Sunday, August 5, 2012

नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में मचे घमासान ने सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत दुर्गा दास अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए मुसीबत पैदा की

नई दिल्ली | इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन दुर्गा दास अग्रवाल को अपनी ही टीम के प्रमुख पदाधिकारियों से जो चुनौती मिली है, उसके चलते नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का कामकाज तो ठप्प हो ही गया है, दुर्गा दास अग्रवाल की सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी का अभियान भी मुसीबत में फँस गया है | इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में ऐसा ड्रामा पहले शायद ही कभी हुआ होगा | उल्लेखनीय है कि रीजनल काउंसिल के चेयरमैन दुर्गा दास अग्रवाल पर काउंसिल के पैसों के दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए काउंसिल के ट्रेजरार दीन दयाल अग्रवाल ने कुछेक भुगतान करने से इंकार कर दिया | दुर्गा दास अग्रवाल ने दीन दयाल अग्रवाल से मिली इस चुनौती से निपटने के लिए लेकिन जो फार्मूला अपनाया, वह उन्हें उल्टा पड़ गया | दुर्गा दास अग्रवाल ने ट्रेजरार के अधिकार वाइस चेयरमैन गोपाल केडिया को भी यह सोच कर दे दिए कि दीन दयाल अग्रवाल जो भुगतान करने से इंकार करेंगे, वह भुगतान गोपाल केडिया से करवा लेंगे | काउंसिल के ट्रेजरार दीन दयाल अग्रवाल को तो दुर्गा दास अग्रवाल का यह फार्मूला नागवार गुजरा ही, काउंसिल के सचिव प्रमोद कुमार माहेश्वरी ने भी चेयरमैन के रूप में दुर्गा दास अग्रवाल द्धारा लिए गए इस फैसले का विरोध किया | प्रमोद कुमार माहेश्वरी और दीन दयाल अग्रवाल ने दुर्गा दास अग्रवाल के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया | अदालत तक बात पहुँचने की जानकारी मिलते ही दुर्गा दास अग्रवाल दबाव में आ गए और उन्होंने गोपाल केडिया को ट्रेजरार के दिए अधिकार वापस ले लिए | दुर्गा दास अग्रवाल ने ऐसा करके मामले को और बढ़ने व गंभीर रूप लेने से तो बचा लिया, लेकिन तब तक प्रमोद कुमार माहेश्वरी और दीन दयाल अग्रवाल लोगों के बीच उन्हें कठघरे में खड़े करने में कामयाब हो चुके थे | प्रमोद कुमार माहेश्वरी और दीन दयाल अग्रवाल का आरोप रहा कि दुर्गा दास अग्रवाल काउंसिल के पैसों का मनमाना दुरूपयोग कर रहे हैं और सेंट्रल काउंसिल की अपनी उम्मीदवारी के लिए अभियान चलाने में रीजनल काउंसिल के पैसों का इस्तेमाल कर रहे हैं | इनका आरोप रहा कि खर्चों के हिसाब-किताब के बारे में काउंसिल के दूसरे पदाधिकारियों से पूछना/बताना तो दूर, खर्चों के बारे में की गई पूछताछों व आपत्तियों का भी जबाव देना उन्होंने जरूरी नहीं समझा | इन्होंने आरोप लगाया कि दुर्गा दास अग्रवाल द्धारा किए जा रहे अनाप-शनाप खर्चों को नियंत्रित करने के लिए ट्रेजरार के रूप में दीन दयाल अग्रवाल ने कुछेक भुगतान रोक दिए तो दुर्गा दास अग्रवाल ने गैरकानूनी तरीके से गोपाल केडिया को भी ट्रेजरार के अधिकार दे दिए, ताकि वह काउंसिल के पैसे का मनमाना इस्तेमाल करते रह सकें | दुर्गा दास अग्रवाल ने इस तरह के आरोपों को बेबुनियाद बताया और दावा किया कि दीन दयाल अग्रवाल और प्रमोद कुमार माहेश्वरी ने अपनी मनमानी और दादागिरी चलाने के लिए अपने पद की जिम्मेदारियों का निर्वाह करने से इंकार किया और एक तरह से काउंसिल को बंधक बनाने की कोशिश की है | दुर्गा दास अग्रवाल के नजदीकियों ने इस सारे झमेले के लिए सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों को जिम्मेदार ठहराया | उन्होंने आरोप लगाया कि प्रमोद माहेश्वरी और दीन दयाल अग्रवाल दरअसल सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के हाथों की कठपुतली बन गए हैं और उनके ही इशारों पर रीजनल काउंसिल की गतिविधियों को बाधित कर रहे हैं | दुर्गा दास अग्रवाल के नजदीकियों का कहना रहा कि चूँकि दुर्गा दास अग्रवाल सेंट्रल काउंसिल के उम्मीदवार हो गए हैं, जो