारी कर रहे हैं; समस्या उन्हें इस बात को लेकर है कि विशाल गर्ग जो तैयारी कर रहे हैं उसमें वह उनके समर्थन-आधार को अपने साथ करने का प्रयास कर रहे हैं । विशाल गर्ग की तैयारी में अतुल कुमार गुप्ता चूँकि अपने लिए सीधा खतरा देख/पहचान रहे हैं, इसलिए वह बौखला गये हैं । उल्लेखनीय है कि ब्रांचेज अधिकतर हरियाणा और पंजाब में हैं, जहाँ अतुल कुमार गुप्ता अपने लिए अच्छा समर्थन प्राप्त करते हैं और देखते हैं । ब्रांचेज में ध्यान देकर विशाल गर्ग ने भी हरियाणा और पंजाब के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच अपना समर्थन-आधार खोजने और बनाने का प्रयास किया है । रीजनल काउंसिल का चुनाव तो उन्होंने अपने शहर लुधियाना और आसपास के शहरों के भरोसे जीत लिया, लेकिन सेंट्रल काउंसिल के लिए उन्हें अपने समर्थन-आधार को बढ़ाना ही होगा - और विशाल गर्ग को पता है कि उनका समर्थन-आधार हरियाणा और पंजाब में ही बढ़ सकेगा । रीजनल काउंसिल के चेयरपरसन के रूप में विशाल गर्ग ने ब्रांचेज पर इसीलिए ज्यादा फोकस किया हुआ है । नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में ब्रांचेज चूँकि हमेशा ही उपेक्षित सी रही हैं, इसलिए इस बार जब उन पर ध्यान दिया गया तो उन्होंने भी उत्साह दिखाया । ब्रांचेज के पदाधिकारियों के उत्साह को विशाल गर्ग की राजनीतिक उपलब्धि के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, जिससे अतुल कुमार गुप्ता की नींद उड़ गई है । अतुल कुमार गुप्ता को लगता है कि विशाल गर्ग को जो भी फायदा होगा, वह उनका नुकसान होगा । अपने नुकसान को रोकने के लिए ही अतुल कुमार गुप्ता ने विशाल गर्ग को बदनाम करने की मुहिम छेड़ दी है ।
विशाल गर्ग के खिलाफ चलाई जा रही अपनी इस मुहिम में अतुल कुमार गुप्ता को पहले सेंट्रल काउंसिल के एक अन्य सदस्य विजय कुमार गुप्ता का भी समर्थन मिल रहा था, लेकिन फिर जल्दी ही विजय कुमार गुप्ता ने अपने आप को अतुल कुमार गुप्ता की मुहिम से अलग कर लिया । विशाल गर्ग की सक्रियता के कारण विजय कुमार गुप्ता को हालाँकि ज्यादा खतरा महसूस हो रहा है । विजय कुमार गुप्ता चूँकि सेंट्रल काउंसिल में होते हुए एक बार चुनाव हार चुके हैं, इसलिए पुरानी गलतियों को वह नहीं दोहराना चाहते हैं, और विवादों में फँसने से बचने की कोशिश करते हुए वह अपने समर्थन आधार को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं । इस बार अमरजीत चोपड़ा से अचानक मिले समर्थन के कारण विजय कुमार गुप्ता की चुनावी नैया पार लगी है; अमरजीत चोपड़ा का समर्थन अगली बार उन्हें मिल सकेगा, चूँकि इसमें संदेह है; लिहाजा उन्होंने अपना समर्थन आधार बनाने का काम खुद ही करना शुरू कर दिया है । यह समर्थन आधार बनाने का काम पहले उन्होंने अतुल कुमार गुप्ता की तर्ज पर विशाल गर्ग के साथ मिल कर करने का प्रयास किया था, लेकिन जब विशाल गर्ग ने उन्हें छिटक दिया और अपनी चाल अकेले ही चलने लगे तो पहले तो विजय कुमार गुप्ता भी अतुल कुमार गुप्ता की तरह बहुत बौखलाए, लेकिन फिर जल्दी ही वह संभल गये । विजय कुमार गुप्ता ने समझ लिया कि बौखलाने से तो वह अपना नुकसान ही करेंगे, इसलिए उन्होंने अपने आप को अतुल कुमार गुप्ता की लाइन से अलग कर लिया । विजय कुमार गुप्ता ने दरअसल देख/जान