Thursday, September 26, 2013

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में हुआ हिसार-कांड नरेश गुप्ता को अपनी अपनी जेब में करने को लेकर राकेश त्रेहन, अजय बुद्धराज, हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल के बीच छिड़ी होड़ का नतीजा है क्या

हिसार/नई दिल्ली । नरेश गुप्ता को हिसार में केएल खट्टर से जो फटकार सुनने को मिली, हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल ने उसके लिए राकेश त्रेहन व अजय बुद्धराज को जिम्मेदार ठहराया है । हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल का कहना है कि राकेश त्रेहन और अजय बुद्धराज ने उनसे सलाह किये बिना, अपनी राजनीति चलाने के इरादे से नरेश गुप्ता को अकेले ही हिसार में लोगों से मिलने  भेज दिया; और इस बात की जरा भी परवाह नहीं की, कि नरेश गुप्ता को वहाँ किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है । हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल का मानना और कहना है कि नरेश गुप्ता को हिसार में केएल खट्टर तथा अन्य लोगों से जो खरी-खोटी सुननी पड़ी है, उससे सिर्फ नरेश गुप्ता की ही किरकिरी नहीं हुई है, बल्कि ग्रुप की और ग्रुप के नेताओं की भी फजीहत हुई है । हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल की इन बातों को सुन कर राकेश त्रेहन व अजय बुद्धराज को झटका लगा है । उनके लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि नरेश गुप्ता के साथ हिसार में जो कुछ हुआ उसके लिए केएल खट्टर की आलोचना करने की बजाये ये दोनों उन्हें निशाना क्यों बना रहे हैं ? राकेश त्रेहन और अजय बुद्धराज ही नहीं, दूसरे अन्य कई लोगों को भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि नरेश गुप्ता को खरी-खोटी सुनाई तो केएल खट्टर ने है - लेकिन हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल इसके लिए राकेश त्रेहन और अजय बुद्धराज की लानत-मलानत करने में लगे हैं । आखिर माजरा है क्या ?
माजरा जो लोग समझ रहे हैं उनका कहना है कि यह सब खेल दरअसल नरेश गुप्ता को अपनी-अपनी गिरफ्त में लेने/रखने का है । बेचारे नरेश गुप्ता की मुसीबत यह है कि उन्हें इन चारों के बीच छिड़ी होड़ का शिकार होना पड़ रहा है । इन चारों के बीच होड़ इस बात को लेकर छिड़ी हुई है कि नरेश गुप्ता को कौन 'अपनी जेब में रख पाता है' । राकेश त्रेहन और अजय बुद्धराज के बीच केमिस्ट्री चूँकि अच्छी है, इसलिए उक्त होड़ में इनका पलड़ा भारी दिखता है - हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल एक तो अकेले अकेले हैं और दूसरे लोगों के बीच इनकी अलग अलग तरह की बदनामी है, जिस कारण नरेश गुप्ता को अपनी जेब में रखने की होड़ में ये राकेश त्रेहन-अजय बुद्धराज की जोड़ी के मुकाबले अपने आप को कमजोर पाते हैं । नरेश गुप्ता को हिसार जाने और वहाँ मीटिंग करने का सुझाव राकेश त्रेहन-अजय बुद्धराज की जोड़ी से मिला था और उनके इस कार्यक्रम के बारे में हर्ष बंसल व सुरेश बिंदल को अँधेरे में रखा गया था - इसलिए हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल इस कार्यक्रम से भड़के हुए थे । उनकी किस्मत से हिसार में नरेश गुप्ता की फजीहत हो गई - तो उन्हें यह बताने/जताने का सुनहरा मौका मिल गया कि नरेश गुप्ता यदि राकेश त्रेहन व अजय बुद्धराज के कहने पर चलेंगे तो इसी तरह अपमानित होते रहेंगे । हिसार में नरेश गुप्ता के साथ जो हुआ, उसके लिए राकेश त्रेहन और अजय बुद्धराज को जिम्मेदार ठहरा कर हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल ने दरअसल नरेश गुप्ता को उनकी पकड़ से छीन कर अपनी पकड़ में करने का दाँव चला है ।
