Friday, August 10, 2012

मुकेश अरनेजा को क्लब से निकालने की तैयारी; क्योंकि हर किसी के साथ धोखाधड़ी करने की अपनी करतूत को उन्होंने अपने ही क्लब के 'अपने ही लोगों' के साथ आजमाना शुरू कर दिया है

नई दिल्ली | मुकेश अरनेजा को अपनी होशियारी खासी महंगी पड़ी है और उनके सामने क्लब से निकाले जाने का खतरा पैदा हो गया है | हाथ-पैर जोड़ कर और खुशामद करके अपना काम निकालने का हुनर भी चूँकि उन्हें खूब आता है, जिसका उपयोग करके फ़िलहाल तो उन्होंने क्लब से अपने निष्कासन की कार्रवाई को टलवा दिया है - लेकिन जो कुछ हुआ है उससे यह साफ हो गया है कि अब उनके अपने समझे जाने वाले लोग भी यह कहने/बताने लगे हैं कि मुकेश अरनेजा एक धोखेबाज व्यक्ति हैं और किसी भी रूप में विश्वास करने योग्य नहीं हैं | यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि दो वर्ष पहले भी मुकेश अरनेजा को अपने क्लब में फजीहत का सामना करना पड़ा था जब क्लब के पदाधिकारियों ने सीओएल के लिए उनकी उम्मीदवारी के प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था | उस समय हुई फजीहत के लिए मुकेश अरनेजा की खुद की करतूतें ही जिम्मेदार थीं | उस समय भी मुकेश अरनेजा ने क्लब के सदस्यों की खुशामद करके तथा उनके हाथ-पैर जोड़ कर अपना काम हालाँकि बना लिया था | इस बार भी, अपने 'हुनर' से उन्होंने क्लब से निकाले जाने की कार्रवाई को तो प्रभावी नहीं होने दिया - लेकिन इस बार का मामला इसलिए बड़ा और गंभीर है, क्योंकि इस बार वह 'अपने ही' लोगों के निशाने पर आ गए हैं |
मामला मुकेश अरनेजा के 'खाड़कू' के रूप में पहचाने जाने वाले ललित खन्ना की उम्मीदवारी का है | पिछले कुछेक वर्षों से ललित खन्ना क्लब में उस गिरोह के प्रमुख सदस्य रहे हैं जो मुकेश अरनेजा के कहने पर किसी को भी बेइज्जत करने और किसी को भी उखाड़ने के लिए तैयार रहता रहा है | अभी कुछ दिन पहले तक, मुकेश अरनेजा के 'दुश्मन' को ललित खन्ना अपना दुश्मन माना करते थे | पर अब मुकेश अरनेजा ने ललित खन्ना के साथ भी दुश्मनों जैसा व्यवहार कर दिया है | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में ललित खन्ना यह देख/जान कर हैरान/परेशान हैं कि मुकेश अरनेजा ही उनकी उम्मीदवारी के सबसे बड़े दुश्मन बने हुए हैं | मजे की बात यह है कि ललित खन्ना को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी के लिए मुकेश अरनेजा ने ही 'तैयार' किया था | ललित खन्ना लेकिन जब सचमुच उम्मीदवार बन गए, तब मुकेश अरनेजा के तेवर बदल गए और वह ललित खन्ना की राह में रोड़े बिछाने के काम में लग गए | ललित खन्ना को अब समझ में आया कि मुकेश अरनेजा सचमुच में यह नहीं चाहते थे कि वह उम्मीदवार बनें - मुकेश अरनेजा ने यह सोच कर उन्हें उम्मीदवार बनने के लिए प्रेरित करने का काम किया कि ललित खन्ना के बस की उम्मीदवार बनना है ही नहीं | लेकिन जब ललित खन्ना सचमुच उम्मीदवार बन गए, तब मुकेश अरनेजा उन हरकतों पर उतर आये जो कि उनके चरित्र की असली पहचान हैं |
मुकेश अरनेजा पहले तो ललित खन्ना को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी दौड़ में शामिल करने में जुटे, और जब ललित खन्ना सचमुच उम्मीदवार बन गए तो उन्हें दौड़ से बाहर करने में लग गए | इस काम में उन्होंने पहले तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल की मदद ली - ताकि 'सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे |' मुकेश अरनेजा के उकसाने पर रमेश अग्रवाल ने ललित खन्ना को चेताया कि चूँकि डिस्ट्रिक्ट टीम में शामिल होने की संस्तुति देने वाले फार्म में उन्होंने उम्मीदवार न बनने का वायदा किया था, इसलिए उनकी उम्मीदवारी प्रस्तुत नहीं हो सकती है | रमेश अग्रवाल ने चेताया, तो मुकेश अरनेजा ने ललित खन्ना को डराया और हतोत्साहित किया कि नियमानुसार वह उम्मीदवार नहीं हो सकते है; कि रमेश नियमों का पालन करने के मामले में बड़ा पक्का है; वह उन्हें उम्मीदवार