लिया कि विशाल गर्ग चूँकि रीजनल काउंसिल के चेयरपरसन हैं, इसलिए ब्रांचेज में जो पदाधिकारी हैं वह भावनात्मक रूप से विशाल गर्ग के साथ जुड़े हुए हैं और ऐसे में विशाल गर्ग के खिलाफ कही गई कोई भी बात उनके बीच अपील और/या समर्थन पैदा नहीं करेगी । चेयरपरसन पद पर बैठे व्यक्ति की आलोचना करके ब्रांचेज के पदाधिकारियों का समर्थन जुटा पाना एक मुश्किल ही नहीं, असंभव सा काम है, इसीलिए अतुल कुमार गुप्ता ब्रांचेज में तेजी से अलोकप्रिय होते जा रहे हैं । अतुल कुमार गुप्ता को दोहरी मार पड़ रही है - एक तरफ तो ब्रांचेज में उन्हें कोई तवज्जो नहीं मिल रही है, और दूसरी तरफ रीजनल काउंसिल के जो आयोजन दिल्ली में हो रहे हैं उनमें उनकी बजाये सेंट्रल काउंसिल के दूसरे सदस्यों को ज्यादा तरजीह मिल रही है ।
अतुल कुमार गुप्ता को उनके व्यवहार के कारण उन लोगों में गिना जा रहा है, जो सफलता को पचा नहीं पाते हैं और सफलता के नशे में ऐसे चूर रहते हैं कि समझते हैं कि वह जो कुछ भी करेंगे उससे उन्हें फायदा ही होगा । विजय कुमार गुप्ता, पंकज त्यागी, विनाद जैन के अनुभव से उन्होंने लगता है कि कुछ नहीं सीखा है । विजय कुमार गुप्ता जब पहली बार सेंट्रल काउंसिल में जीते थे, तब उन्हें भी यह गलतफहमी हो गई थी कि इंस्टीट्यूट वही चलायेंगे । नतीजा यह हुआ कि दूसरी बार के अपने चुनाव में उन्हें इंस्टीट्यूट से बाहर हो जाना पड़ा । पंकज त्यागी ने विजय कुमार गुप्ता के अनुभव से सबक नहीं लिया और नतीजा सभी के सामने है । विनोद जैन की तो बात ही निराली है, दूसरों को तो छोड़िये उन्होंने तो अपने ही अनुभव से सबक नहीं सीखा - यही कारण है कि उन्होंने एक बार जीतने का तो दूसरी बार हारने का रिकार्ड बनाया है । अतुल कुमार गुप्ता भी इसी ‘राह’ पर बढ़ते दिख रहे हैं । उनके साथ रहे लोगों को ही लगने लगा है कि सफलता उनसे हजम नहीं हो रही है, जिसके कारण वह ऐसी.ऐसी हरकतें कर रहे हैं कि लोगों के बीच तेजी से अलोकप्रिय हो रहे हैं । इस बार के चुनाव में उनके साथ रहे लोगों को ही लग रहा है कि सेंट्रल काउंसिल सदस्य के रूप में अतुल कुमार गुप्ता जैसी जो हरकतें कर रहे हैं, उसके चलते अपने दुश्मन आप ही साबित हो रहे हैं ।
विशाल गर्ग और नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के दूसरे पदाधिकारियों के ब्रांचेज में जो स्वागत समारोह हो रहे हैं, वह अतुल कुमार गुप्ता की आंखों में दरअसल इसलिए खटक रहे हैं, क्योंकि इनमें उन्हें अपना राजनीतिक समर्थन.आधार खिसकता/कमजोर पड़ता दिख रहा है । ब्रांचेज में होने वाले स्वागत समारोहों की आलोचना करते हुए अतुल कुमार गुप्ता जब यह आरोप लगाते हैं कि इन स्वागत.समारोहों के जरिये विशाल गर्ग दरअसल सेंट्रल काउंसिल के लिए अपनी चुनावी तैयारी कर रहे हैं तो स्वतः जता देते हैं कि उनका दर्द भी वास्तव में राजनीतिक ही है । मजे की बात यह है कि विशाल गर्ग के चेयरपरसन के रूप में शुरू के कई दिन अतुल कुमार गुप्ता के साथ अच्छी दोस्ती में गुजरे थे । उन दिनों तो कई लोग यहाँ तक कहने लगे थे कि पर्दे के पीछे से नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल को अतुल कुमार गुप्ता ही चला रहे हैं । किंतु जैसे ही विशाल गर्ग ने अतुल कुमार गुप्ता को रीजनल काउंसिल की रोज.