नरेश गुप्ता को हिसार 'भेजने' के जरिये राकेश त्रेहन और अजय बुद्धराज ने जो राजनीतिक दाँव चला था - वह अपने आप में था बहुत बढ़िया, लेकिन अपने दाँव को अंजाम तक पहुँचाने की 'तैयारी' करने के मामले में चूँकि वह लापरवाही कर बैठे इसलिए उन्हें अपना दाँव उल्टा पड़ गया । नरेश गुप्ता को हिसार 'भेजने' के जरिये राकेश त्रेहन और अजय बुद्धराज ने दरअसल दो काम एक साथ साधने की योजना बनाई थी - एक तरफ तो वह नरेश गुप्ता को यह अहसास करा देना चाहते थे कि उन्हें उनके गवर्नर-काल की बहुत फिक्र है, और दूसरी तरफ उन्होंने नरेश गुप्ता के जरिये हरियाणा में दूसरे खेमे के ऐसे लोगों को अपने साथ करने की तरकीब लगाई थी जो कल तक उनके ही साथ थे । राकेश त्रेहन और अजय बुद्धराज समझ रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के गणित को अपने पक्ष में करने के लिए उन्हें हरियाणा में के दूसरी-तीसरी पंक्ति के अपने रूठे साथियों को मनाना पड़ेगा । दूसरी-तीसरी पंक्ति के लोगों को मनाने के लिए आने वाला गवर्नर बहुत काम आता है - यही सोच कर उन्होंने नरेश गुप्ता को हरियाणा में इस्तेमाल करने की योजना बनाई । नरेश गुप्ता इस्तेमाल होने के लिए तैयार हो जायें - इसके लिए राकेश त्रेहन और अजय बुद्धराज ने उन्हें पटटी यह पढ़ाई कि उन्हें हरियाणा में लोगों के साथ अपना मेलजोल बढ़ाना चाहिये, जिससे कि अगले लायन वर्ष में का उनका गवर्नर-काल अच्छा चले । नरेश गुप्ता को यह बात समझ में आई । किसी को भी आ जाती । बात अपने आप में है ही अच्छी ।
लेकिन अच्छी बातों के साथ अक्सर एक समस्या होती है - और वह यह कि अच्छी बातें प्रायः बुरे इरादों के साथ की जाती हैं, और इसीलिये वह न असर छोड़ती हैं और न सफल होती हैं । यहाँ भी यही हुआ । नरेश गुप्ता को हिसार 'भेजने' का जो 'कारण' बताया गया वह तो एक आवरण था, उसमें एक धोखा छिपा था - उसके पीछे असल उद्देश्य कुछ और था । इस फर्क के चलते नरेश गुप्ता के हिसार कार्यक्रम को लेकर कोई 'तैयारी' ही नहीं की जा सकी । की भी नहीं जा सकती थी । नरेश गुप्ता को हिसार 'भेजने' के पीछे राकेश त्रेहन और अजय बुद्धराज का जो असल उद्देश्य था, उसे वह हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल से भला कैसे बता सकते थे; नरेश गुप्ता से भी वह कैसे यह कह सकते थे कि आपसे जो करने को कहा जा रहा है उसमें आपका फायदा तो है ही, साथ में हमारा फायदा भी है । ऐसे में जो होना था, वही हुआ । नरेश गुप्ता चूँकि अपने को हिसार भेजे जाने का असल उद्देश्य नहीं समझ/पहचान पाये, इसलिए उन्होंने अपनी सरलता/सहजता में भाई-चारे की बातें कीं - जिन्हें सुन कर केएल खट्टर और वहाँ मौजूद दूसरे लोग उखड़ गए । नरेश गुप्ता को सीधे-सीधे बताया गया कि आप यहाँ बात तो भाई-चारे की कर रहे हो, लेकिन हर मामले में खड़े दिखते हो एक ग्रुप के नेताओं के साथ ! जिस तरह के उदाहरणों और सुबूतों के साथ नरेश गुप्ता के दोहरे रवैये को उनके सामने ही खोला गया - उन्हें सुन कर नरेश गुप्ता के पास चुप रहने के आलावा और कोई चारा ही नहीं बचा था । अपनी इस फजीहत के लिए नरेश गुप्ता ने किसे जिम्मेदार ठहराया है, यह तो अभी लोगों के सामने स्पष्ट नहीं हुआ है; लेकिन अपने आप को उनका शुभचिंतक बताने वाले हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल ने उनकी इस फजीहत के लिए साफ तौर पर राकेश त्रेहन और अजय बुद्धराज को जिम्मेदार बताया है । हिसार में हुई नरेश गुप्ता की फजीहत ने हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल को वास्तव में राकेश त्रेहन तथा अजय बुद्धराज के खिलाफ अपनी भड़ास निकालने का अच्छा मौका दे दिया है । इस बहाने से, नरेश गुप्ता को अपनी अपनी जेब में करने को लेकर राकेश त्रेहन, अजय बुद्धराज, हर्ष बंसल और सुरेश बिंदल के बीच छिड़ी होड़ का जो नजारा लोगों के सामने आया है - उसने डिस्ट्रिक्ट में एक मनोरंजक दृश्य बनाया है ।