Sunday, August 19, 2012

सुरेश चंदर ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी तो प्रस्तुत कर दी है, लेकिन क्या वह एक उम्मीदवार के रूप में सक्रिय हो पायेंगे और काम कर सकेंगे

फरीदाबाद | सुरेश चंदर को उम्मीद तो यह थी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करते ही उन पर समर्थन की बारिश होने लगेगी, लेकिन वह यह जान/देख कर हैरान हुए हैं कि जिन लोगों से उन्हें खुले समर्थन और सहयोग की उम्मीद थी उन्हीं लोगों ने उनका खेल ख़राब करने/बिगाड़ने का काम शुरू कर दिया है | सुरेश चंदर को सबसे तगड़ा झटका तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल की तरफ से लगा है | रमेश अग्रवाल ने उन्हें चेतावनी के लहजे में बताया है कि वह उनके नेतृत्व वाली डिस्ट्रिक्ट एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य हैं, इसलिए वह उम्मीदवार हो ही नहीं सकते हैं | रमेश अग्रवाल की इस चेतावनी के अलावा, सुरेश चंदर को फरीदाबाद में ही ऐसे लोगों के विरोध की आहटें सुनाई देने लगी हैं, जिनके साथ उनके सिर्फ अच्छे संबध ही नहीं रहे हैं, बल्कि वह जिनके काम भी आते रहे हैं | ऐसे लोगों को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में सुरेश चंदर दरअसल अपने प्रतिद्धंदी लगने लगे हैं और इसलिए उनके लिए जरूरी हो गया है कि वह सुरेश चंदर को आगे बढ़ने से तथा सफल होने से रोकें | उल्लेखनीय है कि अजय जोनेजा और पप्पू सरना अगले रोटरी वर्ष में उम्मीदवार बनने की तैयारी करते बताये जाते हैं - लिहाजा इन्हें सुरेश चंदर की अचानक से प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी में अपने लिए खतरा दिखाई देने लगा है |
सुरेश चंदर की अचानक से प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी ने अजय जोनेजा और पप्पू सरना के लिए तीन तरह से खतरा पैदा किया है - सुरेश चंदर यदि सफल हो जाते हैं, तो इनके लिए अगले वर्ष क्या अगले तीन-चार वर्षों तक उम्मीदवारी प्रस्तुत करना मुश्किल ही होगा; सुरेश चंदर यदि सफल नहीं होते हैं तो डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच संदेश जायेगा कि फरीदाबाद के उम्मीदवार में दम नहीं होता है और यह यूँ ही उम्मीदवार बन जाते हैं, और इसलिए जब अगले वर्ष यह उम्मीदवार बनेंगे तो कोई भी इन्हें गंभीरता से नहीं लेगा |  तीसरा और सबसे बड़ा खतरा अजय जोनेजा और पप्पू सरना को उन बातों से लगा है जिनमें बताया गया है कि सुरेश चंदर दरअसल अगले वर्ष की उम्मीदवारी की तैयारी कर रहे हैं और इस बार तो वह बैठने के लिये 'खड़े' हुए हैं  | फरीदाबाद में कुछेक लोगों का मानना और कहना है कि सुरेश चंदर वास्तव में अगले वर्ष उम्मीदवार होने की तैयारी में थे, लेकिन उनकी समस्या यह थी कि अगले वर्ष अजय जोनेजा और पप्पू सरना भी उम्मीदवार होने की तैयारी में सुने जा रहे थे | ऐसे में, सुरेश चंदर के सामने चुनौती यह थी कि वह कैसे अपने आप को इनसे आगे दिखाएँ/करें | किसी ने समझाया होगा या सुरेश चंदर को खुद समझ में आया होगा कि वह यदि इसी वर्ष अपनी उम्मीदवारी पेश कर दें और फिर जीतते हुए दिखने वाले किसी उम्मीदवार के पक्ष में 'बैठ' जाएँ तो अगले वर्ष अजय जोनेजा और पप्पू सरना के मुकाबले उनका दावा मजबूत हो जायेगा | सुरेश चंदर ने किन्हीं किन्हीं लोगों से यह कहा भी है कि वह तो इस वर्ष अपनी उम्मीदवारी नहीं प्रस्तुत करना चाहते थे, लेकिन उनके शुभचिंतकों ने उन पर दवाब डाल कर उनकी उम्मीदवारी को इसी वर्ष प्रस्तुत करवा दिया है |
सुरेश चंदर ने अपनी उम्मीदवारी तो प्रस्तुत कर दी है, लेकिन अपनी उम्मीदवारी के प्रति लोगों को - अपने ही लोगों को आश्वस्त करना उनके लिए मुश्किल हो रहा है | हर कोई उनसे यही पूछ रहा है कि उन्हें यदि सचमुच इसी वर्ष उम्मीदवार होना था, और वह अपनी उम्मीदवारी को लेकर वास्तव में गंभीर हैं तो अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत करने में उन्होंने इतनी देर क्यों लगा दी ? सुरेश चंदर चूँकि इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे हैं, इसलिए इसी चर्चा को बल मिल रहा है कि सुरेश चंदर इस वर्ष अपनी उम्मीदवारी को लेकर बिलकुल भी गंभीर नहीं हैं और वास्तव में उन्होंने अगले वर्ष प्रस्तुत की जाने वाली अपनी उम्मीदवारी की तैयारी के तहत अभी अपनी उम्मीदवारी का शगूफा खड़ा किया है | हालाँकि कुछेक लोगों का मानना और कहना है कि सुरेश चंदर की उम्मीदवारी के पीछे किसी रणनीति और या षड्यंत्र को देखने की जरूरत नहीं है; सुरेश चंदर ऐसा कुछ नहीं कर सकते - उन्होंने जो कुछ किया है वह सिर्फ उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता और नासमझी का नतीजा है | फरीदाबाद के कुछेक नेताओं का ही कहना है कि सुरेश चंदर पिछले तीन-चार वर्षों में चूँकि प्रत्येक गवर्नर के साथ रहे हैं और तवज्जो पाते रहे हैं; रमेश अग्रवाल तो चूँकि उनकी खुलकर तारीफ करते रहे हैं इसलिए उन्हें गलतफहमी हो गई कि वह अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे तो हर कोई उनका समर्थन व सहयोग करने को खड़ा हो जायेगा | पर अब जब वह उम्मीदवार हो गए हैं तो हर कोई उनकी कमियों और कमजोरियों की पिटारी खोल कर बैठ गया है | सुरेश चंदर की क्षमताओं पर सवालिया निशान लगाते हुए सबसे गंभीर आरोप यह सुनने को मिला है कि पिछले रोटरी वर्ष में वह डिस्ट्रिक्ट चेयरमैन रायला थे, लेकिन रायला वह कर नहीं सके | लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की गुडबुक में आना एक बात है, लेकिन पद की जिम्मेदारियों का निर्वाह करना बिलकुल दूसरी बात है और मुश्किल काम है | इसी तर्ज पर, सुरेश चंदर के नजदीकियों का ही मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उन्होंने अपनी उम्मीदवारी तो प्रस्तुत कर दी है, लेकिन एक उम्मीदवार के रूप में सक्रिय हो पाना और काम कर पाना उनके लिए शायद ही संभव हो पायेगा |