रोज की गतिविधियों से बाहर किया, अतुल कुमार गुप्ता भड़क गये हैं और विशाल गर्ग पर राजनीति करने का आरोप लगाने लगे हैं । अतुल कुमार गुप्ता की बदकिस्मती लेकिन यह है कि कोई भी उनकी शिकायत को गंभीरता से लेता नहीं दिख रहा है । विशाल गर्ग के खिलाफ अतुल कुमार गुप्ता ने जो अभियान छेड़ा हुआ है, उसे कोई तवज्जो देता हुआ नहीं दिख रहा है तो इसका कारण यही है कि हर किसी ने यह स्वीकार कर लिया है कि रीजनल काउंसिल में जो कोई भी चेयरपरसन बनता है, वह फिर सेंट्रल काउंसिल के लिए तैयारी करता ही है । नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पिछले टर्म के पहले वर्ष में जब अतुल कुमार गुप्ता चेयरपरसन थे, तब उन्होंने भी यही किया था - जो अब विशाल गर्ग कर रहे हैं । ऐसे में, विशाल गर्ग की शिकायत को अतुल कुमार गुप्ता की राजनीतिक खिसियाहट के रूप में ही देखा/पहचाना जा रहा है ।
अतुल कुमार गुप्ता के नजदीकियों का कहना है कि अतुल कुमार गुप्ता को समस्या इस बात से नहीं है कि विशाल गर्ग सेंट्रल काउंसिल के लिए तैयारी कर रहे हैं; समस्या उन्हें इस बात को लेकर है कि विशाल गर्ग जो तैयारी कर रहे हैं उसमें वह उनके समर्थन-आधार को अपने साथ करने का प्रयास कर रहे हैं । विशाल गर्ग की तैयारी में अतुल कुमार गुप्ता चूँकि अपने लिए सीधा खतरा देख/पहचान रहे हैं, इसलिए वह बौखला गये हैं । उल्लेखनीय है कि ब्रांचेज अधिकतर हरियाणा और पंजाब में हैं, जहाँ अतुल कुमार गुप्ता अपने लिए अच्छा समर्थन प्राप्त करते हैं और देखते हैं । ब्रांचेज में ध्यान देकर विशाल गर्ग ने भी हरियाणा और पंजाब के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच अपना समर्थन-आधार खोजने और बनाने का प्रयास किया है । रीजनल काउंसिल का चुनाव तो उन्होंने अपने शहर लुधियाना और आसपास के शहरों के भरोसे जीत लिया, लेकिन सेंट्रल काउंसिल के लिए उन्हें अपने समर्थन-आधार को बढ़ाना ही होगा - और विशाल गर्ग को पता है कि उनका समर्थन-आधार हरियाणा और पंजाब में ही बढ़ सकेगा । रीजनल काउंसिल के चेयरपरसन के रूप में विशाल गर्ग ने ब्रांचेज पर इसीलिए ज्यादा फोकस किया हुआ है । नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में ब्रांचेज चूँकि हमेशा ही उपेक्षित सी रही हैं, इसलिए इस बार जब उन पर ध्यान दिया गया तो उन्होंने भी उत्साह दिखाया । ब्रांचेज के पदाधिकारियों के उत्साह को विशाल गर्ग की राजनीतिक उपलब्धि के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, जिससे अतुल कुमार गुप्ता की नींद उड़ गई है । अतुल कुमार गुप्ता को लगता है कि विशाल गर्ग को जो भी फायदा होगा, वह उनका नुकसान होगा । अपने नुकसान को रोकने के लिए ही अतुल कुमार गुप्ता ने विशाल गर्ग को बदनाम करने की मुहिम छेड़ दी है ।
विशाल गर्ग के खिलाफ चलाई जा रही अपनी इस मुहिम में अतुल कुमार गुप्ता को पहले सेंट्रल काउंसिल के एक अन्य सदस्य विजय कुमार गुप्ता का भी समर्थन मिल रहा था, लेकिन फिर जल्दी ही विजय कुमार गुप्ता ने अपने आप को अतुल कुमार गुप्ता की मुहिम से अलग कर लिया । विशाल गर्ग की सक्रियता के कारण विजय कुमार गुप्ता को हालाँकि ज्यादा खतरा महसूस हो रहा है । विजय कुमार गुप्ता चूँकि सेंट्रल काउंसिल में होते हुए एक बार चुनाव हार चुके