Wednesday, August 15, 2012

भावना दोषी की हमेशा ही खिलाफत करते रहना पंकज जैन के लिए मुसीबत बना, और प्रफुल्ल छाजेड़ के लिए वरदान

मुंबई | भावना दोषी के चुनावी मैदान छोड़ने से पंकज जैन को जो फायदा होने की उम्मीद बनी थी, वह ललित गांधी की उम्मीदवारी की प्रस्तुति से मुसीबत में पड़ गई है - जिसका फायदा प्रफुल्ल छाजेड़ को मिलने का कयास लगाया जा रहा है | उल्लेखनीय है कि गौतम दोषी के टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले में जेल जाने के बाद जब भावना दोषी के इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की सेंट्रल काउंसिल के चुनाव से बाहर होने के संकेत मिलने लगे थे तब पंकज जैन के मन में लड्डू फूट रहे थे | इसका कारण यह था कि सेंट्रल काउंसिल के लिए होने वाली चुनावी दौड़ से भावना दोषी के बाहर होने में पंकज जैन अपना सीधा फायदा देख रहे थे | भावना दोषी और पंकज जैन चूँकि बंसीधर मेहता की फर्म में रहे हैं, इसलिए पंकज जैन को उम्मीद रही कि भावना दोषी के उम्मीदवार न होने से बंसीधर मेहता की फर्म के भावना दोषी समर्थक वोट अब उन्हें मिल सकेंगे | भावना दोषी के समर्थकों के वोटों के भरोसे अपनी चुनावी स्थिति में सुधार की उम्मीद कर रहे पंकज जैन को लेकिन उस समय तगड़ा झटका लगा, जब उन्हें पता चला कि ललित गांधी इस बार सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे हैं | ललित गांधी कई वर्ष पहले वेस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में रह चुके हैं | ललित गांधी की उम्मीदवारी के कारण पंकज जैन के सामने अपने जैन वोटों के कटने/बिदकने का खतरा पैदा हुआ | पंकज जैन ने हालाँकि ललित गांधी की स्थिति को कमजोर बताने/दिखाने के जरिये यह स्थापित करने की कोशिश की कि ललित गांधी के लिए सेंट्रल काउंसिल का चुनाव जीतना आसान नहीं होगा - लेकिन वह खुद को आश्वस्त नहीं कर सके कि ललित गांधी की उम्मीदवारी उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचायेगी | सेंट्रल काउंसिल की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले कई लोगों का मानना और कहना है कि ललित गांधी का क्या होगा, उन्हें चुनाव में सफलता मिलेगी या नहीं मिलेगी - यह तो समय बताएगा, लेकिन जो एक बात अभी से बताई जा सकती है वह यह कि ललित गांधी की उम्मीदवारी से पंकज जैन को जैन वोटों का काफी नुकसान होगा |
पंकज जैन अभी यह समझने की कोशिश कर ही रहे थे कि भावना दोषी के उम्मीदवार न बनने से उन्हें बंसीधर मेहता की फर्म के भावना दोषी समर्थकों के कितने क्या वोट मिलेंगे और उन मिल सकने वाले वोटों से ललित गांधी की उम्मीदवारी के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकेगी या नहीं - कि उन्होंने पाया कि बंसीधर मेहता की फर्म के जिन वोटों पर वह निगाह लगाये हुए हैं, उनका झुकाव तो प्रफुल्ल छाजेड़ की तरफ है | दरअसल प्रफुल्ल छाजेड़ भी बंसीधर मेहता की फर्म में रहे हैं और उनका भी प्रशिक्षण भावना दोषी व पंकज जैन की तरह बंसीधर मेहता की फर्म में ही हुआ है | बंसीधर मेहता की फर्म के और उनसे जुड़े वोटों पर भावना दोषी का अच्छा कब्ज़ा रहा है | पंकज जैन ने पिछले चुनावों में इन वोटों में सेंध लगाने की हालाँकि काफी कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली | भावना दोषी के उम्मीदवार न होने की स्थिति में पंकज जैन को उक्त वोट मिलने की पूरी-पूरी उम्मीद थी, लेकिन उनकी वह उम्मीद भी पूरी होती हुई नहीं दिख रही है | बंसीधर मेहता की फर्म के और उनसे जुड़े लोगों की पंकज जैन से इस बात को लेकर खासी नाराजगी है कि पंकज जैन ने हमेशा ही भावना दोषी के वाइस प्रेसीडेंट बनने के प्रयासों में रोड़ा अटकाने का काम किया है | भावना दोषी के समर्थक व शुभचिंतक भावना दोषी के प्रेसीडेंट न बनने के लिए काफी हद तक पंकज जैन को भी जिम्मेदार मानते/ठहराते हैं | इसीलिए वह अब - भावना दोषी की उम्मीदवारी की अनुपस्थिति में पंकज जैन को ओबलाइज़ करने के लिए, उन्हें वोट देने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं नज़र आ रहे हैं |
प्रफुल्ल छाजेड़ को इसका फायदा मिलता हुआ दिख रहा है | बंसीधर मेहता की फर्म के और उनसे जुड़े लोग दरअसल 'घर' के व्यक्ति के साथ ही रहना चाहते हैं और प्रफुल्ल छाजेड़ भी चूँकि उनके साथ लगातार संपर्क बनाये रहे हैं इसलिए भावना दोषी की उम्मीदवारी की अनुपस्थिति में उनके प्रफुल्ल छाजेड़ के साथ जुड़ने की संभावना देखी जा रही है | बंसीधर मेहता की फर्म के और उनसे जुड़े लोगों के बीच पंकज जैन की तुलना में प्रफुल्ल छाजेड़ का पलड़ा लोगों को यदि भारी नज़र आ रहा है, तो इसका प्रमुख कारण यह है कि प्रफुल्ल छाजेड़ हमेशा ही भावना दोषी के साथ खड़े दिखे हैं | इंडियन मर्चेंट्स चैम्बर में पिछले वर्ष जब भावना दोषी अध्यक्ष थीं, तब भी प्रफुल्ल छाजेड़ ने को-ऑपटेड चेयरमैन के रूप में उनके साथ मिलकर काम किया था | प्रफुल्ल छाजेड़ ने अपने व्यवहार और अपनी सक्रियता के भरोसे अपनी पहचान और अपने संबंध तो बनाये ही, भावना दोषी के प्रति सहयोग और सम्मान का उनका जो रवैया रहा - उसके चलते भी भावना दोषी के समर्थकों व शुभचिंतकों के बीच उनकी पैठ बनी है | बंसीधर मेहता की फर्म के तथा उनसे जुड़े भावना दोषी समर्थकों के बीच पंकज जैन की तुलना में प्रफुल्ल छाजेड़ का पलड़ा यदि भारी दिख रहा है तो इसका कारण यही है कि पंकज जैन ने हमेशा ही भावना दोषी की खिलाफत की और उनसे आगे निकलने/दिखने की कोशिश की | भावना दोषी समर्थकों ने इसे पसंद नहीं किया है और इसीलिए वह पंकज जैन से दूरी बनाये रखना चाहते हैं | उनकी यह चाहत ही प्रफुल्ल छाजेड़ के लिए वरदान बनी है | कई लोगों का लेकिन मानना/कहना है कि इस 'वरदान' को बनाये रखने तथा हासिल करने के लिए प्रफुल्ल छाजेड़ को लगातार प्रयास भी करते रहने पड़ेंगे |