नहीं बनने देगा | रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के इस रवैये से निपटने के लिए ललित खन्ना ने जो किया, मुकेश अरनेजा को उसकी कतई उम्मीद नहीं थी | ललित खन्ना ने मदद के लिए केके गुप्ता का दरवाजा खटखटाया | ललित खन्ना चूँकि पिछले वर्षों में मुकेश अरनेजा के साथ मिल कर केके गुप्ता की खिलाफत ही करते रहे हैं, इसलिए मुकेश अरनेजा ने सपने में भी नहीं सोचा था कि ललित खन्ना उनकी 'पिटाई' से बचने के लिए केके गुप्ता की शरण में जा पहुँचेंगे | केके गुप्ता ने नफासतभरा ऐसा खेल किया, जिसके सामने रमेश अग्रवाल की कानूनी समझ और मुकेश अरनेजा की तिकड़म चारों खाने चित्त जा पड़ी | केके गुप्ता ने इंटरनेशनल डायरेक्टर यश पाल दास को सारी बात बताई और उनसे पूछा कि ललित खन्ना को उम्मीदवार बनने से रोका जा सकता है क्या ? यश पाल दास ने लिखित में उन्हें बताया कि ललित खन्ना को उम्मीदवार बनने से नहीं रोका जा सकता है |
रमेश अग्रवाल की मार्फ़त ललित खन्ना की राह में रोड़े बिछाने की मुकेश अरनेजा की तरकीब फेल हुई तो वह अपनी 'औकात' में आ गए | ललित खन्ना की उम्मीदवारी को कमजोर बनाने/दिखाने के लिए मुकेश अरनेजा ने दूसरे उम्मीदवारों के प्रति अपना समर्थन जताना शुरू किया | अपनी इस हरकत से मुकेश अरनेजा ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच यह संदेश देने की कोशिश की कि ललित खन्ना को तो अपने क्लब का ही समर्थन प्राप्त नहीं है | मुकेश अरनेजा की इस हरकत ने ललित खन्ना का क्या नुकसान किया है, यह तो अभी सामने नहीं आया है; लेकिन मुकेश अरनेजा की इस हरकत ने उन्हें जरूर मुश्किल में डाल दिया है | क्लब के सदस्य इस बात को लेकर बहुत नाराज़ हैं कि मुकेश अरनेजा क्लब के उम्मीदवार की बजाये किसी भी दूसरे उम्मीदवार का समर्थन कैसे कर सकते हैं ? क्लब के कुछेक लोगों ने अध्यक्ष से गुहार लगाई है कि मुकेश अरनेजा यदि अपने हरकतों से बाज नहीं आता है तो इसे क्लब से निकालो | मुकेश अरनेजा के लिए संकट की बात यह हुई है कि यह गुहार लगाने वाले वह लोग हैं जो कल तक उनकी करतूतों में उनके खास सहयोगी हुआ करते थे | क्लब के अध्यक्ष राकेश मल्होत्रा हालाँकि रहे तो मुकेश अरनेजा के गिरोह के सदस्य हैं, लेकिन ललित खन्ना के साथ मुकेश अरनेजा ने जैसा जो खेल खेला उसके चलते वह भी मुकेश अरनेजा के खिलाफ हो गए हैं | उन्होंने भी मुकेश अरनेजा को क्लब से निकालने की गुहार के प्रति सहमति जताई | क्लब में अपने खिलाफ बने माहौल को भाँपने में मुकेश अरनेजा ने कोई गलती नहीं की; उन्होंने समझ लिया कि ललित खन्ना के साथ उन्होंने जो खेल किया है उसके कारण उनका क्लब में बने रह पाना मुश्किल ही होगा | यह समझ लेने के बाद मुकेश अरनेजा ने तेजी से रंग बदला और क्लब के लोगों की खुशामद में जुट गए | क्लब के अध्यक्ष सहित दूसरे लोगों को उन्होंने समझाने की कोशिश की है कि वह ललित खन्ना की उम्मीदवारी के खिलाफ कैसे हो सकते हैं ? कि वह तो बस अपनी राजनीतिक मजबूरियों के कारण कभी किसी को तो कभी किसी को समर्थन का झांसा देते रहते हैं; कि क्लब के लोगों को दूसरे लोग बतायें कि वह 'इसका' या 'उसका' समर्थन कर रहे हैं तो विश्वास न करें; आदि-इत्यादि | मुकेश अरनेजा ने क्लब के पदाधिकारियों की खुशामद की तथा उनके हाथ-पैर जोड़े तो क्लब के पदाधिकारियों ने उन्हें दो-टूक चेतावनी दी कि उन्हें इससे मतलब नहीं है कि वह किसके साथ क्या धोखा कर रहे हैं, लेकिन इस बात को अच्छी तरह समझ लें कि उन्होंने यदि ललित खन्ना के साथ धोखा करने की कोशिश की तो फिर अपने लिए दूसरा क्लब देख लें |
मुकेश अरनेजा ने अपने क्लब के पदाधिकारियों की खुशामद करके अभी तो अपने को क्लब से निष्कासित होने से बचा लिया है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि उन्होंने अपने क्लब के पदाधिकारियों से ललित खन्ना के साथ धोखा न करने का जो वायदा किया है, वह सच्चा वायदा है या वह उनकी धोखाधड़ी का एक हथकंडा भर है |