हैं, इसलिए पुरानी गलतियों को वह नहीं दोहराना चाहते हैं, और विवादों में फँसने से बचने की कोशिश करते हुए वह अपने समर्थन आधार को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं । इस बार अमरजीत चोपड़ा से अचानक मिले समर्थन के कारण विजय कुमार गुप्ता की चुनावी नैया पार लगी है; अमरजीत चोपड़ा का समर्थन अगली बार उन्हें मिल सकेगा, चूँकि इसमें संदेह है; लिहाजा उन्होंने अपना समर्थन आधार बनाने का काम खुद ही करना शुरू कर दिया है । यह समर्थन आधार बनाने का काम पहले उन्होंने अतुल कुमार गुप्ता की तर्ज पर विशाल गर्ग के साथ मिल कर करने का प्रयास किया था, लेकिन जब विशाल गर्ग ने उन्हें छिटक दिया और अपनी चाल अकेले ही चलने लगे तो पहले तो विजय कुमार गुप्ता भी अतुल कुमार गुप्ता की तरह बहुत बौखलाए, लेकिन फिर जल्दी ही वह संभल गये । विजय कुमार गुप्ता ने समझ लिया कि बौखलाने से तो वह अपना नुकसान ही करेंगे, इसलिए उन्होंने अपने आप को अतुल कुमार गुप्ता की लाइन से अलग कर लिया । विजय कुमार गुप्ता ने दरअसल देख/जान लिया कि विशाल गर्ग चूँकि रीजनल काउंसिल के चेयरपरसन हैं, इसलिए ब्रांचेज में जो पदाधिकारी हैं वह भावनात्मक रूप से विशाल गर्ग के साथ जुड़े हुए हैं और ऐसे में विशाल गर्ग के खिलाफ कही गई कोई भी बात उनके बीच अपील और/या समर्थन पैदा नहीं करेगी । चेयरपरसन पद पर बैठे व्यक्ति की आलोचना करके ब्रांचेज के पदाधिकारियों का समर्थन जुटा पाना एक मुश्किल ही नहीं, असंभव सा काम है, इसीलिए अतुल कुमार गुप्ता ब्रांचेज में तेजी से अलोकप्रिय होते जा रहे हैं । अतुल कुमार गुप्ता को दोहरी मार पड़ रही है - एक तरफ तो ब्रांचेज में उन्हें कोई तवज्जो नहीं मिल रही है, और दूसरी तरफ रीजनल काउंसिल के जो आयोजन दिल्ली में हो रहे हैं उनमें उनकी बजाये सेंट्रल काउंसिल के दूसरे सदस्यों को ज्यादा तरजीह मिल रही है ।
अतुल कुमार गुप्ता को उनके व्यवहार के कारण उन लोगों में गिना जा रहा है, जो सफलता को पचा नहीं पाते हैं और सफलता के नशे में ऐसे चूर रहते हैं कि समझते हैं कि वह जो कुछ भी करेंगे उससे उन्हें फायदा ही होगा । विजय कुमार गुप्ता, पंकज त्यागी, विनाद जैन के अनुभव से उन्होंने लगता है कि कुछ नहीं सीखा है । विजय कुमार गुप्ता जब पहली बार सेंट्रल काउंसिल में जीते थे, तब उन्हें भी यह गलतफहमी हो गई थी कि इंस्टीट्यूट वही चलायेंगे । नतीजा यह हुआ कि दूसरी बार के अपने चुनाव में उन्हें इंस्टीट्यूट से बाहर हो जाना पड़ा । पंकज त्यागी ने विजय कुमार गुप्ता के अनुभव से सबक नहीं लिया और नतीजा सभी के सामने है । विनोद जैन की तो बात ही निराली है, दूसरों को तो छोड़िये उन्होंने तो अपने ही अनुभव से सबक नहीं सीखा - यही कारण है कि उन्होंने एक बार जीतने का तो दूसरी बार हारने का रिकार्ड बनाया है । अतुल कुमार गुप्ता भी इसी ‘राह’ पर बढ़ते दिख रहे हैं । उनके साथ रहे लोगों को ही लगने लगा है कि सफलता उनसे हजम नहीं हो रही है, जिसके कारण वह ऐसी.ऐसी हरकतें कर रहे हैं कि लोगों के बीच तेजी से अलोकप्रिय हो रहे हैं । इस बार के चुनाव में उनके साथ रहे लोगों को ही लग रहा है कि सेंट्रल काउंसिल सदस्य के रूप में अतुल कुमार गुप्ता जैसी जो हरकतें कर रहे हैं, उसके चलते अपने दुश्मन आप ही साबित हो रहे हैं ।