Wednesday, September 25, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में राजीव देवा ने विनोद बंसल और संजय खन्ना पर भरोसा करके बड़ी भूल की है क्या

नई दिल्ली । राजीव देवा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजय खन्ना और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश चंद्र के रवैये को देख कर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं । राजीव देवा का रोना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए पहले तो इन्होंने उन्हें कुछ करने के लिए उकसाया, लेकिन अब जब उन्होंने अपने क्लब के अधिष्ठापन समारोह के जरिये अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट करने का कार्यक्रम बनाया तो ये लोग उनकी मदद करने से पीछे हट रहे हैं । राजीव देवा के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि उनके लिए अपने क्लब के लोगों को भी 'इनके' समर्थन का विश्वास दिलाना मुश्किल हुआ है - जिस कारण अधिष्ठापन समारोह में लोगों को आमंत्रित करने का काम भी राजीव देवा को बुझे मन से अकेले ही जैसे-तैसे वाले अंदाज़ में करना पड़ रहा है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल, राजीव देवा द्धारा अपने क्लब के अधिष्ठापन समारोह को आयोजित करने की टाईमिंग को लेकर नाराज अलग देखे/बताये जा रहे हैं । विनोद बंसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में तटस्थ रहने का जो दावा कर रहे हैं - राजीव देवा ने 27 सितंबर को अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट करने का कार्यक्रम रख कर उसे सवालों के घेरे में ला दिया है । राजीव देवा चूँकि शुरू से लगातार लोगों को यह बता रहे हैं कि उन्होंने तो विनोद बंसल के कहने पर अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत किया है, इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए नामांकन भरने की अंतिम तारिख के नजदीक राजीव देवा द्धारा अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट करने का कार्यक्रम रखना विनोद बंसल की बदनामी का कारण बनता है । राजीव देवा के क्लब के पदाधिकारियों के अनुसार, विनोद बंसल ने उन्हें आगाह किया है कि 27 सितंबर के आयोजन में सिर्फ अधिष्ठापन संबंधी कामकाज ही होना चाहिए और उसमें ऐसा कोई काम नहीं होना चाहिए जिसे राजीव देवा की उम्मीदवारी के प्रमोशन के रूप में देखा/समझा जाये । विनोद बंसल के इस रवैये ने अपनी उम्मीदवारी के प्रमोशन के लिए रखे गए आयोजन को लेकर राजीव देवा का उत्साह ठंडा कर दिया है ।
राजीव देवा को सबसे तगड़ा झटका संजय खन्ना की तरफ से लगा है । उन्हें उम्मीद थी कि संजय खन्ना से उन्हें सक्रिय सहयोग मिलेगा । लोगों को वह बार-बार याद दिला रहे थे कि संजय खन्ना जिस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार थे, उस वर्ष असिस्टेंट गवर्नर के रूप में उन्होंने संजय खन्ना की उम्मीदवारी का खुल कर समर्थन किया था । यह बता/जता कर राजीव देवा लोगों को यह समझाने का प्रयास कर रहे थे कि संजय खन्ना आखिर क्यों उनका समर्थन करेंगे । राजीव देवा का यह प्रयास उन कुछेक लोगों पर सफल होता हुआ दिखा भी, जिन्होंने संजय खन्ना को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के दूसरे उम्मीदवारों की तुलना में राजीव देवा के साथ ज्यादा घुलते-मिलते देखा/पाया । संजय खन्ना को लेकिन जैसे ही इस बात का पता चला कि उनकी मिलनसारिता का राजीव देवा इस तरह फायदा उठा रहे हैं, वह सावधान हो गए । संजय खन्ना ने राजीव देवा से जिस तरह से दूरी बनाई, उसके चलते राजीव देवा की सारी तैयारी चौपट हो गई ।
राजीव देवा ने सबसे बड़ा दाँव रमेश चंद्र को लेकर चला । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश चंद्र को चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के एक दूसरे उम्मीदवार रवि भाटिया के समर्थन में समझा जाता है, इसलिए राजीव देवा ने लोगों के बीच जब उनके समर्थन का दावा किया तो लोगों को हैरानी इस बात की हुई कि राजीव देवा इतना बड़ा झूठ कैसे बोल सकते हैं ? रमेश चंद्र कोई बहुत सक्रियता के साथ राजनीति करते हुए नहीं सुने/देखे जाते हैं - लेकिन उनकी जो भी और जैसी भी सक्रियता है, डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने उसे रवि भाटिया के समर्थन में ही देखा/पाया है । राजीव देवा किंतु फिर भी रमेश चंद्र के समर्थन का दावा करते रहे और अपने इस दावे को कन्विन्सिंग बनाने के लिए उन्होंने तर्क बड़ा दिलचस्प दिया और वह यह कि रमेश चंद्र चूँकि सुबह उसी पार्क में टहलने आते हैं, जिस पार्क में वह टहलते हैं इसलिए रमेश चंद्र उनका समर्थन कर रहे हैं । राजीव देवा के इस तर्क को लोगों के बीच लेकिन एक चुटकुले से ज्यादा महत्व नहीं मिला । अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट करने के लिए आयोजित किये जा रहे आयोजन की तैयारी में राजीव देवा को रमेश चंद्र का चूँकि कोई सहयोग या समर्थन मिलता हुआ नहीं दिख रहा है, इसलिए लोगों को और पक्का यकीन हो गया है कि रमेश चंद्र को लेकर किये गए राजीव देवा के दावे हवा-हवाई किस्म के ही हैं ।
राजीव देवा ने विनोद बंसल, संजय खन्ना और रमेश चंद्र के समर्थन का दावा करके अपनी उम्मीदवारी को डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच बढ़ाने की जो कोशिश की थी, वह उन्हें उल्टी पड़ गई है । उनके तमाम दावों के बावजूद, उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में चूँकि कोई प्रमुख 'नेता' लोगों को नहीं दिखा है - इसलिए उनकी उम्मीदवारी लोगों के बीच किसी तरह की कोई विश्वसनीयता नहीं बना सकी । उनके दावों ने विनोद बंसल और संजय खन्ना को बदनाम करने का काम बल्कि और किया - जिस पर व्यक्त की गईं उन दोनों की प्रतिक्रियाओं ने राजीव देवा की मुश्किलों को और बढ़ाया ही है ।
राजीव देवा की तुलना में लोगों के बीच सुरेश भसीन की उम्मीदवारी की ज्यादा साख है - हालाँकि उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में भी अभी नेता किस्म का कोई नहीं दिखा है । सुरेश भसीन ने इस स्थिति को दरअसल खासी होशियारी से हैंडल किया है और व्यावहारिक तर्क दिया है । उन्होंने हमेशा यही कहा है कि नेता लोग अभी भले ही उनके साथ न हों, किंतु जैसे ही लोगों के बीच उनका समर्थन दिखने लगेगा, नेता लोग खुद-ब-खुद उनके समर्थन में आ जायेंगे । राजीव देवा ने लेकिन अपने बड़बोलेपन और झूठे दावों से अपनी खुद की ही फजीहत करा ली है । अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से किये जा रहे कार्यक्रम में राजीव देवा को चूँकि किसी भी तरफ से समर्थन और सहयोग नहीं मिल रहा है, इसलिए उनका खुद का उत्साह भी ढीला पड़ गया है । राजीव देवा अब यह कह/बता कर अपना दुःख दूर करने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने विनोद बंसल और संजय खन्ना पर भरोसा करके बड़ी भूल की है ।