Thursday, September 19, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल की 'सफलता' उनके अपने ही डिस्ट्रिक्ट में उनकी दुश्मन हो गई लगती है

नई दिल्ली । विनोद बंसल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसे जुटाने के मामले में रिकॉर्ड बना कर रोटरी के बड़े पदाधिकारियों को भले ही इंप्रेस कर लिया हो, लेकिन उनकी इस 'सफलता' ने उन्हें अपने ही डिस्ट्रिक्ट में भारी आलोचना का शिकार बना दिया है । उनके अपने डिस्ट्रिक्ट के कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनोद बंसल ने पैसे खर्च करने और पैसे जुटाने को ही रोटरी समझा हुआ है और इसके जरिये वह रोटरी के बड़े पदाधिकारियों और बड़े नेताओं को खुश करने के एजेंडे पर काम कर रहे हैं । रोटरी की बाकी गतिविधियों से और रोटरी की मूल भावना को बनाये रखने के कामों से उन्हें जैसे कोई मतलब नहीं है ।
अपने आरोप को उदाहरणों के द्धारा वजनदार बनाते हुए इन पूर्व गवर्नर्स का कहना है कि एक तरफ पैसे खर्च करके विनोद बंसल ने रोटरी इंस्टीट्यूट 2014 का वाइस चेयरमैन का पद जुगाड़ लिया और दूसरी तरफ रोटरी फाउंडेशन के लिए रिकॉर्ड पैसे जुटा कर रोटरी के बड़े पदाधिकारियों व नेताओं को खुश कर दिया - लेकिन डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी के प्रकाशन के लिए उनके पास समय नहीं है, जिस कारण अभी तक भी डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी प्रकाशित नहीं हो सकी है । डायरेक्टरी के काम से जुड़े लोगों के हवाले से इनका कहना है कि डायरेक्टरी का काम सिर्फ इसलिये रुका हुआ है क्योंकि जो चीजें विनोद बंसल को देनी हैं उन्हें देने का विनोद बंसल के पास समय नहीं है ।
विनोद बंसल के पास समय की सचमुच बहुत कमी है । क्लब्स के कार्यक्रमों में लेट पहुँचने और पहले से तय कार्यक्रम को ऐन मौके पर स्थगित कर देने के आरोप उन पर हैं । किसी भी क्लब के लिए कार्यक्रम की तैयारी करना एक श्रमसाध्य काम है - पहले से तय कार्यक्रम को विनोद बंसल लेकिन जब अचानक पैदा हुई व्यस्तता के कारण देर से पहुँच कर डिस्टर्ब कर देते हैं और या उसे कैंसिल ही कर देते हैं, तो क्लब के लोगों की मेहनत पर पानी तो फिरता ही है - उसे पैसों का घाटा भी होता है । क्लब के लोगों के उत्साह पर जो पानी फिर जाता है, वह अलग !
रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसे जुटाने के उद्देश्य से अभी हाल ही में हुए कार्यक्रम में तो विनोद बंसल ने और भी कमाल कर दिया । डिस्ट्रिक्ट के मेजर डोनर्स को सम्मानित करने के नाम पर हुए इस कार्यक्रम में डिस्ट्रिक्ट के कई मेजर डोनर्स को निमंत्रण तक नहीं मिले । निमंत्रण न पाने वाले ऐसे मेजर डोनर्स में कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स भी हैं । कार्यक्रम से कई दिन पहले ही हालाँकि विनोद बंसल ने स्पष्ट कर दिया था कि चूँकि एक कार्यक्रम में सभी मेजर डोनर्स को सम्मानित नहीं किया/कराया जा सकता है, इसलिए इस तरह के दो कार्यक्रम होंगे । लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि पहले कार्यक्रम में किन्हें बुलाया जायेगा; या पहले कार्यक्रम में बुलाये जाने वाले लोगों को चुनने का तरीका या मापदण्ड क्या होगा ?