कि सेंट्रल काउंसिल के मौजूदा सदस्यों को पसंद नहीं आ रहा है - और इसीलिए उन्होंने दीन दयाल अग्रवाल और प्रमोद कुमार माहेश्वरी के जरिये दुर्गा दास अग्रवाल के लिए मुसीबतें खड़ी करवा दीं | दुर्गा दास अग्रवाल के नजदीकियों का कहना है कि दुर्गा दास अग्रवाल के लिए मुसीबतें खड़ी करवाने वाले लोगों ने लेकिन यह नहीं सोचा कि वह जो कर रहे हैं, उसके चलते रीजनल काउंसिल का मजाक बन गया है | रीजनल काउंसिल का जो मजाक बना है, उसके लिए कई लोग दुर्गा दास अग्रवाल की महत्वाकांक्षा को भी जिम्मेदार ठहराते हैं | आरोप है कि रीजनल काउंसिल का चेयरमैन बनने के लिए दुर्गा दास अग्रवाल ने सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों का समर्थन जुटाने हेतु उनके साथ कई तरह के समझौते किए - लेकिन चेयरमैन बनते ही वह समझौतों की बातों से मुकर गए और अपनी मनमानी करने लगे | आरोपों में जिन समझौतों का जिक्र सुनने में आया है उनमें प्रमुख बात यही थी कि दुर्गा दास अग्रवाल सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार नहीं बनेंगे और चेयरमैन के रूप में जो काम करेंगे सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों के साथ सलाह मशविरा कर करेंगे | दुर्गा दास अग्रवाल ने लेकिन चेयरमैन बनते ही सबसे पहला काम यह किया कि सेंट्रल काउंसिल के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की और उसके बाद - उन पर गंभीर आरोप यह रहा कि रीजनल काउंसिल के कार्यक्रमों को उन्होंने अपने चुनाव अभियान की तरह संयोजित करना शुरू किया | कुछेक लोगों का मानना और कहना है कि दीन दयाल अग्रवाल और प्रमोद कुमार माहेश्वरी इसलिए दुर्गा दास अग्रवाल के खिलाफ नहीं हुए कि इन्होंने सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों के साथ किन्हीं कथित समझौतों का उल्लंघन किया, बल्कि इसलिए खिलाफ हुए क्योंकि इन्होंने पाया कि दुर्गा दास अग्रवाल ने काउंसिल में अपना गुट बना लिया और इन्हें पूरी तरह इग्नोर कर रहे हैं | इन्हीं कुछेक लोगों का मानना और कहना है कि दुर्गा दास अग्रवाल चाहते तो खटपट शुरू होते और सामने आते ही हालात को संभाल सकते थे, पर उन्हें शायद उम्मीद नहीं होगी कि मामला इतना बढ़ जायेगा | गोपाल केडिया को ट्रेजरार के अधिकार देकर तो उन्होंने ब्लंडर कर दिया | दुर्गा दास अग्रवाल के इस कदम से दीन दयाल अग्रवाल और प्रमोद कुमार माहेश्वरी के आरोपों को खासा बल मिला - जिस कारण दुर्गा दास अग्रवाल के लिए हालात प्रतिकूल बने | दुर्गा दास अग्रवाल ने इस बात को तुरंत समझ भी लिया - यही कारण है कि उन्होंने गोपाल केडिया को ट्रेजरार के दिए अधिकार वापस लेने में भी देर नहीं लगाई | लेकिन तब तक उनके बारे में नकारात्मक माहौल बन चुका था | दुर्गा दास अग्रवाल के नजदीकियों तक का मानना और कहना है कि जो हुआ है उससे दुर्गा दास अग्रवाल की ही फजीहत हुई है और सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत की गई उनकी उम्मीदवारी पर ग्रहण लग गया है | दुर्गा दास अग्रवाल की फजीहत में सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों का कोई हाथ हो या न हो, किंतु उसमें उन्हें फायदा होता हुआ जरूर दिख रहा है | सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों के अलावा, सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार प्रस्तुत करने वाले आरके गौड़ ने भी राहत महसूस की होगी | दरअसल सेंट्रल काउंसिल के लिए होने वाले चुनाव में आरके गौड़ को सबसे नजदीकी चुनौती दुर्गा दास अग्रवाल से ही मिलने का खतरा पैदा हो गया था | दोनों के समर्थन आधार की एक समान भौगोलिक स्थिति के कारण ही नहीं, दोस्तों की लगभग एक-सी सूची के कारण भी आरके गौड़ को दुर्गा दास अग्रवाल की उम्मीदवारी से सीधी चुनौती मिलने की आशंका व्यक्त की जा रही थी | लेकिन नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में मचे घमासान में दुर्गा दास अग्रवाल की जैसी जो फजीहत हुई है, उसके चलते आरके गौड़ को राहत मिलने की उम्मीद बनी है |