विनोद बंसल ने तो यह स्पष्ट नहीं किया, लेकिन उनके नजदीकियों ने जो बताया उससे कुलमिलाकर विनोद बंसल की ही किरकिरी हुई । उनके नजदीकियों का कहना रहा कि विनोद बंसल को जिन लोगों से मोटी रकम मिलने की उम्मीद थी, उन्हें ही पहले कार्यक्रम में बुलाया जायेगा । इससे मामला और उलझा । विनोद बंसल को जिन लोगों से मोटी रकम मिलने की उम्मीद बनी - उस उम्मीद के बनने का कारण क्या रहा ? देखा/जाना यह गया कि विनोद बंसल ने लोगों से पैसा बसूलने के लिए दिन-रात मेहनत की । उन्होंने लोगों को तरह-तरह से घेरा । जिन लोगों से फोन पर बात नहीं बन पा रही थी, उन लोगों के घर के कई-कई चक्कर काटे । कई लोगों ने इन पंक्तियों के लेखक से बताया कि विनोद बंसल ने उन पर तरह-तरह से दबाव बना कर उनसे कमिटमेंट ली है । रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसे जुटाने के काम के लिए उनके पास समय की कोई कमी नहीं थी ।
ऐसे में, सवाल यह भी उठा कि विनोद बंसल को जब लोगों से जबरदस्ती ही पैसे बसूलने थे, तो फिर उन्होंने कई मेजर डोनर्स को - यहाँ तक कि कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स तक को एप्रोच क्यों नहीं किया ? पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के मामले में तो बात यह समझ में आई कि जिन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने रोटरी इंस्टीट्यूट 2014 के लिए उनको वाइस चेयरमैन बनाने का खुला और सक्रिय विरोध किया था, उनको रोटरी फाउंडेशन के उक्त कार्यक्रम से दूर रखने का विनोद बंसल ने प्रयास किया । लेकिन बाकी लोगों के साथ उन्होंने कौन सी दुश्मनी निभाई - यह किसी की समझ में नहीं आया ।
रोटरी फाउंडेशन के कार्यक्रम में अपनी उपेक्षा से खिन्न डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स याद कर कर के और पहले की बातें बताते हैं कि डिस्ट्रिक्ट में इस बार पहली बार ऐसा हुआ कि डिस्ट्रिक्ट एसेम्बली में लोगों को किट नहीं मिली । एक पूर्व गवर्नर का कहना है कि यह बात छोटी सी है, लेकिन यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे विनोद बंसल की कार्य प्रणाली और उनके कंसर्न का पता चलता है । अपने कार्यकाल की डिस्ट्रिक्ट एसेम्बली में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जुटा कर रिकॉर्ड बनाने के लिए विनोद बंसल ने बहुत मेहनत की थी । डिस्ट्रिक्ट एसेम्बली में भीड़ जुटाने के लिए किये गए कैम्पेन में विनोद बंसल ने किट देने की बात को जोरशोर से प्रचारित भी किया था । लेकिन डिस्ट्रिक्ट एसेम्बली हो जाने के बाद जब किट न मिलने की शिकायतें हुईं तो विनोद बंसल ने उन शिकायतों का यह कह कर मजाक उड़ाया कि किट से क्या होता है ? डिस्ट्रिक्ट एसेम्बली के कैम्पेन में उन्होंने मनोरंजन के लिए कुछेक बड़े कलाकारों के आने के दावे भी किये थे, लेकिन जब उन कलाकारों के न आने की शिकायतें हुईं तो उनका कहना रहा कि रोटरी में हम क्या मनोरंजन के लिए हैं ? शुक्र है कि डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी न आने की शिकायतों पर उन्होंने अभी तक यह नहीं कहा है कि डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी से क्या होता है ? वह कह सकते हैं कि डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी नहीं आई है - लेकिन फिर भी उनकी डिस्ट्रिक्ट एसेम्बली, उनका डिस्ट्रिक्ट इन्सटॉलेशन रिकॉर्डतोड़ कामयाब रहा; रोटरी फाउंडेशन में उन्होंने रिकॉर्ड पैसा इकठ्ठा कर लिया है; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर रहते हुए अभी तक किसी को रोटरी इंस्टीट्यूट के वाइस चेयरमैन का पद नहीं मिला, जो उन्हें मिला है - और जो एक रिकॉर्ड है ।
कामयाबी या सफलता आखिर और किसे कहते हैं ?
लेकिन, उनकी यही 'सफलता' उनके अपने ही डिस्ट्रिक्ट में उनकी दुश्मन हो गई लगती है ।